प्रेगनेंसी के फर्स्ट मंथ में क्या क्या होता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 16:00

गर्भधारण करने की सूचना अपने साथ कई तरह के शारीरिक बदलावों और समस्याओं का अंदेशा लेकर आती है। अगर प्रेगनेंसी के पहले महीने से ही सभी जरूरी तैयारियां शुरू कर दी जाएं, तो गर्भावस्था से जुड़ी तमाम परेशानियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। दरअसल, प्रेगनेंसी के पहले महीने में खासतौर से पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के पास जानकारी का अभाव होता है। कई बार तो उन्हें अपने प्रेगनेंट होने तक की सही जानकारी नहीं होती है। इसलिए, मॉमजंक्शन के इस लेख में हम प्रेगनेंसी के पहले महीने (एक से चार सप्ताह) से संबंधित जानकारियों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

सबसे पहले हम बता रहे हैं कि प्रेगनेंट होने के लक्षण क्या-क्या होते हैं।
गर्भ ठहरने के 16 शुरुआती लक्षण |
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं। इन बदलावों के बारे में सही जानकारी ना होने की वजह से कई बार गर्भवती महिलाएं घबराहट या तनाव का शिकार हो जाती हैं। हालांकि, अगर गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पहले महीने में नीचे दिए गए लक्षण नज़र आएं, तो उन्हें बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए:

1. मासिक धर्म का रुक जाना: इसे प्रेगनेंसी की शुरुआत होने का संकेत माना जाता है। दरअसल, किसी महिला के गर्भवती होते ही उसके शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बनना शुरू हो जाता है। इस हार्मोन की वजह से मासिक धर्म बंद हो जाता है।

2. रक्तस्राव और ऐंठन: जब गर्भाशय में अंडा निषेचित होता है, तब गर्भधारण करने वाली महिला को हल्का रक्तस्राव हो सकता है और शरीर में ऐंठन महसूस हो सकती है। गर्भधारण करने के एक सप्ताह बाद गर्भवती महिला के शरीर में ये दोनों लक्षण दिखाई दे सकते हैं (1)।

3. मूड स्विंग: प्रेगनेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला के व्यवहार में काफी उतार-चढ़ाव नजर आने लगता है। यह उतार-चढ़ाव गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है। इस दौरान गर्भवती महिला का मूड लगातार बदलता रहता है, जैसे कि वह किसी भी बात पर चिढ़ सकती है या उसे बेवजह रोना आ सकता है (2)।

4. स्तनों का कड़ा होना: प्रेगनेंसी के पहले महीने में कुछ गर्भवती महिलाओं के स्तन कड़े हो जाते हैं और उनमें हल्का दर्द भी होता है। इस दौरान गर्भवती महिला के स्तनों में थोड़ी सूजन आ सकती है। ऐसा सभी के साथ हो, यह संभव नहीं है।

5. निप्पल का रंग बदलना: इस दौरान आपको निप्पल में भी बदलाव नजर आ सकता है। हार्मोंस में बदलाव होने से मेलानोसाइट्स (एक प्रकार की त्वचा कोशिकाएं) प्रभावित होते हैं। इससे उन मेलेनिन का उत्पादन होता है, जिससे त्वचा का रंग गहरा हो जाता है। यही कारण है कि निप्पल का रंग ज्यादा गहरा नजर आ सकता है।

6. थकान होना: प्रेगनेंसी के पहले महीने में बिना कुछ किए ही गर्भवती महिला को थकान महसूस हो सकती है। इस दौरान उसे सोने में भी परेशानी हो सकती है।

7. बार-बार पेशाब लगना: शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण प्रेगनेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला को बार-बार पेशाब लगने की समस्या हो सकती है।

8. मॉर्निंग सिकनेस: गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के पहले महीने में सुबह-सुबह जी मिचलाने, उल्टी होने और चक्कर आने की समस्या हो सकती है। इससे निपटने के लिए गर्भवती महिला नींबू पानी पी सकती है या फिर वाइटल जेड जैसी कोई एनर्जी ड्रिंक ले सकती है।

9. खाने की रुचि और पसंद में बदलाव: प्रेगनेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला की खान-पान से जुड़ी रुचि और पसंद में बदलाव नजर आ सकता है। वह कोई ऐसी चीज खाना शुरू कर सकती है, जो उसे पहले पसंद नहीं थी। इस दौरान गर्भवती महिला को बार-बार भूख लग सकती है।

10. सीने में जलन: गर्भवती महिला को सीने में जलन की शिकायत हो सकती है, जो सामान्य-सी बात है, इसलिए ऐसा होने पर घबराना नहीं चाहिए। हालांकि, सीने में ज्यादा जलन होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

11. कब्ज: गर्भवती महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण उसे कब्ज की शिकायत हो सकती है। प्रेगनेंसी के पहले महीने में कब्ज का होना सामान्य माना जाता है।

12. सूंघने की क्षमता में वृद्धि: प्रेगनेंसी के पहले महीने में शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के चलते गर्भवती महिला की सूंघने की क्षमता बढ़ जाती है (3)।

13. ज्यादा भूख लगना: प्रेगनेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला की भूख अचानक बढ़ जाती है। वह ज्यादा मात्रा में आहार लेने लगती है और उसे बार-बार भूख लगने लगती है।

14. सिर में दर्द होना: गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण गर्भवती महिला को सिर दर्द होने की शिकायत हो सकती है।

15. पेट के निचले हिस्से में दर्द होना: गर्भ में भ्रूण प्रत्यारोपित होता है। इस वजह से गर्भवती महिला को पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत हो सकती है।

16. पीठ में दर्द होना: गर्भवती महिला को पीठ दर्द की समस्या भी हो सकती है। यह गर्भावस्था का शुरुआती लक्षण है, इसलिए इस दर्द से घबराना नहीं चाहिए।

प्रेगनेंसी की जानकारी या पुष्टि कैसे करते हैं, यह जानने के लिए लेख का अगला भाग जरूर पढ़ें।


प्रेगनेंसी की पुष्टि या प्रेगनेंसी टेस्ट

अगर किसी महिला को अपने शरीर में ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं, तो उसे जल्द से जल्द प्रेगनेंसी टेस्ट करा लेना चाहिए। गर्भवती महिलाएं यह टेस्ट खुद कर सकती हैं या फिर डॉक्टर से जांच करवा कर गर्भावस्था की पुष्टि की जा सकती है। नीचे उन तरीकों के बारे में बताया गया है, जिनकी मदद से गर्भवती महिलाएं अपनी गर्भावस्था की जांच या उसकी पुष्टि कर सकती हैं:

प्रेगनेंसी किट से जांच: आजकल बाजार में कई तरह की प्रेगनेंसी किट उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से खुद ही गर्भावस्था की जांच की जा सकती है। प्रेगनेंसी टेस्ट किट से गर्भावस्था की जांच करने के लिए, सुबह के पहले पेशाब के नमूने को एक छोटे पात्र में लेकर जांच किट के साथ दिए गए ड्रॉपर से कुछ बूंदें जांच पट्टी पर बने खांचे में डालें। इसके बाद 5 मिनट तक इंतजार करें। आपको एक या दो हल्की या गहरी गुलाबी लकीरें दिखाई देंगी। इन रंगीन लकीरों का मतलब समझने के लिए जांच किट के साथ दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। इन निर्देशों के आधार पर टेस्ट के नतीजे का पता लगाया जा सकता है।

यूरिन या ब्लड टेस्ट से पुष्टि: गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर से यूरिन या ब्लड टेस्ट करवाया जा सकता है। इस टेस्ट के नतीजे प्रेगनेंसी किट से मिले नतीजों से ज्यादा सटीक और विश्वसनीय माने जाते हैं।

अल्ट्रासाउंड से पुष्टि: अगर ऊपर बताए गए दोनों तरीकों से जांच करने के बाद भी गर्भावस्था को लेकर संशय बरकरार हो, तो अल्ट्रासाउंड तकनीक का सहारा लेना चाहिए। इस तकनीक से प्राप्त होने वाले नतीजे को सबसे सटीक माना जाता है।


प्रेगनेंसी के पहले महीने में शरीर में होने वाले बदलाव

गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भवती महिला के शरीर में नीचे दिए गए बदलाव नजर आ सकते हैं:

गर्भवती महिला को अपना शरीर पहले से ज्यादा फूला हुआ लग सकता है और उसे अपनी पीठ का हिस्सा थोड़ा तंग महसूस हो सकता है।

शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने और स्तन ग्रंथियों में वृद्धि होने के कारण गर्भवती महिला के स्तन का आकार बढ़ सकता है (4)।

शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण गर्भवती महिला के निप्पल ज्यादा काले और बड़े हो सकते हैं (4)।

अंडोत्सर्जन (ovulation) के एक सप्ताह या दस दिन के बाद तक गर्भवती महिला को स्पॉटिंग हो सकती है। ऐसा गर्भ में भ्रूण के प्रत्यारोपित होने के कारण होता है।

गर्भवती महिला की योनि से अधिक स्राव हो सकता है।

प्रेगनेंसी के पहले महीने में बच्चे का विकास और आकार

पहले महीने से ही गर्भ में शिशु के विकास की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। नीचे इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया है:

निषेचन की प्रक्रिया: शुक्राणुओं और अंडाणुओं का मिलन निषेचन कहलाता है। निषेचन की प्रक्रिया संभोग के दो से तीन दिन बाद शुरू हो सकती है। इस प्रक्रिया के शुरुआती चरण में शुक्राणुओं और अंडाणुओं के मिलन से एक युग्म बनता है। इस युग्म को अंग्रेज़ी में ‘जाइगोट’ कहते हैं।
प्रत्यारोपण की प्रक्रिया: निषेचन के बाद प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया में जाइगोट फैलोपियन ट्यूब से होकर गर्भाशय में पहुंचता है। चौथे से छठे दिन के बीच यह जाइगोट कई कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है। इसके बाद ये कोशिकाएं इकट्ठा होकर गेंद जैसा आकार ले लेती हैं। इसे ‘ब्लास्टोसिस्ट’ कहते हैं। अगर यह ‘ब्लास्टोसिस्ट’ दो से तीन दिन में गर्भाशय की दीवार से चिपक जाए, तो प्रत्यारोपण की प्रक्रिया सफलता के साथ पूरी हो जाती है।
भ्रूण का विकास: निषेचित अंडे विकसित होने पर एमनियॉटिक सैक का निर्माण होता है। इस दौरान प्लेसेंटा भी विकसित होने लगता है। बात की जाए शिशु के विकास की, तो इस दौरान चेहरा बनना शुरू होगा। आंखों की जगह काले घेरे नजर आएंगे। इस दौरान शिशु का निचला जबड़ा और गला बनना शुरू होगा। वहीं, रक्त कोशिकाएं बनकर रक्त संचार शुरू होगा। चौथे सप्ताह के अंत तक शिशु का दिल एक मिनट में 65 बार धड़कने लगेगा। इस महीने के अंत तक शिशु ¼ इंच का हो जाएगा, जो चावल के दाने से भी छोटा होगा (5)।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info