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लेबर पेन शुरू होने के क्या लक्षण होते हैं? | Delivery Hone Ka Sanket
कभी-कभी गर्भवती महिलाएं सामान्य दर्द और प्रसव पीड़ा के बीच फर्क नहीं कर पाती हैं। ऐसे में उन्हें काफी देर से पता चलता है कि प्रसव का समय नजदीक आ गया है। इसलिए, नीचे हम कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी मदद से लेबर पेन को आसानी से पहचाना जा सकता है :
1. शिशु का नीचे की ओर आना : प्रसव का समय नजदीक आने पर शिशु गर्भ के बिल्कुल निचले हिस्से में मौजूद पेल्विक क्षेत्र की ओर खिसकने लगता है। उसे सीने और पेट में हल्कापन महसूस हो सकता है (3)।
2. तेज संकुचन होना : संकुचन की गति का बढ़ना प्रसव पीड़ा शुरू होने का सबसे बड़ा लक्षण होता है। शुरुआत में संकुचन की गति धीरे-धीरे बढ़ती है, लेकिन प्रसव का समय नजदीक आने पर यह गति तेजी से बढ़ती है। गर्भवती महिलाओं को एक अलग तरह का संकुचन भी महसूस हो सकता है, जिसे प्रोड्रोमल लेबर कहा जाता है। आमतौर पर यह संकुचन कुछ ही समय के लिए होता है और फिर ठीक हो जाते हैं। इसे फॉल्स लेबर पेन कहा जाता है (4)।
3. ग्रीवा में बदलाव : प्रसव का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला की ग्रीवा पतली होकर फैलने लगती है। यह इस बात का संकेत होता है कि गर्भवती महिला के गर्भाशय का निचला भाग प्रसव के लिए तैयार हो चुका है। इसके अलावा, प्रसव के दौरान गर्भवती महिला की ग्रीवा 10 सेंटीमीटर तक खुल जाती है। इन दोनों लक्षणों के आधार पर लेबर पेन को पहचाना जा सकता है। ध्यान रहे कि ग्रीवा के खुलने की पुष्टि सिर्फ डॉक्टर ही कर सकते हैं।
4. म्यूकस के साथ खून का आना : गर्भावस्था के पहले महीने में म्यूकस के साथ खून का आना प्रसव प्रक्रिया की शुरुआत होने का लक्षण हो सकता है। जब गर्भाशय ग्रीवा प्रसव के लिए तैयार होने के लिए परिपक्व होना शुरू करती है, तो म्यूकस प्लग बाहर निकलने लगता है और इसके साथ रक्त भी आ सकता है (5)।
5. गर्भ में मौजूद पानी की थैली का फटना : गर्भवती महिला के गर्भ में एमनियोटिक द्रव से भरी एक थैली होती है। इस थैली को आम बोलचाल में ‘पानी की थैली’ भी कहा जाता है। पानी की थैली का फटना इस बात का संकेत होता है कि लेबर पेन शुरू होने वाला है। इसलिए, पानी की थैली के फटते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आपसे इस द्रव के रंग के बारे में पूछ सकते हैं। अगर शिशु ने गर्भ के अंदर ही अपना पहला मलत्याग कर दिया है, तो पानी का रंग हरा नजर आता है (6)।
6. बच्चे के आने की तैयारी में जुट जाना : ऐसा देखा गया है कि डिलीवरी का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिलाएं बच्चे के आगमन से जुड़ी तैयारियों को लेकर काफी सजग हो जाती हैं। अपनी नाजुक शारीरिक स्थिति के बावजूद वे घर सजाने के काम में जुट जाती हैं और बच्चे की जरूरत का सामान इकट्ठा करने लगती हैं। मेडिकल साइंस भी डिलीवरी के समय के साथ इन संकेतों के संबंध को प्रमाणित कर चुका है। इसलिए, लेबर पेन शुरू होने के समय का अंदाजा इन संकेतों के आधार पर लगाया जा सकता है (7)।
7. भावनाओं में उतार-चढ़ाव होना : प्रसव का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिलाएं अचानक बहुत भावुक हो सकती हैं। उनका मूड लगातार बदल सकता है और उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ सकता है। ये सारे लक्षण शिशु के जन्म से पहले हार्मोन में बदलाव होने की वजह से नजर आते हैं। जब ये लक्षण नजर आने लगें, तो समझ लेना चाहिए कि प्रसव और लेबर पेन शुरू होने का समय करीब आ गया है।
8. पेट खराब होना : डिलीवरी की तारीख नजदीक आने पर गर्भवती महिला को पेट खराब रहने की शिकायत हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो डिलीवरी से पहले गर्भवती महिलाएं कब्ज या फिर डायरिया का शिकार हो सकती हैं।
9. बहुत नींद आना : प्रसव का समय पास आने पर गर्भवती महिलाओं को बहुत नींद आ सकती है। उन्हें कमजोरी भी महसूस हो सकती है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं बार-बार सोने की कोशिश करती हैं, लेकिन बेचैनी के कारण उन्हें सोने में परेशानी होती है। ये प्रसव के साथ-साथ लेबर पेन शुरू होने के समय के करीब आने का लक्षण हो सकता है।
10. जोड़ों और मांसपेशियों में खिंचाव होना : डिलीवरी का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला को अपनी मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव महसूस हो सकता है। इसे प्रसव और लेबर पेन शुरू होने के समय के पास आने का संकेत माना जा सकता है।
11. वजन का घटना या बढ़ना : डिलीवरी का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला का वजन अचानक बढ़ या घट सकता है। ऐसा होना बिल्कुल आम बात है और इससे बच्चे के वजन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है (8)। अगर वजन अचानक से बढ़ गया है और हाथ-पैरों में सूजन भी है, तो अपना ब्लड प्रेशर जरूर चेक कराए।
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