Login
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu. Fusce viverra neque at purus laoreet consequa. Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
Create an accountLost your password? Please enter your username and email address. You will receive a link to create a new password via email.
मेरा शिशु सोता नहीं है। मुझे क्या करना चाहिए?
शिशु के जन्म के बाद शुरुआती छह महीनों तक आपकी और आपके पति की रातें जागकर कटेंगी और दुर्भाग्यवश इसके लिए कुछ किया नहीं जा सकता। कई बार ऐसा 12 सप्ताह तक भी चल सकता है। अधिकांश नवजात शिशु अनियमित ढंग से सोते हैं, इसलिए आप छह से 12 हफ्तों से पहले उसकी नींद का कोई एक पैटर्न बनता शायद नहीं देख सकेंगी।
मगर, ऐसा हमेशा नहीं रहता। तीन या चार महीनों के बाद आप शिशु को नींद की एक नियमित दिनचर्या स्थापित करने में मदद कर सकती हैं, बस आपको हर दिन एक समान तरीका अपनाना होगा।
शिशु किसी भी दिनचर्या में आसानी से ढलने वाले होते हैं। आप शिशु को अपने साथ या अपने बिना, अपने बिस्तर पर या शिशु के पालने या कॉट में सोना सिखा सकती हैं। वह तरीका चुनें जो आपके और आपके शिशु के लिए सबसे अनुकूल हो, क्योंकि आपको इसी तरीके को आगे जारी रखना है।
जब आपका शिशु छह से आठ सप्ताह का होता है, तो आप उसे अपने आप सोना सिखा सकती हैं। जब शिशु को नींद आ रही हो, मगर जगा हुआ हो, तो उसे पीठ के बल लिटाएं। आप जितनी देर तक चाहें, शिशु के साथ रहें, मगर जब भी वह रात को उठे तो उसे सुलाने का यही तरीका अपनाने के लिए तैयार रहें।
जब भी रात में शिशु जगे तो आपको उसे सुलाने के लिए वही तरीका अपनाना होगा जो आपने शाम को उसे सुलाने के लिए सबसे पहले अपनाया था। यदि आप उसे स्तनपान करवाकर सुलाती हैं तो हर बार उसके जगने पर आपको ऐसा फिर करना होगा। यदि आप उसे खुद से सोने देती हैं, तो वह फिर ऐसी ही उम्मीद करेगा।
जब आप कोई एक तरीके की शुरुआत करती हैं, तो इसे कुछ समय आजमाकर देंखें। यदि आप शिशु को अब हिला-डुलाकर सुलाना नहीं चाहतीं, तो उसे उनींदा, मगर जगा होने पर कॉट में लिटा दें। इसके बाद आप करीब हर पांच मिनट बाद आकर हल्की आवाज में शिशु को आश्वासन दे सकती हैं कि आप आसपास ही हैं। मगर 45 मिनट के बाद आप शिशु को खुद सुलाने न लग जाएं, क्योंकि इससे शिशु को लगेगा कि लंबे समय तक जगे रहने से उसे फायदा होगा।
अपनी योजना को काम करने का समय दें। कम से कम दो हफ्तों तक इस पर टिके रहें और कोशिश करें कि इस दौरान रात में घूमने-फिरने या छुट्टियों पर जाने से उसकी दिनचर्या प्रभावित न करें। आप जो भी नई योजना अपनाती हैं, उसका मतलब है कि आप अपने शिशु को सोने की नई आदतें सीखने के लिए कह रही हैं। पुरानी आदतों को भुलाने और नई आदतों को स्थापित होने में समय लगता है।
यदि आपका शिशु अस्वस्थ हो या उसके दांत निकल रहे हों तो सोने की नई दिनचर्या शुरु न करें। मगर यदि उसके बीमार होने से पहले आपने कोई नई दिनचर्या शुरु की थी, तो इसे जारी रखें। उसके ठीक होने पर जब वह सामान्य होगा, तो यह बहुत काम आएगा।
आपका शिशु नींद की पूर्वानुमानित और आहरामदेह दिनचर्या में सोने लगेगा। यदि आप शिशु को दिन में ज्यादा देर तक या देर शाम सुलाना बंद कर देंगी, तो भी वह शायद रात में सोने लगेगा।
यदि आप संयुक्त परिवार में रहती हैं, तो आपको कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हो सकता है शिशु को खुद सोने देने का आपका तरीका परिवार के कुछ सदस्यों को पसंद न आए। कुछ लोग शिशु को गोद में हिला-डुलाकर सुलाने की पेशकश कर सकते हैं या शिशु को अपने पास सुलाने के लिए कह सकते हैं।
कुछ सदस्य आपको ऐसे सुझाव व सलाह दे सकते हैं जो उनके काम आए थे मगर हो सकता है आप वे विकल्प आजमाना न चाहें। बेहतर है कि आप जो तरीका अपनाना चाहती हैं, उसके बारे में उन्हें बता दें। आप नींद की दिनचर्या में उनकी कुछ मदद ले सकती हैं, ताकि उन्हें बुरा न लगे। सहायता के लिए किसी का होना, हमेशा काम आता है।
यदि शिशु की देखभाल के लिए कामवाली या आया है, तो शिशु की नींद की दिनचर्या के बारे में उसे भी बता दें, ताकि वह भी सब समझ ले और जब आप बाहर हों तो आपके निर्देशों का पालन कर सके।
शिशु को न केवल आपसे मगर उसका ध्यान रखने वाले और उसे सुलाने वाले सब लोगों से एक समान दिनचर्या चाहिए होती है।
सभी प्रयास कर लेने के बाद भी यदि आपका शिशु नही सोता, तो अपनी डॉक्टर से बात करें।
--------------------------- | --------------------------- |