बच्चे अंधेरे से कब डरते हैं?pregnancytips.in

Posted on Tue 18th Oct 2022 : 14:38

शिशु जैसे-जैसे बड़ा होते हैं यानी ग्रोथ इयर्स में उनके मन में कई चीजों को लेकर डर बैठ जाता है। ऐसे में हर माता पिता की यह जिम्मेदारी होती है कि वो बच्चों के मन में बसे डर को कम करें। ऐसा करने के लिए पैरेंट्स को खुद इस संबंध में जानकारी होना जरूरी है। अगर आप भी समझना चाहते हैं कि बच्चों में डर होना सामान्य है या नहीं और बच्चों में डर कैसे पनपता है, तो मॉमजंक्शन का यह लेख आपकी मदद कर सकता है। इस आर्टिकल में बच्चों के डर के संबंध में पूरी जानकारी विस्तार से दी गई है।


क्या बच्चों में डर होना सामान्य है?

हां, बच्चों में डर होना सामान्य है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में कहा गया है कि डर लगना बच्चों के सामान्य विकास का एक हिस्सा है। यह अध्ययन 8 से 13 साल के 290 बच्चों पर किया गया था। अध्ययन में आगे इस बात का भी जिक्र है कि कुछ बच्चों को गंभीर चिंता के कारण भी डर लगता है, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित हो सकती है (1)।

हम आगे बता रहे हैं कि बच्चों के मन में किस तरह से डर पैदा होता है।
बच्चों में कैसे-कैसे डर उत्पन्न होते हैं?

बच्चों को उनके उम्र के हिसाब से अलग-अलग तरह के डर लग सकते हैं। ये कब और किस तरह के डर का शिकार होते हैं, इस बारे में हम उम्र के आधार पर नीचे विस्तार से बता रहे हैं:

6 महीने से 3 साल की उम्र – इस उम्र के बच्चों को अनजान व्यक्ति से डर लगता है। यह डर जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है खुद-ब-खुद दूर होने लगता है (2)।

2 से 3 साल की उम्र– इस उम्र के बच्चों को ज्यादा शोर वाली चीजों से डर लग सकता है। खासतौर पर ऐसा शोर व तेज आवाज, जिससे वो अंजान हों या जिसे समझ न पाते हों। साथ ही जब परिस्थिति सही न हो, तो फर्नीचर के सरकने और प्लेट के गिरकर टूटने की आवाज से भी बच्चे डर जाते हैं। इनके अलावा, घर के बड़ों का गुस्सा करने व नाराज होने पर भी बच्चे डर सकते हैं (3)।

3 से 5 की उम्र– बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, उनमें काल्पनिक चीजों के कारण डर उत्पन्न होने लगता है। इसका कारण यह है कि उन्हें मनगढ़ंत और वास्तविक चीजों में अंतर समझ नहीं आता है। इसके अलावा, उन्हें अंधेरे और परिचित लोगों के चेहरे पर लगे फेस मास्क से भी डर लग सकता है (3)।

स्कूल जाने की उम्र में – इस दौरान बच्चों को वास्तव में होने वाली चीजों से डर लग सकता है, जैसे कि तूफान आने पर, आग लगने से और चोट लगने पर। इन डर से बच्चे जल्दी उबर जाते हैं। साथ ही बच्चे माता-पिता के विवाह और स्वास्थ्य स्थिति से संबंधित परेशानी को सुनकर भी डर सकते हैं। इनके अलावा, कुत्तों, मकड़ियों और सांपों से भी उन्हें डर सकता है (3)।

चलिए, अब जानते है कि बच्चों को आखिर डर क्यों लगता है।
बच्चों को डर क्यों लगता है? | बच्चों को डर लगने के कारण

हर माता-पिता अपने बच्चे के डरने का कारण जानना चाहते हैं, लेकिन कई बार उन्हें डर का स्पष्ट कारण पता नहीं चल पता है। इसके कुछ आम कारण जानने के लिए लेख के इस भाग को पढ़ें।

अंधेरा – बच्चों के डरने का एक सबसे बड़ा कारण अंधेरा भी हो सकता है (3)। अक्सर अंधेरे में चीजों का आकार अलग नजर आता है। इन सबसे बच्चे डर जाते हैं।
कल्पना – अक्सर बच्चों के मन में काल्पनिक चीजें घर कर जाती हैं, जिसके बारे में सोच-सोचकर वो डरते हैं। कई बच्चों को लगता है कि उनके बिस्तर के नीचे राक्षस है या अलमारी हिल रही है (4)।

जानवरों से डर– कई बच्चे जानवरों से भी डरते हैं। वे किसी कुत्ते को देखकर सोचने लगते हैं कि यह उसे काटने वाला है। इसी सोच की वजह से बच्चों में जानवरों से डर बना रहता है (3)।
चिंता (Anxiety)- बच्चों के डरने का एक कारण चिंता होती है। कई शोध से यह पता चला है कि जिन बच्चों को अधिक चिंता होती है, वो डरे हुए रहते हैं (1)।

अब हम बच्चों के डर को दूर करने के कुछ तरीकों की जानकारी दे रहे हैं।
बच्चों के डर को दूर करने के उपाय

बच्चों के डर को दूर करने में माता-पिता की अहम भूमिका होती है। इसके लिए माता-पिता कुछ इस तरह की चीजें कर सकते हैं। ये उपाय कुछ इस प्रकार हैं (3):

बच्चों के डर को कम करने के लिए उन्हें धीरे-धीरे गहरी सांस लेने के लिए कह सकते हैं। इससे डर के कारण शरीर में होने वाली प्रतिक्रियाएं कुछ कम हो सकती हैं।
बच्चे का हाथ पकड़ें या उन्हें गले से लगा लें। ऐसा करने से बच्चे खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।

बच्चों के डर के बारे में उनसे बात करें। आप उन्हें समझा सकते हैं कि रात को किस तरह से चीजों की परछाईं अलग और भयानक दिखती हैं, लेकिन उनसे डरने की जरूरत नहीं है।

बच्चों को सूई से लगने वाले डर को दूर करने के लिए माता-पिता उनके सामने तकिए या टेडी को सुई लगाने की एक्टिंग कर सकते हैं। इससे बच्चों के डर को नियंत्रित किया जा सकता है। अगर घर में कई टीकाकरण के लिए आए, तो वो भी बच्चे को टीका लगाने से पहले उनके टेडी बियर को टीका लगाने का नाटक कर सकते हैं।

बच्चों के यात्रा से जुड़े डर को कम करने के लिए उनके सामने टॉय फायर इंजन नामक खिलौने का उपयोग कर सकते हैं। इससे उनके अंदर के डर को कम करने में मदद मिल सकती है।

बच्चों को भय का सामना करना सिखाना चाहिए। उदाहरण के लिए उनके सामने डरावना मास्क लगाकर जाएं और फिर उसे निकालने के लिए कहें या खुद निकालकर दिखाएं। ऐसा करने से फेस मास्क से होने वाला डर कम हो जाएगा।

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