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पहली तिमाही के दौरान उल्टी और मितली की वजह से महिला के आहार में काफी बदलाव आ जाता है, जो कब्ज की समस्या पैदा कर सकता है. वहीं तीसरी तिमाही में बढ़े हुए गर्भ का दबाव महिला के मलाशय पर पड़ता है. इसकी वजह से भी कब्ज की समस्या उन्हें परेशान करती है. एनीमिया से बचाव या उपचार के लिए दिए जा रहे आयरन सप्लीमेंट के कारण भी कब्ज की समस्या हो सकती है.
इस तरह के उपाय आएंगे काम
1- अधिक से अधिक फाइबरयुक्त चीजों का सेवन करें. इसके लिए साबुत अनाज, संतरा-मौसमी जैसे रेशेदार फल, अमरूद, गाजर सेब, केला, स्ट्रॉबेरी, अंजीर, स्वीट कॉर्न और फूलगोभी वगैरह को अपनी डाइट में शामिल करें.
2- फाइबर की मात्रा धीरे-धीरे अपने आहार में बढ़ाएं. एकसाथ ज्यादा लेने से पेट में मरोड़ की समस्या हो सकती है. एक बार में भोजन करने की बजाय थोड़ा-थोड़ा करके दिनभर में खाएं. इसके अलावा जब भी ऐसा आहार लें तो पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं.
3- ज्यादा से ज्यादा तरल आहार लें. दिन में दो-दो घंटों पर फलों का रस, नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी और लस्सी वगैरह पिएं. कम से कम आठ से 12 गिलास पानी पिएं. सुबह की शुरुआत हल्का गुनगुना पानी पीकर करें.
4- फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं. डॉक्टर द्वारा निर्देशित एक्सरसाइज और योग करें. सुबह व शाम कुछ देर चहलकदमी करें.
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