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प्रेग्नेंसी के आठवें महीने में रहें संभलकर, छोटी सी गलती की वजह से आ सकती हैं जानलेवा कॉम्प्लिकेशंस
गर्भावस्था के आठवें महीने का मतलब है कि बस अब आपकी डिलीवरी पास आने वाली है। अब आपको पहले से भी ज्यादा संभलकर रहना है।
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प्रेग्नेंसी के आठवें महीने में रहें संभलकर, छोटी सी गलती की वजह से आ सकती हैं जानलेवा कॉम्प्लिकेशंस
प्रेग्नेंसी के आठवें महीने में आने का मतलब है कि अब आपकी डिलीवरी ज्यादा दूर नहीं है। बस कुछ ही दिनों की बात और है फिर आपका बच्चा आपकी गोद में होगा और प्रेग्नेंसी में हो रही सारी परेशानियां आपकी दूर हो जाएंगी।
जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी बढ़ती है, वैसे-वैसे सतर्क रहने की जरूरत भी बढ़ जाती है क्योंकि इस दौरान कोई भी गलती हुई, तो बच्चे या मां की जान को खतरा हो सकता है। गर्भावस्था के आठवें महीने में कुछ जटिलताएं यानि कॉम्प्लिकेशंस आने का भी जोखिम बना रहता है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि प्रेग्नेंसी के आठवे महीने में किस तरह की जटिलताएं आने का खतरा रहता है।
प्रीक्लैंप्सिया
प्रीक्लैंप्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भवती महिला को हाई ब्लड प्रेशर और पेशाब में प्रोटीन आने की शिकायत हो जाती है। गर्भावस्था में महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर होने का खतरा रहता है। इस स्थिति को जेस्टेशनल हाइपरटेंशन कहते हैं और यह समस्या स्ट्रेस या अन्य किसी स्वास्थ्य समस्या की वजह से हो सकती है।
अगर हाई बीपी के साथ पेशाब में प्रोटीन ज्यादा आने लगे तो यह प्रीक्लैंप्सिया कहलाता है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए तो गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंच सकता है।
प्रीटर्म बर्थ
आठवें महीने में प्रीटर्म लेबर का खतरा काफी रहता है क्योंकि इस समय कुछ बच्चे सिफेलिक पोजीशन में होते हैं और नौ महीने से पहले ही पैदा हो सकता है। प्रीक्लैंप्सिया और प्लेसेंटा में कोई परेशानी होने की वजह से तुरंत डिलीवरी करवाने की जरूरत पड़ सकती है। आठवें महीने में पैदा होने वाले बच्चे सातवें महीने की तुलना में ज्यादा जी जाते हैं लेकिन इन्हें कुछ दिनों के लिए आईसीयू में रखने की जरूरत पड़ सकती है।
आठवें महीने में क्या करें
प्रेग्नेंसी के आठवें महीने में आपको डाइट का बहुत ध्यान रखना है। संतुलित आहार लें और थोडी़-थोड़ी देर में कुछ देर खाती रहें। इसके अलावा आठवें महीने में पेशाब न रोक पाने की समस्या से बचने के लिए रोज कीगेल एक्सरसाइज करें। इससे डिलीवरी के बाद पेल्विक हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी। अगर एक्सरसाइज नहीं कर पा रही हैं, तो पैदल चलें या योग करें।
शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पिएं। इससे बॉडी को एनर्जी भी मिलेगी और ऐंठन भी नहीं होगी। शिशु की हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी होता है। सुबह और दोपहर को धूप में बैठें।
हास्पिटल जाने की तैयारी
अगले महीने आपकी डिलीवरी निश्चित है और प्रीटर्म डिलीवरी हुई तो कभी भी आपको हास्पिटल जाना पड़ सकता है। इसलिए आप अभी से अपना हॉस्पिटल बैग तैयार करें। अपने बैग में सैनिटरी पैड, गाउन, ब्रेस्ट पैड, ब्रा और पर्सनल चीजें रख लें।
आठवें महीने में आप जंक फूड या प्रोसेस्ड फूड न खाएं। इसकी वजह से अपच और सीने में जलन हो सकती है।
विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेती रहें। डिलीवरी को लेकर ज्यादा चिंता न करें। शराब और सिगरेट से दूर रहें। कॉफी और चाय भी कम पिएं।
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