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प्रेगनेंसी के दौरान कई तरह के टेस्ट करने पड़ते हैं और सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। ऐसी ही एक सावधानी ये भी है कि प्रेगनेंट महिलाओं को 3-9 महीने के अंदर टिटनेस इंजेक्शन की सीरीज़ लगाने के लिए कहा जाता है। टिटनेस एक जानलेवा बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। ये क्लोस्ट्रिडियम टेटानी कहे जाने वाले बैक्टेरियम के टॉक्सिन से होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान टिटनेस वैक्सीनेशन क्यों ज़रूरी है?
टिटनेस इंसान के नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। ये बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। हालांकि वैक्सीनेशन से इस जानलेवा बीमारी का बचाव होता है। गर्भवती महिलाएं जब वैक्सीनेशन लेती हैं तो उसका असर गर्भ तक होता है जिससे बच्चा गर्भ में रहने और बाहर निकलने के बाद कुछ वक्त तक सुरक्षित रहता है। टिटनेस बैक्टीरिया खुले ज़ख्म जैसे कि कट जाने पर, जली हुई त्वचा से, अल्सर या खरोच आदि से से शरीर में पहुंच जाते हैं। गर्भस्थ शिशु को गर्भवती महिला को इस बीमारी से बचाने के लिए ये वैक्सीन जरूर लेनी चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान वैक्सीनेशन के कितने शॉट्स दिये जाते हैं?
आपका डॉक्टर आपसे प्रेगनेंसी के तीन महीने बाद टिटनेस के इंजेक्शन लगवाने के लिए कह सकता है। आपको दो इंजेक्शन लगाने पड़ सकते हैं। पहले और दूसरे इंजेक्शन के बीच में 4 हफ्तों का फर्क होना चाहिए। कई बार 6 महीने के बाद भी इंजेक्शन लगाने की सलाह दी जाती है।
क्या टिटनेस का इंजेक्शन न लगाने से भी काम चल सकता है?
नहीं, टिटनेस का इंजेक्शन लगवाना जरूरी है। प्रेगनेंसी के दौरान मां और बच्चे को बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाने के लिए ये इंजेक्शन लगवाना बहुत जरूरी है। प्रेगनेंसी में इम्यूनिटी बहुत कम हो जाती है, ऐसे में अगर आप टिटनेस का इंजेक्शन नहीं लगवाएंगी तो जोखिम बढ़ जाएगा।
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