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उड़द की दाल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं। ये वो एसिड हैं, जो मानव शीर में प्राकृतिक रूप से नहीं बनते। उड़द दाल खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है।
अब जब आप गर्भवती हैं और सावधानी से सबकुछ खा रही हैं, तो आपको जानना चाहिए तिक आप काली उड़द खा सकती हैं या नहीं। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि उड़द की दाल खाना सुरक्षित नहीं है, लेकिन क्या वास्तव में यह सच है, जानने के लिए पढ़ें हमारा ये आर्टिकल।
गर्भवस्था में उड़द की दाल खाना सेफ है
उड़द दाल का सेवन गर्भवती महिला कुछ सावधानियों के साथ सुरक्षित रूप से कर सकती है। उड़द दाल में प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी-6 , मैग्नीशियम, , पोटेशियम, सोडियम जैसे पोषक तत्व बहुत अच्छी मात्रा में होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान उड़द की दाल खाने के फायदे
हर मां चाहती है कि उसके शिशु का दिमाग अच्छी तरह से विकसित हो। इसके लिए उड़द दाल खाना बेहद जरूरी है। दाल में पाए जाने वाले जरूरी फैटी एसिड भ्रूण के मास्तिष्क विकास में मदद करती है।
फाइबर से भरपूर उड़द की दाल अच्छे आंत बैक्टीरिया को बनाए रखने के लिए बहुत अच्छी है। यह बैक्टीरिया भोजन को पचाने में बहुत मदद करते हैं। वैसे भी गर्भावस्था में हर कुछ पचाना आसान नहीं होता, ऐसे में उड़द दाल खाना काफी सुरक्षित है।
गर्भावस्था के दौरान काली उड़द का सेवन
डायबिटीज वाली महिलाओं का कोलेस्ट्रॉल लेवल अक्सर गड़बड़ रहता है। अगर इसे नियंत्रण में रखना है, तो गर्भावस्था के दौरान काली उड़द का सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें मौजूद फैटी एसिड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकता है।
उड़द की दाल शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करती है। इसमें कई मिनरल्स होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाए रखते हैं। गर्भावस्था के दौरान उड़द की दाल का सेवन कम मात्रा में करने से हड्डियां मजबूत बनती हैं।
उड़द की दाल में आयरन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो एनीमिया को रोकने में काफी मदद करती है। इसे खाने के बाद एक गर्भवती महिला काफी ऊर्जावान महसूस कर सकती है।
कब्ज को रोके
काली उड़द फाइबर और मैग्नीशियम का बेहतरीन स्त्रोत है और गर्भावस्था के दौरान कब्ज एक आम समस्या है, लेकिन फाइबर से भरपूर उड़द दाल खाने से इस समस्या से बचा जा सकता है। फाइबर न केवल मल त्याग को आसान बनाता है, बल्कि इसमें मौजूद मैग्नीशियम कब्ज को रोकने में कारगार है।
गर्भावस्था के दौरान काली उड़द खाते समय बरतें सावधानी
उड़द की दाल को अच्छी तरह से धोकर उबाल आने तक पकाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें ई-कोलाई, लिस्टेरिया या साल्मोनेला जैसे खतरनाक बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो दाल को पकाने के बाद लगभग नष्ट हो जाते हैं।
ये बैक्टीरिया खासतौर से गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हैं। क्योंकि ये ऐसे रोग पैदा करते हैं, जो नवजात शिशु में समय से पहले प्रसव, गर्भपात, मृत जन्म जैसी समस्या को जन्म देते हैं।
गर्भावस्था के दौरान उड़द की दाल का सेवन अधिक मात्रा में न करें। जितना हो सके, कम मात्रा में खाएं। खासतौर से तब जब आपको एसिडिटी होने का खतरा हो।
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