जुड़वा बच्चे लड़का लड़का होने के लक्षण?pregnancytips.in

Posted on Mon 15th Nov 2021 : 14:42

जुड़वा बच्चे कैसे पैदा होते हैं, लक्षण, कारण - Judwa bacche hone ke sanket, karan, kaise paida hote hai

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कई महिलाओं को जुड़वा बच्चों की चाह होती है। गर्भाधारण के समय महिला को जुड़वा बच्चे होना, कई कारणों पर निर्भर करता है। जुड़वा बच्चे होना एक प्राकृतिक तरीका है। इसके लिए आप कोई उपाय या इलाज नहीं अपना सकती हैं। जुड़ावा बच्चे होने की पूरी जिम्मेदारी केवल मां की ही नहीं होती, इसमें मां और बाप दोनों को महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी होती है। महिलाओं को इस बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए कि जुड़ाव बच्चे कैसे पैदा होते हैं। जुड़वा बच्चे होने के प्रकार, लक्षण, कारण और इनसे जुड़े तथ्य क्या हैं।
कई दम्पत्ति जुड़वा बच्चों को पाना चाहते हैं। इसलिए आज आपको इस लेख में जुड़वा बच्चों से जुड़ी सभी बातें बताई जा रहीं हैं। इसमें आपको जुड़वा बच्चें कैसे पैदा होते हैं, जुड़वा बच्चों के प्रकार, जुड़वा बच्चे होने के लक्षण, जुड़वा बच्चे होने के कारण और जुड़वा बच्चे होने से जुड़े तथ्य बताए जा रहें हैं।
जुड़वा बच्चों के प्रकार - Judwa bacho ke prakar
जुड़वा बच्चे होने के लक्षण - Judwa bacche hone ke lakshan
जुड़वा बच्चे होने के कारण और कैसे होते हैं - Judwa bacche hone ke karan aur kaise hote hai
जुड़वा बच्चे होने से जुड़े तथ्य - Judwa bacche hone se jude tathya

जुड़वा बच्चों के प्रकार - Judwa bacho ke prakar

जुड़वा बच्चों की संख्या में एक जैसे दिखने वाले बच्चों की संख्या एक तिहाई होती है। जबकि एक दूसरे से अलग दिखने वाले बच्चों की संख्या दो तिहाई होती है। जिससे पता चलता है कि हर तीन जुड़ावा बच्चों में से एक सामान दिखने वाले होते हैं। बाकि के दो जुड़वा बच्चे अलग-अलग दिखते हें।

समान दिखने वाले जुड़वा (Monozygotic)
समान दिखने वाले जुड़वा बच्चे (मोनोज़यगोटिक) तब होते है, जब अंडा एक स्पर्म से निषेचित होता है। लेकिन कुछ समय बाद यह अंडा दो भागों में विभाजित हो जाता है। इस तरह से समान दिखने वाले जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं। इन दोनों ही बच्चों की अनुवांशिक संरचना एक ही तरह की होती है। ये दोनों ही जुड़वा बच्चे या तो लड़का होगें या लड़की होगें। जुड़वा बच्चों के इस प्रकार में एक बच्चा लड़की और अन्य लड़का नहीं हो सकता है।

अलग-अलग दिखने वाले जुड़वा (Dizygotic)
महिला के गर्भाशय में जब दो अलग-अलग अंडे निषेचित होते हैं, तब अलग-अलग दिखने वाले जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं। इन बच्चों की अनुवांशिक सरंचना अलग-अलग होती है। यह दोनों जुड़वा आम भाई-बहनों की तरह ही दिखते हैं और यह दोनों एक जैसी शक्ल के जुड़वा से काफी अलग होते हैं। जुड़वा बच्चों के इस प्रकार में एक बच्चा लड़की और अन्य लड़का भी हो सकता है।
जुड़वा बच्चे होने के लक्षण - Judwa bacche hone ke lakshan

जुड़वा बच्चे होने पर गर्भवती महिला में कई तरह के लक्षण और संकेत दिखाई देते हैं। इन संकेतों और लक्षणों को आगे जानते हैं।

दिल की धड़कन की जांच करना
गर्भावस्था की पहली तिमाही के बाद डॉपलर (Doppler/ भ्रूण की हृदय ध्वनि जांचने वाला यंत्र) द्वारा भ्रूण के दिल की धड़कनों का पता लगाया जा सकता है। अनुभवी डॉक्टर इस मशीन से जुड़वा बच्चों के दिल की धड़कन का पता लगा सकते हैं। लेकिन, कई विशेषज्ञ इस तरीके को गलत कहते हैं, उनका कहना है कि मां के पेट के किसी भी हिस्से से एक ही बच्चे की दिल की धड़कन का पता लगाया जा सकता है।
(और पढ़ें - गर्भावस्था में सीने में जलन)

एचसीजी (HCG) का स्तर अधिक होना
महिलाओं में ए़चसीजी का अधिक स्तर भी जुड़वा बच्चों की ओर संकेत करता है। एचसीजी हार्मोन गर्भावस्था से संबंधित होता है। लेकिन, इसके स्तर में बढ़ोतरी को पूर्ण रूप से जुड़वा बच्चे होने का लक्षण नहीं माना जा सकता है। इससे डॉक्टर मात्र अनुमान ही लगा सकते हैं, जिसके बाद जुड़वा बच्चे होने की पुष्टि के लिए कुछ और परीक्षण करने होते हैं।

एएफपी (AFP) टेस्ट के असामान्य परिणाम
अल्फा फिटोप्रोटीन (Alpha fetoprotein/ AFP/ एएफपी) टेस्ट को मातृ सीरम (Serum/ द्रव) स्क्रीनिंग के नाम से भी जाना जाता है। गर्भवती महिला की दूसरी तिमाही के दौरान इस परीक्षण को किया जाता है। इस टेस्ट का उपयोग भ्रूण के जन्म दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है और भ्रूण के यकृत से स्रावित होने वाले प्रोटीन की निश्चित मात्रा को मापा जाता है। जुड़वा बच्चों की पुष्टि करने के लिए इस तरह का परीक्षण किया जाता है। इसके असामान्य परिणाम जुड़वा बच्चों की ओर इशारा करते हैं।

गर्भाशय में खिंचाव
प्रेग्नेंसी के दौरान अधिकतर डॉक्टर गर्भाशय और पेट के निचले हिस्से की लंबाई के आधार पर भ्रूण की आयु का अनुमान लगाते हैं। जिन महिलाओं के गर्भाशय में खिंचाव होता है और आकार सामान्य भ्रूण के मुकाबले अधिक होता है, उनको जुड़वा बच्चे हो सकते हैं। सामान्य रूप से यह गर्भावस्था में जुड़वा बच्चों की ओर संकेत करता है, लेकिन इस स्थिति के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।

वजन बढ़ना
गर्भावस्था में वजन बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। आमतौर पर यह खानपान की गलत आदतों के कारण हो जाता है। महिला का वजन बढ़ना उनकी लंबाई, शारीरिक रूपरेखा और प्रेग्नेंसी से पूर्व के वजन पर निर्भर करता है। गर्भ में जुड़वा बच्चे होने पर महिलाओं का सामान्य रूप से गर्भवती होने के मुकाबले करीब 4.50 किलो वजन बढ़ जाता है।

गर्भावस्था में अधिक मतली या उल्टी आना (Morning sickness)
गर्भावस्था के दौरान आधी से ज्यादा महिलाओं को मतली या उल्टी आने की समस्या से किसी न किसी रूप में परेशान होना ही पड़ता है। जुड़वा बच्चे होने पर कई महिलाओं को गर्भावस्था में अधिक मितली या उल्टी आती है। जबकि कई महिलाओं को ऐसा नहीं होता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान जुड़वा बच्चे होने पर महिला को हर बार अधिक उल्टी आए यह जरूरी नहीं है।


भ्रूण का समय से पूर्व और अधिक हलचल करना
यह लक्षण चिकित्सीय जगत मे विवाद का विषय है। बताया जाता है कि गर्भावस्था में भ्रूण का समय से पूर्व ही हलचल शुरू कर देना, गर्भ में जुड़वा बच्चे होने की ओर इशारा करता है। इसलिए कहा जाता है कि सामान्य गर्भावस्था की अपेक्षा पूर्व ही बच्चे की हलचल को महसूस करना जुड़वा होने का लक्षण होता है।

अत्यधिक थकान होना
गर्भावस्था में तनाव, काम और जिम्मेदारियों के कारण महिलाओं को थकान हो जाती है। परंतु, कई मामलों में गर्भवस्था में जुड़वा बच्चे होने पर भी महिला को थकान महसूस होती है। इसमें महिला के शरीर की थकान को एक से अधिक बच्चे को पोषक प्रदान से संबंधित माना जाता है।

जुड़वा बच्चों से जुड़ा पारिवारिक इतिहास और पूर्वाभास
कई महिलाओं के परिवार में जुड़वा बच्चे होने का प्रचलन पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है। इसके अलावा कई महिलाओं को पहले से ही इस बात का अंदाजा हो जाता है कि वह जुड़वा बच्चों को जन्म देंगी।

जुड़वा होने के कई अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसकी पुष्टि के लिए केवल आपको अल्ट्रासाउंड टेस्ट पर ही विश्वास करना चाहिए।
जुड़वा बच्चे होने के कारण और कैसे होते हैं - Judwa bacche hone ke karan aur kaise hote hai

एक जैसे दिखने वाले जुड़वा (Monozygotic) बच्चों के होने के कारणों का पता नहीं लग पाया है। 250 गर्भवती महिलाओं में से 1 में इस तरह के जुड़वा होने की संभावनाएं होती है। इसके साथ ही सभी महिलाओं में यह संभावनाएं समान रूप से होती है। इस प्रकार के जुड़वा होने की संभावनाएं पीढ़ी दर पीढ़ी नहीं चलती है।
अलग-अलग दिखने वाले जुड़वा (Dizygotic) बच्चों के होने के पीछे निम्न तरह के कारण होते हैं।
कुछ नस्लीय समूहों में इस प्रकार के जुड़वा होना अधिक सामान्य होता है। नाइजीरिया में इस तरह के जुड़वा होने की दर सबसे अधिक है, जबकि जापान में यह दर सबसे कम है। (और पढ़ें - लड़का पैदा करने के तरीके से जुड़े मिथक)
अधिक आयु की महिलाओं को अलग-अलग दिखने वाले जुड़वा बच्चे होने की संभावनाए अधिक होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ओवुलेशन के दौरान अधिक उम्र की कई महिलाएं एक से अधिक अंडे का निर्माण करती हैं।
इस प्रकार के जुड़वा होने का प्रचलन कुछ महिलाओं में पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कई महिलाओं के शरीर में एक से अधिक अंडे बनाने की प्रवृति आनुवांशिक रूप से प्राप्त होती है।

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In vitro fertilization/ IVF/ आईवीएफ/ कृत्रिम रूप से गर्भधारण का तरीका) में जुड़वा बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि इसमें एक से अधिक भ्रूण को स्थानांतरित किया जा सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक, सामान्य तौर से जुड़वा होने की अपेक्षा आईवीएफ प्रणाली में जुड़वा बच्चे होने की संभावाएं अधिक हो जाती है।
जुड़वा बच्चे होने से जुड़े तथ्य - Judwa bacche hone se jude tathya
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ में जुड़वा बच्चे होने पर महिला को प्रतिदिन कम से कम 2700 कैलोरी लेने की आवश्यकता होती है। इसमें आप डॉक्टर के सुझाव पर अतिरिक्त विटामिन और मिनरल्स ले सकती हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को एनीमिया हो सकता है, क्योंकि दो भ्रूण के विकास में अतिरिक्त रक्त की जरूरत होती है। भ्रूण के सही विकास के लिए आपके डॉक्टर आपको फोलिक एसिड की ज्यादा मात्रा लेने की सलाह दे सकते हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए)
गर्भावस्था में जुड़वा बच्चे होने पर महिलाओं का वजन बढ़ जाता है। जिसके चलते महिलाओं को असहजता होती है। इस अवस्था में महिलाओं को नियमित आराम की आवश्यकता होती है। जिससे गर्भवस्था में पैरो में होने वाला दर्द और सूजन कम हो सके। (और पढ़ें - गर्भावस्था में पैरों में दर्द होने पर इलाज)
जुड़वा बच्चों के दौरान महिला को कई तरह की समस्या हो सकती है। जैसे –

अपरिपक्व प्रसूति (Preterm labor)
झिल्ली का समयपूर्व विघटन (Premature rupture of membranes)
असमान वृद्धि
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप (High blood pressure)
प्री-एक्लेम्पसिया (Preeclampsia)
गर्भावस्था में डायबिटीज (Diabetes) (और पढ़ें - डायबिटीज का इलाज)
डॉक्टर प्रेग्नेंसी के दौरान इन समस्याओं की नियमित जांच करते हैं।

गर्भ में जुड़वा होने पर सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) होने की अधिक संभावनाएं होती हैं। इसमें सामान्य डिलीवरी भी हो सकती हैं, लेकिन उसमें बच्चों की स्थिति और वजन, महिला का स्वास्थ्य और बच्चों के स्वास्थ्य आदि बातों को पहले जांचा जाता है।
प्रसव पीड़ा सामान्य की अपेक्षा अधिक होती है।
जानें क्यों होते हैं जुड़वा बच्चे


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