जल्‍दी डिलीवरी होने के लक्षण?pregnancytips.in

Posted on Tue 2nd Jul 2019 : 14:54


प्रेग्‍नेंसी में अक्‍सर महिलाओं के मन में ये सवाल रहता है कि उनकी नॉर्मल डिलीवरी होगी या फिर उन्‍हें ऑपरेशन करवाना पड़ेगा। प्रेग्‍नेंसी के आखिरी कुछ हफ्तों और दिनों में कुछ संकेत मिलते हैं जिनका संबंध नॉर्मल डिलीवरी से होता है।

normal delivery signs
आजकल महिलाओं को लगता है कि सिजेरियन ऑपरेशन से डिलीवरी करवाना ज्‍यादा आसान है क्‍योंकि इसमें नॉर्मल डिलीवरी की तरह दर्द कम होता है लेकिन आपको बता दें कि नॉर्मल डिलीवरी शरीर के लिए ज्‍यादा सही होती है और इसके बाद रिकवर करने में भी कम समय लगता है।

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पहली बार मां बनने पर अक्‍सर महिलाएं इस असमंजस में रहती हैं कि नॉर्मल डिलीवरी या सिजेरियन ऑपरेशन में से उनके लिए क्‍या बेहतर रहेगा? और वो किस तरह से जान सकती हैं कि उनकी डिलीवरी कैसे होगी। अगर आप प्रेगनेंट हैं और जानना चाहती हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी होगी या सिजेरियन, तो प्रेग्‍नेंसी में मिलने वाले कुछ संकेतों से आप इस सवाल का जवाब पा सकती हैं।

क्‍या होती है नॉर्मल डिलीवरी?
इसमें वजाइना से शिशु को जन्‍म दिया जाता है। इस तरह की डिलीवरी में कोई सर्जरी नहीं होती है। अधिकतर महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी ही होनी चाहिए क्‍योंकि इसके बाद रिकवर करने में कम समय लगता है। अगर कोई मेडिकल समस्‍या न हो तो नॉर्मल डिलीवरी ही करवाई जाती है।

Pregnancy: डिलीवरी के कितने दिनों बाद दोबारा शुरू होते हैं Periods?

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बच्चे के जन्म के बाद दोबारा पीरियड्स शुरू होना इस बात पर निर्भर करता है कि महिला अपने बच्चे को कितना ब्रेस्टफीडिंग कराती है। दरअसल, प्रोलैक्टिन हार्मोन स्तनपान कराने वाली महिला के स्तन में दूध उत्पन्न करने का काम करता है और ओव्यूलेशन को रोक देता है जिससे पीरियड्स में देरी होती है। जो महिलाएं बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं उन्हें डिलीवरी के 1 से 6 महीने के बीच पीरियडस् शुरू हो सकता है जबकि जो महिलाएं बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं उन्हें जल्दी ही पीरियड शुरू हो सकता है।
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बच्चे के जन्म के बाद दोबारा पीरियड शुरू होने पर इसमें कुछ बदलाव हो सकता है या यह पहले की तरह ही हो सकता है। कई महिलाओं को पहले से अधिक या कम ब्लीडिंग हो सकती है और पीरियड्स के दिन भी ज्यादा या कम हो सकते हैं। चूंकि डिलीवरी के बाद गर्भाशय बड़ा हो जाता है इसलिए पीरियड्स में कई तरह के परिवर्तन नजर आते हैं। समय के साथ गर्भाशय सिकुड़ कर छोटा हो जाता है। इसके साथ ही बच्चे के जन्म के बाद महिला के शरीर में भी कई तरह के बदलाव होते हैं जिसका असर पीरियड्स पर पड़ सकता है।
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डिलीवरी के बाद दोबारा पीरियड्स शुरू होने पर ब्लीडिंग, शरीर में ऐंठन और पेट दर्द हो सकता है। यदि आपको हर घंटे पैड या टैम्पोन बदलने की जरूरत पड़ती है तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं। इसके अलावा अगर बच्चे के जन्म के बाद पीरियड्स दोबारा शुरू होने के बाद अगले महीने रुक जाए या पीरियड्स के दौरान स्पॉटिंग हो तो यह किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है इसलिए डॉक्टर के पास जाकर परामर्श लें।

इस प्रकार डिलीवरी के बाद दोबारा पीरियड्स शुरू होना पूरी तरह महिला की सेहत और स्तनपान की स्थिति पर निर्भर होता है। हालांकि सामान्यतः छह महीने के अंदर पीरियड्स शुरू हो जाता है।


नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण और संकेत
डिलीवरी की डेट से कुछ हफ्ते पहले आपको बदलाव नजर आ सकते हैं। हालांकि, हर महिला में प्रेग्‍नेंसी के लक्षण और समस्‍याएं भी अलग होती हैं इस‍लिए डिलीवरी के लक्षण एवं संकेत भी भिन्‍न हो सकते हैं।
प्रसव से एक से चार हफ्ते पहले डिलीवरी के ऐसे संकेत मिल सकते हैं :

शिशु के पेल्विक हिस्‍से में आ जाने की वजह से उसकी मूवमेंट में कमी आना।
रिलैक्सिन हार्मोन पेल्विक हिस्‍से के जोड़ों और लिगामेंट को रिलैक्‍स और मुलायम कर देता है जिससे जोड़ ढीले महसूस होने लगते हैं।
शिशु के सिर से मूत्राशय पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से बार-बार पेशाब आता है।
ब्रैक्‍सटन हिक्‍स कॉन्‍ट्रैक्‍शन, ये डिलीवरी से पहले प्रसव जैसा दर्द या संकुचन होता है।
पीठ के निचले हिस्‍से के जोड़ों और मांसपेशियों में खिंचाव के कारण ऐंठन और दर्द।
गर्भाशय ग्रीवा का चौड़ा हो जाना, चेकअप के दौरान डॉक्‍टर इस बात को नोटिस करते हैं।
डिलीवरी के लिए गुदा की मांसपेशियों का रिलैक्‍स होना शुरू होता है जिससे पतला मल आने लगता है।

Pregnancy: डिलीवरी के कितने दिनों बाद दोबारा शुरू होते हैं Periods?

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बच्चे के जन्म के बाद दोबारा पीरियड्स शुरू होना इस बात पर निर्भर करता है कि महिला अपने बच्चे को कितना ब्रेस्टफीडिंग कराती है। दरअसल, प्रोलैक्टिन हार्मोन स्तनपान कराने वाली महिला के स्तन में दूध उत्पन्न करने का काम करता है और ओव्यूलेशन को रोक देता है जिससे पीरियड्स में देरी होती है। जो महिलाएं बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं उन्हें डिलीवरी के 1 से 6 महीने के बीच पीरियडस् शुरू हो सकता है जबकि जो महिलाएं बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं उन्हें जल्दी ही पीरियड शुरू हो सकता है।
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बच्चे के जन्म के बाद दोबारा पीरियड शुरू होने पर इसमें कुछ बदलाव हो सकता है या यह पहले की तरह ही हो सकता है। कई महिलाओं को पहले से अधिक या कम ब्लीडिंग हो सकती है और पीरियड्स के दिन भी ज्यादा या कम हो सकते हैं। चूंकि डिलीवरी के बाद गर्भाशय बड़ा हो जाता है इसलिए पीरियड्स में कई तरह के परिवर्तन नजर आते हैं। समय के साथ गर्भाशय सिकुड़ कर छोटा हो जाता है। इसके साथ ही बच्चे के जन्म के बाद महिला के शरीर में भी कई तरह के बदलाव होते हैं जिसका असर पीरियड्स पर पड़ सकता है।
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डिलीवरी के बाद दोबारा पीरियड्स शुरू होने पर ब्लीडिंग, शरीर में ऐंठन और पेट दर्द हो सकता है। यदि आपको हर घंटे पैड या टैम्पोन बदलने की जरूरत पड़ती है तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं। इसके अलावा अगर बच्चे के जन्म के बाद पीरियड्स दोबारा शुरू होने के बाद अगले महीने रुक जाए या पीरियड्स के दौरान स्पॉटिंग हो तो यह किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है इसलिए डॉक्टर के पास जाकर परामर्श लें।


इस प्रकार डिलीवरी के बाद दोबारा पीरियड्स शुरू होना पूरी तरह महिला की सेहत और स्तनपान की स्थिति पर निर्भर होता है। हालांकि सामान्यतः छह महीने के अंदर पीरियड्स शुरू हो जाता है।


डिलीवरी से कुछ दिनों या घंटे पहले मिलने वाले संकेत

वजाइनल डिस्‍चार्ज अधिक और गाढ़ा होना।
हर बार पेशाब करते समय म्‍यूकस प्‍लग का कुछ हिस्‍सा निकलना, ये गुलाबी और गाढ़ा हो सकता है।
संकुचन बार-बार और तेज होना जो समय के साथ बढ़ जाए।
पीठ के निचले हिस्‍से में ऐंठन और दर्द जो कि पेट और टांगों तक भी पहुंच जाए।
एम्नियोटिक फ्लूइड की थैली फटने के कारण पानी छूटना।

जब भी आपको ये संकेत नजर आएं तो अपने साथ परिवार के किसी सदस्‍य को जरूर रखें ताकि आपकी स्थिति को मॉनिटर किया जा सके।


Pregnancy: डिलीवरी के कितने दिनों बाद दोबारा शुरू होते हैं Periods?

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बच्चे के जन्म के बाद दोबारा पीरियड्स शुरू होना इस बात पर निर्भर करता है कि महिला अपने बच्चे को कितना ब्रेस्टफीडिंग कराती है। दरअसल, प्रोलैक्टिन हार्मोन स्तनपान कराने वाली महिला के स्तन में दूध उत्पन्न करने का काम करता है और ओव्यूलेशन को रोक देता है जिससे पीरियड्स में देरी होती है। जो महिलाएं बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं उन्हें डिलीवरी के 1 से 6 महीने के बीच पीरियडस् शुरू हो सकता है जबकि जो महिलाएं बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं उन्हें जल्दी ही पीरियड शुरू हो सकता है।
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बच्चे के जन्म के बाद दोबारा पीरियड शुरू होने पर इसमें कुछ बदलाव हो सकता है या यह पहले की तरह ही हो सकता है। कई महिलाओं को पहले से अधिक या कम ब्लीडिंग हो सकती है और पीरियड्स के दिन भी ज्यादा या कम हो सकते हैं। चूंकि डिलीवरी के बाद गर्भाशय बड़ा हो जाता है इसलिए पीरियड्स में कई तरह के परिवर्तन नजर आते हैं। समय के साथ गर्भाशय सिकुड़ कर छोटा हो जाता है। इसके साथ ही बच्चे के जन्म के बाद महिला के शरीर में भी कई तरह के बदलाव होते हैं जिसका असर पीरियड्स पर पड़ सकता है।
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डिलीवरी के बाद दोबारा पीरियड्स शुरू होने पर ब्लीडिंग, शरीर में ऐंठन और पेट दर्द हो सकता है। यदि आपको हर घंटे पैड या टैम्पोन बदलने की जरूरत पड़ती है तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं। इसके अलावा अगर बच्चे के जन्म के बाद पीरियड्स दोबारा शुरू होने के बाद अगले महीने रुक जाए या पीरियड्स के दौरान स्पॉटिंग हो तो यह किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है इसलिए डॉक्टर के पास जाकर परामर्श लें।


इस प्रकार डिलीवरी के बाद दोबारा पीरियड्स शुरू होना पूरी तरह महिला की सेहत और स्तनपान की स्थिति पर निर्भर होता है। हालांकि सामान्यतः छह महीने के अंदर पीरियड्स शुरू हो जाता है।


एडवांस लेबर के संकेत
जब डिलीवरी का समय बिलकुल नजदीक आ जाता है तो निम्‍न संकेत मिलने लगते हैं :

पेट में गर्म महसूस होना।
संकुचन बढ़ जाना
संकुचन की वजह से तेज दर्द होना जो कि 40 से 60 सेकंड तक रहे।
पीठ में तेज दर्द होना।
योनि से खून आना

कुछ महिलाएं सीधे एडवांस लेबर में चली जाती हैं जबकि कुछ महिलाओं को नॉर्मल डिलीववरी से जुड़ी इस असुविधा से गुजरना पड़ता है।

क्‍यों जरूरी है नॉर्मल डिलीवरी
ये जन्‍म देने की सामान्‍य और प्राकृतिक प्रक्रिया है। स्‍वस्‍थ महिला को दर्द निवारक दवाओं या एपिड्यूरल तक की जरूरत नहीं पड़ती है और उनकी आसानी से नॉर्मल डिलीवरी हो जाती है। हालांकि, कुछ डॉक्‍टर दर्द से बचाने के लिए सी-सेक्‍शन का सुझाव देते हैं या प्रसव लाने के लिए दर्द शुरू करने की दवा देते हैं।

जितना हो सके नॉर्मल डिलीवरी ही करवानी चाहिए क्‍योंकि ये मां और बच्‍चे दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से ठीक होती है।

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wordpress 4 years ago 5 Answer
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