डिलीवरी के वक्त कितना दर्द होता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

प्रसव पीड़ा (लेबर पेन) के 11 प्रमुख लक्षण

महिलाओं के मन में लेबर पेन को लेकर कई तरह की शंकाएं और सवाल होते हैं। खासकर, पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाएं प्रसव के समय होने वाले दर्द के बारे में सुनकर बहुत चिंतित हो जाती हैं। कई बार तो लेबर पेन से जुड़ी सही जानकारी के अभाव में गर्भवती महिलाएं गंभीर रूप से मानसिक तनाव का शिकार हो जाती हैं। इस तनाव का मां और बच्चे दोनों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए, मॉमजंक्शन के इस लेख में हम लेबर पेन यानी प्रसव पीड़ा से जुड़ी तमाम बातों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
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लेबर पेन कब शुरू होता है?
लेबर पेन का डिलीवरी की तारीख से सीधा संबंध होता है। डिलीवरी की तारीख का अंदाजा लगाने के लिए यह जानना जरूरी होता है कि गर्भवती महिला का आखिरी मासिक धर्म किस तारीख को शुरू हुआ था। इसके 40 सप्ताह के बाद आने वाली तारीख को डिलीवरी की तारीख माना जाता है। डॉक्टरों का मानना है कि गर्भवती महिला को गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से लेकर 40वें सप्ताह के बीच कभी भी लेबर पेन शुरू हो सकता है। अगर गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से पहले प्रसव हो जाए, तो उसे प्री-मैच्योर डिलीवरी या समय पूर्व प्रसव कहा जाता है (1)।अगर गर्भावस्था के 40वें सप्ताह के बाद भी डिलीवरी न हो, तो कृत्रिम तरीके से डिलीवरी करवाई जाती है। इस प्रक्रिया को इंड्यूस लेबर (Induced labor) कहा जाता है (2)।

आगे आप डिलीवरी होने के लक्षणों के बारे में जानेंगे।
लेबर पेन शुरू होने के क्या लक्षण होते हैं?

कभी-कभी गर्भवती महिलाएं सामान्य दर्द और प्रसव पीड़ा के बीच फर्क नहीं कर पाती हैं। ऐसे में उन्हें काफी देर से पता चलता है कि प्रसव का समय नजदीक आ गया है। इसलिए, नीचे हम कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी मदद से लेबर पेन को आसानी से पहचाना जा सकता है :

1. शिशु का नीचे की ओर आना : प्रसव का समय नजदीक आने पर शिशु गर्भ के बिल्कुल निचले हिस्से में मौजूद पेल्विक क्षेत्र की ओर खिसकने लगता है। उसे सीने और पेट में हल्कापन महसूस हो सकता है (3)।

2. तेज संकुचन होना : संकुचन की गति का बढ़ना प्रसव पीड़ा शुरू होने का सबसे बड़ा लक्षण होता है। शुरुआत में संकुचन की गति धीरे-धीरे बढ़ती है, लेकिन प्रसव का समय नजदीक आने पर यह गति तेजी से बढ़ती है। गर्भवती महिलाओं को एक अलग तरह का संकुचन भी महसूस हो सकता है, जिसे प्रोड्रोमल लेबर कहा जाता है। आमतौर पर यह संकुचन कुछ ही समय के लिए होता है और फिर ठीक हो जाते हैं। इसे फॉल्स लेबर पेन कहा जाता है (4)।

3. ग्रीवा में बदलाव : प्रसव का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला की ग्रीवा पतली होकर फैलने लगती है। यह इस बात का संकेत होता है कि गर्भवती महिला के गर्भाशय का निचला भाग प्रसव के लिए तैयार हो चुका है। इसके अलावा, प्रसव के दौरान गर्भवती महिला की ग्रीवा 10 सेंटीमीटर तक खुल जाती है। इन दोनों लक्षणों के आधार पर लेबर पेन को पहचाना जा सकता है। ध्यान रहे कि ग्रीवा के खुलने की पुष्टि सिर्फ डॉक्टर ही कर सकते हैं।

4. म्यूकस के साथ खून का आना : गर्भावस्था के पहले महीने में म्यूकस के साथ खून का आना प्रसव प्रक्रिया की शुरुआत होने का लक्षण हो सकता है। जब गर्भाशय ग्रीवा प्रसव के लिए तैयार होने के लिए परिपक्व होना शुरू करती है, तो म्यूकस प्लग बाहर निकलने लगता है और इसके साथ रक्त भी आ सकता है (5)।

5. गर्भ में मौजूद पानी की थैली का फटना : गर्भवती महिला के गर्भ में एमनियोटिक द्रव से भरी एक थैली होती है। इस थैली को आम बोलचाल में ‘पानी की थैली’ भी कहा जाता है। पानी की थैली का फटना इस बात का संकेत होता है कि लेबर पेन शुरू होने वाला है। इसलिए, पानी की थैली के फटते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आपसे इस द्रव के रंग के बारे में पूछ सकते हैं। अगर शिशु ने गर्भ के अंदर ही अपना पहला मलत्याग कर दिया है, तो पानी का रंग हरा नजर आता है (6)।

6. बच्चे के आने की तैयारी में जुट जाना : ऐसा देखा गया है कि डिलीवरी का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिलाएं बच्चे के आगमन से जुड़ी तैयारियों को लेकर काफी सजग हो जाती हैं। अपनी नाजुक शारीरिक स्थिति के बावजूद वे घर सजाने के काम में जुट जाती हैं और बच्चे की जरूरत का सामान इकट्ठा करने लगती हैं। मेडिकल साइंस भी डिलीवरी के समय के साथ इन संकेतों के संबंध को प्रमाणित कर चुका है। इसलिए, लेबर पेन शुरू होने के समय का अंदाजा इन संकेतों के आधार पर लगाया जा सकता है (7)।

7. भावनाओं में उतार-चढ़ाव होना : प्रसव का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिलाएं अचानक बहुत भावुक हो सकती हैं। उनका मूड लगातार बदल सकता है और उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ सकता है। ये सारे लक्षण शिशु के जन्म से पहले हार्मोन में बदलाव होने की वजह से नजर आते हैं। जब ये लक्षण नजर आने लगें, तो समझ लेना चाहिए कि प्रसव और लेबर पेन शुरू होने का समय करीब आ गया है।

8. पेट खराब होना : डिलीवरी की तारीख नजदीक आने पर गर्भवती महिला को पेट खराब रहने की शिकायत हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो डिलीवरी से पहले गर्भवती महिलाएं कब्ज या फिर डायरिया का शिकार हो सकती हैं।

9. बहुत नींद आना : प्रसव का समय पास आने पर गर्भवती महिलाओं को बहुत नींद आ सकती है। उन्हें कमजोरी भी महसूस हो सकती है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं बार-बार सोने की कोशिश करती हैं, लेकिन बेचैनी के कारण उन्हें सोने में परेशानी होती है। ये प्रसव के साथ-साथ लेबर पेन शुरू होने के समय के करीब आने का लक्षण हो सकता है।

10. जोड़ों और मांसपेशियों में खिंचाव होना : डिलीवरी का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला को अपनी मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव महसूस हो सकता है। इसे प्रसव और लेबर पेन शुरू होने के समय के पास आने का संकेत माना जा सकता है।

11. वजन का घटना या बढ़ना : डिलीवरी का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला का वजन अचानक बढ़ या घट सकता है। ऐसा होना बिल्कुल आम बात है और इससे बच्चे के वजन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है (8)। अगर वजन अचानक से बढ़ गया है और हाथ-पैरों में सूजन भी है, तो अपना ब्लड प्रेशर जरूर चेक कराए।
डॉक्टर को कब कॉल करना चाहिए?

आमतौर पर डॉक्टर इस बात की जानकारी गर्भवती महिला को पहले ही दे देते हैं कि उसे प्रसव पीड़ा महसूस होने पर क्या करना है। वहीं, अगर डिलीवरी की तारीख नजदीक हो और गर्भवती महिला को नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी नजर आए, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है :

हल्के लाल रंग का रक्तस्राव या स्पॉटिंग होना।

गर्भ में मौजूद पानी की थैली का फटना।

तेज सिर दर्द होना, धुंधला दिखना, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना, शरीर में सूजन आना।

गर्भ में शिशु की हलचल का कम हो जाना।

पीठ में दर्द होना।

गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से पहले संकुचन महसूस होना (9)।
लेबर पेन के दौरान क्या करना चाहिए?

अगर गर्भवती महिला को घर में ही लेबर पेन शुरू हो गया है, तो उसे बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए। उसे संयम बरतते हुए नीचे दी गई बातों का ख्याल रखना चाहिए :

गर्भवती महिला को खुद को हाइड्रेट रखना चाहिए। इसके लिए उन्हें खूब पानी या जूस पीना चाहिए। इससे प्रसव पीड़ा को सहन करने में मदद मिलती है। इस दौरान आप थोड़ा चल-फिर भी सकते हैं।

लेबर पेन शुरू होने पर गर्भवती महिला को करवट से लेटकर धीरे-धीरे सामान्य रूप से सांस लेने की कोशिश करनी चाहिए।

अगर गर्भवती महिला घर में अकेली हो, तो उसे लेबर पेन शुरू होने पर अपने परिजनों को बुला लेना चाहिए।

लेबर पेन शुरू होते ही गर्भवती महिला को दूसरों की मदद से अस्पताल जाने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

लेबर पेन की वजह से गर्भवती महिला को ज्यादा तनाव नहीं लेना चाहिए और खुद को शांत रखना चाहिए।

लेबर पेन के बारे में और जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख।
अगर संकुचन शुरू हुए बिना पानी की थैली फट जाए, तो क्या होता है?

ऐसा होने पर डॉक्टर कृत्रिम लेबर यानी इंड्यूस लेबर के जरिए डिलीवरी करवा सकते हैं। दरअसल, एमनियोटिक द्रव के निकल जाने से शिशु को ग्रुप-बी स्ट्रेप्टोकोकस या किसी अन्य प्रकार के संक्रमण का खतरा हो सकता है। इससे बचने के लिए ही डॉक्टर कृत्रिम लेबर का सहारा लेते हैं (10) (11)। इसलिए, अगर आपको दर्द नहीं है, तो भी अस्पताल चले जाना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
असली और नकली लेबर पेन में क्या अंतर होता है?

कभी-कभी असली और नकली लेबर पेन में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, नीचे हम कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी सहायता से असली और नकली लेबर पेन को आसानी से पहचाना जा सकता है :
असली लेबर पेन नकली लेबर पेन (ब्रैक्सटन हिक्स)
यह दर्द गर्भावस्था के 37वें सप्ताह के बाद से शुरू होता है, लेकिन यह प्रीमैच्योर लेबर पेन भी हो सकता है। यह दर्द गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में धीरे-धीरे शुरू होता है और तीसरी तिमाही आते-आते बढ़ने लगता है।
यह दर्द पीठ के पिछले हिस्से से शुरू होकर आगे की ओर बढ़ता है। इस दर्द के होने पर पेट सख्त हो जाता है।
इस दर्द के दौरान पानी की थैली फट सकती है। इस दर्द का पानी की थैली पर कोई असर नहीं पड़ता है।
डिलीवरी के बाद ही यह दर्द रुक सकता है। यह बीच-बीच में ठीक भी होते रहते हैं।
लेबर पेन से पहले तनाव का सामना कैसे करें?

लेबर पेन के बारे में ज्यादा सोचने से तनाव हो सकता है। खासतौर से ऐसी महिलाओं के तनावग्रस्त होने का खतरा ज्यादा रहता है, जो पहली बार मां बनने जा रही हैं। जरूरत से ज्यादा तनाव मां और बच्चे दोनों की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। ऐसे में जरूरी है कि गर्भवती महिला खुद को डिलीवरी के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर पहले से तैयार करे। नीचे हम कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जो डिलीवरी से पहले गर्भवती महिला को लेबर पेन सहने के लिए तैयार करने में मदद कर सकते हैं :

गर्भधारण करने के बाद गर्भवती महिला को ध्यान लगाने (मेडिटेशन करने) का अभ्यास करना चाहिए।

गर्भवती महिला को खुद को शांत रखकर सामान्य रूप से सांस लेने का अभ्यास करना चाहिए। प्राणायाम और अनुलोम-विलाेम का अभ्यास करें।

शरीर के सभी अंगों को आराम देने के लिए गर्भवती महिला को नियमित रूप से अपने शरीर की मालिश करवानी चाहिए।

गर्भवती महिला को नकारात्मक विचारों से दूरी बनानी चाहिए और हमेशा सकारात्मक बातें सोचने की आदत डालनी चाहिए। ऐसा करने से उसे खुद को प्रसव के लिए मानसिक रूप से तैयार करने में मदद मिल सकती है।

बेशक प्रसव एक दर्द भरी प्रक्रिया है, लेकिन गर्भवती महिला को इसे मां बनने के सुख के साथ जोड़कर देखना चाहिए। अपना नजरिया बदल कर गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा के डर को पूरी तरह खत्म कर सकती है।

क्या भूख न लगना लेबर पेन शुरू होने का संकेत होता है?

हां, लेबर पेन की शुरुआत से पहले गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले बदलावों की वजह से उसकी ऊर्जा खत्म हो जाती है और उसे कम भूख लगती है। इस दौरान भोजन के प्रति अरुचि होना बहुत आम बात है। ऐसे में शरीर में ऊर्जा के सही स्तर को बनाए रखने के लिए, आसानी से पचने वाली खान-पान की चीजें खाने की सलाह दी जाती है (12)।
क्या सिर दर्द और जी मिचलाना लेबर पेन शुरू होने का संकेत है?

प्रसव के एक या दो दिन पहले सिरदर्द होना और मितली आना सामान्य बात है। इस समय गर्भवती महिला खुद को अस्वस्थ महसूस कर सकती है। अगर स्थिति गंभीर हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है (13)। ध्यान रहे कि सिरदर्द रक्तचाप बढ़ने के कारण भी हो सकता है।
क्या लेबर पेन से पहले शरीर का तापमान बढ़ जाता है?

हां, प्रसव का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला के शरीर का तापमान एक डिग्री या उससे ज्यादा बढ़ सकता है (14)।
क्या योनि पर दबाव पड़ना लेबर पेन शुरू होने का लक्षण है?

हां, यानि पर दबाव पड़ना लेबर पेन शुरू होने का संकेत हो सकता है। दरअसल, प्रसव से ठीक पहले शिशु खिसक कर योनि के पास चला आता है। इस कारण गर्भवती महिला को याेनि के ऊपर दबाव महसूस हो सकता है।



solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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