प्रेगनेंसी के तीसरे हफ्ते में क्या होता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

प्रेगनेंसी के तीसरे सप्‍ताह में कोई लक्षण मुश्किल ही दिखते हैं। इस समय फर्टिलाइजेशन और इंप्‍लांटेशन चल रहा होता है।

प्रेगनेंसी के तीसरे सप्‍ताह में शिशु ब्‍लास्‍टोसिस्‍ट स्‍टेज पर होता है। इस समय विकसित हो रही प्‍लेसेंटा एचसीजी हार्मोन बनाना शुरू करती है। खून या पेशाब में इसी हार्मोन की मौजूदगी से पता चलता है कि आप प्रेगनेंट हैं।


तीसरे सप्‍ताह में भ्रूण गर्भाशय की लाइनिंग में इंप्‍लांट हो जाता है और आपको हल्‍की स्‍पॉटिंग हो सकती है। आपको यह पीरियड लग सकते हैं। यह स्‍पॉटिंग प्रेगनेंट होने का पहला संकेत होती है। स्‍पॉटिंग में आने वाला खून पीरियड से हल्‍का होता है।


प्रेग्‍नेंसी की पहली तिमाही में शरीर में बहुत ज्‍यादा हार्मोनल बदलाव आते हैं। प्रोजेस्‍टेरोन और एस्‍ट्रोजन हार्मोन तेजी से बढ़ता है जिससे भ्रूण के विकास के लिए यूट्राइन लाइनिंग मोटी होती है। एस्‍ट्रोजन के बढ़ने के कारण शरीर में पानी और गैस ज्‍यादा बनती है जिससे असहज और पेट में दर्द महसूस होता है।
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प्रेग्‍नेंसी की दूसरी तिमाही और गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस और थकान जैसे लक्षण कम होने लगते हैं और गर्भाशय विकसित हो रहे भ्रूण के लिए जगह बनाने लगता है। गर्भाशय के बढ़ने पर आसपास के अंगों पर दबाव पड़ता है जिससे कब्‍ज और ज्‍यादा गैस बनने जैसी पाचन से संबंधी दिक्‍कतें होने लगती हैं।


प्रेगनेंट महिलाओं के भी शरीर में गैस बनती है। शरीर में प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन का स्‍तर बढ़ने की वजह से गैस ज्‍यादा बनने लगती है। ये हार्मोन गैस्‍ट्राइंटेस्‍टाइनल मार्ग की नरम मांसपेशियों को आराम पहुंचाने का काम करता है। इन मांसपेशियों के रिलैक्‍स होने पर खाना धीमी गति से पाचन तंत्र की ओर आ सकता है।

पाचन के धीमा पड़ने पर आंतों में गैस अधिक बनने लगती है। इसकी वजह से डकार आने, गैस पास होने और पेट फूलने की दिक्‍कत भी हो सकती है।

गर्भावस्‍था में गैस से बचना थोड़ा मुश्किल है। हालांकि, कुछ आसान तरीकों से आप प्रेग्‍नेंसी में गैस ज्‍यादा बनने से जरूर रोक सकते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ गर्भावस्‍था में गैस बनने को बढ़ावा दे सकते हैं। ऐसे में आप नोट करें कि क्‍या खाने के बाद आपको ज्‍यादा गैस बनती है।

बींस, मटर और साबुत अनाज से गैस बन सकती है। इसके अलावा ब्रोकली, एस्‍पैरेगस, पत्तागोभी भी गैस बनाते हैं।



अमेरिकन प्रेग्‍नेंसी एसोसिएशन के अनुसार गर्भावस्‍था के दौरान गैस बनने से रोकने, कम करने और कंट्रोल करने के लिए नीचे बताए गए टिप्‍स असरकारी साबित हो सकते हैं :
कार्बोहाइड्रेट ड्रिंक कम या बिल्‍कुल न पिएं।तली हुई और भारी चीजें खाने से बचें।हमेशा गिलास से पानी या अन्‍य कोई पेय पदार्थ पिएं।दिनभर में थोड़ा-थोड़ा कर के खाएं।कपड़े पेट पर से ज्‍यादा टाइट नहीं होने चाहिए।आर्टिफिशियल स्‍वीटनर का कम सेवन करें और खूब पानी पिएं।धीरे और चबा-चबाकर खाएं।

यह भी पढ़ें : प्रेग्‍नेंसी में हंसने से बच्‍चे को मिलने वाले लाभ


गर्भावस्‍था के तीसरे सप्‍ताह के लक्षण एवं संकेत
गर्भावस्‍था का तीसरा हफ्ता ही वह समय होता है जब ज्‍यादातर महिलाओं को खुद के गर्भवती होने के बारे में पता चलता है। इस दौरान मां के विकास के साथ बच्‍चे की पहली झलक भी दिखाई पड़ती है। तीसरा हफ्ता आने तक महिलाओं के लाइफस्‍टाइल में काफी परिवर्तन आ चुका होता है। आइए जानते हैं इस हफ्ते क्‍या-क्‍या लक्षण आते हैं :

1. शरीर में हॉर्मोन्‍स के स्‍त्राव और बच्‍चे की विकास की वजह से जी मचलना और उल्‍टी होना सामान्‍य बात है। शरीर में खिंचाव भी शुरू हो जाता है। महिलाओं का वजन भी कम होने लगता है।
2. मुंह का स्‍वाद बिगड़ जाता है। महिलाएं इस दौरान जो भी खाती हैं उसका स्‍वाद उन्‍हें अच्‍छा नहीं लगता। सिर्फ खट्टी चीजें ही उन्‍हें अच्‍छी लगती हैं।

3. इस हफ्ते शरीर में कोई बाहरी बदलाव नहीं दिखाई पड़ते हैं। गर्भवती महिला अंदरूनी बदलावों को आसानी से महसूस कर लेती है।
4. सिर दर्द होना और सीढि़यां चढ़ते समय थकान महसूस करना भी प्रमुख लक्षणों में से एक है।
5. कई बार ऐसा भी हो सकता है जिस चीज को खाना महिला को बेहद पसंद होता है वह उसकी तरफ देखे ही ना यानि मूड में भी परिवर्तन आ जाता है।
Gas problem in Pregnancy : गर्भावस्था में गैस क्यों बनती है?

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प्रेग्‍नेंसी की पहली तिमाही में शरीर में बहुत ज्‍यादा हार्मोनल बदलाव आते हैं। प्रोजेस्‍टेरोन और एस्‍ट्रोजन हार्मोन तेजी से बढ़ता है जिससे भ्रूण के विकास के लिए यूट्राइन लाइनिंग मोटी होती है। एस्‍ट्रोजन के बढ़ने के कारण शरीर में पानी और गैस ज्‍यादा बनती है जिससे असहज और पेट में दर्द महसूस होता है।
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प्रेग्‍नेंसी की दूसरी तिमाही और गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस और थकान जैसे लक्षण कम होने लगते हैं और गर्भाशय विकसित हो रहे भ्रूण के लिए जगह बनाने लगता है। गर्भाशय के बढ़ने पर आसपास के अंगों पर दबाव पड़ता है जिससे कब्‍ज और ज्‍यादा गैस बनने जैसी पाचन से संबंधी दिक्‍कतें होने लगती हैं।

शरीर में गैस बनती है। शरीर में प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन का स्‍तर बढ़ने की वजह से गैस ज्‍यादा बनने लगती है। ये हार्मोन गैस्‍ट्राइंटेस्‍टाइनल मार्ग की नरम मांसपेशियों को आराम पहुंचाने का काम करता है। इन मांसपेशियों के रिलैक्‍स होने पर खाना धीमी गति से पाचन तंत्र की ओर आ सकता है।

पाचन के धीमा पड़ने पर आंतों में गैस अधिक बनने लगती है। इसकी वजह से डकार आने, गैस पास होने और पेट फूलने की दिक्‍कत भी हो सकती है।

गर्भावस्‍था में गैस से बचना थोड़ा मुश्किल है। हालांकि, कुछ आसान तरीकों से आप प्रेग्‍नेंसी में गैस ज्‍यादा बनने से जरूर रोक सकते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ गर्भावस्‍था में गैस बनने को बढ़ावा दे सकते हैं। ऐसे में आप नोट करें कि क्‍या खाने के बाद आपको ज्‍यादा गैस बनती है।

बींस, मटर और साबुत अनाज से गैस बन सकती है। इसके अलावा ब्रोकली, एस्‍पैरेगस, पत्तागोभी भी गैस बनाते हैं।

अमेरिकन प्रेग्‍नेंसी एसोसिएशन के अनुसार गर्भावस्‍था के दौरान गैस बनने से रोकने, कम करने और कंट्रोल करने के लिए नीचे बताए गए टिप्‍स असरकारी साबित हो सकते हैं :
कार्बोहाइड्रेट ड्रिंक कम या बिल्‍कुल न पिएं।तली हुई और भारी चीजें खाने से बचें।हमेशा गिलास से पानी या अन्‍य कोई पेय पदार्थ पिएं।दिनभर में थोड़ा-थोड़ा कर के खाएं।कपड़े पेट पर से ज्‍यादा टाइट नहीं होने चाहिए।आर्टिफिशियल स्‍वीटनर का कम सेवन करें और खूब पानी पिएं।धीरे और चबा-चबाकर खाएं।

तीसरे सप्‍ताह में इन बातों का रखें ध्‍यान

शरीर में बदलाव: पिछले हफ्तों की तरह आपको अपने ब्रेस्ट में भारीपन और दर्द महसूस होगा। थकान और कमजोरी महसूस होने लगेगी। शरीर का तापमान कुछ ज्‍यादा रहेगा। चीजों को सूंघने की क्षमता बढ़ जाएगी।
बच्‍चे का विकास:प्रेग्‍नेंसी के पहले हफ्ते में निषेचित अंडे में विभाजन होता। कोशिकाओं के इस गोले को विज्ञान की भाषा में ब्‍लास्‍टोसाइट कहते हैं। अभी भी आपका बच्‍चा महजा कोशिकाओं की एक गेंद ही है।
अल्‍ट्रासाउंड रिपोर्ट: पहले दो हफ्तों में बचे की कोई भी अल्‍ट्रासाउंड इमेज नहीं आती। अभी आपका बच्‍चा अल्‍ट्रासाउंड में नहीं दिखाई देगा।
डायट: जल्‍द ही आपको कैल्शियम की बहुत जरूरत होगी इसलिए दूध, पनीर, दही जैसी चीजें खाइए। इसके अलावा आपको कब्‍ज से बचने के लिए पर्याप्‍त मात्रा में पानी पीना चाहिए। विटामिन सी वाले फल, हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और दालों को अपनी डायट में शामिल करें ताकि पर्याप्‍त पोषण मिल सके। जंक या फास्‍ट फूड से दूर रहें।
टिप्‍स: स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाएं, नशे वगैरह से दूर रहें। डॉक्‍टर ने जो फोलिक एसिड सप्‍लीमेंट दिया है उसे नियमित रूप से लेती रहें। तनाव से दूर रहें। हल्‍की-फुल्‍की कसरत करें लेकिन ज्‍यादा उछल-कूद से बचें। अभी कहीं यात्रा न करें। कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्‍टर से सलाह जरूर ले लें।

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