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नवजात शिशु को हंसता देखकर किसी के भी चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। आपने भी कई बार नोटिस किया होगा कि शिशु नींद में भी मुस्कुराते हैं। जब बच्चे अपने चेहरे पर मुस्कान लेकर आपकी ओर देखते हैं तो ऐसा लगता है कि शरीर की सारी थकान ही उतर गई हो।
यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि शिशु कब हंसना शुरू करते हैं और आप अपने बच्चे को कैसे हंसा सकते हैं।
पहली बार कब हंसते हैं शिशु
अगर आपके बच्चे ने घुर्राने जैसी आवाज निकालनी शुरू कर दी है तो समझ जाएं कि जल्द ही वो हंसना भी शुरू करने वाला है। 3 से 4 महीने का होने पर शिशु पहली बार हंसता है। पहली बार शिशु के हंसने पर आप जरूर उसे ध्यान से देखेंगें लेकिन इसके बाद वो जब भी हंसेगा आपके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ जाएगी।
शिशु को बुखार हो जाने पर सिर्फ ये चीजें खिलाएं
- इससे बीमारी से लड़ने में शरीर को मजबूती मिलेगी। ये प्रोटीन से युक्त होती है और आसानी से पच जाती है। इसमें कोई मसाले और नमक न डालें। बच्चों को गर्म और सादी खिचड़ी खिलाएं।
पोषण के लिए बच्चे को एक कटोरी गर्म सूप पिलाएं। ये पेट के लिए भी हल्का रहता है और आसानी से बन भी जाता है। सूप में जरूरी विटामिन और खनिज पदार्थ भी होते हैं।
अपनी पसंद की सब्जियों को काटकर, उन्हें पानी में उबालकर पका लें। आप शिशु को सूप दे सकते हैं या सब्जियों को मैश कर के भी खिला सकती हैं
दलिया प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है। इससे बच्चे को एनर्जी मिलती है। दलिये में एक चुटकी हल्दी डाल दें, इससे इम्युनिटी बढ़ती है। बच्चों ही नहीं बड़ों के लिए भी दलिया बहुत फायदेमंद होता है। दलिये में खनिज पदार्थ खासतौर पर फास्फोरस, मैग्नीशियम और आयरन होता है।
ये सभी पोषक तत्व शिशु के विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं। ये बच्चे की मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
शिशु को बुखार होने पर किसी भी तरह का गरिष्ठ भोजन नहीं देना चाहिए। बच्चे को फल और सब्जियों की प्यूरी दें। आप अपने शिशु की पसंद के फल और सब्जियों से प्यूरी तैयार कर सकते हैं। सेब, नाशपाती और गाजर की प्यूरी बुखार होने पर शिशु को दी जानी चाहिए।
कभी-कभी शिशु को किसी अन्य आहार के मुकाबले सिर्फ मां के दूध की जरूरत होती है। मां के दूध और फॉर्मूला मिल्क में अत्यधिक मात्रा में पोषण होता है और ये बुखार में शिशु को हाइड्रेट भी रखता है। मां के दूध में एंटीबॉडीज होते हैं जो बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ाकर संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
मां के दूध से शिशु को बुखार से ही नहीं बल्कि कई अन्य बीमारियों और संक्रमणों से भी बचाता है।
अदरक में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। ये छाती से कफ को भी साफ करती है। एक कप पानी में कुछ मिनटों के लिए थोड़ी-सी अदरक को उबालें। इस पानी को गुनगुना होने पर छानकर शिशु को पिलाएं। बीमारी से लड़ने में अजवाइन सुपरफूड का काम करती है।
एक कप पानी में थोड़ी-सी अजवाइन को रातभर भिगोकर रख दें। आप अजवाइन को कुछ मिनट के लिए पानी में उबाल भी सकती हैक्यों हंसते हैं शिशु
किसी जानी-पहचानी चीज या चेहरे को देखकर बच्चा पहली बार हंसता है। शिशुओं को हंसी आती है क्योंकि उन्हें पहली बार ऐसा करने से किक मिलती है। जब शिशु की हंसी देखकर आप भी हंसने लगते हैं तो बच्चे को भी आपकी हंसी अच्छी लगती है और फिर उसका बार-बार ऐसा करने का मन लगता है।
शिशु 6 से 9 महीने का होने पर रात को सोते समय भी हंसते या खिसियाने लगते हैं। अगली बार जब आप बच्चे को पालने में लिटाएं तो उसकी मुस्कान को देखकर चौंके ना।
शिशु हंसना शुरू न करे तो
आमतौर पर बच्चे तीन से चार महीने का होने पर हंसना शुरू कर देते हैं। यदि चार महीने का होने बाद पाचंवे महीने में भी शिशु ने हंसना शुरू नहीं किया है तो ये चिंता का विषय हो सकता है।
इसमें शिशु का विकास भी महत्व रखता है। यदि बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से बाकी चीजों में सही विकास कर रहा है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर बच्चे का विकास कई मामलों में धीमा है तो एक बार पीडियाट्रिशियन (बाल रोग चिकित्सक) को जरूर दिखाएं।
शिशु को बुखार हो जाने पर सिर्फ ये चीजें खिलाएं
इससे बीमारी से लड़ने में शरीर को मजबूती मिलेगी। ये प्रोटीन से युक्त होती है और आसानी से पच जाती है। इसमें कोई मसाले और नमक न डालें। बच्चों को गर्म और सादी खिचड़ी खिलाएं।
पोषण के लिए बच्चे को एक कटोरी गर्म सूप पिलाएं। ये पेट के लिए भी हल्का रहता है और आसानी से बन भी जाता है। सूप में जरूरी विटामिन और खनिज पदार्थ भी होते हैं।
अपनी पसंद की सब्जियों को काटकर, उन्हें पानी में उबालकर पका लें। आप शिशु को सूप दे सकते हैं या सब्जियों को मैश कर के भी खिला सकती हैं।
दलिया प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है। इससे बच्चे को एनर्जी मिलती है। दलिये में एक चुटकी हल्दी डाल दें, इससे इम्युनिटी बढ़ती है। बच्चों ही नहीं बड़ों के लिए भी दलिया बहुत फायदेमंद होता है। दलिये में खनिज पदार्थ खासतौर पर फास्फोरस, मैग्नीशियम और आयरन होता है।
ये सभी पोषक तत्व शिशु के विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं। ये बच्चे की मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
शिशु को बुखार होने पर किसी भी तरह का गरिष्ठ भोजन नहीं देना चाहिए। बच्चे को फल और सब्जियों की प्यूरी दें। आप अपने शिशु की पसंद के फल और सब्जियों से प्यूरी तैयार कर सकते हैं। सेब, नाशपाती और गाजर की प्यूरी बुखार होने पर शिशु को दी जानी चाहिए।
कभी-कभी शिशु को किसी अन्य आहार के मुकाबले सिर्फ मां के दूध की जरूरत होती है। मां के दूध और फॉर्मूला मिल्क में अत्यधिक मात्रा में पोषण होता है और ये बुखार में शिशु को हाइड्रेट भी रखता है। मां के दूध में एंटीबॉडीज होते हैं जो बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ाकर संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
मां के दूध से शिशु को बुखार से ही नहीं बल्कि कई अन्य बीमारियों और संक्रमणों से भी बचाता है।
अदरक में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। ये छाती से कफ को भी साफ करती है। एक कप पानी में कुछ मिनटों के लिए थोड़ी-सी अदरक को उबालें। इस पानी को गुनगुना होने पर छानकर शिशु को पिलाएं। बीमारी से लड़ने में अजवाइन सुपरफूड का काम करती है।
एक कप पानी में थोड़ी-सी अजवाइन को रातभर भिगोकर रख दें। आप अजवाइन को कुछ मिनट के लिए पानी में उबाल भी सकती हैं।
शिशु को हंसाने के तरीके
बच्चे को हंसाने के कई तरीके हैं और इसका सबसे आसान तरीका है फनी फेस बनाना। शिशु के पेट पर गुदगुदी करना, उनके साथ खेलना और गोद में उठाकर नाचना भी बच्चे को हंसा सकता है।
शिशु को हंसते हुए देखने पर नरम आवाज में बात करें, आपकी बातों को सुनकर भी बच्चे के चेहरे पर हंसी आ जाती है। जब भी आप शिशु को हंसाने की कोशिश कर रहे हों, उस समय इस बात का खास ध्यान रखें कि बच्चे का पेट भरा हुआ होना चाहिए और वो थका हुआ न हो।
थकान या भूख लगने पर बच्चे फनी चेहरा देखकर भी नहीं हंसते हैं। वहीं अगर पेट भरा हुआ होगा और बच्चा अच्छे मूड में होगा तो वो खुद भी हंसेगा और आपको भी हंसाएगा।
हर बच्चे को कोई नई चीज सीखने या करने में अलग-अलग समय लगता है। ऐसे में अगर शिशु देर से हंसना शुरू करता है तो ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। अपने बच्चे के साथ खूब खेलें और उसे खुश एवं स्वस्थ रखें।
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