डिलीवरी के बाद पेल्विक दर्द कब बंद हो जाता है?pregnancytips.in

Posted on Wed 19th Oct 2022 : 12:06

चाहे आपकी डिलिवरी कितनी भी दर्द रहित क्‍यों न रही हो डिलिवरी के बाद शरीर में कहीं न कहीं दर्द रहता ही है। इसीलिए प्रसव के कम से कम छह हफ्तों बाद का समय रिकवरी पीरियड माना जाता है। देखा गया है कि इसके बाद भी शरीर में कई जगह दर्द रहता है, जैसे टांकों में, जोड़ों में, पेट में, टेल बोन में और मांसपेशियों में।
री श्रोणि मंजिल (पेल्विक फ्लोर) इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
आपकी श्रोणि मंजिल (पेल्विक फ्लोर) मांसपेशियों, अस्थिबंधों (लिगामेंट्स) और ऊत्तकों का जाल होता है, जो आपकी श्रोणि हड्डियों के आर-पार फैला होता है। यह आपके श्रोणि अंगों को सहारा देने का महत्वपूर्ण कार्य करता है। इन अंगों में शामिल हैं:

गर्भाशय
योनि
मूत्राशय
मलाशय

पेल्विक फ्लोर में मूत्रमार्ग, योनि और गुदा के लिए खाली जगह (गैप) होती है:

गर्भावस्था और शिशु के जन्म के दौरान श्रोणि मंजिल की मांसपेशियों में आवश्यकता से अधिक खिंचाव होता है। शिशु का वजन, उत्तकों को ढीला करने वाले हॉर्मोन और प्रसव के प्रयास, ये सभी मिलकर शरीर के इस हिस्से पर दबाव डालते हैं।

जब आपकी श्रोणि मंजिल कमजोर या क्षतिग्रस्त होती है, तो पेशाब का रिसाव (मूत्र असयंमितता), गैस निकलना और कभी-कभार मल निकल जाना भी संभव है।

रोजाना पेल्विक फ्लोर के व्यायाम शिशु के जन्म के बाद मूत्राशय और मलाशय पर नियंत्रण पाने में मदद करते हैं।

अच्छी तरह टोन्ड यानि मजबूत श्रोणि मंजिल होने से योनि में अहसास या अनुभूति बढ़ती है, जिससे संभोग (सेक्स) और चरमोत्कर्ष अधिक संतोषजनक होता है।

यदि आपकी श्रोणि मंजिल बहुत ज्यादा कमजोर है, शायद बहुत बार गर्भवती होने की वजह से, तो आपके पेल्विक अंग खिसक कर आपकी श्रोणि में आ सकते हैं। इसे पेल्विक आॅर्गन प्रोलेप्स कहा जाता है।

प्रोलेप्स से योनि में भारीपन या टांगों के बीच कुछ उभार सा महसूस हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भाशय, मलाशय और मूत्राशय शिथिल होकर योनि की दीवारों के खिलाफ खुद को धकेलने लगते हैं।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ श्रोणि मंजिल की ताकत भी कम होने लगती है, इसलिए आपको शिशु के जन्म के तुरंत बाद की बजाय आगे चलकर जीवन में ये समस्याएं हो सकती हैं। भविष्य में खुद को प्रोलेप्स से सुरक्षित रखने के लिए बेहतर है कि रोजाना श्रोणि मंजिल व्यायाम (कीगल एक्सरसाइज) किए जाएं।

शिशु के जन्म के बाद यदि आपको प्रोलेप्स के लक्षण महसूस हों तो डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर आपको किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलने की सलाह दे सकती हैं, जो आपके पेल्विक फ्लोर को फिर से मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।
श्रोणि मंजिल व्यायाम (कीगल्स) मैं दोबारा कब शुरु कर सकती हूं?
शिशु के जन्म के बाद आप जब भी सहज महसूस करने लगें, तब से श्रोणि मंजिल व्यायाम (कीगल्स) शुरु कर सकती हैं। हो सकता है इस समय आप व्यायाम के बारे में सोच भी न रही हों, मगर इनसे आपको वाकई में फायदा मिलेगा।

ध्यान रखें कि छींकते या खांसते समय हर बार आप स्वत: ही अपने पेल्विक फ्लोर का इस्तेमाल करती हैं। इसलिए जितना जल्दी हो सके इन व्यायामों को शुरु करना सुरक्षित है।

हो सकता है शुरुआत में आपको श्रोणि मंजिल महसूस न हो, क्योंकि शिशु को बाहर लाने के लिए जोर लगाने की वजह से उस क्षेत्र की नसों में खिंचाव आता है। चाहे आपको कोई अनुभूति न हो रही हो, मगर फिर भी आपको इससे कुछ न कुछ तो फायदा होगा ही।

व्यायाम निम्न तरीकों से फायदेमंद हो सकता है:

मूत्र असंयमितता से बचाव और उपचार
मूलाधार (पेरीनियम) में रक्त संचार में सुधार होता है। यदि आपको कोई सूजन व असहजता हो तो रक्त संचार बढ़ने से इससे राहत में मदद मिलती है।
पेल्विक फ्लोर को फिर से ताकत देता है।

यदि गर्भावस्था के दौरान या फिर शिशु के जन्म के बाद आपको श्रोणि मांसपेशियां व्यायाम करने की आदत न पड़े तो आप अब भी इन्हें करना शुरु कर सकती हैं। यदि आप आज शुरु करें, तो भी आपको व्यायाम के फायदे मिल सकते हैं।
मुझे पेल्विक फ्लोर व्यायाम किस तरह करने चाहिए?
जब आप पीठ के बल या करवट लेकर लेटी हों, तब आप पेल्विक फ्लोर व्यायाम कर सकती हैं। या फिर हो सकता है शुरुआत में कुछ अन्य महिलाओं की तरह आपको भी ये व्यायाम बाथटब में आरामदेह तरीके से करना ज्यादा आसान लगे।

सांस अंदर लें और इसे बाहर छोड़ते वक्त हल्के से अपनी पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों को भींचें। कोशिश करें कि आप अपने पेट की मांसपेशियों को न खींचें। आप अपना ध्यान केवल पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों को ऊपर और अंदर की तरफ करने पर लगाएं, जैसे आप मूत्र या मल को रोकने का प्रयास कर रही हों।

शुरुआत में मांसपेशियों को चार या पांच सैकंड तक भींच कर रखें और आप सामान्य ढंग से सांस भी लेती रहें।

यदि आप अपने पेट के ऊपरी हिस्से (नाभि से ऊपर) या अपने नितंबों को भी भींच रही हैं, तो इसका मतलब है कि आप बहुत ज्यादा जोर लगा रही हैं।


जब आपको इसका अभ्यास हो जाए, तो आठ से 10 सैकंड तक पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों को सिकोड़ कर रखने का प्रयास करें और सामान्य ढंग से सांस भी लेती रहें।

यदि बीच में आपका सांस पर नियंत्रण न रह पाए तो रुक कर फिर दोबारा शुरु करें। जब आप 10 सैकंड तक मांसपेशियों को सिकोड़ कर रख पाने में सफल हो जाएं, तो लगातार एकसाथ पांच बार ऐसा करने का प्रयास करें। मांसपेशियों को जल्दी-जल्दी भींचने से आपको खांसते, छींकते, हंसते या सामान उठाते समय मांसपेशियों को तानने में मदद मिलेगी।

हर पेल्विक फ्लोर स्क्वीज व्यायाम के अंत में आपको ऐसा महसूस होना चाहिए कि आपकी मांसपेशियां ढीली हो रही हैं। यदि आपको ऐसा अहसास नहीं हो रहा तो हो सकता है आप व्यायाम के अंत से पहले ही मांसपेशियों का सिकोड़ना छोड़ देती हैं। यदि ऐसा है, तो कम समय के लिए व्यायाम करें जब तक आपको मांसपेशियों का ढीला होना महसूस न हो। इसके बाद दोबारा शुरु करें।

धीरे-धीरे 10 सैकंड में 10 बार मांसपेशियों को भींचने का अभ्यास करें और इसके बाद ऐसा दिन में तीन बार करें। जितना हो सके उतना ज्यादा मांसपेशियों को कसें, मगर सांस एकदम सामान्य ढंग से लेती रहें।

शुरुआती कुछ दिनों में व्यायाम करते समय आपको शायद ज्यादा कुछ या फिर कुछ भी महसूस न हो। मगर धीरे-धीरे आपकी मेहनत रंग लाएगी। मांसपेशियों को मजबूत होने में छह से 12 हफ्तों का समय लग सकता है, इसलिए आप प्रयास जारी रखें।
क्या सीजेरियन आॅपरेशन के बाद भी मुझे ये व्यायाम करने की जरुरत है?
हां। गर्भावस्था की वजह से आपकी श्रोणि मंजिल पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है, फिर चाहे आपने किसी भी तरीके से जन्म दिया हो।

आपको शायद नॉर्मल डिलीवरी के जरिये जन्म देने वाली माँ की तुलना में इन व्यायामों को करना ज्यादा आसान लगेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी श्रोणि मंजिल पीड़ादायक या सुन्न महसूस नहीं हो रही होगीं और मांसपेशियां भी मजबूत होंगी। यदि प्रसव और शिशु के जन्म में आपको ज्यादा समय न लगा हो, तो आपकी नसों पर भी इसका ज्यादा असर नहीं हुआ होगा।

पेशाब निकालने की नलिका (कैथेटर) डॉक्टर द्वारा हटा दिए जाने के बाद ही पेल्विक फ्लोर व्यायाम शुरु करें।
अति-सक्रिय पेल्विक फ्लोर क्या है?
अति-सक्रिय पेल्विक फ्लोर तब होता है जब आप लगातार श्रोणि मंजिल की मांसपेशियों को सिकोड़ती रहती हैं और आपको इसका अहसास भी नहीं होता। ऐसा दर्द की चिंता या ऊत्तकों को क्षति पहुंचने के डर से हो सकता है। पेरिनियम की त्वचा फटने, टांके लगने, एपिसियोटमी या पेल्विक गर्डल दर्द की वजह से श्रोणि मंजिल की मांसपेशियां अत्याधिक तनी हुई हो सकती हैं।

यदि आपको शुरुआती कुछ हफ्तों तक दर्द हो, तो आप इस दर्द की प्रतिक्रिया में अपनी मांसपेशियों को भींच सकती हैं। यदि आप मांसपेशियों को बहुत ज्यादा कसकर लंबे समय तक रखें तो इससे बहुत सी समस्याएं हो सकती हैं, ​जो फिर बेहतर नहीं होती, जैसे कि:

मलत्याग करने में दर्द
संभोग (सेक्स) के दौरान दर्द
टैम्पन लगाते समय दर्द
इससे पेशाब के रिसाव (स्ट्रेस इन्कॉन्टिनेंस) का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि आपका पेल्विक फ्लोर उस तरीके से काम नहीं कर रहा होता, जैसे उसे करना चाहिए।

आप श्रोणि मांसपेशियों के विश्राम वाले व्यायाम करके इससे बचाव कर सकती हैं। मांसपेशियों को भींचने के बाद सुनिश्चित करें कि आप इसे पूरी तरह से खुला छोड़ दें। दोबारा नया संकुचन शुरु करने से पहले 10 सैकंड तक आराम करें।

व्यायाम जल्दबाजी में न करें और ध्यान रखें कि आप सामान्य तरीके से सांस लेती रहें।
श्रोणि मांसपेशियों के लिए मुझे कब मदद चाहिए होगी?
अगर प्रसवोत्तर जांच के बाद भी आपके साथ नीचे दी गई कोई भी स्थिति हो, तो अपनी डॉक्टर को दिखाएं, जैसे कि:

मांसपेशियों को आप उतनी अच्छी तरह सिकोड़ या महसूस नहीं पाती हैं।
अभी भी आपको मूत्र असंयमितता है
आपको अभी भी पेरिनियम क्षेत्र में दर्द है
योनि में भारीपन महसूस होता है
मलत्याग करने में समस्या है
शरीर पर प्रसव के प्रभाव को लेकर चिंता या उदासी महसूस होना

अगर जरुरत हुई तो डॉक्टर आपको विशेषज्ञ डॉक्टर जैसे कि यूरोगाइनोकोलॉजिस्ट के पास भेज सकती हैं। वे आपके पेल्विक फ्लोर की जांच करेंगी। यदि आपको एक्सरसाइज करने के लिए कहा गया है तो फिजियोथेरेपिस्ट उन्हें करने का सही तरीका आपको बताएंगे।

निम्नांकित स्थितियों में भी आपको विशेषज्ञ की सलाह लेने के लिए कहा जा सकता है:

आपका प्रसव प्रसूती चिमटी (फॉरसेप्स) की सहायता से हुआ है
आपका पेरिनियम बहुत ज्यादा फट गया है
गर्भावस्था के पहले भी या फिर गर्भावस्था के दौरान भी आपका पेशाब निकल जाने की समस्या


ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी स्थितियों में आपको दीर्घकालीन समस्याएं जैसे कि मूत्र असंयमितता या प्रोलेप्स विकसित होने का काफी खतरा हो सकता है। ऐसे में जल्दी विशेषज्ञ सलाह लेने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है।

जिन महिलाओं का मुश्किल असिस्टेड प्रसव रहा हो या फिर पेरिनियम क्षेत्र बहुत ज्यादा फट गया हो, तो उन्हें कभी-कभार मल असंयमितता (मल नियंत्रण कर पाने में परेशानी) हो सकती है। यदि ऐसा हो, तो इसके लिए उपचार और उसके बाद देखभाल करनी होगी। अगर असंयमितता उपचार के बाद भी बेहतर न हो तो हमेशा डॉक्टर से बात करें। चुपचाप परेशान होने से बेहतर है कि समस्या का सामधान किया जाए।

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