प्रेगनेंसी किट क्या सही बताता है?pregnancytips.in

Posted on Wed 12th Oct 2022 : 10:24

प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (pregnancy test kit) से मिले नतीजे कितने सही या गलत?
प्रेग्नेंट है या नहीं? इस बात को कंफर्म करने के लिए महिलाएं घर पर ही प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) का सहारा लेती हैं। प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट से आया नतीजा पॉजिटिव हो या नेगिटिव, यह कितना सही है। इस पर महिलाएं अक्सर सोच में पड़ जाती हैं। प्रेग्नेंसी टेस्ट किट या गर्भावस्था जांच किट से गर्भावस्था की जांच के दौरान महिला के यूरिन और हॉर्मोन में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोफिन (एचसीजी/HCG) की मौजूदगी और उसके लेवल का पता लगाया जाता है। ‘हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में दिल्ली स्थित सृष्टि हेल्थ केयर की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. सीमा गुप्ता से जानेंगे कि घर पर किया गया प्रेग्नेंसी टेस्ट कितना सही है?


प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) का कब करें इस्तेमाल ?


प्रेग्नेंसी की जांच के लिए पीरियड खत्म होने के एक से दो सप्ताह के बीच का समय सबसे सही होता है। सेक्शुअल इंटरकोर्स के बाद जब अंडे के साथ स्पर्म मिलता है, तब निषेचित डिंब गर्भाशय में इम्प्लांट होता है। इसके बाद महिला की बॉडी में एचसीजी हार्मोन बनने की शुरुआत होती है। यह हार्मोन निषेचन की क्रिया के बाद करीबन सात से 14 दिनों में महिला के यूरिन में पाया जा सकता है। इसलिए, पीरियड का समय निकलने के बाद, अगर एक सप्ताह तक मासिक धर्म ना आए, तो प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) से गर्भावस्था की जांच करनी चाहिए।

प्रेग्नेंसी टेस्ट कैसे करें? (How to do pregnancy test)


गर्भावस्था की जांच (प्रेग्नेंसी टेस्ट) तीन तरीकों से की जा सकती है:


बाजार में मिलने वाले प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) या गर्भावस्था जांच किट से घर पर ही प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकती हैं। प्रेग्नेंसी टेस्ट किट प्राइस भी कम होता है।
घर में कुछ उपलब्ध चीजों से भी गर्भावस्था की जांच की जा सकती है।
मेडिकल प्रोफेशनल से भी प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया जा सकता है।

गर्भावस्था की जांच के लिए किट इस्तेमाल करने का सही तरीका क्या है?


Pregnancy test


प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) से गर्भावस्था की जांच करने के लिए, सुबह का पहला यूरिन टेस्ट करना सबसे सही रहता है। इसके लिए टेस्ट किट के साथ दिए गए ड्रॉपर से कुछ बूंदे जांच पट्टी पर बने खांचे में डालें। फिर दो मिनट तक इंतजार करें। आपको एक या दो हल्की या गहरी पिंक रंग की लाइन्स दिखाई देंगी। इनका मतलब समझने के लिए टेस्ट किट पैकेट पर लिखे हुए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) से टेस्ट करने पर एक से तीन मिनट में या ज्यादा से ज्यादा पांच मिनट में नतीजे मिल जाते हैं।


प्रेग्नेंसी टेस्ट की सहायता से जांच के दौरान आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है। महिलाएं गर्भावस्था का टेस्ट करने के दौरान थोड़ा घबराई हुई होती है, ऐसे में कई बार जल्दबाजी में टेस्ट सही तरीके से नहीं हो पाता है। बेहतर होगा कि पहले खुद को थोड़ा रिलेक्स करें और फिर टेस्ट करें। टेस्ट के दौरान जब आप यूरिन की ड्रॉप टेस्ट किट में डालेंगे तो आपको पिंक लाइन दिखाई देगी। अगर यूरिन डालने के बाद एक पिंक लाइन बनती है तो प्रेग्नेंसी टेस्ट निगेटिव है। वहीं दो पिंक लाइन का मतलब है प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव है। कई बार यूरिन डालने के बाद कोई भी लाइन नहीं बनती है। ऐसे में टेस्ट की दोबारा जरूरत पड़ सकती है। कई बार यूरिन सही से किट के अंदर नहीं पहुंच पाता है, इस कारण से ऐसा हो सकता है। अगर आप टेस्ट से संतुष्ट नहीं हैं तो अगले दिन आप दोबारा टेस्ट कर सकती हैं।

प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट रिजल्ट्स कितने सही होते हैं? (Pregnancy Test Efficiancy)


अगर प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट (Pregnancy test kit) पर लिखे निर्देशों का सही ढंग से पालन किया जाए तो कुछ मामलों में 99 प्रतिशत तक परिणाम सही हो सकते हैं। अगर आपका मेंस्ट्रुअल साइकल नियमित नहीं रहता है, तो रिजल्ट के सही आने की संभावना कम हो सकती है। वहीं पीरियड के मिस होने पर जितनी जल्दी आप प्रेग्नेंसी-टेस्ट करती हैं, एचसीजी का पता लगाना कठिन हो जाता है। दरअसल, ‘एचसीजी हार्मोन’ की मौजूदगी ही तय करती है कि कोई महिला प्रेग्नेंट है या नहीं। चाहे घर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट करें या डॉक्टर से टेस्ट करवाएं। दोनों ही मामलों में यूरिन या ब्लड में मौजूद एचसीजी हार्मोन की ही जांच की जाती है। सबसे सटीक परिणामों के लिए पीरियड्स के मिस होने के एक सप्ताह बाद यह टेस्ट करना सही रहता है। इसके अलावा, प्रेग्नेंसी डिटेक्शन किट (Pregnancy detection kit) से मिले पॉजिटिव रिजल्ट (positive result) नेगेटिव की तुलना में अक्सर सही होते हैं।



क्या करें कि गर्भावस्था जांच किट (pregnancy test kit) से ज्यादा से ज्यादा सही नतीजे मिल सकें?

नीचे दिए गए टिप्स को ध्यान रखें इससे गर्भावस्था जांच किट के नतीजे काफी हद तक सही हो सकते हैं। जैसे-


ऐसे तो घर पर प्रेग्नेंसी डिटेक्शन किट का उपयोग किसी भी समय किया जा सकता है लेकिन, सुबह के पहले यूरिन का टेस्ट बेहतर परिणाम के लिए अच्छा रहता है। सुबह के समय ‘एचसीजी हार्मोन’ का स्तर बढ़े होने की वजह से नतीजों के गलत होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
टेस्ट से पहले पेय पदार्थ न लें। इससे शरीर में ‘एचसीजी हार्मोन (HCG hormone)’ की सघनता (concentration) घट सकती है और परिणाम प्रभावित हो सकता है।
प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट (pregnancy test kit) का प्रयोग करने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट जरूर देखें।
प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट (Pregnancy test kit) के पैकेट पर लिखे निर्देशों को फॉलो करें।
जांच के दौरान उपयोग की जाने वाली सभी चीजें साफ रखें।
जांच के बाद तीन से चार मिनट का इंतजार जरूर करें।
अगर आप किट में सही से यूरिन नहीं डाल पाएं हैं तो आप दूसरे किट का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।




क्या प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट का पॉजिटिव रिजल्ट गलत भी हो सकता है? (Pregnancy Test Positive Result)


हालांकि, यह कम ही होता है कि गर्भवती न होने पर भी परिणाम पॉजिटिव आए। इसे फॉल्स-पॉजिटिव (false-positive) के रूप में जाना जाता है। ऐसा तब होता है जब गर्भपात होने के कुछ दिन बाद तक शरीर में एचसीजी हॉर्मोन रहता है या आप इंफर्टिलिटी ट्रीटमेंट (infertility treatment medicines) की दवांए ले रही हो। क्योंकि तब भी एचसीजी हॉर्मोन की मौजूदगी रहती है और रिजल्‍ट पॉजिटिव दिखता है।

क्या गर्भावस्था जांच किट का रिजल्ट गलत हो सकता है? (Pregnancy Test Negative Result)


कई बार ऐसा भी होता है कि प्रेग्नेंट होने के बावजूद भी होम प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) में नतीजा निगेटिव आता है। इसे फॉल्स-निगेटिव के रूप में जाना जाता है। पीरियड मिस होने के तुरंत बाद किया गया प्रेग्नेंसी टेस्ट, एचसीजी हार्मोन का पता लगाने में असफल हो सकता है क्योंकि गर्भधारण के शुरूआती दिनों में हार्मोन का स्तर (hormone level) थोड़ा कम रहता है। सटीक परिणामों के लिए, पीरियड मिस होने के एक सप्ताह बाद परीक्षण करें। रिजल्ट गलत आने का एक कारण यह भी हो सकता है कि किट के बॉक्स पर बताए गए नियमों का पालन न किया गया हो। किट को रिजल्ट बताने के लिए समय दें। देखा गया है कि कई महिलाएं कुछ ही मिनटों के बाद परिणाम न आने पर किट को फेंक देती हैं। ऐसा न करें, नतीजे आने का थोड़ी देर इंतजार जरूर करें।

प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) का इस्तेमाल और डॉक्टर की जांच में अंतर


आपके मन में ये प्रश्न भी जरूर आया होगा कि आखिर घर में किए गए प्रेग्नेंसी टेस्ट और डॉक्टर की ओर की गई जांच में आखिर क्या अंतर होता है। हम आपको बताते चले कि डॉक्टर प्रेग्नेंसी की जांच के लिए प्रेंग्नेंसी किट का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही प्रेग्नेंसी की पता लगाने के लिए अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं। अगर आपको लग रहा है कि आप प्रेग्नेंट हैं और प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) के रिजल्ट से आप संतुष्ट नहीं है तो आप डॉक्टर से भी जांच करा सकते हैं। ऐसा करने से आपके मन की शंका भी शांत हो जाएगी। जानिए किन अन्य टेस्ट के माध्यम से प्रेग्नेंसी कंफर्म की जा सकती है।

यूरिन टेस्ट (Urine test)


क्लीनिकल यूरिन टेस्ट के माध्यम से प्रेग्नेंसी के बारे में जानकारी मिलती है। जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि होम प्रेग्नेंसी टेस्ट में यूरिन का ही सैंपल लिया जाता है। ठीक उसी प्रकार से क्लीनिकल यूरिन टेस्ट में यूरिन का सैंपल जांच के लिए लिया जाता है। आपको हफ्ते भर में टेस्ट का रिजल्ट मिल जाएगा।

प्रेग्नेंसी की जांच के लिए ब्लड टेस्ट


प्रेग्नेंसी की जांच के लिए किया जाने वाला ब्लड टेस्ट डॉक्टर की देखरेख में किया जाता है। ब्लड की सहायता से लैबोरेट्री में एचसीजी डिटेक्ट किया जाता है। प्रेग्नेंसी ब्लड टेस्ट दो तरह के होती हैं।

क्ववालिटेटिव ब्लड टेस्ट (Qualitative hCG blood test)


क्ववालिटेटिव ब्लड टेस्ट के माध्यम से ये बात जानने की कोशिश की जाती है कि बॉडी में एचसीजी प्रोड्यूस हुआ है या फिर नहीं। इस टेस्ट की सहायता से आसानी से पता चल जाता है कि कोई भी महिला प्रेग्नेंट है या फिर नहीं।

क्ववाटिटेटिव एचसीजी ब्लड टेस्ट (Quantitative hCG blood test)


क्ववाटिटेटिव एचसीजी ब्लड टेस्ट की सहायता से ब्लड में एचसीजी के लेवल के बारे में जानकारी मिलती है। एचसीजी के लेवल के हाई होने या फिर बहुत लो होने की जानकारी इस टेस्ट के माध्यम से मिल जाती है और डॉक्टर प्रेग्नेंसी के बारे में जानकारी दे सकता है। डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड के लिए भी कह सकता है। एचसीजी के लेवल हाई या फिर लो होने पर डॉक्टर कुछ दिनों बाद दोबारा एचसीजी की जांच के लिए कह सकता है। यूरिन टेस्ट की अपेक्षा ब्लड टेस्ट के माध्यम से होने वाली जांच को अधिक सटीक माना जाता है। ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट एक हफ्ते के अंदर आ सकती है।


अगर आपको प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और जांच के बाद आपको निगेटिव लक्षण दिख रहे हैं जैसे कि मिस्ड पीरियड्स, वॉमिटिंग, जी मिचलाना आदि तो ऐसे में आपको डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए। कई बार हैवी एक्सरसाइज या फिर स्ट्रेस के कारण भी मिस्ड पीरियड्स हो जाते हैं। हॉर्मोनल चेंजेस की वजह से पीरियड्स की डेट बदल जाती है। ये जरूरी नहीं है कि पीरियड्स का मिस होना हमेशा प्रेग्नेंसी की ही निशानी होता है। अगर आपको पीरियड्स से संबंधित समस्या हो रही है तो आप इस बारे में डॉक्टर को जानकारी दें। डॉक्टर आपको कुछ मेडिसिन देंगी तो पीरियड्स को रेगुलर करने में आपकी मदद करेगा। हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। आप चाहे तो प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट (Pregnancy test kit) के बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी ले सकते हैं।

प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट से कर रहे हैं जांच इन बातों का रखें ध्यान


अगर प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट (Pregnancy test kit) से रिजल्ट निगेटिव आया है और आप प्रेग्नेंट होना चाहती हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। आप पहले सुनिश्चित करें कि क्या पूरी तरह से स्वस्थ्य है। अगर नहीं तो डॉक्टर से जांच कराएं। अगर आपको किसी तरह की हेल्थ कंडीशन है तो बेहतर होगा कि डॉक्टर की आप डॉक्टर से जानकारी लें कि आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर आप स्वस्थ्य हैं और प्रेग्नेंट होना चाहते हैं तो डॉक्टर आपको फोलिक एसिड की दवा का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। आप प्रेग्नेंसी के लिए बेहतर होगा कि ओव्युलेशन किट का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से आप साइकिल को ट्रेक कर सकते हैं। और साथ ही ये भी डिसाइड कर सकते हैं कि कौन सा प्रेग्नेंसी के लिए बेस्ट रहेगा। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।


गर्भावस्था को सुनिश्चित करने के लिए घर पर ही प्रेग्नेंसी टेस्‍ट किट (Pregnancy test kit) से की गई जांच कितनी सही है या गलत? इसको तय करने के लिए महिलाओं को डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए। आशा करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा इससे जुड़ा हुआ कोई सवाल या सुझाव आपके पास है तो आप हमसे कमेंट बॉक्स के जरिए साझा कर सकते हैं। आपको हैलो स्वास्थ्य पर प्रेग्नेंसी प्लानिंग से लेकर डिलिवरी के बाद तक की देखभाल करने के लिए सभी जरूरी जानकारी मिलती है। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।


क्या कम उम्र में गर्भवती होना सही है?


एक्सपर्ट और रिसर्च के अनुसार 20 से 30 साल की उम्र को गर्भवती होने के लिए सही उम्र माना जाता है। किसी भी महिला के लिए यह उम्र गर्भवती होने के लिए सही है। 20 से 30 वर्ष की कम उम्र में गर्भवती होना बायोलॉजिकली भी सही माना जाता है, लेकिन यही वह उम्र है जब लड़कियां करियर की शुरुआत करती हैं। परिवार में एक नए सदस्य को लाना या इसे साफ शब्दों में कहें तो बच्चे की परवरिश के लिए शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति मजबूत होनी चाहिए।


बदलती लाइफ स्टाइल में आजकल की ज्यादातर लड़कियां आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। खुद उस मुकाम तक पहुंचना चाहती हैं जहां वे किसी जिम्मेदारी न बनकर परिवार को सहयोग कर सकें। ऐसे में 20 से 30 साल की आयु में शादी करने के साथ ही मां बनना महिलाओं के लिए चुनौतियों को ज्यादा बढ़ा देता है।

क्या कम उम्र में गर्भवती होना सही है?


इस आर्टिकल में हम इस बारे में बताएंगे कि क्या 20 से 30 साल की महिलाओं के लिए गर्भवती होना सही है? कम उम्र में गर्भवती होने के क्या-क्या फायदे हैं और क्या-क्या नुकसान हैं? यह भी जानेंगे कि इतनी कम उम्र में अगर कोई महिला गर्भधारण कर रहीं हैं, तो किन-किन बातों का ख्याल रखें?

कम उम्र में गर्भवती होना सेहत के लिए अच्छा क्यों है?


30 साल से कम उम्र की महिलाओं के मां बनने (कम उम्र में गर्भवती होना) के निम्नलिखित फायदे हैं:


सबसे पहले तो कम उम्र में गर्भवती होना किसी भी शारीरिक परेशानी को कम करने सहायक होता है
ब्लड प्रेशर की समस्या कम होगी
जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा न के बराबर होगा
गायनेकोलॉजिकल परेशानी जैसे यूटेराइन फाइब्रॉइड्स जैसी समस्या कम होगी
नवजात का वजन संतुलित रहेगा
गर्भावस्था के बावजूद शरीर फ्लेक्सिबल रहेगा
समय से पहले डिलिवरी का खतरा नहीं रहेगा
मिसकैरेज का खतरा कम रहता है
सिजेरियन डिलिवरी की तुलना में नॉर्मल डिलिवरी की संभावना ज्यादा होती है
जेनेटिक प्रॉब्लम्स की संभावना न के बराबर होती है
कम उम्र में गर्भवती होना किन कारणों से हो सकता है नुकसानदायक?


कम उम्र में गर्भवती होना पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों पर प्रभाव डाल सकता है।
कम उम्र में गर्भवती होना, डिप्रेशन जैसी परेशानी शुरू कर सकता है।
प्रेग्नेंसी की जानकारी ज्यादा न होने के कारण मिसकैरेज का खतरा बना रहता है।
बच्चों के पालन पोषण की सही जानकारी न होने के कारण दोनों (पति-पत्नी) ही ठीक से देखभाल नहीं कर पाते हैं।
कम उम्र में गर्भवती होना प्रीमैच्योर डिलिवरी का कारण बन सकता है।



अमेरिका जैसे देशों में 20 से 30 वर्ष उम्र की जगह 30 साल या इसके बाद मां बनना बेहतर समझते हैं। क्योंकि इसके दो फायदे होते हैं पहला की कपल्स अपने-अपने करियर पर फोकस कर पाने के साथ-साथ एक-दूसरे को समझने के लिए समय निकाल पाते हैं, तो वहीं बच्चे को संभालने के लिए भी उनमें ज्यादा समझदारी आ जाती है।

कम उम्र में गर्भवती होना है, तो किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?


गर्भधारण करने वाली मां शारीरिक रूप से फिट होनी चाहिए।
कपल को मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए।
आर्थिक स्थिति ठीक होने के साथ-साथ शिशु के जन्म के बाद की फाइनेंशियल प्लानिंग होनी चाहिए।




गर्भधारण के निर्णय लेने से पहले एक बार इसके फायदे और नुकसान दोनों के बारे में अच्छी तरह समझ लें। ज्यादा बेहतर होगा कि आप अपने पार्टनर और डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इससे प्रेग्नेंसी में आने वाली समस्याओं से निपटने में मदद मिल सकती है।


कम उम्र में गर्भवती होना या अगर आपकी उम्र 20 साल से ज्यादा है और 30 साल से कम है, तो बायोलॉजिकल दृष्टिकोण से तो मां बनने के लिए ठीक है, लेकिन इस दौरान भी गर्भवती महिला को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

हैलो स्वास्थय की टीम ने इस बारे में पुणे की रहने वाली 26 वर्षीय वर्षा देशमुख एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से बात की। वर्षा कहती हैं कि, “मेरी शादी 20 साल की उम्र में ही हो गई थी और उस वक्त मैं पढ़ाई भी कर रही थी। 21 साल की उम्र में मैं प्रेग्नेंट हो गई और मां बन गई। प्रेग्नेंसी के दौरान जॉब जॉइन किए हुए सिर्फ 2 से 3 महीने ही हुए थे। ऐसे में ऑफिस में अच्छा करने की चाह की वजह से मैं कई बार खाना स्किप करने लगी तो देर रात तक जाग-जाग कर काम करने लगी। जिस वजह प्रेग्नेंसी के दौरान मुझे शारीरिक परेशानी जैसे कमजोरी महसूस होना सुस्त होना और यहां तक कि सबकुछ एक साथ होने की वजह से मैं डिप्रेशन में रहने लगी थी।


स्थिति को समझते हुए मेरे लाइफ पार्टनर से देर न करते हुए डॉक्टर को सारी बात बताई। मुझे आराम करने की सलाह दी गई, तो मैंने पार्ट टाइम घर से ही काम करना शुरू किया और अपने ऊपर ध्यान रखना भी। मेरी नॉर्मल डिलिवरी हुई और इस वक्त मैं एक 5 साल की बेटी की मां भी हूं।”

किसी भी उम्र में गर्भधारण करने पर आहार और आराम का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। ऐसे में गर्भवती महिला को निम्नलिखित आहार का सेवन करना चाहिए। जैसे-


गर्भवती महिला को सर्दियों के मौसम में 2 से 3 लीटर पानी का सेवन करना चाहिए। वहीं अगर आप गर्मी के मौसम में गर्भवती हैं, तो शरीर को डीहाइड्रेशन से बचाने के लिए 3 लीटर से ज्यादा पानी का सेवन करना चाहिए।
रोजाना हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ-साथ मौसमी फलों का भी सेवन रोजाना करें। हरी सब्जियों के सेवन से शरीर को प्रचुर मात्रा में फोलिक एसिड की प्राप्ति होती है।
साबुत अनाज जैसे गेहूं की रोटी, दाल और चावल का सेवन रोजाना करें। मैदे से बनी चीज या बिस्कुट जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान शरीर में प्रोटीन का लेवल सही बना रहे इसलिए अंडे का सेवन लाभकारी हो सकती है। अगर आप अंडा नहीं खाती हैं तो इसकी जगह आप पनीर का सेवन कर सकती हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान कैल्शियम की कमी भी शरीर में नहीं होनी चाहिए। इसलिए दूध का सेवन रोजाना करें। दूध के नियमित सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु की हड्डियां मजबूत होती हैं।
कम उम्र में गर्भवती होना या उम्र के किसी अन्य पड़ाव में ड्राय फ्रूट्स का सेवन रोजाना करें। इस दौरान अखरोट का सेवन बेहद लाभकारी माना जाता है। प्रेग्नेंसी में स्नैक्स भी जरूर लें।



अगर आप कम उम्र में गर्भवती होना या इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहती हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।



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