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प्रेगनेंसी में किस महीने से उल्टी शुरू होती है?
गर्भावस्था का एक जाना पहचाना लक्षण है उल्टी। अमूमन हर महिला को प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में उल्टी होती ही है। इस समय उल्टी और मतली होने को मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है।
हरी सब्जियां, खासतौर पर हरी सब्जियां आयरन से युक्त होती हैं। इन्हें अपनी प्रेगनेंसी डायट में जरूर शामिल करें। अगर आपका हीमोग्लोबिन लेवल कम है तो आपको आयरन युक्त आहार से लाभ होगा। आयरन हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है जो कि लाल रक्त कोशिकाएं बनाता है।पालक, केल और ब्रोकली, धनिया, पुदीना और मेथीदाना आयरन से युक्त होता है। हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन और जरूरी पोषक तत्व होते हैं।यह भी पढ़ें : प्रेगनेंसी में पेट के बल सोना सही या गलत?
गर्भावस्था के सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है उल्टी होना। लगभग 70 फीसदी प्रेगनेंट महिलाओं को उल्टी और मतली होती ही है। हालांकि, कुछ महिलाओं को पूरे नौ महीने तक यह दिक्कत रह सकती है।
आइए जानते हैं कि गर्भावस्था में उल्टी कब शुरू होती है और उल्टी रोकने के घरेलू उपाय क्या हैं?
क्या प्रेगनेंसी में उल्टी होना नॉर्मल है
जी हां, गर्भावस्था में उल्टी होना सामान्य बात है। इसे नॉजिया और वॉमिटिंग इन प्रेगनेंसी (एनवीपी) भी कहा जाता है और इसका स्पष्ट कारण पता नहीं चल पाया है। एक थ्योरी के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान शरीर में आने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण ऐसा होता है।
दिन या रात में किसी भी समय प्रेगनेंट महिला को एनवीपी की दिक्कत हो सकती है। हालांकि, अधिकतर महिलाओं को प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक ही यह दिक्कत रहती है लेकिन कुछ मामलों में यह परेशानी तीसरी तिमाही तक भी रह सकती है।
मां और बच्चे के लिए खतरनाक हैं प्रेगनेंसी में मिलने वाले ये संकेत
वैसे तो प्रेगनेंसी के दौरान पेट में हल्की ऐंठन होना आम बात है लेकिन अगर तेज कॉन्ट्रैक्शन यानी संकुचन महसूस हो रहा है तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। डिलीवरी डेट से काफी समय पहले बार बार या दर्दभरी कॉन्ट्रैक्शन होना प्रीमैच्योर लेबर का संकेत हो सकता है।
इस बारे में तुरंत डॉक्टर को बताएं। डिलीवरी से कुछ दिनों पहले ही फॉल्स लेबर पेन भी होने लगता है जिसे महिलाएं समझ नहीं पाती हैं। अगर ये कॉन्ट्रैक्शन बहुत ज्यादा हो रही है तो इसे नजरअंदाज करना मां और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं है।
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती दिनों ब्लीडिंग की शिकायत होती है जोकि नॉर्मल बात है। इसे इंप्लांटेशन ब्लीडिंग भी कहा जाता है। अगर प्रेगनेंट महिला को खासतौर पर प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो इसे हल्के में न लें।
जिन महिलाओं में प्लेसेंटा गलत जगह पर होता है, उनमें इस तरह की ब्लीडिंग का खतरा अधिक होता है। ये मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होता है।
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गर्भावस्था के समय में वैजाइनल डिस्चार्ज होना सामान्य बात है लेकिन पतला फ्लूइड निकलना खतरनाक हो सकता है। आमतौर पर यह पानी की थैली फटने का संकेत हो सकता है और ऐसा डिलीवरी डेट से कुछ दिन पहले होता है। ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
गर्भ में शिशु के आसपास एमनिओटिक फ्लूइड होता है तो शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। इसी एमनिओटिक फ्लूइड को पानी की थैली कहा जाता है। शिशु के विकास के लिए यह बहुत जरूरी होता है। यदि समय से पहले पानी की थैली फट जाए तो कोई गंभीर जटिलता पैदा हो सकती है।
प्रेगनेंसी के आखिरी दो महीनों में चक्कर आने और आंखों से धुंधला दिखाई दे सकता है। अगर आपको फोकस करने में दिक्कत आ रही है या धुंधला दिखाई दे रहा है तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। डायबिटीज से ग्रस्त प्रेगनेंट महिलाओं के लिए खासतौर पर दिक्कत हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दिनों में हाथ पैरों या अन्य अंगों में सूजन होना आम बात है लेकिन अगर सूजन वाली जगह पर दर्द हो या उस पर लालिमा और रैशेज आ जाए तो यह चिंता की बात हो सकती है।
खून का थक्का जमने के कारण ऐसा हो सकता है इसलिए अपनी स्किन पर बारीकी से नजर रखें। हाथ या पैर में दर्दभरी सूजन आए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
प्रेगनेंसी में उल्टी कब से शुरू होती है
गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही के चौथे से छठे हफ्ते से ही उल्टी की दिक्कत होने लगती है। इस समय गर्भाशय में इंप्लांटेशन पूरा होता है। शुरुआती तीन महीने खत्म होने पर उल्टी की शिकायत भी खत्म हो सकती है। अगर आपकी यह प्रॉब्लम कम होने की बजाय बढ़ गई है तो इसे हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम कहते हैं। यह एक गंभीर स्थिति है लेकिन अगर किसी प्रेगनेंट महिला काे उल्टी का लक्षण नहीं दिख रहा है तो घबराने की कोई बात नहीं है।
प्रेगनेंसी में उल्टी क्यों आती है
गर्भावस्था के दौरान हार्मोंस में उतार चढ़ाव बहुत आता है और इसी के कारण उल्टी हो सकती है। माना जाता है कि प्रेगनेंसी हार्मोन एस्ट्रोजन के बढ़ने की वजह से उल्टी की दिक्कत होती है। वहीं, प्रेगनेंट महिला के अत्यधिक स्ट्रेस लेने पर भी उल्टी ट्रिगर हो सकती है।
गर्भवती महिला का पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा भारी चीजें पचाने में दिक्कत होती है। ऐसे में भी उल्टी होने की संभावना रहती है।
मां और बच्चे के लिए खतरनाक हैं प्रेगनेंसी में मिलने वाले ये संकेत
वैसे तो प्रेगनेंसी के दौरान पेट में हल्की ऐंठन होना आम बात है लेकिन अगर तेज कॉन्ट्रैक्शन यानी संकुचन महसूस हो रहा है तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। डिलीवरी डेट से काफी समय पहले बार बार या दर्दभरी कॉन्ट्रैक्शन होना प्रीमैच्योर लेबर का संकेत हो सकता है।
इस बारे में तुरंत डॉक्टर को बताएं। डिलीवरी से कुछ दिनों पहले ही फॉल्स लेबर पेन भी होने लगता है जिसे महिलाएं समझ नहीं पाती हैं। अगर ये कॉन्ट्रैक्शन बहुत ज्यादा हो रही है तो इसे नजरअंदाज करना मां और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं है।
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती दिनों ब्लीडिंग की शिकायत होती है जोकि नॉर्मल बात है। इसे इंप्लांटेशन ब्लीडिंग भी कहा जाता है। अगर प्रेगनेंट महिला को खासतौर पर प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो इसे हल्के में न लें।
जिन महिलाओं में प्लेसेंटा गलत जगह पर होता है, उनमें इस तरह की ब्लीडिंग का खतरा अधिक होता है। ये मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होता है।
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गर्भावस्था के समय में वैजाइनल डिस्चार्ज होना सामान्य बात है लेकिन पतला फ्लूइड निकलना खतरनाक हो सकता है। आमतौर पर यह पानी की थैली फटने का संकेत हो सकता है और ऐसा डिलीवरी डेट से कुछ दिन पहले होता है। ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
गर्भ में शिशु के आसपास एमनिओटिक फ्लूइड होता है तो शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। इसी एमनिओटिक फ्लूइड को पानी की थैली कहा जाता है। शिशु के विकास के लिए यह बहुत जरूरी होता है। यदि समय से पहले पानी की थैली फट जाए तो कोई गंभीर जटिलता पैदा हो सकती है।
प्रेगनेंसी के आखिरी दो महीनों में चक्कर आने और आंखों से धुंधला दिखाई दे सकता है। अगर आपको फोकस करने में दिक्कत आ रही है या धुंधला दिखाई दे रहा है तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। डायबिटीज से ग्रस्त प्रेगनेंट महिलाओं के लिए खासतौर पर दिक्कत हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दिनों में हाथ पैरों या अन्य अंगों में सूजन होना आम बात है लेकिन अगर सूजन वाली जगह पर दर्द हो या उस पर लालिमा और रैशेज आ जाए तो यह चिंता की बात हो सकती है।
खून का थक्का जमने के कारण ऐसा हो सकता है इसलिए अपनी स्किन पर बारीकी से नजर रखें। हाथ या पैर में दर्दभरी सूजन आए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।
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प्रेगनेंसी में उल्टी होने पर क्या करें
सुबह नाश्ते में टोस्ट, अनाज आदि खाएं। वहीं, रात को सोने से पहले चीज या हाई प्रोटीन स्नैक खाएं। दिनभर फलों का ताजा रस और पानी पीती रहें। एक ही बार में ज्यादा पानी या जूस पीने की गलती न करें।
हर दो से तीन घंटे में थोड़ा-थोड़ा खाना या स्नैक्स जरूर खाएं। एक बार में ही ज्यादा खाने से बचें। तेज खुशबू वाली चीजें खाने से बचें।
उल्टी रोकने के घरेलू उपाय
कुछ घरेलू उपायों की मदद से प्रेगनेंसी में उल्टी होने की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है।
अदरक की चाय : अदरक की चाय उल्टी को रोकने के साथ पाचन में सुधार और एसिडिटी कम करती है। आप अदरक का एक टुकड़ा भी चबा सकती हैं।
संतरा : संतरे में सिट्रिक एसिड होता है जिसे सूंघने पर मतली ठीक होती है। आप संतरे का जूस भी पी सकती हैं या इसे सूंघने से भी आराम मिलता है।
नींबू पानी: नींबू खनिज पदार्थों से युक्त होता है और गर्भावस्था में होने वाली मतली और उल्टी को रोकने का भी गुण रखता है।
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