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डिलीवरी के बाद आधी हो जाती है मांओं की नींद, कुछ आसान तरीके दिला सकते हैं राहत
मां बनने के बाद सबसे ज्यादा खराब होती है आपकी नींद। शिशु की देखभाल, शारीरिक बदलावों और घर के कामों की वजह से अमूमन सभी नई मांओं की नींद पूरी नहीं हो पाती है।
एकेरशस बर्थ कोहोर्ट स्टडी के अनुसार 60 प्रतिशत महिलाओं को प्रेग्नेंसी के लगभग 32वें सप्ताह में और डिलीवरी के आठ हफ्ते के बाद अनिद्रा यानि नींद न आने की शिकायत हो सकती है।इस स्टडी में पाया गया कि महिलाएं 32वें सप्ताह में 7 घंटे 16 मिनट, डिलीवरी के बाद 8 हफ्ते में 6 घंटे 31 मिनट और डिलीवरी के दो साल बाद तक 6 घंटे 52 मिनट की नींद लेती हैं।प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में स्लीप साइकिल में बदलाव आना नॉर्मल बात है। इस समय शिशु की देखभाल और रात को बीच-बीच में उठकर दूध पिलाने की वजह से महिलाओं की नींद पूरी नहीं हो पाती है।
इमोशनल बदलाव हैं कारण
प्रसव के बाद इमोशनल बदलाव बहुत आते हैं। पोस्टपार्टम एंग्जायटी, डिप्रेशन और ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर की वजह से ऐसा हो सकता है। इन सभी के कारण स्लीपिंग पैटर्न बदलता है और अनिद्रा हो जाती है।
डिलीवरी के बाद पहले कुछ हफ्तों में नींद खराब होना कॉमन बात है। बीच-बीच में शिशु को स्तनपान करवाने की वजह से भी नींद खराब होती है।
डिलीवरी के बाद अनिद्रा क्यों होती है
प्रेग्नेंसी के बाद हार्मोंस में बड़े बदलाव होने की वजह से नींद में बदलाव या खराब हो सकती है। एस्ट्रोजन लेवल कम होने पर डिप्रेशन के साथ नींद से जुड़ा विकार हो सकता है।
डिलीवरी के बाद प्रेग्नेंसी के दौरान बॉडी को सपोर्ट करने वाले कुछ हार्मोंस फ्लूइड्स के साथ निकल जाते हैं। इससे रात में अधिक पसीना आता है और नींद में रुकावट होने लगती है।
कैसे लें पूरी नींद
अगर आपको भी डिलीवरी के बाद भरपूर नींद लेने में दिक्कत आ रही है तो कुछ टिप्स आपके काम आएंगे।
जब बच्चा सोए, आप भी झपकी ले लें। इस समय में घर के काम करने की बजाय आपको आराम करना चाहिए।
जितना जल्दी हो सके रात को बिस्तर पर चली जाएं। अगर आपको नींद नहीं आ पा रही है, तो गर्म पानी से नहा लें या हर्बल चाय पी लें। इससे दिमाग शांत होता है और अच्छी नींद आने में मदद मिलती है।
बच्चे के काम और देखभाल में पति या परिवार के सदस्यों की मदद भी लें। अगर बोतल से दूध पिला रही हैं तो बच्चा खुद बोतल पकड़ कर दूध पी सकते हैं।
शिशु के स्लीपिंग पैटर्न को समझें
जन्म के बाद शुरुआती समय में बच्चे रात में कई बार जागते हैं लेकिन बड़े होने पर वो रात को ज्यादा देर तक सोने लगता है। आप बच्चे के स्लीप साइकिल और उसके सोने के टाइम को समझकर अपने दिन को प्लान करें।
नैचुरल थेरेपी की मदद लें
स्ट्रेस आपको थकान के साथ-साथ चैन की नींद भी नहीं लेने देता है। किसी भी चीज को लेकर स्ट्रेस लेने की जरूरत नहीं है। आप मेडिटेशन या वॉक या गाने सुनकर अपने स्ट्रेस को दूर कर सकते हैं।
कॉफी और कैफीन वाली चीजें भी नींद आने में रुकावट बन सकती हैं। कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी नींद खराब करने वाली ब्रेन एक्टिविटी को उत्तेजित करते हैं। इससे निकलने वाली रोशनी मेलाटोनिन के लेवल को कम करती हैं। यह हार्मोन स्लीप पैटर्न को कंट्रोल करता है।
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