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प्रेग्नेंसी में महिलाओं को शरीर में कई हिस्सों में दर्द महसूस होता है और इस समय उन्हें जोड़ों में दर्द भी होना भी आम बात है।
गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं लेकिन कुछ बदलाव बर्दाश्त से बाहर होते हैं। प्रेग्नेंसी में आए शारीरिक बदलावों की वजह से जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द बढ़ सकता है। इस समय हार्मोनल बदलावों के साथ बेबी बंप की वजह से भी गर्भाशय पर प्रेशर पड़ सकता है और आपको सही पोस्चर में रहने में दिक्कत आ सकती है। इससे जोड़ों पर भी स्ट्रेस पड़ता है और आपको असहज महसूस होने लगता है।इस आर्टिकल में हम आपको गर्भावस्था में होने वाले जोड़ों में दर्द के प्रमुख कारणों के बारे में बता रहे हैं।
जोड़ों में दर्द का कारण
मर्सी मेडिकल सेंटर के गायनेकोलोजिस्ट कैरोलिन कोक्स का कहना है कि प्रेग्नेंसी में कई कारणों से जोड़ों में दर्द होता है। इसमें रिलैक्सिन हार्मोन के कारण लिगामेंट के रिलैक्स होने, पैरों पर वजन के बढ़ते दबाव और पोस्चर में बदलाव आना शामिल है।
इसके अलावा प्रेग्नेंसी में जोड़ों में दर्द होने के और भी कुछ आम कारण हैं, जैसे कि :
गर्भाशय का बढ़ना
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलोजिस्ट के अनुसार, प्रेग्नेंसी में गर्भाशय के फैलने पर सेंटर ऑफ ग्रैविटी बदल जाती है और पेट की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।
सेंटर ऑफ ग्रैविटी बदलने पर स्ट्रेस पैदा होता है और कमर के निचले हिस्सों में जगह-जगह पर दर्द महसूस होने लगता है।
वजन बढ़ना
प्रेग्नेंसी में सिर्फ आपके पेट का ही वजन नहीं बढ़ता है। गर्भाशय के फैलने पर शरीर के अन्य हिस्से भी बढ़ते हैं। कूल्हों का खासतौर पर वजन बढ़ता है जिससे हड्डियों और जोड़ों पर स्ट्रेस पड़ने लगता है और लेटने, बैठने या चलने पर इन हिस्सों में दर्द महसूस होता है।
प्रेग्नेंसी हार्मोंस
प्रेग्नेंसी हार्मोंस रिलैक्सिन और प्रोजेस्टेरोन के रिलीज होने की वजह से जोड़ों के लिगामेंट नरम हो जाते हैं और इनमें दर्द होने लगता है। गर्भावस्था में रिलैक्सिन हार्मोन रिलीज होता है जो लिगामेंट्स को ढीला कर देता है।
ऐसा होने पर कुछ जोड़ अपनी सामान्य स्थिरता खो देते हैं जिससे रोजमर्रा के काम करने में जोड़ों में ढीलापन महसूस होता है।
पोस्चर प्रॉब्लम
शरीर के आगे वाले हिस्से पर ज्यादा वजन होने से पोस्चर में बदलाव आता है। बच्चे के बढ़ने पर आपके पेट के आसपास का वजन बढ़ जाता है जिससे कूल्हों और कमर के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। पोस्चर खराब होने की वजह से भी कूल्हों और कमर में दर्द होता है।
जोड़ों में दर्द से बचने का तरीका
नियमित एक्सरसाइज की मदद से आप जोड़ों के दर्द को कम कर सकती हैं। जिस जगह दर्द हो रहा है, उस हिस्से की गर्म सिकाई करने से भी आराम मिलता है। प्रेगनेंट महिलाओं को करवट लेकर सोना चाहिए और अपने दोनों पैरों के बीच तकिया लगाकर रखना चाहिए।
गर्भावस्था में मालिश की मदद से भी मांसपेशियों में दर्द की वजह से हो रहे जोड़ों के दर्द को कम किया जा सकता है। इस समय किसी प्रोफेशनल व्यक्ति से ही मालिश करवानी चाहिए।
अब तो आप जान गई होंगी कि गर्भावस्था में जोड़ों में दर्द क्यों होता है और किस तरह इसे कम किया जा सकता है।
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