प्रेगनेंसी के दौरान कितना उठाना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

क्या यह सच है कि गर्भावस्था के दौरान मुझे भारी सामान नहीं उठाना चाहिए?
हां, गर्भवती होने पर भारी सामान न उठाना ही बेहतर है। यह आपकी पीठ और श्रोणि पर दबाव डाल सकता है। साथ ही, इसके कारण पेशाब के रिसाव से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, और यहां तक कि इससे आपके गर्भाशय का खिसककर आपकी योनि में आने (प्रोलेप्स) का खतरा भी बढ़ जाता है।

गर्भावस्था के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव आपके जोड़ों और श्रोणि क्षेत्र के सख्त उत्तकों (लिगामेंट्स) को शिथिल बना देते हैं। इसलिए वे किसी भी दबाव के प्रति संवेदशील हो जाते हैं। भारी चीज उठाने से आपकी श्रोणि मंजिल काफी कमजोर हो सकती है। पेशाब के रिसाव के साथ-साथ आपको उस क्षेत्र में खिंचाव या असहजता का आभास हो सकता है।

जब आप गर्भवती हैं, तो बेहतर है कि 10 या 11 किलो से अधिक का सामान न उठाएं। अध्ययन दर्शातें हैं कि 11 किलो से अधिक का सामान दिन में 10 बार से ज्यादा उठाने पर श्रोणि करधनी दर्द-पेल्विक गर्डल पेन (पीजीपी) विकसित होने की संभावना रहती है।

यदि आपकी नौकरी में बहुत सारी भारी चीजों को उठाना शामिल है, तो ऐसे में यदि संभव हो तो नियोक्ता से अपने काम में बदलाव के बारे में बात करें। आप ऐसी जिम्मेदारी ले सकती हैं, जिसमें आपकी भारी चीजों को उठाना या कहीं ले जाने का काम कम हो।

यदि आप गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों में नियमित तौर पर भारी वजन उठाती हैं, तो इससे आपके गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। यह बात उस स्थिति में विशेषतौर पर सच है, यदि आप कमर पर जोर डालकर सामान उठाती हैं। 22 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद यह खतरा कम हो जाता है। बहरहाल, नियमित तौर पर भारी वजन उठाने से बचना चाहिए।

जैसे-जैसे आपका पेट बढ़ता है, आपके गुरुत्व का केंद्र आगे की तरफ होता जाता है। इससे आपकी चाल-ढाल में बदलाव आने और सामान उठाते समय संतुलन खोने की संभावना बढ़ जाती है।

गर्भावस्था के बढ़ने के साथ-साथ चीजों को अपने शरीर के नजदीक उठा पाना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि आपका बढ़ा हुआ पेट बीच में आ जाता है। यदि आप कोई चीजें अपनी बाजुओं को फैलाकर उठाती हैं, तो इससे आपकी पीठ पर काफी दबाव पड़ता है।

यदि आपको वास्तव में कुछ चीज उठानी या लेकर चलनी हो, तो यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको ध्यान रखने चाहिए:

चीजों को अपने शरीर के नजदीक थामे रखें।

पीठ पर जोर डालने की बजाय अपने घुटनों को मोड़ें और कोशिश करें कि सामान उठाते समय इधर-उधर न मुड़े।

चीजों को सिर पर न उठाएं। चीजों को फर्श से उठाने से बचें, विशेषकर अपनी तीसरी तिमाही में।

चीजों को उठाते समय अपने श्रोणि मंजिल को तान लें और हल्के से अपनी नाभि को अंदर और ऊपर की तरफ कर लें।

सामान्य रूप से सांस लेने का प्रयास करें। यदि आपको सामान उठाने के लिए अपनी सांस को रोकना पड़े, तो इसका मतलब है कि वह सामान वाकई में आपके लिए बहुत भारी है।

यदि आपका पहले से 10 या 11 किलो से कम वजन वाला बच्चा है, तो कोशिश करें कि गोद में उठाने से पहले वह सोफे या कुर्सी पर खड़ा हो जाए। इससे अधिक उम्र या वजन वाले बच्चों को गोद में न उठाएं।

यदि आप खरीदारी कर रही हों, तो दोनों हाथों में थैले लें। कंधे पर या पीठ पर टांगने वाले थैले का इस्तेमाल करें, ताकि आपकी पीठ की मांसपेशियां बेहतर काम कर सकें।

बेहतर है कि आप पानी से भरी बड़ी ​बाल्टी को उठाएं या खिसकाएं नहीं।

यदि आपको कोई सामान उठाने में मुश्किल हो रही हो, तो उसे छोड़ दें। किसी ओर से मदद के लिए कहें।


आपको ​नीचे दिए गए तरीकों से सामान बिल्कुल भी नहीं उठाना चाहिए, क्योंकि इससे चोट का खतरा बढ़ जाता है:

एक हाथ से
लगातार आठ घंटों से भी ज्यादा समय के लिए
बैठते या घुटने टेकते समय
छोटी जगह में, जहां आप सही से हिल-डुल न पाएं
कोई ऐसी चीज या व्यक्ति जो कि अस्थिर हो
जब आप किसी चीजो को धक्का दे रही हों या खिसका रही हों
एक पहिये वाले ठेले का इस्तेमाल या बेलचे से सामान डालना
फिसलने वाले जूते या चप्पल पहनकर
सिर पर वजन उठाना

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