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15 से 21 नवंबर न्यू बॉर्न केयर वीक के रूप में मनाया जाता है, इसका मकसद है लोगों तक नवजात शिशु की सेहत और विकास से जुड़ी बातों को पहुंचाना। ज्यादातर माता-पिता ये जानना चाहते हैं कि उनका शिशु कब बैठना शुरू करेगा या उसे बैठाने के लिए उन्हें किस तरह से बच्चे की मदद करनी है। आम तौर पर बच्चे 4 से 6 महीने के बीच बैठने की कोशिश करते हैं। जिस समय बच्चा करवट बदलने की कोशिश करने लगता है या अपने सिर को बैलेंस कर पाने में सक्षम हो जाता है तब आप कह सकते हैं कि बच्चा बैठना शुरू करेगा पर इसके लिए आपको भी धैर्य रखने की जरूरत होगी। इस लेख में शिशु के बैठने का सही तरीका, बच्चे की बैठने की उम्र आदि विषयों पर चर्चा करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
शिशु कौनसे महीने में बैठना शुरू करते हैं? (When can baby sit up)
3 से 4 महीने का शिशु सिर ऊपर उठाना या अपने सिर को बैलेंस करना सीखता है, इस उम्र में उसके सिर की मांसपेशियां तेजी से मजबूत हो रही होती हैं। 5 से 6 महीने का शिशु को बैठने के लिए सहारे की जरूरत होगी, सपोर्ट के बिना शिशु गिर या लुढ़क सकता है। 7 से 8 महीने का शिशु बिना सपोर्ट के साथ या उसके बिना बैठने के लिए तैयार हो जाता है। शिशु आमतौर पर 5 से 7 महीने में बैठना शुरू करते हैं। वहीं जब बच्चे 9 महीने के हो जाते हैं तो वो बिना सपोर्ट के कुछ समय के लिए बैठ पाते हैं। हालांक इसका ये मतलब नहीं है कि बच्चे को आप खुद से बैठने दें, उसे सपोर्ट की जरूरत होगी। अगर बच्चा बिना सपोर्ट के बैठने की कोशिश करेगा तो उसे सिर पर चोट भी लग सकती है। इस दौरान बच्चे की मांसपेशियां पहले से ज्यादा मजबूत हो चुकी होती हैं, पर उसे बिना सपोर्ट के न बिठाएं।
1. बच्चे को बैठना सिखाना है तो उसे ऊपर की ओर देखने के लिए प्रेरित करें।
2. बच्चा बैठने के लिए अपने हाथ को खड़ी अवस्था में रखकर सहारे की तरह इस्तेमाल करता है, इसमें आप बच्चे को बैलेंस बनाने में मदद करें, इस पोजिशन को ट्राइपॉड पोजिशन कहते हैं।
3. शिशु के पैर को फैलाकर वी के अक्षर में रखें इससे उसे बैठने में आसानी होगी और बच्चा स्थिरता बना सकेगा।
4. आप बच्चे को बैठना सिखाने के लिए तकिए के इर्द-गिर्द रख दें, अब उसे दोनों हाथों की मदद से पीछे से सहारा दें या आगे से बच्चे के दोनों हाथ पकड़ें।
5. इससे बच्चे को सिर को नियंत्रण में रखना आएगा जो बैठने से पहले सीखना जरूरी है।
6. आप बच्चे को गोद में बिठाकर भी खुद से बैठना सिखा सकते हैं, बच्चे को गोद में बिठाकर पीछे की ओर से हल्का पुश करें जिससे बच्चा बैठने का प्रयास करेगा।
7. बच्चे को बैठना सीखाने के लिए पेट के बल लेटकर खेलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
8. आप बच्चे को फर्श पर पैरों के बीच रखकर बिठाना सिखा सकते हैं, इससे बच्चे के गिरने का डर भी नहीं होगा।
9. जब बच्चा लेटा हो तब उसको सहारा देकर खिलाने की कोशिश करें, और हाथ से बच्चे को मजबूती से पकड़े रहें। खेल-खेल में बच्चा उठने का प्रयास करेगा।
बच्चे को बिठाने की पोजिशन (Positions to make baby sit)
आप बच्चे को बिठाने के लिए सहारा दे सकते हैं। इसके लिए आप बच्चे को कंधे पर ले सकते हैं या उसे बिठाते समय पीछे से कूल्हे या पीठ की ओर से पकड़कर बिठाने का प्रयास कर सकते हैं।
आप शिशु को पीठ के बल खेलने के लिए प्रेरित करें, पीठ के बल लेटकर बच्चे की मांसपेशियों में लचीलापन रहता है जिससे वो आसानी से उठ पाता है।
करवट लेकर भी आप बच्चे को बिठाने का प्रयास कर सकते हैं, इससे बच्चा उठने का प्रयास करेगा।
पेट के बल रखकर भी आप बच्चे को हाथ से सपोर्ट देखकर उठाने का प्रयास कर सकते हैं।
बच्चे को बैठना सिखाते वक्त ये सावधानियां बरतें (Precautions while baby learn to sit up)
जब आपका बच्चा बैठने की कोशिश करे तो उसके आसपास नुकीली चीजें न हों इस बात का ध्यान रखें, नहीं तो बच्चे को चोट भी लग सकती है।
जब बच्चा बैठने का प्रयास करेगा तो अपनी बाजूओं के सहारे बैलेंस बनाने की कोशिश करेगा, इस दौरान आप बच्चे को गिरने की स्थिति में सहारा दें।
जब बच्चे घुटने के बल चलना या बैठना सीख रहे हों तो उस दौरान आप बच्चे की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए मालिश करें।
बेहतर होगा कि आप मालिश के लिए किसी प्रोफेशनल की मदद आप लें क्योंकि बच्चे के हाथ-पैर नाजुक होते हैं, उन पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ना चाहिए।
आपको इस दौरान बच्चे को खेल-खेल में बिठाना सिखाना है, उस पर जोर-जबरदस्ती करने की कोशिश न करें, इससे बच्चे की मांसपेशियों पर दबाव पड़ सकता है।
शिशु का सिर और गर्दन नाजुक होती है, आपको इन दोनों स्थानों को हाथ लगाकर सपोर्ट देना चाहिए।
बच्चा नौ माह में भी न बैठे तो क्या करें? (What if baby is not sitting up)
अगर शिशु 9 महीने तक भी न बैठ पाए तो आप अपने डॉक्टर से बात करें। हर शिशु का विकास अलग-अलग ढंग से होता है इसलिए कुछ बच्चे जल्दी जल्दी बैठना सीख जाते हैं वहीं कुछ को समय लगता है इसलिए आप अपने बच्चे की उम्र के मुताबिक इंतजार करें फिर डॉक्टर को दिखाएं। जो बच्चे समय से पूर्व यानी प्रीमैच्योर होते हैं उनका विकास धीमे स्तर से होता है इसलिए ऐसे बच्चों को सामान्य बच्चों की तुलना में ज्यादा समय लग सकता है।
बच्चे बैठने के लिए अपने हाथ, पैर व कूल्हों का इस्तेमाल करते हैं। अगर बैठने के लिए बच्चा डगमगाए तो आप उसे हाथों से सहारा दें, इससे बच्चा समझेगा कि आप उसे संभाल लेंगे तो वो अपनी ओर से बेहतर प्रयास कर सकेगा। अगर बच्चे को बैठने में परेशानी हो या वो ज्यादातर देर न बैठना चाहे तो उस पर ज़ोर न दे, इससे शिशु की मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है।
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