बच्चा पलटना कब सीखता है?pregnancytips.in

Posted on Wed 19th Oct 2022 : 09:28

आपका शिशु जब सिर ऊपर उठाने की ताकत विकसित कर लेता है, तो इसके बाद वह पलटना सीखता है।

इसका मतलब यह है कि शिशु अब पीठ के बल लेटे हुए पलट कर पेट के बल आ सकता है, या फिर इसके उलट, वह पेट के बल से पीठ के बल आ सकता है। पलटी लेना, चलना-फिरना शुरु करने की दिशा में शिशु के पहले कुछ कदमों में से एक है।
मेरा शिशु पलटना कब शुरु कर सकेगा?
आपका शिशु शायद छह या सात महीने की उम्र में पलटना शुरु करेगा। इस समय तक उसकी गर्दन और बाजुओं की मांसपेशियां मजबूत हो चुकी होंगी। कुछ शिशु तीन महीने की उम्र में ही पलट लेते हैं, वहीं कुछ अन्य शिशुओं को ऐसा करने में सात महीने से भी अधिक समय लग जाता है।

आपका शिशु अचानक ही पलटना सीख जाएगा और आप यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगी। इसीलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि शिशु को ऊंची जगह जैसे पलंग या सोफे पर कभी भी अकेला न छोड़ें। ऊंची सतह पर शिशु की लंगोट (नैपी) बदलते समय एक हाथ हमेशा शिशु के ऊपर रखें।
मेरा शिशु पलटी लेना कैसे सीखेगा?
नवजात से दो महीने का शिशु
जन्म के बाद से ही शिशु को पेट के बल लिटाने से उसकी वे मांसपेशियां मजबूत होंगी, जिनकी उसे पलटने के लिए जरुरत है। पेट के बल लेटने से शिशु को अपनी बाजुएं और टांगे हिलाने का मौका मिलता है, साथ ही इससे उसकी गर्दन भी मजबूत होती है।

हो सकता है आप पाएं कि शुरुआत में शिशु को पेट के बल लेटना अच्छा नहीं लगता। यह नई मुद्रा शिशु के लिए एक अलग व नया अनुभव हो सकता है। अगर, आपके शिशु के साथ भी ऐसा हो, तो आप एक बार में उसे केवल एक-दो मिनट के लिए ही पेट के बल लेटने का अभ्यास कराएं। जब तक वह इस अवस्था का अभ्यस्त नहीं हो जाता, तब तक आप उसे अपनी छाती या रग्बी होल्ड की तरफ पेट के बल लिटा सकती हैं।

अगर, आपके शिशु को पेट के बल लेटना बिल्कुल भी पसंद नहीं है, तो कुछ समय बाद फिर से इसका प्रयास करें। आप भी शिशु के साथ जमीन पर लेटें और उसका पसंदीदा खिलौना उसकी पहुंच से दूर रखकर हिलाएं। शिशु का ध्यान बांटने और इसे एक खेल का स्वरूप देने से वह पेट के बल लेटे रहने में आनंद महसूस करने लगेगा।

शिशु को पेट के बल कैसे लिटाएं, हमारे इस विडियो में जानें।

तीन से चार महीने का शिशु
तीन महीने की उम्र में जब आप शिशु को पेट के बल लिटाती हैं, तो हो सकता है शिशु बाजुओं के सहारे अपना सिर और कंधे ऊपर उठा सके। ये छोटे पुश-अप उन मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करते हैं, जिनका इस्तेमाल शिशु पलटने के लिए करेगा।

इस समय वह पीठ से पेट के बल या फिर पेट से पीठ के बल पलटकर आपको आश्चर्यचकित कर सकता है। साथ ही वह खुद भी अचंभित हो जाएगा।

शिशु के सिर के ठीक उपर कोई खिलौना हिलाएं जिससे उसे अपनी बाजुओं के सहारे उपर उठने का प्रोत्साहन मिले। इससे उसे खिलौने को अच्छी तरह देखने के लिए अपनी बाजुएं सीधी करके उठने को प्रेरित होगा। आप उसकी आंखों के स्तर पर थोड़ी सी दूर खिलौना पकड़कर रह सकती हैं। इससे भी वह पुश अप करके खिलौने तक पहुंचने का प्रयास कर सकता है।

पांच से सात महीने का शिशु
इस समय तक हो सकता है आपका शिशु अपना सिर उठाने, बाजुओं के सहारे पुश-अप की स्थिति में आने और अपनी छाती को जमीन से ऊपर उठाने में सक्षम हो जाए। वह अपने पेट के बल हिलना, टांगे मारना और बाजूओं को हिलाते हुए तैराकी जैसी मुद्रा में भी आ सकता है।

ये सभी कसरतें उसकी मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं। जब तक आपका शिशु छह या सात महीने का होगा, तब तक वह शायद दोनों तरफ पलटना सीख गया होगा।

हो सकता है आप पाएं कि आपका शिशु वास्तव में कभी भी पलटता नहीं है। हो सकता है शिशु पलटने की बजाय सीधे बैठना या घुटनों के बल चलना ही शुरु कर दे। या फिर संभव है कि उसे पलटते हुए ही पूरे कमरे में घूमना अच्छा लगे।

आपका शिशु नए कौशल सीख रहा है, हिलने-डुलने व कुछ नया करने में रुचि दिखा रहा है, तो यह साफ है कि वह अच्छी प्रगति कर रहा है।
मैं शिशु को पलटने के लिए किस तरह प्रेरित कर सकती हूं?
आप खेल-खेल में शिशु के इस नए कौशल को बढ़ावा दे सकती हैं। अगर, आप देखें कि शिशु अनायास स्वत: ही पलट रहा है, तो जिस तरफ वह आमतौर पर पलटता है, उस तरफ कोई खिलौना हिलाएं। अगर, वह खिलौने की तरफ पलटने में सफल होता है, तो ताली बजाकर व मुस्कुरा कर उसके प्रयास की सराहना करें।

हो सकता है उसको आपके आश्वासन की जरुरत हो, क्योंकि पलटने का यह नया अनुभव खतरनाक भी हो सकता है।

जब आपका शिशु पलटना शुरु कर देता है, तो उसे दोनों तरफ पलटने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उसे शरीर के दोनों तरफ की मांसपेशियों को संतुलित ढंग से विकसित करने में मदद मिलेगी। आप उसे कोई पसंदीदा खिलौना दिखाकर उस दिशा में पलटने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, जिस दिशा में वह कम पलटता है।

हालांकि, यदि आपकी कोशिशों के बाद भी शिशु एक तरफ ही ज्यादा पलटता है, तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं। हो सकता है ऐसा दूसरी तरफ कमजोरी की वजह से हो। आपके शिशु का विकास सही ढंग से हो रहा है यह देखने के लिए उसकी आगे जांच करवाने की जरुरत होगी।

पलटी लेना शिशु के विकास के सफर में ऐसा मील का पत्थर है, जिससे आप दोनों को आनंद महसूस होगा। अपने शिशु को नया कौशल विकसित करते देखना काफी शानदार अहसास है। निस्संदेह, पलटना जहां शिशु के लिए खेल है, वहीं यह आपके लिए परेशानी का सबब हो सकता है।

जब शिशु इधर-उधर घूमना और पलटी लेना शुरु कर देता है, तो आपको अधिक सतर्क रहना पड़ेगा। आपको नैपी बदलते समय या पलंग जैसी ऊंची जगह पर लेटते समय उसके ऊपर एक हाथ रखना होगा। यदि आपका शिशु बहुत चंचल है और ज्यादा कसमसाता है तो आप उसे जमीन पर लिटाकर नैपी बदल सकती हैं। उसे कुछ विशेष खिलौनों या चीजों से बहलाने का प्रयास करें और ये खिलौने उसे केवल नैपी बदलने के समय ​ही दिखाएं।
पलटना सीखने के बाद शिशु आगे क्या सीखेगा?
पलटने के लिए शिशु जिन मांसपेशियों का इस्तेमाल करता है, वे अधिकांशत: वही मांसपेशियां हैं, जिनका इस्तेमाल वह घुटनों के बल चलने और बिना सहारे बैठने के लिए करता है। जब आपका शिशु पलटी लेने में निपुण हो जाएगा, तब उसकी गर्दन, पीठ, टांगे व बाजुएं और मजबूत हो जाएंगी।

आठ महीने का होने पर वह बिना किसी सहारे के बैठने में सक्षम होगा। इस समय या इससे थोड़े समय बाद ही शिशु अपने नितंबों के सहारे घिसटना या घुटनों के बल चलना शुरु कर सकता है।
मेरे छह माह के शिशु ने अभी तक पलटना शुरु नहीं किया है। क्या यह चिंता की बात है?
यदि, आपका शिशु छह या सात महीने का होने पर भी अभी तक पलटना नहीं सीख पाया है, तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं।

सभी शिशु अलग-अलग ढंग से कौशल विकसित करते हैं। कुछ यह अन्य की तुलना में काफी जल्दी कर लेते हैं, वहीं कुछ शिशु कभी भी पलटते नहीं हैं। अगर, आपका शिशु पलटी नहीं लेता है और उसने बैठना, नितंबों से घिसटना या घुटनों के बल चलना भी शुरु नहीं किया है, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में पूछें।

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