बच्चे का सिर बड़ा क्यों होता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30


न्यूरो सर्जन कहते हैं- बड़ा सिर मतलब ब्रेन में पानी जमने की बीमारी, ब्रेन डैमेज हो मौत भी हो सकती है

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। अगर किसी बच्चे का सिर बड़ा हो रहा है तो समझे उसके ब्रेन में पानी जम गया है। उसकी तत्काल चिकित्सा करानी चाहिए। अगर चिकित्सा नहीं कराते हैं तो बच्चे का पूरा ब्रेन डैमेज हो सकता है। यहां तक कि उसकी मौत भी हो सकती है। यह बातें नॉर्थ बंगाल न्यूरो सेंटर के निदेशक तथा प्रमुख न्यूरो सर्जन डॉ सिद्घिराज शर्मा ने कही।

वह दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम प्रश्न प्रहर में शामिल होने के लिए दैनिक जागरण कार्यालय आए हुए थे। यहीं उन्होंने न्यूरो संबंधित विभिन्न बीमारियों को लेकर चर्चा की तथा पाठकों द्वारा फोन पर पूछे गए प्रश्नों के जवाब भी दिए। डॉ शर्मा ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में बच्चों के सिर बढ़ने की समस्या काफी देखी जाती है। हांलाकि यह बीमारी इस इलाके में तो कम है लेकिन बिहार तथा उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में यह बीमारी काफी अधिक है।

बच्चा सामान्य रूप से जन्म लेता है। लेकिन धीरे-धीरे उसका सिर बड़ा हो जाता है। यह एक न्यूरो संबंधी बीमारी है। हांलाकि यह कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। एक सर्जरी से इसकी चिकित्सा की जा सकती है। लेकिन अभिभावकों में जागरूकता की कमी तथा सही न्यूरो सर्जन के पास नहीं जाने के कारण इस बीमारी से पीड़ित बच्चे के चिकित्सा नहीं हो पाती है। इस बीमारी को हाइड्रो कैपल्स कहते हैं।

उन्होंने कहा कि दिमाग में हर मिनट 1 मिलीलीटर पानी बनता है। जिस प्रकार से पानी बनता है उसी प्रकार से शरीर पानी को शोख भी लेता है। यदि दिमाग से बने पानी को शोखने की क्षमता खत्म हो जाए तो यही पानी जमने लगता है और सिर बड़ा हो जाता है। ऑपरेशन के जरिए इसकी चिकित्सा की जा सकती है। इसके अलावा डॉ शर्मा ने न्यूरो संबंधित अन्य बीमारियों की भी जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक तथा मेरुदंड में दर्द आदि जैसी बीमारी आजकल आम हो गई है। यह सभी बीमारी न्यूरो संबंधित बीमारी है। इसकी चिकित्सा न्यूरोलॉजिस्ट करते हैं और अगर किसी प्रकार की सर्जरी की जरूरत पड़ती है तो न्यूरोसर्जन से संपर्क करना पड़ता है।

डॉक्टर शर्मा पिछले 15 साल से सिलीगुड़ी में रोगियों की चिकित्सा कर रहे हैं। उनकी स्कूली शिक्षा पड़ोसी राज्य सिक्किम में हुई। उन्होंने एमबीबीएस लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से 1988 में किया। 1995 में उन्होंने इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से एमएस की डिग्री हासिल की। डॉक्टरी की अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह दिल्ली चले गए और वहां लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट के पद पर काम करने लगे।

उन्होंने लखनऊ के पीजीएच अस्पताल में भी अपनी सेवा दी। 2004 में वह सिलीगुड़ी आ गए। तब से लेकर अब तक उन्होंने सिलीगुड़ी को ही अपना कर्म क्षेत्र बना लिया। उनका कहना है कि सिलीगुड़ी में उनके परिवार के लोग और कई रिश्तेदार रहते हैं। वह अपने परिवार एवं माता-पिता के निकट रहना चाहते समझे थे। इसलिए बाहर कहीं नहीं रहकर उन्होंने सिलीगुड़ी को ही अपना कार्यक्षेत्र बनाने का निर्णय लिया।

प्रश्न: पैरों में झनझनाहट होती है, डॉक्टरों ने एमआरआई कराने के लिए कहा है। क्या करना चाहिए।

-संदीप अग्रवाल,सिलीगुड़ी

उत्तर: स्लिप डिस्क में नस दबने से पैरों में झनझनाहट की समस्या होती है। अगर एमआरआई करा लें तो यह पता चल सकेगा कि कोई नश स्लिप डिस्क में दबा है या नहीं। यदि बीमारी निकलती है तो सर्जरी से ठीक हो जाएगी।

प्रश्न: कुछ साल पहले बाइक से गिर गया था। उसके बाद पैर एवं कमर में झुनझुनाहट होती है।

-दीपक कुमार,सिलीगुड़ी

उत्तर: आपने डेढ़ साल पहले बाइक से गिरने की बात कही है। आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर कोई बड़ी समस्या होती तो डेढ़ साल आप ऐसे नहीं रह पाते। फिर भी आप कुछ एक्सरसाइज कर सकते हैं। भारी समान ना उठाएं और झुक कर काम करने से बचें। आपकी समस्या दूर हो जाएगी।

प्रश्न: मेरी पत्‍नी को सिर दर्द की बीमारी है। आधे घंटे तक सिरदर्द के बाद ठीक हो जाती है। सिटी स्कैन भी करा कर देख लिया, लेकिन कोई बीमारी नहीं निकली।

-सचिन कुमार,सिलीगुड़ी

उत्तर: यदि सीटी स्कैन ठीक है तो इसका मतलब है उन्हें कोई बड़ी बीमारी नहीं है। ब्रेन में ट्यूमर आदि जैसी समस्या नहीं है। यदि सिरदर्द हो तो आमतौर पर सिर दर्द की गोली लेनी चाहिए। फिर भी एक बार आप किसी डॉक्टर से मिल लें।

प्रश्न: काम के सिलसिले में नियमित रूप से बाइक चलाना पड़ता है। कमर में दर्द की समस्या है, क्या करें।

-सूरज प्रसाद, बिन्नागुड़ी

उत्तर: आपको मैकेनिकल बैक पेन की समस्या हो सकती है। यह बीमारी नश से संबंधित नहीं है। ज्यादा दर्द हो तो कमर दर्द की दवा लें। आप कुछ एक्सरसाइज भी कर सकते हैं। बैक मसल्स को मजबूत बनाएं।

प्रश्न: कहीं बैठते हैं तो झनझनाहट होने लगती हैं। शरीर के कई अंगों में झनझनाहट होती हैं।

-जगदीश थापा, दार्जिलिंग

उत्तर : आपको एस्पेंडोलाइटिस की समस्या हो सकती है। जहां भी बैठें कमर सीधी कर बैठें। लगातार बैठे रहने से या बीमारी होती है। यदि आप कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं तो हर आधा एक घंटा में कुछ मिनट के लिए कुर्सी से उठ जाएं। 3 से 4 मिनट पैदल चलें फिर आकर काम करें। कुछ एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।

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