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किस उम्र तक मां की गोद से चिपका रहता है बेबी? कब दूसरों के पास जाने को होता है तैयार?
आपने भी देखा होगा कि बेबी हर वक्त अपनी मां से चिपका रहता है। वो दूसरे लोगों के पास बहुत ही कम जाता है और कोई उसे गोद में ले भी ले, तो रोना शुरू कर देता है। आपके दिमाग में भी ये ख्याल आता होगा कि शिशु को सिर्फ अपनी मां ही क्यों चाहिए होती है और वो किसी और के पास क्यों नहीं जाता है।
शिशु का जन्म लेना पैरेंट्स के साथ-साथ पूरे परिवार के लिए खुशी का पल होता है। शुरुआत में शिशु की जरूरत को समझने में दिक्कत होती है, ये शिशु डिमांडिंग हो सकते हैं और कई बार चिड़चिड़े भी हो जाते हैं जो कि पैरेंट्स के लिए स्ट्रेस भरा हो जाता है।शिशु को सिर्फ अपनी मां चाहिए होती है और कई बार यह डैडीज के लिए मुश्किल हो जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि शिशु को सिर्फ अपनी मां ही क्यों चाहिए होती है और कब तक वो मां की गोद के बिना नहीं रह पाता है?शिशु को सिर्फ मां ही क्यों चाहिए?
भले ही दोनों पैरेंट्स मिलकर बच्चे की परवरिश करते हों लेकिन शिशु बायोलॉजिकली मां से ज्यादा अटैच होते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि सिर्फ मां से ही बच्चे को पोषण मिलता है और जब भी उन्हें भूख लगती है तो उन्हें अपनी मां पास चाहिए होती है।वहीं शिशु गर्भ से ही अपनी मां की आवाज सुनता आता है इसलिए उसे अपनी मां की आवाज जानी-पहचानी लगती है। वे अपनी मां की खुशबू से उन्हें पहचान लेते हैं।
किस उम्र में सिर्फ मां चाहिए होती है
ऐसा देखा गया है कि दुधमुंहे शिशु को शुरुआती महीनों में सिर्फ अपनी मां की जरूरत होती है। इस समय शिशु को सारा पोषण सिर्फ अपनी मां से मिल सकता है और दूध पीने के लिए वो ज्यादातर समय मां के पास ही रहते हैं। यहां तक कि बोतल से दूध पीने वाले बच्चे भी डैड से ज्यादा मां को अहमियत देते हैं।
बिलकुल नॉर्मल है ये चीज
नवजात शिशु के साथ ज्यादातर पैरेंट्स इस चीज का अनुभव करते हैं। मां से दूर होकर रहने में शिशु को थोड़ा समय लगता है। बड़े होने पर वो धीरे-धीरे अपने आसपास की दुनिया को जानता है और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ पिता की खुशबू को भी पहचानने लगता है।
शिशु का मां को चाहने का बस इतना ही मतलब है कि उसकी भूख शांत करने और उसे सुरक्षा का एहसास मां के साथ ही होता है इसलिए वो हर वक्त मां को ढूंढता है। कुछ शिशु कम उम्र में अपने पिता की गोद में ज्यादा सहज महसूस करते हैं।
बेबी को हंसाएं
शिशु के साथ बॉन्ड बनाने में बहुत समय लगता है और इसके लिए आप दोनों के बीच पॉजिटिव इमोशंस भी होने चाहिए। जब बच्चा खुश हो, तो उसे समय पिता उसके पास ज्यादा रहें, इससे आप बच्चे के साथ बेहतर बॉन्ड बना सकते हैं। शिशु को हंसाते रहें, इससे आप दोनों के बीच बॉन्ड बनेगा।
मां के कपड़े में पकड़ें
शिशु अपनी मां को उनकी खुशबू से पहचानते हैं। अगर आप बेबी को रखना चाहते हैं, तो उसकी मां के किसी कपड़े में उसे लपेटकर गोद में लें। इससे बच्चे को एहसास होता है कि वो अपनी मां की ही गोद में है।
पिता कब संभालें बेबी
पहले तीन महीने तक शिशु को सिर्फ अपनी मां की जरूरत लगना नाॅर्मल बात है क्योंकि इस समय वो ज्यादातर सोते और बस दूध पीते हैं।
बड़े होने पर और दूसरे लोगों के साथ घुलने-मिलने के समय पर पिता बेबी के साथ समय बिता सकते हैं। जब बेबी रोए तो उसे डैडी को दे दें और बेबी को चुप करवाने की कोशिश करने दें।
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