प्रेगनेंसी में इमली खाने का मन क्यों करता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

Tamarind during Pregnancy period : प्रेगनेंसी में इमली खाने से पहले जान लें ये बातें

हम सभी जानते हैं कि प्रेगनेंसी में खट्टी चीजों की क्रेविंग बहुत होती है। वहीं गर्भावस्‍था में खट्टी चीज खाने की क्रेविंग को शांत करने के लिए अचार और इमली से बेहतर और कोई विकल्‍प आपने नहीं सुना होगा लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि गर्भावस्‍था में इमली खानी चाहिए या नहीं?

हरे रंग के कीवी में कई पोषक तत्‍व होते हैं जो प्रेगनेंट महिला और गर्भस्‍थ शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। ये फल पौष्टिक होने के साथ-साथ स्‍वादिष्‍ट भी होता है।इसमें शुगर और फैट कम एवं विटामिन सी प्रचुरता में होता है। इसलिए प्रेग्‍नेंसी में कीवी खाना सही रहता है। वहीं कीवी में कोलेस्‍ट्रोल भी नहीं होता है। लेकिन अगर आपको गैस्‍ट्राइटिस की प्रॉब्‍लम है तो कीवी खाने से बचना चाहिए।यह भी पढ़ें : प्रेग्‍नेंसी में अमरूद खाना चाहिए या नहीं
आमतौर पर गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही से महिलाओं को प्रेगनेंसी क्रेविंग शुरू हो जाती है। प्रेगनेंसी में हार्मोंस में काफी उतार-चढ़ाव आता है जिसकी वजह से क्रेविंग होती है। अपनी गर्भावस्‍था के दौरान अमूमन हर महिला को खट्टी चीज खाने का मन किया होगा और इमली का नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ गया होगा।


हालांकि, प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपने आहार में किसी भी चीज को शामिल करने से पहले अच्‍छी तरह से सोच लेना चाहिए। अगर आप भी गर्भावस्‍था में इमली खाने की सोच रही हैं तो उससे पहले यहां जान लीजिए कि प्रेगनेंसी में इमली खा सकते हैं या नहीं।


गर्भावस्‍था के दौरान शरीर को कई बदलावों से गुजरना पड़ता है जैसे मूड स्विंग्‍स और खाने की आदतों में बदलाव आना। ऐसा माना जाता है कि प्रेग्‍नेंसी में महिलाओं का खट्टी चीजें जैसे नींबू, अचार और इमली खाने का बहुत मन करता है।

ये बात भी सामने आई है कि प्रेग्‍नेंसी की पहली तिमाही में क्रेविंग (कुछ खाने का मन करना) ज्‍यादा होती है। कुछ लोगों का मानना है कि प्रेग्‍नेंसी के दौरान इमली खाना नुकसानदायक हो सकता है लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो मॉडरेट मात्रा में इमली खाने से मां और शिशु को कुछ फायदे भी होते हैं।


प्रेगनेंसी में इमली खाना चाहिए या नहीं
जी हां, गर्भवती महिलाएं इमली खा सकती हैं। इसमें विटामिन ए और सी एवं कैल्शियम होता है और प्रोटीन, फाइबर और हेल्‍दी शुगर भी पाए जाते हैं। पैरासिटामोल, इबूप्रोफेन और एस्प्रिन जैसी दवाएं लेने के 24 घंटे बाद ही इमली खानी चाहिए। इमली को अपनी डायट में शामिल करने से पहले डॉक्‍टर से बात कर लें कि ये किस तरह आपके शरीर को प्रभावित कर सकती है। प्रेग्‍नेंसी की तीसरी तिमाही में इस बात का खास ख्‍याल रखें।
प्रेग्‍नेंसी में इससे ज्‍यादा कीवी खाया तो होगा नुकसान

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हरे रंग के कीवी में कई पोषक तत्‍व होते हैं जो प्रेगनेंट महिला और गर्भस्‍थ शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। ये फल पौष्टिक होने के साथ-साथ स्‍वादिष्‍ट भी होता है।

इसमें शुगर और फैट कम एवं विटामिन सी प्रचुरता में होता है। इसलिए प्रेग्‍नेंसी में कीवी खाना सही रहता है। वहीं कीवी में कोलेस्‍ट्रोल भी नहीं होता है। लेकिन अगर आपको गैस्‍ट्राइटिस की प्रॉब्‍लम है तो कीवी खाने से बचना चाहिए।


कीवी फल कई तरह से गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु को फायदा पहुंचा सकता है, जैसे कि :

भ्रूण के बौद्धिक विकास: में बहुत अहम भूमिका निभाता है। ये बच्‍चे के मस्तिष्‍क, तंत्रिका तंत्र का विकास करता है और न्‍यूरल डिफेक्‍ट को रोकता है। यह शिशु के महत्‍वपूर्ण अंगों के विकास के लिए जरूरी है और कीवी में फोलिक एसिड प्रचुरता में पाया जाता है।

जेस्‍टेशनल डायबिटीज : कीवी में नैचुरल शुगर होती है जो मीठा खाने की क्रेविंग को कंट्रोल करने में मदद करती है। इसका लो ग्‍लाइसेमिक इंडेक्‍स इंसुलिन बढ़ने से रो‍कता है जिससे ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है और प्रेग्‍नेंसी में जेस्‍टेशनल डायबिटीज से बचाव होता है।


कब्‍ज से छुटकारा : गर्भावस्‍था में कब्‍ज होना सामान्‍य बात है। कीवी में डायट्री फाइबर होते हैं तो आंत को साफ रखते हैं और कब्‍ज नहीं होने देते।

आयरन : प्रेग्‍नेंसी में आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया का खतरा रहता है जिसे कीवी में मौजूद आयरन से खत्‍म किया जा सकता है। ये फल बाकी खाद्य पदार्थों से आयरन के अवशोषण में भी मदद करता है।
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दुर्लभ ही कीवी से एलर्जी के मामले देखे जाते हैं लेकिन अगर आपके पहले से ही पराग कणों यानी पॉलन या लैटेक्‍स से एलर्जी है तो कीवी न खाएं।

इसके अलावा गले और मुंह में खुजली होने, हाइव्‍स या अन्‍य तरह की सूजन दिखने, पेट दर्द या उल्‍टी होने पर भी कीवी का सेवन बंद कर देना चाहिए।



गर्भवती महिला को एक दिन में एक कप कटा हुआ कीवी खाना चाहिए। इसके हिसाब से आप दिनभर में लगभग दो से तीन कीवी खा सकती हैं। अगर आपको गैस्‍ट्राइटिस, एलर्जी या पाचन से संबंधी कोई अन्‍य समस्‍या है तो कीवी खाने से पहले डॉक्‍टरी सलाह जरूर लें।

एसिडिटी, रैशेज और एलर्जी की स्थिति में गले में खराश हो सकती है। ऊपर बताई गई मात्रा में गर्भवती महिला कीवी का सेवन सुरक्षित रूप से कर सकती है।


प्रेगनेंसी में इमली खाने के फायदे
यदि मॉडरेशन में इमली खाई जाए तो इससे कई फायदे मिल सकते हैं, जैसे कि :

इमली के सूजन-रोधी गुण प्रेग्‍नेंसी की दूसरी और तीसरी तिमाही में एडियों में सूजन, पेट फूलने और मांसपेशियों में दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।
इमली में फ्लेवेनोएड्स और पॉलीफेनोल्‍स होते हैं जो जेस्‍टेशनल डायबिटीज से बचाव करते हैं।
इसमें मौजूद खनिज पदार्थ कुछ हद तक ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। मीठी इमली प्रेग्‍नेंसी में कब्‍ज को दूर करती है। इससे दस्‍त की समस्‍या से भी बचा जा सकता है।
गर्भावस्था में होने वाली मतली और मॉर्निंग सिकनेस को कम करने के लिए भी इमली खा सकते हैं।

शिशु के विकास में मददगार है
इमली में नियासिन होता है या विटामिन बी3, 4 होता है जो कि प्रेगनेंट महिला की रोजाना की पोषक तत्‍वों की 10 फीसदी आवश्‍यकता की पूर्ति करती है। ये आगे चलकर शिशु की नसों, मस्तिष्‍क और पाचन तंत्र के विकास में मदद करते हैं।

प्रेग्‍नेंसी में इससे ज्‍यादा कीवी खाया तो होगा नुकसान

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हरे रंग के कीवी में कई पोषक तत्‍व होते हैं जो प्रेगनेंट महिला और गर्भस्‍थ शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। ये फल पौष्टिक होने के साथ-साथ स्‍वादिष्‍ट भी होता है।

इसमें शुगर और फैट कम एवं विटामिन सी प्रचुरता में होता है। इसलिए प्रेग्‍नेंसी में कीवी खाना सही रहता है। वहीं कीवी में कोलेस्‍ट्रोल भी नहीं होता है। लेकिन अगर आपको गैस्‍ट्राइटिस की प्रॉब्‍लम है तो कीवी खाने से बचना चाहिए।


कीवी फल कई तरह से गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु को फायदा पहुंचा सकता है, जैसे कि :

भ्रूण के बौद्धिक विकास: में बहुत अहम भूमिका निभाता है। ये बच्‍चे के मस्तिष्‍क, तंत्रिका तंत्र का विकास करता है और न्‍यूरल डिफेक्‍ट को रोकता है। यह शिशु के महत्‍वपूर्ण अंगों के विकास के लिए जरूरी है और कीवी में फोलिक एसिड प्रचुरता में पाया जाता है।

जेस्‍टेशनल डायबिटीज : कीवी में नैचुरल शुगर होती है जो मीठा खाने की क्रेविंग को कंट्रोल करने में मदद करती है। इसका लो ग्‍लाइसेमिक इंडेक्‍स इंसुलिन बढ़ने से रो‍कता है जिससे ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है और प्रेग्‍नेंसी में जेस्‍टेशनल डायबिटीज से बचाव होता है।

कब्‍ज से छुटकारा : गर्भावस्‍था में कब्‍ज होना सामान्‍य बात है। कीवी में डायट्री फाइबर होते हैं तो आंत को साफ रखते हैं और कब्‍ज नहीं होने देते।

आयरन : प्रेग्‍नेंसी में आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया का खतरा रहता है जिसे कीवी में मौजूद आयरन से खत्‍म किया जा सकता है। ये फल बाकी खाद्य पदार्थों से आयरन के अवशोषण में भी मदद करता है।
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दुर्लभ ही कीवी से एलर्जी के मामले देखे जाते हैं लेकिन अगर आपके पहले से ही पराग कणों यानी पॉलन या लैटेक्‍स से एलर्जी है तो कीवी न खाएं।

इसके अलावा गले और मुंह में खुजली होने, हाइव्‍स या अन्‍य तरह की सूजन दिखने, पेट दर्द या उल्‍टी होने पर भी कीवी का सेवन बंद कर देना चाहिए।


गर्भवती महिला को एक दिन में एक कप कटा हुआ कीवी खाना चाहिए। इसके हिसाब से आप दिनभर में लगभग दो से तीन कीवी खा सकती हैं। अगर आपको गैस्‍ट्राइटिस, एलर्जी या पाचन से संबंधी कोई अन्‍य समस्‍या है तो कीवी खाने से पहले डॉक्‍टरी सलाह जरूर लें।

एसिडिटी, रैशेज और एलर्जी की स्थिति में गले में खराश हो सकती है। ऊपर बताई गई मात्रा में गर्भवती महिला कीवी का सेवन सुरक्षित रूप से कर सकती है।


प्रीमैच्‍योर बर्थ का खतरा
इमली में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ये शरीर में खून के वॉल्‍यूम को बढ़ाता है जिससे प्रीमैच्‍योर बर्थ यानी नौ महीने से पहले डिलीवरी होने का खतरा कम होता है। इससे शिशु में जन्‍म के समय वजन कम होने का जोखिम भी कम रहता है। प्रीमैच्‍योर बर्थ होना शिशु के लिए सही नहीं होता है। इस दौरान बच्‍चे का पूरा विकास नहीं हुआ होता है इसलिए प्रीमैच्‍योर बर्थ ठीक नहीं रहता है।

गर्भावस्‍था में इमली खाने के नुकसान
प्रेग्‍नेंसी में इमली खाने के फायदे के साथ-साथ नुकसान भी होते हैं लेकिन दुष्‍प्रभाव अधिक मात्रा में इमली खाने पर ही दिखते हैं। इमली ज्‍यादा खाने की वजह से ब्‍ल्‍ड शुगर का लेवल असंतुलित हो सकता है। अधिक मात्रा में इमली लेने से ब्‍लड प्रेशर के लेवल को नुकसान पहुंच सकता है।
चूंकि, प्रेग्‍नेंसी में कई खट्टी चीजें खाने का मन करता है इसलिए आप मॉडरेशन में इमली खा सकती है। कम या सीमित मात्रा में इमली खाने से कोई नुकसान नहीं होता है।

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