डिलीवरी के बाद चक्कर आना?pregnancytips.in

Posted on Sat 30th Jul 2022 : 04:54

प्रसव के बाद के इन लक्षणों को न करें अनदेखा
Gynaecologist and Obstetrician
सिरदर्द से परेशान नई मां अपने शिशु को गोद में लेकर बैठी हुई

In this article

प्रसव से उबरने की अवधि के दौरान मुझे क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
स्थितियां जिनमें तुरंत आपातकालीन उपचार की जरुरत होती है
प्रसवोत्तर किन लक्षणों के लिए मुझे उसी दिन चिकित्सकीय सलाह की जरुरत है?
प्रसव के बाद की कौन सी स्थितियां महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए?
हमारी कम्युनिटी में मदद लें

प्रसव से उबरने की अवधि के दौरान मुझे क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
बेहतर है कि जब तक आपकी प्रसवोत्तर जांच न हो जाए (आमतौर पर शिशु के जन्म के बाद छह हफ्तों के आसपास) तब तक आराम करें और ज्यादा क्रियाशील न हों। बहुत सी माँएं प्रसव के बाद पहले 40 दिनों तक पारंपरिक एकांतवास का पालन करती हैं, ताकि उन्हें स्वस्थ होने का समय मिल सके।

मगर, यदि आप एकांतवास का पालन नहीं कर रही हैं तो भी आपको डिलीवरी के बाद शुरुआती कुछ हफ्तों में अपनी दिनचर्या आराम वाली रखनी चाहिए।

शिशु के जन्म के बाद कुछ रक्तस्त्राव (लोकिया), असहजता और थकान होना सामान्य है। बेहतर महसूस करने के लिए आमतौर पर आपको समय, आराम और स्वयं थोड़े प्रयास करने की जरुरत होती है। आपके शरीर को उबरने के लिए समय चाहिए होता है, खासकर की सीजेरियन ऑपरेशन के बाद।

बहुत सी महिलाएं शिशु के जन्म के बाद पूरी तरह बिना किसी जटिलता के सामान्य स्थिति में आ जाती हैं, फिर चाहे उनकी नॉर्मल डिलीवरी हुई हो या सीजेरियन ऑपरेशन। बहरहाल कई बार प्रसव के बाद के कुछ दिनों या हफ्तों में वाकई कुछ आपातकालीन चिकित्सकीय समस्या हो जाती है। ऐसे में खतरनाक संकेतों और ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी होना बहुत काम आ सकता है।

शिशु के जन्म के बाद अपनी डॉक्टर से पूछ लें कि जरूरत के समय आप आकस्मिक चिकित्सा कैसे पा सकती हैं। इस बारे में जानकारी किसी सुरक्षित स्थान पर लिखकर रखें और आपके पति और परिवार के अन्य सदस्यों को भी इसका पता होना चाहिए।

परिवार के सभी सदस्यों को पता होना चाहिए कि आपने अपनी चिकित्सकीय सूचनाएं (मेडिकल फाइल) कहां रखी हुई हैं। किसी आपातकालीन स्थिति में इन सूचनाओं के आधार पर एम्बुलेंस स्टाफ तुरंत उचित उपचार शुरु कर सकते हैं।

अगर, आपके क्षेत्र में एम्बुलेंस सुविधाएं उतनी अच्छी नहीं हैं, तो दोस्तों या परिवार के किसी ऐसे सदस्य का फोन नंबर अपने पास रखें, जो कि आपात स्थिति में आपको अस्पताल लेकर जा सकें। इसलिए सुनिश्चित करें कि इन फोन नंबरों के बारे में परिवार के सभी सदस्यों को पता हो।

अगर, आपका प्रसव आपात स्थिति में घर पर ही हुआ है, तो सुनिश्चित करें कि आपको शिशु के जन्म के तुरंत बाद उचित चिकित्सकीय देखभाल मिले। इससे प्रसव के बाद की किसी समस्या जैसे कि रिटेन्ड प्लेसेंटा आदि की संभावना कम हो जाती है। रिटेन्ड प्लेसेंटा की वजह से प्रसव के बाद के दिनों में भारी रक्तस्त्राव हो सकता है।

यह महत्वपूर्ण है कि प्रसव के बाद के खतरनाक लक्षणों को आप नजरअंदाज न करें। स्वयं चिकित्सा या घरेलू उपचार, आपकी स्थिति को और गंभीर बना सकती है। किसी भी प्रकार का उपचार शुरु करने से पहले अपनी डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

साथ ही, यह लेख अपने पति, परिवार के सदस्य और कुछ नजदीकी दोस्तों को भी पढ़ाएं। इनमें से कुछ लक्षण उनके लिए पहचानना आसान हो सकता है। विशेषकर दोस्त और परिवार के सदस्य मानसिक ​स्वास्थ्य से जुड़े लक्षणों जैसे कि प्रसवोत्तर अवसाद आदि को आपसे पहले पहचान सकते हैं।
स्थितियां जिनमें तुरंत आपातकालीन उपचार की जरुरत होती है
नीचे दिए गए किसी भी लक्षण के उत्पन्न होने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें। इसका मतलब है कि तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं या नजदीकी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में जाएं।

आकस्मिक या अत्याधिक रक्तस्त्राव या रक्तस्त्राव बढ़ता जाए, जिसमें खून के थक्के भी हों (पोस्टपार्टम हेमरेज)
यदि आपको प्रसवोत्तर अत्याधिक रक्तस्त्राव (पोस्टपार्टम हेमरेज) हो तो बहुत जल्दी आपका 500 मि.ली. या इससे ज्यादा खून बह सकता है और आपको तुरंत उपचार की जरुरत होगी।

यदि शिशु के जन्म के बाद शुरुआती 24 घंटों में आपका बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव हो तो आप शायद उस समय अस्पताल में ही होंगी। इस स्थिति में जल्द ही अस्पताल का स्टाफ आपके उपचार में लगेगा।

यदि आप घर पर हों और बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होने लगे तो, निम्न स्थितियों में एम्बुलेंस को बुलाएं या नजदीकी अस्पताल जाएं:

रक्तस्त्राव अचानक बढ़ रहा है और एक घंटे में एक से ज्यादा पैड इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं
बहुत ज्यादा और बड़े खून के थक्के निकलें
आपको बेहोशी या चक्कर आने लगें
आपका दिल तेजी से धड़कने लगे या धड़कन अनियमित होने लगे

तेज और लगातार लंबे समय तक सिरदर्द
प्रसव के बाद तेज सिरदर्द प्री-एक्लेमप्सिया का लक्षण हो सकता है। यदि आपको तेज सिरदर्द हो, और साथ ही नीचे दिए गए प्री-एक्लेमप्सिया के अन्य लक्षण भी हों तो एम्बुलेंस को बुलाएं या नजदीकी अस्पताल जाएं। इन लक्षणों ​में शामिल हैं:

दृष्टि संबंधी समस्या जैसे कि धुंधला और चमकती रोशनी दिखना
उल्टी
सीने में तेज जलन
टखनों में सूजन

प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षण आमतौर पर डिलीवरी के 72 घंटों के अंदर सामने आते हैं।

पेट में ऊपर की तरफ दर्द
एच.ई.एल.एल.पी. एक दुर्लभ स्वास्थ्य स्थिति है, जो गर्भावस्था के दौरान और शिशु के जन्म के एक हफ्ते में विकसित हो स​कती है। एचईएलएलपी का पूरा नाम हीमोलाइसिस (एच), एलीवेटेट लीवर एंजाइम्स (ईएल) और लो प्लेटलेट (एलपी) है। यह कुछ-कुछ प्री-एक्लेमप्सिया जैसा ही है। इसके मुख्य लक्षण हैं:

पेट के उपरी हिस्से में दर्द या पेट के उपर दाईं तरफ दर्द
बीमार महसूस करना और बीमार होना
थकान और पस्त महसूस करना
सिरदर्द

एचईएलएलपी आपके यकृत की कार्यप्रणाली और खून के थक्के बनने को प्रभावित करता है। यह काफी गंभीर और जानलेवा हो सकता है। यदि आपको इसके लक्षण हों, तो तुरंत डॉक्टर से बात करें और चिकित्सकीय मदद लें।

श्वासहीनता और/या छाती में दर्द
यदि आपको छाती में दर्द और और सांस की कमी महसूस हो तो ये पल्मनरी एम्बोलिज्म के लक्षण हो सकते हैं। अन्य लक्षणों में खांसते हुए खून आना और बेहोशी होना शामिल है। अगर आपको ये लक्षण हों तो इन्हें नजरअंदाज न करें और तुरंत चिकित्सकीय मदद लें।

पल्मनरी एम्बोलिज्म तब होता है जब फेफड़े की कोई एक रक्त धमनी अवरुद्ध हो जाती है, आमतौर पर खून का थक्का जमा होने से। यदि रक्त आपके फेफड़ो तक सही ढंग से नहीं पहुंचता, तो यह जानलेवा हो सकता है। इसलिए तुरंत उपचार मिलना जरुरी है।

तेज बुखार (100.4 डिग्री फैरनहाइट या इससे ज्यादा)
तेज बुखार सेप्सिस का लक्षण हो सकता है, जो कि वह इनफेक्शन है जो शरीर के एक हिस्से से पूरे शरीर में फैल जाता है।

तेज बुखार के साथ शायद कंपकंपी भी हो सकती है और धड़कन और सांसें तेज हो सकती हैं। इनफेक्शन कहां से शुरु हुआ है, इसे देखते हुए आपको निम्नांकित अन्य लक्षण भी हो सकते हैं:

तेज पेट दर्द या ऊसन्धि में दर्द, जो कि दर्द निवारकों के सेवन से भी ठीक नहीं होता
योनि से दुर्गंध वाला स्त्राव
स्तनों में दर्द व संवेदनशीलता
सीजेरियन ऑपरेशन के बाद टांको वाला स्थान लाल और दर्दभरा होना, जिसमें से बदबूदार तरल बाहर आ रहा हो
पेशाब करते समय दर्द, सामान्य से ज्यादा जल्दी या ज्यादा बार पेशाब जाना और पेशाब में बदबू आना

यदि आपको सेप्सिस हो जाए, तो आपकी हालत काफी गंभीर हो सकती है। यदि आपको ये लक्षण हों, तो आपको तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।
प्रसवोत्तर किन लक्षणों के लिए मुझे उसी दिन चिकित्सकीय सलाह की जरुरत है?
निम्नांकित लक्षण होने पर अपनी डॉक्टर से बात करें:

पिंडली में दर्द
यदि आपको टांग में ​निचले हिस्से में दर्द हो, तो यह डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) का संकेत हो सकता है। आपकी टांग लाल और सूजी हुई दिख सकती है और छूने पर यह हल्की गर्म महसूस हो सकती है।

डीवीटी में टांग की अंदरुनी गहरी नसों में खून का थक्का जम जाता है। यदि यह थक्का शरीर के अन्य हिस्सों से होते हुए फेफड़ों तक पहुंच जाए (पल्मनरी एम्बोलिज्म) तो यह जानलेवा हो सकता है।

कई महिलाओं को गर्भावस्था के बाद टांगों में दर्द व थकान महसूस होती है और डीवीटी की स्थिति बिना किन्हीं लक्षणों के भी विकसित हो सकती है। मगर यदि आपको डीवीटी के लक्षण हों, तो हमेशा डॉक्टर को दिखाएं।

मानसिक स्वास्थ्य में अचानक बदलाव जैसे व्यथित, अवसादग्रस्त, भ्रमित सा होना या अजीब व्यवहार होना
शिशु के जन्म के बाद वाले महीने में कुछ माँएं अपने भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य में काफी परिवर्तन महसूस करती हैं। सोच से जुड़े विकार, अत्याधिक बेचैनी, भ्रम और भ्रांतियां आदि होना, प्यूरपेरल साइकोसिस नामक दुर्लभ स्थिति की शुरुआत हो सकती है। महत्वपूर्ण है कि आपको तुरंत जरुरी उपचार व मदद मिले।

प्रसवोत्तर साइकोसिस के लक्षणों में शामिल हैं:

आवाजें सुनाई देना और ऐसी चीजें दिखना जो मौजूद न हों (हैलुसिनेटिंग)
मनोभावों में बहुत जल्द और बहुत ज्यादा बदलाव
मानसिक असंतुलन या अजीब व्यवहार जैसे कि बीच रात में उठकर घर की साफ-सफाई करने लगना
वास्तविकता से दूर व अलग महसूस करना
भ्रमित सा लगना, शायद परिवारजनों या दोस्तों को भी न पहचानना
भ्रांतियां या गलतफहमी लगना और मिथ्या व असंगत चीजों पर विश्वास करना

हालांकि पोस्टपार्टम साइकोसिस का हर मामला अलग होता है, इसलिए यदि आप, आपके पति या फिर दोस्त और परिवारजनों को आपके मनोभावों और व्यवहार को लेकर चिंता हो, तो इस बारे में डॉक्टर को जरुर बताएं। इस बात की पूरी संभावना होती है कि आपके समझने से पहले ही यह दूसरे लोगों की नजर में आ जाए।

प्रसवोत्तर साइकोसिस किसी भी महिला को हो सकता है, फिर चाहे उन्हें पहले कभी कोई मानसिक बीमारी रही हो या नहीं। हल्के लक्षण कुछ ही घंटों में गंभीर मानसिक बीमारी का रूप ले सकते हैं, इसलिए जरुरी है कि जितना जल्दी हो सके आप इसका उपचार कराएं।

पोस्टपार्टम साइकोसिस आपके साथ के लोगों के लिए भी भयावह अनुभव हो सकता है, मगर महिलाएं अक्सर इससे पूरी तरह उबर जाती हैं।

आत्मघाती विचार
यदि आपके मन में आत्महत्या समेत खुद को नुकसान पहुंचाने के विचार आ रहे हैं, तो आपको जल्द से जल्द मदद लेनी चाहिए। हो सकता है आपको गंभीर प्रसवोत्तर अवसाद (डिप्रेशन) हो, जो कि उपचार न किए जाने पर आपके या आपके शिशु के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

इस तरह के विचार मन में आने का मतलब यह नहीं है कि आप एक अच्छी मां नहीं हैं या फिर यदि आप इसके बारे में किसी को बताएंगी तो आपके शिशु को आपसे दूर ​कर दिया जाएगा।

अपने डॉक्टर से संपर्क करें या फिर किसी दोस्त या परिवार के सदस्य से बात करें, ताकि वे आपकी मदद कर सकें। ऐसा करने से आपको जरुरी सहयोग मिल सकेगा जिससे आप अपनी या शिशु की देखभाल कर सकें।

प्रसव के छह घंटों के अंदर पेशाब न कर पाना
यदि आप शिशु के जन्म के छह घंटों के अंदर पेशाब नहीं कर पाई हैं, तो आपको मूत्र प्रतिधारण की समस्या हो सकती है। यह तब होती है जब आपका मूत्राशय खाली नहीं होता और आप पेशाब नहीं कर पातीं। यह स्थिति काफी असहज हो सकती है, और यदि इसका उपचार न किया जाए तो इससे बहुत ज्यादा दर्द, इनफेक्शन या गुर्दों को क्षति पहुंच सकती है।

यदि आपका शिशु अस्पताल में हुआ था, तो डॉक्टर इस बात पर नजर रखेंगे कि आप कितनी मात्रा में पेशाब कर रही हैं। यदि आपकी डिलीवरी घर पर ही हुई थी, तो हल्के गर्म पानी से नहाने से मदद मिल सकती है। यदि आप फिर भी पेशाब न कर पा रही हों, तो उसी दिन चिकित्सकीय मदद लें।

एनेस्थीसिया के बाद तेज सिरदर्द
प्रसव और शिशु के जन्म के दौरान एपिड्यूरल या स्पाइनल लेने की वजह से कई बार डिलीवरी के एक हफ्ते में तेज सिरदर्द हो सकता है।

एने​स्थेटिक दवा वाली सुई गलती से मेरु दंड के आसपास की झिल्लियों में छेदन कर दे तो इस वजह से सिरदर्द होता है।

सिरदर्द तेज माइग्रेन के दर्द जैसा महसूस हो सकता है और बैठने या खड़े होने पर यह ज्यादा हो सकता है। आपको गर्दन में दर्द और मिचली महसूस हो सकती है, साथ ही शायद चमकदार रोशनी अच्छी न लगे।

अस्पताल में डॉक्टर आपकी स्थिति पर नजर रखेंगे। यदि अस्पताल से छुट्टी मिलने पर घर पर आपको ये लक्षण महसूस हों, तो डॉक्टर को बताएं।
प्रसव के बाद की कौन सी स्थितियां महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए?
अगर, आपको नीचे दिए गए कोई भी लक्षण हों, तो जितना जल्दी हो सके अपनी डॉक्टर से बात करें:

इनफेक्शन होने के लक्षण हों, मगर बुखार न हो (उच्च तापमान)

गंदा, दुर्गंध वाला योनिस्त्राव। ऐसा स्त्राव गर्भाशय या योनि के संक्रमण का संकेत हो सकता है।
सीजेरियन ऑपरेशन के बाद टांकों में दर्द और उस जगह का लाल होना। हो सकता है टांकों में से बदबूदार तरल बाहर आ रहा हो।
बेहद नाजुक पेट, जो गर्भाशय में किसी संक्रमण का संकेत हो सकता है।
साइड में दर्द और पेशाब करने में दिक्कत, जैसे कि पेशाब करने की तीव्र इच्छा और पेशाब करते समय दर्द होना। यह पेशाब का इनफेक्शन हो सकता है।
स्तनों में दर्द और सूजन - मैस्टाइटिस (स्तनों का इनफेक्शन) का संकेत हो सकता है।
गुदा और योनि के बीच के हिस्से (पेरिनियम) में दर्द, सूजन और स्त्राव। यह टांकों में संक्रमण या एपिसियोटमी के घाव में इनफेक्शन का लक्षण हो सकता है।

गुदा से रिसाव
जब आपकी नॉर्मल डिलीवरी होती है, तो कई बार मलत्याग को नियंत्रण करने वाली मांसपेशियों का छल्ला क्षतिग्रस्त हो जाता है। यदि ऐसा हो तो इससे मल असंयमितता हो सकती है। यह तब होती है, जब आप अपने मलत्याग को नियंत्रित न कर पाएं और शौचालय पहुंचने से पहले ही आपका थोड़ा मल निकल जाए।

गंभीर, सूजी हुए बाह्य या भ्रंश बवासीर
कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बवासीर हो जाती है, मगर हो सकता है शिशु के जन्म के बाद इनमें ज्यादा दर्द हो।

बवासीर, गुदा के अंदर की वेरीकोज नसें होती है, मगर ये बाहर भी आ सकती हैं। इसे ही बाह्य या भ्रंश बवासीर (प्रोलैप्स्ड पाइल्स) कहा जाता है। यदि आपको गंभीर, सूजी हुई या प्रोलैप्स्ड पाइल्स हो या फिर गुदा से खून आ रहा हो तो डॉक्टर से बात करें।

बेबी ब्ल्यूज, जो कि कुछ दिनों बाद भी जारी रहे
शिशु के जन्म के बाद दो-तीन दिनों तक भावनाओं में उतार-चढ़ाव आना, रुआंसी महसूस करना, थकान या चिंता रहना आम है। ये बेबी ब्ल्यूज आमतौर पर कुछ घंटों या दिनों में ठीक हो जाते हैं। मगर यदि आप उदास महसूस करें और माँ बनने के अनुभव को लेकर माँ बनने के अनुभव को लेकर खुश महसूस न कर रही हों तो ये प्रसवोत्तर अवसाद के लक्षण हो सकते हैं।

यदि आप हर समय चिंतित और बेचैन रहती हैं, डरी-सहमी और चीजों के प्रति आसक्त रहें और उदासी की वजह से किसी भी चीज में ध्यान न लगा पा रही हों, तो अपनी डॉक्टर से बात करें। वे आपको मदद व सहयोग दे सकती हैं।
हमारी कम्युनिटी में मदद लें
यदि आपको भावनात्मक या ​शारीरिक लक्षणों को लेकर कुछ ​चिंताएं हैं तो हमेशा डॉक्टर से बात करें।

इस बीच आपको शायद बेबीसेंटर कम्युनिटी में अपनी जैसी अन्य मांओं के साथ अपनी चिंताएं साझा करने से भी मदद मिल सकती है।

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