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खून के धब्बे (स्पॉटिंग) आने का क्या मतलब है और क्या गर्भावस्था में यह सामान्य है?
योनि से होने वाले हल्के रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) को खून के धब्बे (स्पॉटिंग) आना कहा जाता है। यह माहवारी के एकदम शुरुआत या अंत में आने वाले खून के धब्बों की तरह ही होती है, मगर इसका प्रवाह काफी कम होता है। खून का रंग लाल से लेकर भूरा (सूखे खून के रंग जैसा) हो सकता है और आमतौर पर कुछेक धब्बे ही होते हैं।
वहीं दूसरी तरफ रक्तस्त्राव का मतलब ज्यादा खून आना है जिसमें आपको पैंटी लाइनर या सैनिटरी पैड पहनने की जरुरत पड़ती है।
गर्भावस्था की शुरुआत में थोड़ी बहुत स्पॉटिंग या ब्लीडिंग होना सामान्य है। लगभग चार में से एक गर्भवती महिला को गर्भावस्था जारी रहने पर पहली तिमाही में किसी न किसी तरह का रक्तस्त्राव रहता है।
अगर आपने आईवीएफ या ऐसे ही किसी अन्य प्रजनन उपचार के जरिये गर्भधारण किया है, तो आपको स्पॉटिंग होने की संभावना ज्यादा होती है। अगर, आपके गर्भ में दो भ्रूण डाले गए थे, तो हो सकता है उनमें से एक का विकास रुक जाए। इसे अंग्रेजी में वैनिशिंग ट्विन कहा जाता है। इस कारण से कुछ रक्तस्त्राव हो सकता है।
मगर यदि रक्तस्त्राव रुक भी गया हो, तो भी तुरंत अपनी डॉक्टर से बात करें, ताकि सुनिश्चित हो सके कि सब ठीकठाक है या नहीं। कई बार, स्पॉटिंग कुछ गंभीर स्थिति जैसे गर्भपात या अस्थानिक (एक्टोपिक) गर्भावस्था जैसी गंभीर स्थिति का संकेत भी हो सकती है। इसलिए बेहतर है कि डॉक्टर से जांच करवा ली जाए।
गर्भावस्था में हल्के रक्तस्त्राव का सबसे संभावित कारण क्या हो सकता है?
हल्का रक्तस्त्राव विकसित हो रही अपरा (प्लेसेंटा) की वजह से हो सकता है। जब आप करीब छह सप्ताह की गर्भवती होती हैं, तो आपकी गर्भावस्था में थोड़ा बदलाव आता है। आपकी अपरा गर्भावस्था के हॉर्मोन बनाने का काम अब खुद करने लगती है। इसकी वजह से हल्का रक्तस्त्राव हो सकता है।
आपको खून के धब्बे या रक्तस्त्राव होने की संभावना पांच से आठ सप्ताह की गर्भावस्था के बीच ज्यादा होती है।
यह रक्तस्त्राव तीन दिन से ज्यादा नहीं रहेगा। आपको इस ब्लीडिंग का पता शायद शौचालय जाने और योनि को पौंछने पर चलेगा, या आपको अंडरवियर पर धब्बे लगे दिख सकते हैं।
आपने शायद सुना हो कि जब माहवारी (पीरियड्स) आने का समय होता है लगभग उसी समय माहवारी के हॉर्मोन सक्रिय होने के कारण भी हल्का रक्तस्त्राव हो सकता है। एक अन्य मत यह भी है कि निषेचित डिंब के गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपित (इम्प्लांटेशन) होने की वजह से भी हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
बहरहाल, माहवारी आने के समय पर थोड़ा रक्तस्त्राव हो सकता है, मगर इसका माहवारी के हॉर्मोनों या प्रत्यारोपण से कोई मतलब नहीं है। अधिकांश सामान्य रक्तस्त्राव प्रत्यारोपण के पांच दिन बाद होता है।
प्लेसेंटा के विकसित होने के अलावा भी आपके शरीर के भीतर बहुत कुछ हो रहा होता है, जिनकी वजह से कुछ ब्लीडिंग हो सकती है, जैसे कि:
ग्रीवा में जलन व असहजता। गर्भावस्था के हॉर्मोन आपकी ग्रीवा की सतह में बदलाव कर सकते हैं, जिससे रक्तस्त्राव की संभावना बढ़ जाती है, जैसे कि संभोग करने के बाद।
यूटेरीन फाइब्राइड, जो कि गर्भाशय की परत में बढ़ते हैं। कई बार, अपरा (प्लेसेंटा) वहां प्रत्यारोपित हो जाती है, जहां फाइब्राइड हो।
ग्रीवा पर छोटी और गैर नुकसानदेह गांठ (सर्वाइकल पॉलिप)।
ग्रीवा या योनि में इनफेक्शन।
कोई वंशानुगत विकार, जैसे कि वॉन विलेब्रांड रोग। इस रोग में खून के थक्के बनना और मुश्किल हो जाता है, जिससे गर्भावस्था में ब्लीडिंग हो सकती है।
किन गंभीर कारणों की वजह से गर्भावस्था में ब्लीडिंग हो सकती है?
दुर्भाग्यवश, गर्भावस्था की शुरुआत में ब्लीडिंग होना गर्भपात या अस्थानिक गर्भावस्था (एक्टोपिक प्रेग्नेंसी) का संकेत भी हो सकता है। दोनों ही मामलों में, अक्सर पेट या श्रोणि क्षेत्र में दर्द और मरोड़ से उठने लगते हैं। ब्लीडिंग के कारणों के बारे में यहां और जानें:
गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भपात
गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भपात आमतौर पर तब होता है, जब शिशु सही तरीके से विकसित नहीं हो रहा हो। ऐसे में रक्तस्त्राव निरंतर बढ़ता जाता है।
गर्भावस्था की शुरुआत में ही गर्भपात हो जाना बहुत ही दुखद घटना है, मगर यह काफी आम भी है। बहुत सी महिलाओं का गर्भवती होने का पता चलने से पहले ही गर्भपात हो जाता है। उन्हें लगता है कि उनकी माहवारी शुरु हो गई है।
अस्थानिक गर्भावस्था (एक्टोपिक प्रेगनेंसी)
अस्थानिक गर्भावस्था में निषेचित डिंब गर्भाशय से बाहर प्रत्यारोपित हो जाता है। दुर्भाग्यवश, ऐसा होने पर शिशु विकसित नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में रक्तस्त्राव जारी रह सकता है, और यह गहरे रंग का और पानी जैसा पतला दिख सकता है।
अस्थानिक गर्भावस्था की वजह से आप गंभीर रूप से बीमार हो सकती हैं, इसलिए जल्द से जल्द अपनी डॉक्टर को दिखाएं या नजदीकी अस्पताल जाएं।
मोलर गर्भावस्था
रक्तस्त्राव का एक अन्य कारण मोलर गर्भावस्था भी है। मोलर गर्भावस्था तब होती है, जब डिंब तो निषेचित हो जाता है, मगर गलत संख्या वाले गुणसूत्रों (क्रोमोसोम) के साथ मिलने की वजह से शिशु का विकास नहीं हो पाता। स्वस्थ शिशु की बजाय असामान्य कोशिकाओं (हाइडेटिडिफॉर्म मोल) का गुच्छा गर्भ में बढ़ता है।
दुर्भाग्यवश इसका मतलब है कि आपकी गर्भावस्था जारी नहीं रह सकती और शिशु विकसित नहीं हो सकता। मोलर गर्भावस्था का उपचार करवाकर असामान्य उत्तकों को निकलवाना जरुरी है।
आपके गर्भ में जुड़वा शिशु हैं
यदि आपके गर्भ में जुड़वा शिशु हैं, तो भी आपको स्पॉटिंग होने की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है। दुख की बात यह है कि कई बार एक शिशु का विकास रुक जाता है और अंतत: वह पूरी तरह गायब हो जाता है। इसे अंग्रेजी में वैनिशिंग ट्विन कहा जाता है, और इसकी वजह से थोड़ी ब्लीडिंग हो सकती है।
पेट पर आघात
यह भी संभव है कि पेट पर आघात लगने से, या गिर जाने पर भी रक्तस्त्राव हो सकता है। पहली तिमाही में पेट पर आघात लगने से गर्भपात होने का भी खतरा रहता है। इसलिए जरुरी है कि आप जल्द से जल्द डॉक्टर से जांच करवाएं।
यदि आप गर्भावस्था के दौरान घरेलू हिंसा की शिकार हैं, तो आपके और गर्भस्थ शिशु के लिए जरुरी है कि आप अतिशीघ्र मदद लें। दुर्भाग्यवश, हिंसा की वजह से आपकी गर्भावस्था में गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं, जैसे कि गर्भपात, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और समय से पहले प्रसव आदि। आपको भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि अवसाद (डिप्रेशन) आदि होने की संभावना भी ज्यादा रहती है।
गर्भावस्था के बढ़ने पर रक्तस्त्राव होना चिंता का कारण हो सकता है। ब्लीडिंग होने से गर्भावस्था के बाद के चरण में जटिलताएं होने का खतरा बढ़ जाता है। बाद के चरण में रक्तस्त्राव होने के निम्न कारण हो सकते है:
गर्भावस्था के बाद के चरण में गर्भपात (लेट मिस्कैरिज)
अधिकांश गर्भपात पहली तिमाही में होते हैं, मगर 13 हफ्तों की गर्भावस्था से मध्यम गर्भावस्था के दौरान ब्लीडिंग होना लेट मिस्कैरिज का संकेत हो सकता है।
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