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उम्र के हिसाब से कितनी बार बदलें बच्चे का डायपर
समय पर बच्चों का डायपर बदलना बहुत जरूरी होता है। अगर आप जान लें कि किस उम्र के बच्चे को कितने डायपर बदलने की जरूरत होती है तो इससे आपको शिशु को डायपर रैशेज जैसी कई समस्याओं से बचाने में मदद मिल सकती है।
अगर छोटे बच्चों का समय पर डायपर न बदला जाए तो गीलेपन की वजह से उन्हें डायपर रैशेज की दिक्कत हो जाती है। डिलीवरी के बाद बच्चे का पहला साल मां के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि यही वो समय होता है जब मां को बच्चे की जरूरतों को उसके बिना बोले ही समझना होता है।इसी समय में मां को बच्चे के बिना बोले उसके भूख लगने और डायपर बदलने का खुद ही अंदाजा लगाना होता है। आपकी इस मुश्किल को कम करने के लिए आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताने जा रहे हैं कि उम्र के हिसाब से बच्चे का डायपर कब और कितनी बार बदलना चाहिए।नवजात शिशु से लेकर एक महीने की उम्र
नवजात शिशु को बड़े बच्चों की तुलना में डायपर की ज्यादा जरूरत होती है। एक महीने से छोटे शिशु को एक दिन में कम से कम 6 से 10 डायपर की जरूरत होती है। इस उम्र में बच्चे लगभग तीन से चार बार पॉटी और लगभग हर घंटे में पेशाब करते हैं, इसलिए शुरुआती महीने में आपको डायपर की बहुत जरूरत पड़ती है।
एक महीने से पांच महीने तक
एक महीने के बच्चे को 4 से 6 डायपर की जरूरत पड़ती है। स्तनपान करने वाले बच्चों को फॉर्मूला मिल्क लेने वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा डायपर की जरूरत पड़ सकती है। ब्रेस्ट मिल्क पचाने में आसान होता है और इसीलिए स्तनपान करने वाले बच्चे ज्यादा पॉटी और पेशाब करते हैं।
पांच महीने से अधिक उम्र
पांच महीने का होने पर शिशु पहले की तुलना में कम बार पॉटी करता है। फॉर्मूला मिल्क लेने वाले बच्चों की तुलना में स्तनपान करने वाले बच्चों का मल पतला होता है। इस उम्र में शिशु को दिन में आठ डायपर की जरूरत भी पड़ सकती है।
एक साल की उम्र तक
9 महीने से 12 महीने तक के बच्चे को भी दिन में आठ डायपर की जरूरत पड़ती है। इस हिसाब से इस उम्र का शिशु महीने में 240 डायपर इस्तेमाल करता है।उम्र के हिसाब से शिशु के लिए डायपर की औसत उपयोग की संख्या बताई गई है। हालांकि, सभी बच्चों में इसकी संख्या में थोड़ा बदलाव हो सकता है।
कब बदलना चाहिए डायपर
जब भी आपको लगे कि आपके बच्चे का डायपर गीला हो गया है तो तुरंत उसे बदल दें। पेशाब या मल की वजह से शिशु को इंफेक्शन हो सकता है और इसका इलाज बच्चे को तकलीफ दे सकता है।जब भी बच्चा सोकर उठता है तो उसका डायपर जरूर चेक करें। डायपर बदलने के लिए बच्चे को नींद से जगाने की जरूरत नहीं है। दूध पिलाने से पहले भी बच्चे का डायपर चेक करना चाहिए। रात को सुलाने से ठीक पहले डायपर जरूर बदलें। नवजात शिशु एक से 3 घंटे के अंदर और दूध पीने के बाद पेशाब जरूर करता है। डायपर बदलने के लिए उसके ज्यादा गीले या भारी होने का इंतजार न करें। थोड़े-थोड़े समय में चेक करते रहें कि बच्चे का डायपर गीला है या नहीं और उसके रूटीन के हिसाब से डायपर बदलने के कुछ समय निर्धारित कर लें।
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