प्रेग्नेंट कैसे चेक किया जाता है?pregnancytips.in

Posted on Sun 29th May 2022 : 02:56

प्रेगनेंट हैं या नहीं, कन्फ्यूज हैं? तो जानिए कैसे करना है प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल?
प्रेगनेंसी चाही हो या अनचाही, इसका समय पर पता लगाना जरूरी है। इसके लिए प्रेगनेंसी टेस्ट किट सबसे ईज़ी तरीका है। पर अगर आप इसका ठीक तरह से इस्तेमाल करना नहीं जानती हैं, तो आपकी मदद के लिए हम यहां हैं।
Pregnant hone se pehle kuch test karana jaoori hai
गर्भवती होने से पहले कुछ टेस्ट कराना जरूरी है

हर बार पीरियड मिस होने का अर्थ सिर्फ प्रेगनेंट होना नहीं होता। जबकि कई दुर्लभ मामलों में प्रेगनेंसी के बावजूद आपको हल्की स्पॉटिंग होती रहती है। हालांकि ऐसा बहुत कम होता है, पर इसकी संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जब गर्भ निरोधक के इस्तेमाल में लापरवाही हो जाती है और आप प्रेगनेंट हो जाती हैं। मामला कोई भी हो, आपको अपनी सेहत का पूरा ख्याल रखना चाहिए। और इसमें प्रेगनेंसी का समय से पता लगना जरूरी है। लैब में यूरिन सैंपल देकर टेस्ट करवाना सबसे स्पष्ट तरीका है। पर जब आपके पास इतना समय न हो तो आप टेस्ट के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट किट चुनती हैं। आइए जानें कि आप घर पर ही प्रेगनेंसी टेस्ट किट (How to use pregnancy test kit) के इस्तेमाल से अपनी प्रेगनेंसी का पता लगा सकती हैं।
प्रेगनेंसी टेस्ट किट है सस्ता और सुलभ माध्यम
कई विकल्प होने के बावजूद ज्यादातर स्त्रियां प्रेगनेंसी चेक करने के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल करती हैं। इसकी वजह है, इसका सस्ता और सुलभ होना। इस पर प्रेगनेंसी टेस्ट करना न सिर्फ आसान है, बल्कि आप इसके रिजल्ट पर 99 फीसदी भरोसा कर सकती हैं।

सबसे सुविधाजनक बात यह है कि आपको इसे अपने नज़दीकी कैमिस्ट से खरीदने के लिए किसी डॉक्टरी प्रेसक्रिप्शन की जरूरत नहीं है। आप कहीं से भी इसे बेझिझक खरीद सकती हैं।
इन स्टेप्स को फॉलो कर आप बस 5 मिनट में अपनी प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकती हैं
स्टेप 1 : सुबह का पहला पेशाब कंटेनर में इकट्ठा करें

सबसे पहले अपने सुबह के पेशाब को एक साफ कंटेनर में इकट्ठा करें। इसके लिए बहुत बड़ा कंटेनर होने की जरूरत नहीं है। प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए आपको बहुत थोड़े से यूरिन की जरूरत होगी।
स्टेप 2 : पैकेट को खोलें और दिए गए निर्देशों को पढ़ें

पैकेट को खोलकर प्रेगनेंसी टेस्ट किट के साथ दी गई एक छोटी पर्ची को पढ़ना जरूरी है। इसमें कुछ निर्देश दिए गए होते हैं, जो आपको टेस्ट किट का इस्तेमाल करने में मदद करेंगे। हालांकि ज्यादातर किट एक ही तरह से फंक्शन करती हैं, पर कुछ बदलाव होने पर आपको इसे पढ़ने के बाद सुविधा होगी।
स्टेप 3 : ड्रॉपर की मदद से यूरिन को टेस्ट किट में डालें

प्रेगनेंसी टेस्ट किट में एक ड्रॉपर दिया गया होता है। उस ड्रॉपर में पेशाब की बूंदें लेकर उसे टेस्ट किट में दिए गए सैंपल वेल पर डालें। इसके बाद परिणाम तैयार होने तक पांच मिनट तक इंतजार करें।
स्टेप 4 : एक गुलाबी लाइन का संकेत

पांच मिनट बाद टेस्ट किट पर गुलाबी लाइन दिखने लगेगी। अगर वहां एक गुलाबी लाइन दिखती है, तो इसका अर्थ है कि आप प्रेगनेंट नहीं हैं।

स्टेप 5 : दो गुबाली लाइनों का संकेत

टेस्ट किट पर दो गुलाबी लाइनें दिखने का अर्थ है कि आप गर्भवती हैं। अब आपको आगे की तैयारी करनी हैं।

2 pink lines ka sanket


स्टेप 6 : दो तरह की लाइनों का संकेत

कभी-कभी टेस्ट किट पर एक गुलाबी और एक गहरी नीली लाइन दिखती है। इसका अर्थ है कि आपका टेस्ट फेल है। आपको दूसरी किट लेकर दोबारा टेस्ट करने की जरूरत है।

2 different lines ka sanket
टेस्ट किट को एक साथ खरीद कर स्टोर न करें, क्योंकि इनकी भी एक्सपायरी डेट होती है।
प्रेगनेंसी टेस्टिंग किट सेल्फ यूज के लिए है। हो सकता है कि जब आप स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें तो वह आपको दोबारा टेस्ट करने की सलाह दें।

टेस्ट किट को यूज करने के बाद उसे तुरंत फेंक दें। ये दोबारा यूज के लिए नहीं होते।
पानी की दीवानी हूं और खुद से प्‍यार है। प्‍यार और पानी ही जिंदगी के लिए सबसे ज्‍यादा जरूरी हैं।
यदि आप अपने पीरियड्स न होने से चिंतित हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि एमेनोरिया (amenorrhea) क्या है! स्त्री रोग विशेषज्ञ से इसके बारे में जानने के लिए पढ़ें।
क्या यह चिंता का विषय नहीं है कि महीनों तक आपके पीरियड्स बिना किसी कारण के गायब हो जाते हैं। अगर आपका मासिक धर्म समय पर नहीं आता है, तो यह आप सभी के लिए वास्तव में चिंताजनक हो सकता है। हालांकि, यह सच है कि हर महिला का मासिक धर्म अलग होता है। कुछ की अवधि कम होती है, जबकि अन्य में लंबी अवधि होती है। लेकिन अगर आपको दो या तीन महीने से अधिक समय से मासिक धर्म नहीं आया है, तो यह चिंता का विषय है।
पीरियड्स मिस होने की स्थिति में, पैनिक अलार्म बजना शुरू हो जाएगा। वह लंबा चक्र आपको तुरंत सोचने पर मजबूर कर सकता है कि आप परेशानी में हैं और आपके स्वास्थ्य के साथ कुछ गलत हो रहा है। इसलिए यदि आपको प्यूबर्टी के बावजूद पीरियड्स नहीं आ रहे हैं, तो आप गर्भवती नहीं हैं। या आप रजोनिवृत्ति से नहीं गुजर रहीं हैं, बल्कि आप एमेनोरिया से पीड़ित हो सकती हैं।
क्या है एमेनोरिया?

एमेनोरिया कोई बीमारी नहीं है और यहां तक ​​कि अनियमित पीरियड्स की स्थिति भी नहीं है। यह लंबे समय तक मासिक धर्म चक्र की अनुपस्थिति है। एमेनोरिया दो प्रकार का होता है:
1. प्राइमरी एमेनोरिया (Primary Amenorrhea)

प्राइमरी एमेनोरिया को प्यूबर्टी के बाद मासिक धर्म न आने की स्थिति को कहा जाता है।
2. सेकेंडरी एमेनोरिया (Secondary Amenorrhea)

सेकेंडरी एमेनोरिया एक महिला द्वारा तीन या अधिक पीरियड्स की अनुपस्थिति की स्थिति है। खासकर जिन्हें पहले पीरियड्स हो चुके हैं।

मातृत्व अस्पताल, खारघर, मुंबई की सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ सुरभि सिद्धार्थ, का कहना है कि यह स्थिति अस्थायी या स्थायी हो सकती है। लेकिन ज्यादातर मामलों में इसका इलाज किया जा सकता है।
Periods miss hone par doctor se sampark kare
पिरियड्स मिस होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। चित्र : शटरस्टॉक
लेकिन पीरियड्स मिस होने या एमेनोरिया होने का क्या कारण है?

एमेनोरिया अक्सर एक बीमारी के बजाय किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का संकेत होता है, जो कई कारणों से हो सकता है। लेकिन प्राइमरी एमेनोरिया और सेकेंडरी एमेनोरिया के अलग-अलग कारण होते हैं।
आइए पहले समझते हैं कि प्राइमरी एमेनोरिया क्या होता है:
1. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), एक अतिसक्रिय थायरॉयड ग्रंथि (hyperthyroidism), या अंडरएक्टिव थायरॉयड ग्रंथि (hypothyroidism), पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर जैसी कुछ स्थितियां हार्मोनल उतार-चढ़ाव का कारण बनती हैं। यह प्राइमरी एमेनोरिया और अन्य मासिक धर्म अनियमितताओं का कारण बन सकती हैं।
2. संरचनात्मक समस्याएं (Structural Problems)
डॉ सुरभि कहती हैं, “क्या आप जानते हैं कि यूटरीन स्कारिंग जैसे मुद्दे भी एमेनोरिया को आमंत्रित कर सकते हैं क्योंकि यह किसी के यूटरस लाइन के सामान्य निर्माण और बहाव को रोक देता है। अगर योनि में किसी प्रकार की रुकावट है तो यह समस्याग्रस्त हो सकता है क्योंकि इससे प्राइमरी एमेनोरिया हो सकता है।”
3. क्रोमोसोम या जेनेटिक असामान्यताएं (Chromosomal or genetic abnormalities)
क्रोमोसोमल या यहां तक ​​​​कि अंडाशय के साथ जेनेटिक समस्याएं प्राइमरी एमेनोरिया का कारण बन सकती हैं।
Adhik vajan hai missing periods ka kaaran
अधिक वजन हो सकता है मिस्ड पिरियड्स का कारण।
जानिए सेकेंडरी एमेनोरिया के कारण:

1. कीमोथेरेपी और रेडिएशन सेकेंडरी एमेनोरिया या अवधि की अनुपस्थिति का कारण बन सकते हैं।

2. गर्भावस्था और स्तनपान, रजोनिवृत्ति, गर्भ निरोधकों का उपयोग भी इस स्थिति का कारण बन सकता है।

3. अन्य कारणों में तनाव, कुछ दवाएं, मोटापा, कम वजन, खराब पोषण, या कोई भी पुरानी बीमारी है हो सकती है। इसके कारण कोई व्यक्ति सेकेंडरी एमेनोरिया का अनुभव कर सकता है।
तो क्या इस स्थिति का इलाज करने का कोई तरीका है?

एमेनोरिया उपचार के साथ ठीक किया जा सकता है। कुछ उपचार विकल्पों के लिए अपने आहार और अपनी जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, ये एमेनोरिया को प्रबंधित करने के कुछ तरीके हैं:
1. वजन घटाना (Weight loss)

मोटापा सेकेंडरी अमेनोरिया के कारणों में से एक है। इसलिए अगर आपका वजन अधिक है तो आपको आहार और व्यायाम की मदद से वजन कम करना होगा क्योंकि अधिक वजन होना आपके मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है।
Healthy rehne k eliye periods cycle ko regulate kare
स्वस्थ रहना है तो अपने पिरियड्स साइकिल को नियमित करें।
2. हार्मोनल थेरेपी (Hormonal Therapy)

मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन मुख्य रूप से हार्मोनल असंतुलन का परिणाम होता है जिसका उपचार हार्मोनल थेरेपी द्वारा किया जा सकता है। इसलिए यदि आप एमेनोरिया से जूझ रहे हैं, तो आपको डॉक्टर के सुझाव के अनुसार हार्मोनल थेरेपी लेनी होगी।
3. तनाव प्रबंधन (Stress Regulation)

तनाव आपके मासिक धर्म का एक बड़ा दुश्मन है। इससे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है जो आपके चक्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इसलिए आपको योग या ध्यान करके तनाव कम करना होगा।
इस स्थिति के लिए चिकित्सीय सलाह कब लें?

यदि आप इस स्थिति से पीड़ित हैं, या यदि आपके मासिक धर्म 3-4 बार चूक गए हैं, तो देर न करें और तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
ये हेल्‍थ शॉट्स के विविध लेखकों का समूह हैं, जो आपकी सेहत, सौंदर्य और तंदुरुस्ती के लिए हर बार कुछ खास लेकर आते हैं।
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तनाव के कारण महिलाओं की सेक्सुअल लाइफ हो सकती है प्रभावित, जानिए बचाव के उपाय
वैसे तो महिला और पुरुष दोनों ही तनाव से गुजरते हैं। हालांकि, तनाव लेने का असर पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से ज्यादा कष्टकारी होता है। ऐसे में ये टिप्स आपके स्ट्रेस रिलीज में मदद कर सकती हैं।
तनाव आपके स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकता है।
तनाव का असर भावनात्मक रिश्तों और शारीरिक तकलीफ को जन्म देता है। इसके कारण कई तरह की परेशानियों, निराशा, भय और दुख का सामना करना पड़ता है। तनाव से मुक्त रहने के लिए सकारात्मकता और सक्रियता बेहद आवश्यक है। अगर, आप तनाव के समय खुद को निष्क्रिय रखते हैं तो कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो सकती है। वैसे तो महिला और पुरुष दोनों ही तनाव का अनुभव करते हैं। हालांकि, दोनों इसको प्रकट अलग-अलग तरीके से करते हैं। तनाव के कारण महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक परेशान होती है।
तनाव या स्ट्रेस महिलाओं के लिए कैसे नुकसानदायक है?
1. भावनात्मक असर (Emotional effects)

स्ट्रेस का सबसे ज्यादा प्रभाव महिलाओं में भावनात्मक रूप में देखा जाता है। इसके कारण महिलाएं चिड़चिड़ी, मूडी, उदास या अधिक भावुक हो सकती है। लंबे समय तक तनाव लेने से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अवसाद बढ़ जाती है। कई बार छोटे काम भी सिर दर्द बन जाते हैं। कुछ महिलाएं तनाव से निजात पाने के लिए मादक पदार्थों का सेवन करने लगती हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी नुकसानदायक है।
2. सिरदर्द (Headaches)

अत्यधिक तनाव के कारण सिरदर्द, माइग्रेन, सुस्ती और सिर में जकड़न की परेशानी आ सकती है। कभी-कभी यह कंधे में दर्द का कारण भी बन सकता है। इससे दैनिक कामकाज में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
3. हार्ट डिजीज (Cardiac problem)

तनाव के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिल के दौरे का खतरा अधिक बढ़ जाता है। दरअसल, तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन कोर्टिसोल एक समय पर धमनियों को संकरा कर देता है। इससे खून पर्याप्त मात्रा में हार्ट तक नहीं पहुंच पाता है। कई बार महिलाएं तनाव के कारण पिज्जा, चॉकलेट और आइसक्रीम जैसे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करती है। इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने की आशंका होती है। कई बार धूम्रपान और शराब की लत लग जाती है, जिससे हार्ट अटैक आने की संभावना अधिक रहती है।
Stress sir dard ka kaaran banta hai
अधिक तनाव सिरदर्द का कारण बनता है।
4. वजन बढ़ना (Weight gain)

साथ ही कोर्टिसोल कई बार भूख में इजाफा कर देता है जिससे शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ने की आशंका रहती है। तनाव में कई बार लोग भावुक हो जाते हैं और भोजन छोड़ने और जंक फूड खाने की लत पड़ सकती है। वहीं तनाव में महिलाएं उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करती हैं, इसके चलते कोर्टिसोल पाचन क्रिया धीमी कर देता है जिससे सामान्य से भी कम कैलोरी खपत होती है।
5. पीरियड्स की समस्याएं (Menstrual problems)

कई स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना हैं कि पीरियड्स में अनियमितता का सबसे आम कारण तनाव है। दरअसल, कोर्टिसोल हार्मोन पीरियड्स को नियंत्रित करता है। इस कारण से पीरियड्स का समय बढ़ जाता है और अत्यधिक दर्द होता है। साथ ही यह पीरियड्स को उस समय तक रोक भी सकता है, जब तक कि कोर्टिसोल का लेवल सामान्य नहीं हो जाता। लंबे समय तक उच्च कोर्टिसोल लेवल पीरियड्स से गुजर रही महिलाओं के संक्रमण को कठिन बना सकता है। इस वजह से नींद नहीं आना समेत दूसरी परेशानियां आती है। तनाव प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए बाधा बन सकता है।
6. सेक्स की इच्छा में कमी (Lack of sexual appetite)

तनाव का असर कई बार सेक्सुअल लाइफ पर पड़ता है। लंबे समय तक तनाव से कोर्टिसोल सेक्स हार्मोन को दबाने की कोशिश करता है, जिससे यौन इच्छाओं पर इसका असर पड़ता है। कई बार महिलाएं अंतरंग सम्बन्धों का आनंद महसूस नहीं कर पाती है। महिलाओं को नियमित दिनों में चरमोत्कर्ष प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इससे तनावग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
7. पेट के रोग (Stomach ailments)

एसिड रिफ्लक्स, मतली, सूजन और पेट में ऐंठन जैसी समस्याएं भी तनाव कारण पैदा हो सकती है। अगर तनाव का स्तर बहुत अधिक है, तो इससे उल्टी और दस्त लग सकते हैं। तनाव के कम भूख लगती है और वजन में कमी हो सकती है। मूड और शारीरिक एनर्जी प्रभावित होने लगती है।
8. त्वचा पर असर (Skin reactions)

तनाव से महिलाओं में त्वचा सम्बंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। इससे मुंहासे, खुजली, चकत्ते और हीव्स की प्रॉब्लम हो सकती है। ज्यादा समय तक तनाव में रहने पर महिलाओं के बाल झड़ने लगते हैं।
Stress se ladies mein skin allergy ho sakta hai
तनाव से महिलाओं में त्वचा सम्बंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
9. नींद से जुड़ी समस्याएं (Problems related to sleep)

अत्यधिक तनाव का अनुभव करने के वाली महिलाओं में नींद नहीं आने की समस्या बढ़ जाती है। जो आगे चलकर मोटापा, गुर्दे की समस्याएं, मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक का कारण बन सकता है। अधिक दिनों तक नींद नहीं आने की समस्या के कारण महिलाओं को कई बार अपने दैनिक कार्यों को करने में मुश्किल हो जाता है।
10. रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है (Lowered immunity)

इसके अलावा कोर्टिसोल हार्मोन का उच्च स्तर रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। इसके कारण शरीर के विभिन्न संक्रमण और बीमारियों से पीड़ित होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए, ज्यादा स्ट्रेस का अनुभव करने वाली महिलाएं अधिक बीमार पड़ सकती है।
टेंशन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित क्यों करता है?

दरअसल, पुरुषों को प्रभावित करने वाले तनाव हार्मोन महिलाओं के शरीर को अलग तरीके से प्रभावित करते हैं। वहीं, पुरुषों की तुलना में महिलाओं का लिम्बिक सिस्टमअधिक गहरा होता है। जो उन्हें पुरुषों की तुलना में भावनाओं को अधिक गहराई से महसूस करने के लिए मजबूर करता है। वहीं, अक्सर महिलाओं से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे पारिवारिक जिम्मेदारियों को एक साथ संभालें और एक ही समय पर काम करें। कई बार तनाव के कारण महिलाएं गर्भवती न हो पाती है जिससे उनके तनावग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
महिलाओ के तनाव को कैसे नियंत्रित करें?
एक पुरुष या शुभचिंतक के नजरिए से

अगर पुरुष अपने घर की महिलाओं के तनाव को दूर करने के लिए संकल्पित हो जाए तो उनकी काफी कुछ मदद हो सकती है। जैसे-

1. उनकी बात ज्यादा-ज्यादा सुनें।
2. बिना मांगे किसी भी तरह सलाह न दें।
3. उनकी भावनाओं का सम्मान करें।
4. उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय देने की कोशिश करें।
5. उनकी खुद की पहचान बनाने में मदद करें।
एक महिला की तरह

अगर आप एक ऐसी महिला हैं और तनाव से हमेशा बचना चाहती हैं, तो यहां कुछ बातें हैं जो आपके काम आ सकती है:
1. उन्हें चीजों को डायरी में नोट करने की आदत डालें जो आपको तनाव देती है। फिर उन बातों पर गौर करें और उन्हें ठीक करने की कोशिश करें।
2. अपने विचारों को विभिन्न पत्रिकाओं को भेजे। जिससे आपको खुद की पहचान बनाने में मदद मिलेगी।
3. नियमित रूप से व्यायाम करें और खान-पान पर विशेष ध्यान दें।
4. ज्यादा शक्कर युक्त खाने से दूर रहें।
Smoking ki aadat ko kam kare
धूम्रपान करने की आदत को कम करें।
5. धूम्रपान या शराब पीने जैसी आदतों को कम करें।
6. नई हॉबी बनाए। खुद के लिए नए टास्क लें।
7. रोज़ाना कुछ देर ध्यान या मेडिटेशन करें।
8. सोशल मीडिया पर एक निश्चित समय के लिए ही सक्रिय रहे।
9. डेली 6 से 8 घंटे की नींद लें।
10. रोजाना ताजी हवा और धूप लें।
11. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की मदद लें।
यह जानना भी जरूरी है

कभी-कभी महिलाएं अपेक्षाओं और जिम्मेदारियों के बोझ तले इतनी दब जाती हैं कि वे खुद को अवसाद और तनावग्रस्त महसूस करती है। अगर आप लंबे समय से तनाव ले रही है तो इसके असली कारणों को पहचान करके उसका समाधान करने का प्रयास करना चाहिए। यदि आप इसे स्वयं करने में असमर्थ पाती है, तो पेशेवर मदद भी ली जा सकती है। इसके अलावा आप अपने करीबी दोस्त या पुरुषों की मदद ले सकती है। वैसे तो महिलाएं मल्टीटास्किंग और कई जिम्मेदारियों को एक साथ सफलतापूर्वक संभाल सकती है। फिर अगर आप चाहती है कि हर रोज आपको खुद के लिए समय मिलें तो इसके लिए एक सूची तैयार करें।

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