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ब्लीडिंग रोकने का है एक कारगर इलाज
5 वर्ष पहले
अधिक रक्तस्राव कई बार शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को निकालने के लिए मजबूर कर देता है तो कई बार यह मौत का कारण भी बन सकता है। एंबोलाइजेशन थेरेपी इस समस्या का एक बहुत ही सरल तरीका है, जिसके बारे में लोगों को बहुत जानकारी नहीं होने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जानिए क्या होता है इस इलाज में, कौन करता है इस इलाज को और किस तरह के मरीजों को इस इलाज से फायदा होता है।
कौनकरता है इलाज : यहइलाज इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट या इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट करते हैं। इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट ब्रेन की बीमारी में भी इस काम को अंजाम देते हैं।
कैसेहोता है एंबोलाइजेशन थेरेपी : इसप्रक्रिया में त्वचा में एक इंजेक्शन दे कर पहले एंजियोग्राफी की जाती है फिर ब्लीडर को आइडेंटिफाई किया जाता है और उसके बाद कैथेटर के द्वारा ही राई के दाने के बराबर की दवाई ब्लीडिंग वाले ऑर्टरी में डाली जाती है। थोड़े ही देर में ब्लीडिंग बंद हो जाती है। कभी-कभी इसमें कॉयल जैसी इंप्लांट भी डाली जाती है। यह बहुत ही कारगर इलाज है, जिसके बारे में कई डॉक्टर और मरीजों को सही जानकारी नहीं है। जिसके चलते बहुत लोग इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं। अभी हाल में डॉ. दीपक गुप्ता जो मेडिका हॉस्पिटल में सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट हैं, ने कुछ लोगों को इस एंबोलाइजेशन इलाज से किडनी और बच्चेदानी निकालने से बचाया है।
केसस्टडी
1.पोस्टमार्टम हेमरेज: कभी-कभीडिलीवरी के बाद बच्चेदानी से रक्तस्राव इतना ज्यादा होता है और किसी भी तरीके से नहीं रुकता है तो गायनीकोलॉजिस्ट इसे एंबोलाइजेशन थेरेपी के लिए रेफर करते हैं। रातू रोड के एक ऐसे ही मरीज शबनम सिंह की डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग नहीं रुकने से उसे एंबोलाइजेशन थेरेपी द्वारा ब्लीडिंग रोक दी गई। इससे वह कम उम्र में बच्चेदानी निकालने की परेशानी से बच गईं।
2.रामगढ़के एक मरीज और इसी तरह डाल्टनगंज का एक मरीज अशोक चौबे का पथरी का इलाज के बाद लगातार पेशाब से ब्लड रहा था। यूरोलॉजिस्ट ने दोनों मरीजों को एंबोलाइजेशन थेरेपी के लिए डॉक्टर को रेफर कर दिया। इन दोनों को एंबोलाइजेशन थेरेपी से ब्लीडिंग बंद कर दिया गया और उनकी किडनी निकलने से बची। कभी-कभी स्टोमैक और इंटेस्टाइन से ब्लीडिंग रोकने के लिए भी यह इलाज सफल होता है। बच्चेदानी में फाइब्रायड का इलाज भी कभी-कभी इस तरीके से किया जाता है। जब ऑपरेशन का रिस्क ज्यादा होता है तो कम रिस्क में एंबोलाइजेशन थेरेपी द्वारा सफलता प्राप्त की जा सकती है। न्यूरो इंटरवेंशनल द्वारा ब्रेन के एवी मल्फॉमेशन और अनियरिज्म का भी इस थेरेपी से सफल इलाज किया जाता है। ट्रॉमा में इंटरनल ब्लीडर को बंद करने में भी इसका फायदा है।
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