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वैसे तो गर्भावस्था के नौ महीने मुश्किल होते हैं, लेकिन आखिरी महीना सबसे ज्यादा परेशान करता है।
गर्भावस्था के नौ महीने उतार-चढ़ाव से भरे होते हैं। शुरुआती तीन महीनों यानी गर्भावस्था की पहली तिमाही में हार्मोनल बदलाव के कारण मॉर्निंग सिकनेस परेशान करती है तो वहीं प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में आप खूब एंजॉय कर पाती हैं। इसके अलावा आखिरी तीन महीने थकान से भरे होते हैं।
प्रेगनेंसी के पहले और आखिरी महीने को सबसे ज्यादा मुश्किल माना जाता है। पहले महीने में शरीर बदलावों के साथ एडजस्ट करने के लिए तैयार हो रहा होता है, तो वहीं आखिरी महीने में शरीर खुद को डिलीवरी के लिए तैयार कर रहा होता है, लेकिन इस समय शिशु का वजन झेलना भी मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही आखिरी महीने में और भी कई मुश्किलें हैं जिनके आगे महिलाओं की हिम्मत जवाब देने लगती है।
क्या कहती हैं प्रेगनेंट महिलाएं
गर्भवती महिलाओं का कहना है कि प्रेगनेंसी का पहला और आखिरी महीना सबसे ज्यादा मुश्किल होता है। प्रेगनेंसी के शुरुआती हफ्तों में मॉर्निंग सिकनेस, मतली, भूख कम लगने, उल्टी और थकान जैसी चीजें घेरे रहती हैं और आपको आखिरी महीने तक इन सब चीजों से रूबरू होना पड़ता है।
प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में आपका वजन भी 15 से 20 किलो तक बढ़ जाता है और शिशु तरबूज जितना भारी होता है और खाना खाने के बाद भी आपको जल्दी से भूख लगने लगती है।
इसके अलावा प्रेगनेंसी के नौंवे महीने में अन्य परेशानियां भी आ जाती हैं जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
नींद की कमी
इस महीने में रात के समय बार-बार पेशाब आती है जिससे नींद आने में दिक्कत होती है। इस समय पेट इतना भारी हो जाता है कि आपको सोने के लिए कोई सही पोजीशन समझ भी नहीं आती है। इस महीने में दर्द, ऐंठन, कमर दर्द भी झपकी लेना मुश्किल कर देते हैं।
पेट के बल सो नहीं सकती और पीठ के बल सोने पर गर्भाशय का भार प्रमुख नसों पर पड़ता है जिससे आपको मतली और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। यही वजह है कि डॉक्टर इस महीने में करवट लेकर सोने की सलाह देते हैं।
कूल्हों में दर्द
इस महीने में शरीर खुद को डिलीवरी के लिए तैयार कर रहा होता है और कूल्हों के संयोजी ऊतक ढीले पड़ने शुरू हो जाते हैं। ऐसा शिशु को बाहर निकालने के लिए पेल्विक में लचीलापन लाने के लिए होता है और चूंकि, इस समय आप करवट लेकर सोती हैं इसलिए आपको पीठ दर्द और कूल्हों में दर्द ज्यादा महसूस होता है।
वजन बढ़ना
प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में न केवल आपका वजन काफी बढ़ चुका होता है बल्कि बच्चे का भी वजन 2.5 से 3 किलो हो चुका होता है। इस समय आपको सीढ़ियां चढ़ने, बिस्तर से उतरने में दिक्कत होने लगती है। अपने वेट गेन को देखकर भी उसे घटाने की चिंता सताने लगती है।
हाथ-पैरों में सूजन
इस समय हाथ-पैरों में सूजन बढ़ जाती है और शायद इसकी वजह से आपको काम करने में भी दिक्कत हो सकती है। इन हिस्सों में फ्लूइड जमने की वजह से सूजन आती है। ऐसे में पैरों को ऊपर उठाकर रखें जिससे पैरों में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और सूजन में कमी आती है।
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