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दाई या बाई किस करवट सोना गर्भवती महिला के लिए है फायदेमंद? जानें किस करवट से मिलता है आराम और फायदा
दाई या बाई किस करवट सोना गर्भवती महिला के लिए है फायदेमंद? जानें किस करवट से मिलता है आराम और फायदा
अगर आप एक ऐसी गर्भवती महिला हैं, जो पेट के बल सोना पसंद करती हैं तो अब आपके लिए ये कोई अच्छा विचार नहीं है। जानिए किस पोजिशन में सोना है बेस्ट।
जब भी कोई महिला गर्भवती होती है तो डॉक्टर और आपके प्रियजन आपको ढेर सारी सलाह देते हैं फिर चाहे वो आपको अच्छी लगे या बुरी। आपको इस दौरान साफ-शुद्ध खाने, पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स लेने, वर्कआउट करने और अनहेल्दी चीजों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा आपको रात को अच्छी नींद की भी जरूरत होती है, जो इस दौरान थोड़ा मुश्किल होता है। अगर आप एक ऐसी गर्भवती महिला हैं, जो पेट के बल सोना पसंद करती हैं तो अब आपके लिए ये कोई अच्छा विचार नहीं है। आइए जानते हैं प्रेगनेंसी में कौन सी पोजिशन में सोना आपके लिए ज्यादा अच्छा रहेगा।
बाई तरफ सोना है फायदेमंद
गर्भावस्था के दौरान ज्यादा डॉक्टर्स महिलाओं को अपनी बाई तरफ सोने की सलाह देते हैं और घुटने मोड़कर। ऐसा कहा जाता है कि ये सबसे आरामदायक पोजिशन में से एक है और सोने के लिए बेहतर स्थितिहै। चूंकि आपका लिवर पेट के दाहिने ओर स्थित होता है और बाई तरफ लेटने से आपके इस अंग को आराम मिलता है, जिसकी वजह से इसका काम करना आसान हो जाता है।
बाई ओर सोने के फायदे
इसके अलावा बाई ओर सोने से दिल का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और भ्रूण, यूट्रस, गुर्दे और इंफ्रीरियर वेना कावा में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इंफ्रीरियर वेना कावा इंसानी शरीर की सबसे बड़ी नस है, जो आपके पेट के नीचे वाली वॉल के पास होती है और सबसे बड़ी धमनी के दाई ओर होती है।
कब पोजिशन बदलने से होती है परेशानी
हालांकि सोने की पोजिशन को बदलने में कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। आप अचानक से अपनी पीठ के बल सो सकती हैं या फिर दाई ओर भी लेट सकती हैं। अगर आप असहज महसूस कर रही हैं तो ऐसा करना स्वभाविक है। लेकिन तीसरे और आखिरी ट्राइमस्टर के दौरान आपको अपनी पीठ के बल सोने में दिक्कत महसूस हो सकती हैं क्योंकि ये बिल्कुल भी सहज नहीं होता है।
किन पोजिशन में सोने से बचें
बहुत से एक्सपर्ट गर्भवती महिलाओं को दूसरे और तीसरे ट्राइमस्टर के दौरान पीठ के बल सोने से मना करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पीठ के बल सोने से आपका सार भार यूट्रस, बच्चे की पीठ, आंतों और शरीर की सबसे बड़ी नस पर पड़ने लगता है। इस दबाव से पीठ में दर्द और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसकी वजह से बवासीर भी हो सकता है। इतना ही नहीं इसकी वजह से लो ब्लड प्रेशर भी हो सकता है और आप थकान महसूस करती हैं।
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