नॉर्मल डिलीवरी को क्या आसान बनाता है?pregnancytips.in

Posted on Wed 12th Oct 2022 : 17:08

नॉर्मल डिलिवरी की संभावना बढ़ाने में मदद करेंगी ये 5 चीजें
आपकी डिलिवरी नॉर्मल होगी या ऑपरेशन करवाना पड़ेगा, इसको लेकर कई तरह के सवाल और भ्रम प्रेग्नेंट महिलाओं के मन में होता है। इन दिनों सी-सेक्शन डिलिवरी की तादाद भी काफी बढ़ गई है जिसे देखते हुए अगर आपके मन में भी नॉर्मल डिलिवरी को लेकर कुछ सवाल हैं तो यहां जानें उनके जवाब।
रिसर्च की मानें तो दुनियाभर की करीब 85 प्रतिशत प्रेग्नेंट महिलाएं बिना किसी दवा के नैचरल तरीके से यानी नॉर्मल डिलिवरी के जरिए बच्चे को जन्म दे सकती हैं और सिर्फ 15 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को ही सी-सेक्शन डिलिवरी की जरूरत पड़ती है। लेकिन हकीकत ये है कि हर 3 में से 1 प्रेग्नेंट महिला यानी करीब 30 प्रतिशत डिलिवरी सी-सेक्शन डिलिवरी होती है। इसके पीछे कई बार ये वजह भी होती है कि बहुत सी महिलाएं सामान्य प्रसव के दौरान होने वाले दर्द, तकलीफ और ऐंग्जाइटी से बचने के लिए खुद ही सी-सेक्शन का चुनाव करती हैं।आपकी डिलिवरी नॉर्मल हो सकती है या नहीं इसके लिए कई कारक (फैक्टर्स) जिम्मेदार होते हैं। हालांकि इन सबके बावजूद आप 100 फीसदी आश्वस्त नहीं हो सकतीं कि आपका सामान्य प्रसव ही होगा लेकिन इसके चांसेज जरूर बढ़ जाते हैं।
​सामान्य प्रसव बढ़ाने वाले फैक्टर्स

अगर आपकी पिछली डिलिवरी नॉर्मल (वजाइनल डिलिवरी) हुई हो।

- अगर आपको पहले से कोई बीमारी जैसे- अस्थमा ना हो जिसकी प्रसव के दौरान बढ़ने की आशंका हो।

- अगर आपका वजन सामान्य है, न ज्यादा न कम क्योंकि ओवरवेट होने पर नॉर्मल डिलिवरी की संभावना कम हो जाती है।

- अगर प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह का कोई कॉम्प्लिकेशन ना हो।

- अगर आप पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान फिजिकली ऐक्टिव रही हों।

- अगर गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हीमॉग्लोबिन ये सारी चीजें कंट्रोल में हों।
​सामान्य प्रसव की संभावना बढ़ाने वाले टिप्स- स्ट्रेस से दूर रहें
नॉर्मल डिलीवरी की इच्छा रखने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान हर तरह के तनाव और स्ट्रेस से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए वे चाहें तो मेडिटेशन कर सकती हैं, म्यूजिक सुन सकती हैं, किताबें पढ़ सकती हैं या फिर योग कर सकती हैं। अपनों का साथ गर्भवती महिला को इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनाता है। इसलिए, प्रेग्नेंसी के दौरान हमेशा अपनों के साथ रहें ताकि किसी भी तरह का स्ट्रेस ना हो।
​जानकर बनें, नेगेटिव बातें न सोचें
प्रेग्नेंसी के दौरान जहां तक संभव हो नेगेटिव बातों से दूर रहें। डिलिवरी से जुड़ी सुनी-सुनाई नेगेटिव बातों और किस्सों पर बिल्कुल भी ध्यान न दें। याद रखें कि हर महिला का अनुभव अलग हो सकता है। इसलिए, दूसरों के बुरे अनुभवों की वजह से अपने भीतर डर पैदा न करें। बेहद जरूरी है कि आप डिलिवरी और लेबर के बारे में सही जानकारी इक्ट्ठा करें। इससे गर्भवती महिला को प्रसव प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझने में मदद मिलती है।
​सही डॉक्टर का चुनाव करें
दुख की बात है कि लेकिन ये सच है कि आजकल बहुत से डॉक्टर्स सिर्फ अपने फायदे के लिए बिना किसी जरूरत के भी सी-सेक्शन यानी सिजेरियन डिलिवरी करवाने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे में गर्भवती महिला को डिलिवरी के लिए डॉक्टर का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। अगर आप चाहती हैं कि आपकी नॉर्मल डिलिवरी हो तो ऐसा डॉक्टर चुनना जरूरी है, जो गर्भवती महिला के शरीर की स्थिति के बारे में सही जानकारी दे। साथ ही आपके डॉक्टर और उनकी क्लिनिक में कितनी नॉर्मल डिलिवरी हर दिन होती है इस बारे में भी बात करें।
​वजन नियंत्रित रखें
प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ना सामान्य बात है। लेकिन, गर्भवती महिला का वजन बहुत ज्यादा नहीं बढ़ना चाहिए। ज्यादा वजन होने से प्रसव के समय परेशानी हो सकती है। दरअसल, अगर होने वाली मां मोटापे की समस्या से ग्रसित है तो बच्चे को बाहर आने में कठिनाई हो सकती है। लिहाजा प्रेग्नेंसी के दौरान कितना वजन बढ़ना नॉर्मल है और आपको कितने वेट गेन की जरूरत है इस बारे में जानकारी हासिल करें।
​एक्सर्साइज और मसाज है फायदेमंद
प्रेग्नेंसी में नियमित रूप से एक्सर्साइज करने से नॉर्मल डिलिवरी की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, डॉक्टर की सलाह लेकर नियमित रूप से एक्सर्साइज करें, वॉक करें। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के 7वें महीने के बाद, गर्भवती महिलाएं अपने शरीर के निचले हिस्से की मालिश शुरू कर सकती हैं। इससे भी डिलिवरी में आसानी होती है और सामान्य प्रसव की संभावना बढ़ जाती है।

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