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ये 5 वैक्सीन नवजात शिशु की जिंदगी के लिए हैं बहुत जरूरी
नवजात शिशु को बीमारियों एवं संक्रमणों से बचाने के लिए टीका लगवाया जाता है। बच्चे के लिए कुछ टीके बहुत जरूरी होते हैं।
जन्म लेने के बाद मां के प्यार और दुलार के अलावा शिशु के लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी चीज होती है, वो है टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन। पहले कुछ महीनों में टीका लगवाने के लिए शिशु को अस्पताल ले जाना पड़ता है।वैक्सीन लगवाने के बाद बच्चे को दर्द और बुखार होना आम बात है। बच्चे को तकलीफ में देखकर माता-पिता का दिल दुखता जरूर है लेकिन वो ये बात भी जानते हैं कि शिशु के स्वास्थ्य के लिए वैक्सीनेशन बहुत जरूरी हैं।बीमारियों और इंफेक्शन से बचाव के लिए शिशु को टीका लगवाना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कि बच्चे के लिए कौन कौन से वैक्सीनेशन आवश्यक होते हैं।
हेपेटाइटिस बी
जन्म के बाद शिशु को अस्पताल से घर ले जाने से पहले हेपेटाइटिस बी वैक्सीन लगवाना चाहिए। हेपेटाइटिस बी की बीमारी बच्चे के लिवर को धीरे धीरे नुकसान पहुंचा सकता है। ये वायरस खून और बॉडी के फ्लूइड्स में मिलता है जो कि कई महीनों तक रहता है। वायरस से कैंसर होने और लिवर डिजीज से बचाव के लिए डॉक्टर सभी बच्चों को हेपेटाइटिस बी वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं।
रोटावायरस वैक्सीन
रोटावायरस बहुत ही संक्रामक वायरस है जिसके कारण नवजात शिशु को गंभीर रूप से दस्त हो सकते हैं। इसमें अक्सर उल्टी और बुखार होता है। अगल इसका इलाज न किया जाए तो गंभीर डिहाइड्रेशन हो सकता है और यहां तक कि बच्चे की मौत भी हो सकती है।रोटावायरस इंफेक्शन से बचने के लिए बच्चे को दो ओरल रोटावायरस वैक्सीन दी जाती हैं। इस वैक्सीन को दो या तीन डोज में दिया जाता है। पहली वैक्सीन पंद्रह सप्ताह के होने से पहले शिशु को देनी जरूरी होती है और आखिरी डोज आठ महीने के होने तक शिशु को मिल जानी चाहिए।
पोलियो वैक्सीन
ये टीका शिशु को पोलियो, कमजोरी और खतरनाक बीमारी से बचाता है। पोलियाे से ग्रस्त बच्चे को पूरी जिंदगी नर्व डैमेज की वजह से अपंग रहना पड़ सकता है। यह टीका लगभग 99 फीसदी असरकारी होता है। पीसीवी13 वैक्सीन बच्चे को निमोनिया, खून में इंफेक्शन और बैक्टीरियल मेनिंजाइटिस से बचाती है।
हेपेटाइटिस ए
हेपेटाइटिस ए एक एक्यूट लिवर डिजीज है जो कि हेपेटाइटिस की वजह से होती है। इस वायरस के लक्षण कई सप्ताह से महीनों तक रह सकता है। इसके लक्षणों में थकान, पेट दर्द,मतली और पीलिया शामिल है। एक से दो साल की उम्र के बीच सभी बच्चों को यह वैक्सीन लगवाना जरूरी होता है। छह से 18 महीने के बीच में बच्चे को इसके दो शॉट दिए जाने चाहिए।
वैरिसेला वैक्सीनबच्चों को चिकनपॉक्स से बचाने के लिए यह वैक्सीन दी जाती है। 12 से 18 महीने तक के सभी स्वस्थ बच्चों को चिकनपॉक्स वैक्सीन की दो डोज दी जानी चाहिए। पहली वैक्सीन 12 से प्रदंह महीने और फिर दूसरी चार से छह साल की उम्र में दी जाती है।
अन्य टीकाकरण
इनके अलावा शिशु को एमएमआर टीका भी लगवाना जरूरी होता है। इसका पहला शॉट नौ महीने और फिर दूसरा शॉट 12 से पंद्रह साल की उम्र में दिया जाता है। यह टीका खसरा और रूबैला जैसी बीमारियों से बचाता है।बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी से बचाने के लिए डीपीटी वैक्सीन लगाया जाता है। ये एक डेढ साल, ढाई साल और साढे तीन साल के बच्चे को दिया जाता है।
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