प्रेग्नेंट होने के लिए कौन सा इंजेक्शन लगाया जाता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:34

प्रेगनेंसी के समय गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए महिलाओं को कई तरह की वैक्सीन की जरूरत पड़ती है। इन वैक्सीन की मदद से ही आने वाले शिशु को भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचाया जा सकता है। ऐसी ही एक वैक्सीन टिटनेस भी है। गर्भावस्था के दौरान टी.टी. इंजेक्शन क्यों लगवाना चाहिए, इसकी पूरी जानकारी मॉमजंक्शन के इस लेख में विस्तार से दी गई है। यहां टी.टी. वैक्सीनेशन से जुड़ी ध्यान रखने योग्य बातों पर भी चर्चा की गई है।

इस इंजेक्शन में हॉर्मोन प्रोजेस्ट्रॉन का इस्तेमाल किया जाता है। कॉन्ट्रासेप्टिव इंजेक्शन लगाने के बाद इसका असर महिला के शरीर में बनने वाले अंडाणु पर पड़ता है, जो बच्चेदानी के मुंह पर एक दीवार बना देता है, जिससे महिला के शरीर में शुक्राणु का प्रवेश मुश्किल हो जाता है

टिटनेस टॉक्साइड (टी.टी.) इंजेक्शन क्या है ? | tt injection in pregnancy in hindi

टिटनेस एक गंभीर बीमारी है, जो क्लोस्ट्रीडियम बैक्टीरिया से होती है। ये बैक्टीरिया ​मिट्टी, लार, धूल और खाद में पाए जाते हैं। शरीर में ये आसानी से किसी कटे व जले हुए भाग से प्रवेश कर लेते हैं। जैसे कि लोहे की वस्तु से चोट लगने वाली जगह से। इस संक्रमण के कारण पूरे शरीर की मांसपेशियों में दर्द भरा खिंचाव महसूस होता है। साथ ही जबड़ा ठीक से नहीं खुलता और चीजों को निगलने में परेशानी होती है (1)।

टिटनेस की समस्या से बचने के लिए टिटनेस टॉक्साइड का इंजेक्शन लगाया जाता है। टिटनेस टॉक्साइड एक तरह की वैक्सीन है, जो इस समस्या से सुरक्षित रखने का काम करती है। इसे प्रेगनेंसी के समय लगवाना गर्भवती और भ्रूण दोनों के लिए सुरक्षित माना गया है। इससे प्रेगनेंट महिला और उसके गर्भस्थ शिशु को टिटनेस इंफेक्शन की चपेट में आने से बचाया जा सकता है (2)।

चलिए, सबसे पहले समझते हैं कि गर्भावस्था के समय टिटनेस का इंजेक्शन क्यों लगाना चाहिए।
प्रेगनेंसी में टिटनेस का इंजेक्शन क्यों लगाना चाहिए?

गर्भावस्था में हर छोटी-बड़ी समस्या के पनपने का ज्यादा जोखिम होता है। इस समय अगर महिला के शरीर में कट लग जाता है या कही पर जल जाता है, तो इससे उसे टिटनेस इन्फेक्शन हो सकता है। इस संक्रमण का असर आने वाले शिशु पर भी नजर आ सकता है। इसी वजह से टिटनेस टॉक्साइड वैक्सीन लगवाना जरूरी होता है (3)।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के मुताबिक, प्रति वर्ष 200,000 से अधिक नवजात शिशुओं की मृत्यु टिटनेस के कारण हो जाती है। ऐसे में टिटनेस टॉक्साइड वैक्सीन को गर्भावस्था के समय लगाने से नवजात को टिटनेस इंफेक्शन से बचाया जा सकता है, इसलिए गर्भावस्था के समय टिटनेस का इंजेक्शन लगवाना चाहिए। साथ ही यह प्रीमैच्योर यानी समय से पहले जन्म लेने और समय से पहले प्रसव को रोकने में मदद कर सकता है (3)।

लेख के अगले भाग में जानिए कि प्रेगनेंसी में टीटी का इंजेक्शन कब और कितनी बार लगाना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान टीटी का इंजेक्शन किस महीने में और कितनी बार लगता है ? | tt injection during pregnancy which month in hindi

भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण अनुसूची ने गर्भवती महिलाओं को टिटनेस टॉक्सोइड (टीटी) की 2 डोज यानी खुराक लगाने की सलाह दी है। इसकी पहली डोज प्रेगनेंसी का पता चलते ही जल्द-से-जल्द लगवानी चाहिए। पहली डोज लगवाने के 4 सप्ताह बाद दूसरा इंजेक्शन लगवाया जाता है (3)।

इसके अलावा, अगर कोई महिला 3 साल बाद दूसरी बार गर्भवती हुई है और उसे पहले प्रेगनेंसी में दो बार टीटी का टीकाकरण लग चुका है, तो उसे इस समय सिर्फ एक ही डोज लगेगी। इस डोज को ​बूस्टर खुराक कहा जाता है (3)।

कुछ विशेषज्ञ का यह भी मानना है कि टीटी की दूसरी डोज डिलीवरी की संभावित तारीख से 4 हफ्ते पहले दी जानी चाहिए। डब्ल्यूएचओ की मानें, तो टीटी की दूसरी डोज लगाने के 6 महीने बाद महिला को तीसरी डोज भी लगवाई जाए, तो 5 साल तक टिटनेस के जोखिम से सुरक्षा मिल सकती है (3)।

आगे हम गर्भावस्था में टीटी इंजेक्शन लगाते वक्त ध्यान देने वाली बातें बता रहे हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान टीटी का इंजेक्शन लगाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

गर्भवती को टीटी का इंजेक्शन लगवाते समय कई बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। इन बातों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं ।

गर्भवती को टीटी के इंजेक्शन को लेकर बताए गए सभी निर्देशों का पालन करना होगा (4)।
इस बात का ध्यान रखें कि वैक्सीन देने वाला उसकी शीशी को अच्छे से हिलाकर वैक्सीन को इंजेक्शन में भरे (4)।
वैक्सीन की शीशी बर्फ में ज्यादा जमी हुई नहीं होनी चाहिए (4)।
दूसरी डोज के लिए निर्धारित दिन पर ही डॉक्टर के पास जाएं। डेट को मोबाइल कैलेंडर में जोड़कर रखें।
वैक्सीन लगवाने के बाद उस जगह को बार-बार न छुएं और न ही खुजलाएं।
इसे लगाने के बाद किस तरह के लक्षण दिखाई देंगे, इस बारे में डॉक्टर से पूछ लें और उन लक्षणों के अलावा कोई गंभीर लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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