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बच्चे का पेट खराब हो तो दवा के साथ ये नुस्खे भी आएंगे बड़े काम
कई बार जब बच्चे के दांत निकल रहे होते हैं तब भी बच्चे का पेट खराब हो जाता है और कई बार आपको पता भी नहीं होता कि आखिर क्यों और कैसे बच्चे को लूज मोशन्स शुरू हो गए। ऐसे में दवा के साथ कुछ नुस्खो को अपनाएं तो बच्चे की बीमारी जल्दी दूर हो जाएगी।
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जब खराब हो बच्चे का पेट तो ये नुस्खे आएंगे आपके बड़े काम
अगर आपका बच्चा छोटा है यानी 1 से 3 साल के बीच के शिशुओं को पेट से जुड़ी समस्याएं अक्सर परेशान करती हैं। ज्यादा दिक्कत तब होती है जब बच्चे को लूज मोशन्स होने लग जाएं जिसे डायरिया या पेट खराब होना भी कहते हैं। अगर छोटे बच्चों का पेट खराब हो जाए तो शरीर से बहुत ज्यादा पानी निकल जाने की वजह से न सिर्फ उनमें कमजोरी आ जाती है बल्कि बच्चे चिड़चिड़ेपन का भी शिकार हो जाते हैं और बहुत ज्यादा रोने लगते हैं, क्रैन्की हो जाते हैं। कई बार जब बच्चे के दांत निकल रहे होते हैं तब भी बच्चे का पेट खराब हो सकता है और उसे लूज मोशन्स होने लगते हैं। वैसे तो बच्चों में पेट खराब होने की दिक्कत की कई वजहें हो सकती हैं लेकिन इनमें से कुछ सबसे कॉमन वजहें ये हैं...
पेट खराब होने की ये हैं वजहें
- अगर आपके बच्चे की उम्र 2 साल से कम है तो रोटावायरस से होने वाले इंफेक्शन की वजह से भी उसे लूज मोशन और डायरिया हो सकता है।
- अगर बच्चे को किसी फूड आइटम यानी खाने पीने कि किसी चीज जैसे- दूध, अंडा या मूंगफली से ऐलर्जी है तो इन चीजों को खाने के बाद भी बच्चे का पेट खराब हो सकता है और उसे मोशन्स शुरू हो सकते हैं।
- बच्चे कई बार जब घुटनों के बल चलना शुरू करते हैं तो जमीन पर गिरी चीजें उठाकर सीधे मुंह में रख लेते हैं और इस तरह जर्म्स और गंदी चीजें पेट में जाने की वजह से भी बच्चे को लूज मोशन्स हो सकते हैं।
- अगर किसी गंदी जगह को छूने की वजह से बच्चे के हाथ गंदे हो गए हैं और उन्हीं गंदे हाथों को अगर बच्चा अपने मुंह में रख लेता है तब भी हाथों में लगे कीटाणु शरीर के अंदर चले जाते हैं जिससे पेट खराब और मोशन्स की दिक्कत होने लगती है।
- कई बार बहुत ज्यादा फ्रूट जूस या कोई और लिक्विड चीज पीने की वजह से भी बच्चे का पेट खराब हो सकता है।
लूज मोशन्स की समस्या दूर करने के नुस्खे
अगर बच्चे का पेट खराब है तो जाहिर सी बात है पैरंट होने के नाते आप चिंता करेंगे और बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाकर इलाज करवाएंगे दवा दिलवाएंगे। लेकिन दवा के साथ-साथ आप घर पर भी कुछ घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर बच्चे को कुछ राहत पहुंचाने की कोशिश कर सकती हैं।
डायरिया: कारण, लक्षण और बचाव
1. ओआरएस का घोल
लूज मोशन होने पर ओआरएस का घोल सबसे ज्यादा कारगर साबित होता है और सदियों से मांएं बच्चे का पेट खराब होने पर इसी का इस्तेमाल करती आ रही हैं। आप चाहें तो केमिस्ट की दुकान से लेकर ओआरएस का घोल खरीद सकती हैं या फिर आप चाहें तो घर पर ही इस सलूशन को बना सकती हैं। इसके लिए आपको 1 लीटर पानी को उबालकर ठंडा करना है। इसमें करीब 5 से 6 चम्मच चीनी और 1 चम्मच नमक डालें और अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इस घोल को थोड़ी-थोड़ी देर में बच्चे को पिलाते रहें ताकि उन्हें डिहाइड्रेशन न हो। इस घोल के सेवन से बच्चे के शरीर में हो रहे नमक और फ्लूइड्स की कमी को पूरा किया जा सकता है।
2. चावल का पानी या माड़ और आलू
आप चाहें तो लूज मोशन होने पर बच्चे को चावल का पानी या माड़ जो चावल पकाने के बाद निकलता है, वो भी पिला सकती हैं। इससे भी शरीर में हो रही पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है। साथ ही साथ आप चाहें तो बच्चे को स्टार्च से भरपूर चीजें जैसे आलू और चावल भी खिला सकते हैं। उसमें चुटकी भर जीरा पाउडर मिला देने से इन चीजों का स्वाद भी बेहतर हो जाएगा।
3. बच्चे को केला खिलाएं
लूज मोशन्स की वजह से बच्चे पानी के साथ-साथ पोटैशियम भी खोने लगते हैं और शरीर में इसकी कमी को पूरा करना बेहद जरूरी है। साथ ही साथ लूज मोशन्स के समय बच्चे की एनर्जी और स्ट्रेंथ भी बेहद कम हो जाती है। लिहाजा बच्चे को केला खिलाएं। केले में पोटैशियम, जिंक, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटमिन ए और बी6 होता है। केले के सेवन से बच्चे की खोयी एनर्जी को वापस पाया जा सकता है।
4. छाछ और नारियल पानी
जब बात जर्म्स और बैक्टीरिया से लड़ने की आती है तो उसमें घर के बने बटरमिल्क यानी छाछ भी काफी मददगार है। बच्चे को छाछ पिलाने से उनके डाइजेस्टिव सिस्टम को आराम मिलता है। आप चाहें तो इसमें थोड़ा सा काला नमक डालकर बच्चे को पिलाएं। इससे छाछ का टेस्ट भी बेहतर होगा। 8 महीने से ज्यादा के बच्चे को ही छाछ पिलाएं। नारियल पानी भी लूज मोशन और डायरिया होने पर बच्चे को दे सकते हैं। दिन में 2-3 बार बच्चे को नारियल पानी पिलाएं। इससे शरीर में हो रही फ्लूइड्स की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
5. दही भी है फायदेमंद
जब बच्चे का पेट खराब हो तो कोई भी पैकेज्ड चीजें उसे न खिलाएं। लिहाजा बाजार से खरीद कर बच्चे को दही खिलाने की बजाए, आप उन्हें घर की जमी हुई दही खिलाएं। दही में मौजूद हेल्दी बैक्टीरिया बच्चे के डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए बेहतर होगा और लूज मोशन्स को रोकने में भी मदद करेगा।
दही से बना है छाछ, फिर भी ज्यादा फायदेमंद क्यों!
खाने में दही और छाछ कई लोगों को पसंद होता है। जब इनके फायदे की बात आती है तो कई बार लोग छाछ को ज्यादा फायदेमंद बताते हैं। कई लोग यह भी कहते हैं कि बारिश के मौसम में दही के बजाय छाछ लेना चाहिए। अब सवाल उठता है कि छाछ दही को डायल्यूट करके ही बनाया जाता है तो यह ज्यादा फायदेमंद कैसे हुआ! यहां जानते हैं...
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जब दही को मथकर छाछ बनाया जाता है तो इसका रूप बदल जाता है जो कि जल्दी पचता है और पचाने में आसान होता है। इस तरह से यह डाइजेशन के लिए भी अच्छा बन जाता है और दही की जगह तरावट देने वाले पेय के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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अच्छे डाइजेशन और डिहाइड्रेशन से बचाने के अलावा छाछ मसालेदार खाने के बाद पेट को राहत देता है। यह कैल्शियम का बेहतरीन सोर्स है और इसे लैक्टोज न पचाने वाले लोग भी ले सकते हैं। इसमें विटमिन पाए जाते हैं और यह बहुत हेल्दी होता है।
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एक स्टडी में भी यह साबित हुआ है कि छाछ में बायोऐक्टिव प्रोटीन होता है जो कि कॅलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। एक स्टडी के मुताबिक यह हाई ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।
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छाछ बेहद फायदेमंद है फिर भी कुछ परिस्थितियों में छाछ की जगह दही लेना बेहतर होता है जैसे, जो लोग वजन बढ़ाना चाहते हैं या जिन बच्चों में पोषण की कमी है वे दही लें क्योंकि इसमें पोषक तत्वों का कंसंट्रेशन ज्यादा होता है। जो लोग लिक्विड डायट से परहेज में हैं और उन्हें प्रोटीन चाहिए जैसे किडनी के मरीज, वे दही ले सते हैं।
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