बच्चे का लिंग कैसे पता करें?pregnancytips.in

Posted on Sat 22nd Oct 2022 : 10:56

गर्भ में बच्चे का सेक्स कब निर्धारित होता है?

प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही कपल से एक सवाल तकरीबन सभी लोग पूछते ही लेते हैं कि तुम्हें लड़का चाहिए या लड़की? अब ये तो अपने हाथ में नहीं होता है इसलिए कुछ कपल्स कहते हैं लड़का, कुछ कपल्स कहते हैं लड़की और कुछ लोग तो कहते हैं हमें हेल्दी बेबी चाहिए अब वो चाहे लड़का हो या लड़की। वैसे गर्भ में पल रहे बच्चे का सेक्स क्या है यह सवाल कपल्स के मन में भी उठता रहता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में इसी टॉपिक से थोड़ा हटकर बात करेंगे कि गर्भावस्था में बच्चे का सेक्स (Baby | s Sex in womb) कब निर्धारित होता है यानी प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ में पल रहा शिशु कब लड़का या लड़की, किसी एक लिंग का हो जाता है और इससे ही जुड़े कई सवालों के जवाब।

नोट: भ्रूण का लिंग परीक्षण यानी बच्चे का सेक्स डिटरमिनेशन (Sex determination) करवाना भारत में कानूनी अपराध है।


बच्चे का सेक्स (Baby | s Sex in womb)
बच्चे का सेक्स समझने के लिए पहले थोड़ा विज्ञान की भाषा को समझना जरूरी है। शिशु का सेक्स एक्स (X) एवं वाई (Y) सेक्स क्रोमोसोम पर निर्भर करता है। शिशु का निर्माण एग एवं स्पर्म के मिलने से बनता है, जिसमें एग यानी अंडाणु (Eggs) में एक्सएक्स क्रोमोसोम होता है और स्पर्म यानी शुक्राणु (Sperms) में एक्सवाई क्रोमोसोम होता है। जिन एम्ब्रीओ (Embryo) में एक्सवाई क्रोमोसोम (Embryos with XY chromosomes) होते हैं, तो उनमें मेल सेक्स ऑर्गन डेवलप होता है, वहीं सिर्फ एक्सएक्स क्रोमोसोम (XX chromosomes) वाले एम्ब्रीओ में फीमेल सेक्स ऑर्गन डेवलप होता है। इसका अर्थ यह है कि स्पर्म से बच्चे का सेक्स (Baby | s sex) निर्धारित होता है।
गर्भ में पल रहे शिशु का सेक्स कब लड़की या लड़का बनता है? (When does an embryo become male or female?)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार फर्टिलाइजेशन के दौरान एम्ब्रीओ का क्रोमोसोमल सेक्स बनता है और प्रेग्नेंसी के 6 हफ्ते बीतने के बाद बेबी गर्ल (Baby girl) या बेबी बॉय (Baby boy) का बनना शुरू हो जाता है। हालांकि बच्चे का सेक्स निर्धारित होना अपने आप में एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें गोनाड्स (Gonads) एवं जेनेटिलिया (Genitalia) की खास भूमिका होती है। अब अगर इन बातों को और भी आसान शब्दों में समझें, तो भ्रूण यानी एम्ब्रीओ का निर्माण तब शुरू होता है जब टेस्टिस का निर्माण शुरू होता है और टेस्टिस का निर्माण टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) पर निर्भर करता है। मेल ऑर्गन के विकास के लिए टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन (Testosterone Hormone) की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वैसे इसके साथ-साथ वास डेफेरेंस (vas deferens), सेमिनल वेसेकिल्स (Seminal vesicles) और प्रोस्टेट ग्लैंड (Prostate gland) का भी विकास होता है। अब ठीक ऐसे फीमेल ऑर्गन के लिए ओवरी का विकास होता है। अब इससे एस्‍ट्राडिओल हॉर्मोन (Estradiol Hormone) का रिसाव होता है। एस्ट्राडियोल हॉर्मोन की मदद से ही फैलोपियन ट्यूब (Fallopian Tube), यूट्रस (Uterus) एवं वजायना (Vagina) का निर्माण होता है।
ये तो हुई मेडिकल साइंस की भाषा में बच्चे का सेक्स (Baby | s Sex in womb) निर्धारित होने का समय, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान कई ऐसे टेस्ट किये जाते हैं जिससे बच्चे का सेक्स (Baby | s Sex in womb) जाना जा सकता है।
नोट: भ्रूण का लिंग परीक्षण यानी बच्चे का सेक्स डिटरमिनेशन (Sex determination) करवाना भारत में कानूनी अपराध है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान लिंग परीक्षण ना करवाएं। यहां हम कुछ टेस्ट के बारे में आपसे सिर्फ जानकारी शेयर करने जा रहें। इसका लिंग परीक्षण यानी बच्चे का सेक्स डिटरमिनेशन (Baby | s Sex determination) की जानकारी देना हमारा उदेश्य नहीं है और ये टेस्ट रिपोर्ट भी पूरी तरह से सही नहीं होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान की जाने वाली टेस्ट कौन-कौन सी है? (Test during Pregnancy)
गर्भावस्था के दौरान कई अलग-अलग तरह की टेस्ट की जाती है जैसे ब्लड टेस्ट (Blood Test), यूरिन टेस्ट (Urine Test), अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) एवं और भी कई अन्य। यहां हम जिन टेस्ट की बात करने जा रहें उन्हें सिर्फ लिंग परीक्षण से जोड़कर देखना सही नहीं होगा, क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे शिशु की एब्नॉर्मलटिस (Abnormalities) को समझने की कोशिश की जाती है अगर एब्नॉर्मलटिस की आशंका होती है तब।
एनआईपीटी ब्लड टेस्टिंग (NIPT blood testing)- यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेस (U.S. Department of Health and Human Services) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार नॉनइनवेसिव पेरेंटल टेस्टिंग (Noninvasive prenatal testing) की जरूरत तब पड़ सकती है जब अगर किसी तरह डिसॉर्डर या जेनेटिकल एब्नॉर्मलटिस की आशंका होती है। इसलिए इस टेस्ट को सिर्फ शिशु का लिंग परिक्षण समझना गलत होगा और टेस्ट के दौरान अगर बच्चे के सेक्स की जानकारी अगर मिलती है, तो यह पूरी तरह से सही भी नहीं होती है।
अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)- नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड 18 से 21वें हफ्ते में शेड्यूल करते हैं, जबकि लिंग परिक्षण के लिए 14वें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड शेड्यूल किया जाता है।
नोट: एनआईपीटी ब्लड टेस्टिंग हो या अल्ट्रासाउंड, गर्भावस्था में शिशु का लिंग परिक्षण नहीं करवाया जा सकता है। अगर डॉक्टर, हॉस्पिटल या कपल ऐसे करते हैं या करवाते हैं तो सख्त करवाई की जाती है।


चलिए गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की यह तो मेडिकल साइंस की भाषा में हमने समझा, लेकिन गर्भवती महिला को देखकर भी कुछ लोग अंदाजा लगा लेते हैं कि की घर में बेटा या बेटी आने वाली है।
गर्भ में लड़का है या लड़की? (It | s Baby Boy or Baby Girl!)
बच्चे का सेक्स (Baby | s Sex in womb)
कुछ लोग गर्भवती महिला को देखकर या उनके आदतों से ही अंदाजा लगा लेते हैं और इस ओर इशारा कर देते हैं कि घर में राजकुमार या फिर राजकुमारी आने वाली है। जैसे :
अगर गर्भवती महिला खाना खाना नहीं चाहती हैं, तो यह बेटे के जन्म (Birth) की संभावना जताई जाती है।
गर्भवती महिला अगर मिठाई (Sweets) और आईसक्रीम (Icecream) ज्यादा खाने लगे तो बेटी के जन्म की संभावना जताई जाती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर ब्रेस्ट साइज (Breast size) बड़ा हो जाए तो बेटी के जन्म की संभावना जताई जाती है।
प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग (Moodswing) होना नॉर्मल है, लेकिन अगर बहुत ज्यादा मूड स्विंग हो और गर्भवती महिला बिना कारण अगर हमेशा दुखी रहती हैं, तो बेटे के जन्म की संभावना जताई जाती है।
गर्भावस्था के दौरान अगर महिला सुंदर दिखने के लगे, तो यह भी बेटे के जन्म की संभावना जताई जाती है। वहीं अगर चेहरे पर पिंपल (Pimple), बेजान त्वचा (Unhealthy skin) या बाल (Hair) लड़की के जन्म की संभावना जताते हैं।
यहां ऊपर साझा की गई बातें सिर्फ एक अनुमान है। इसलिए इन बातों को सच नहीं मानना चाहिए।
इस आर्टिकल में हमनें आपके साथ बच्चे के सेक्स (Baby | s Sex in womb) डिटर्मिनेशन की जानकारी शेयर की है। अगर आप प्रेग्नेंसी (Pregnancy) से जुड़े किसी तरह के सवालों का जवाब जानना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देनी की पूरी कोशिश करेंगे। वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान अगर कोई परेशानी महसूस होती है, तो बिना देर किये जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला अपना ख्याल तो रखती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी के बाद भी गर्भवती महिला को अपने विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और एक्पर्ट से जानें न्यू मदर के लिए खास टिप्स यहां।

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