बच्चे की ग्रोथ कैसे होती है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

अगर आपका शिशु अपने उम्र के 9वें महीने में कदम रख चुका है, तो वह पहले से ज्यादा चुस्त और थोड़ा नटखट भी हो गया होगा। आपको उसकी भोली मुस्कान लुभाती होगी और आप उसके विकास के संबंध में और भी बहुत कुछ जानना चाहते होंगे। मॉमजंक्शन के इस लेख में आपको 9 महीने का बच्चा क्या-क्या कर सकता है, क्या खा सकता है आदि बातों के बारे में जानकारी मिलेगी।
9 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?

9 महीने के शिशु का विकास पिछले महीनों की तुलना में काफी एक्टिव हो जाता है। उसके वजन और हाइट में भी काफी बदलाव होते हैं। नौ महीने की बेबी गर्ल का सामान्य वजन लगभग 7.2 से लेकर 9.3 किलो तक और लंबाई करीब 70 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन लगभग 7.9 किलो से लेकर 10.2 किलो तक हो सकता है और लंबाई लगभग 72 सेंटीमीटर तक हो सकती है (1)।

नोट : हर शिशु का शारीरिक विकास अलग-अलग होता है। इसलिए, सभी के वजन और लंबाई में अंतर हो सकता है। माता-पिता के लिए ध्यान रखने वाली एक बात यह है कि आमतौर पर बच्चे का वजन जन्म के वजन पर निर्भर करता है। इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चे के वजन की तुलना उसके जन्म के वजन से करनी चाहिए। पांचवें महीने तक शिशु का वजन उसके जन्म के वजन से दोगुना होना चाहिए 1 वर्ष का होने तक तिगुना होना चाहिए।

लेख के अगले भाग में हम 9 महीने के शिशु के विकास में होने वाले जरूरी माइलस्टोन के बारे में बताएंगे।
9 महीने के बच्चे के विकास के माइल्सटोन क्या हैं?

अब आपका शिशु नौ महीने का हो चुका है और वह पहले से ज्यादा फुर्तीला हो गया होगा। 9 महीने की उम्र में बच्चे की गतिविधियों में बदलाव आने लगता है और वो नई-नई चीजें सीखने लगता है। ऐसे में उसके मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों पर ध्यान देना जरूरी है। यहां जानिए कि 9 महीने के शिशु में क्या-क्या परिवर्तन आते हैं :
मानसिक विकास

इशारों की नकल करना – आपने यह तो सुना ही होगा कि बड़े जो करते हैं, बच्चे उसे देखकर दोहराने की कोशिश करते हैं। यह बात काफी हद तक सच है, क्योंकि 9 महीने के बच्चे अपने आसपास हर वक्त रहने वाले लोगों की नकल करने का प्रयास करते हैं। सिर्फ आदतें ही नहीं, बल्कि आवाजों की भी नकल करने लगते हैं। इसलिए, जो उनके साथ रहते हैं, उन्हें कोई भी काम सावधानी से करना चाहिए और सोच-समझकर बोलना चाहिए (2) (3)।

आवाजें निकालना – 9 महीने में शिशु कई तरह की आवाजें निकालने लगते हैं, यहां तक कि ‘मम्मा-बाबा’ तक बोलना सीखने लगते हैं

चीजों को दिखाना – इस उम्र में शिशु को चीजों और लोगों की काफी समझ हो जाती है। उन्हें जो चीज चाहिए होती है या जिस इंसान के पास जाना होता है, वो उनकी तरफ उंगली से इशारा करके दिखाने लगते हैं (2)।

लुका छिपी खेलना – अगर कोई उनके साथ लुका छिपी खेलें, तो उन्हें अच्छा लगता है और वो उस खेल का मजा लेने लगते हैं

‘न’ की समझ – 9 महीने के शिशु ‘न’ शब्द को समझने लगते हैं। अगर वो कोई चीज मांगे और उन्हें न मिले, तो वो रोने लगते हैं (।

चीजों को मुंह में डालना – इस उम्र में शिशु थोड़ी बहुत चीजें खाना सीखने लगते हैं। उनके सामने कुछ भी रहता है, तो वो उसे अपने मुंह में डाल लेते हैं। इसलिए, इस दौरान माता-पिता को शिशु पर काफी ध्यान रखना जरूरी होता है (2)। आमतौर से शिशु की यह हरकत पांचवें महीने से शुरू हो सकती है।

किताबें देखना – 9 महीने के बच्चे रंग-बिरंगी किताबों के तरफ भी बहुत आकर्षित होते हैं। अगर बड़े उनके साथ बैठकर उन्हें कार्टून की किताबें दिखाएं, तो वो काफी देर तक उसकी तरफ आकर्षित रहते हैं (4)।

चीजों को फेंकना – शिशु चीजों को जमीन पर फेंकना या दीवार पर मारना सीखने लगते हैं। अगर एक बार उन्हें उठाकर वो चीज वापस दो, तो उन्हें मजा आता है और वो बार-बार उसे दोहराते हैं (4)।

शारीरिक विकास

क्रॉल या घुटनों के बल चलना – माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं होता, जब उनका शिशु घुटनों के बल चलकर उनके तरफ आता है। 9 महीने का बच्चा घुटनों के बल चलना सीखने और खेलने लगता है (2)।

बिना सहारे के बैठना – शिशु जन्म के कुछ महीने तक खुद से बैठ नहीं पाता, क्योंकि उनकी रीढ़ की हड्डी कमजोर होती है और सही तरीके से विकसित नहीं होती है। फिर जैसे-जैसे वो बड़े होने लगते हैं, उनकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होने लगती है और जब शिशु 9 महीने के होते हैं, तो वो बिना सहारे के बैठने लगते हैं (2)।

चीजों को पकड़ना – शिशु अपने तर्जनी और अंगूठे से छोटी-छोटी चीजों को पकड़ना सीखने लगते हैं और एक हाथ से दूसरे हाथ में पास करना भी सीख जाते हैं (2) (3)।

कंधों और हाथों का उपयोग – शिशु कंधों और हाथों का सहारा लेने लगते हैं। अगर उन्हें नीचे या बेड पर पेट के बल लेटाया जाता है, तो वो अपने हाथों से खुद को रोक सकते हैं। इसको पैराशूट रिफ्लेक्स कहते हैं (3)।

सहारे से खड़ा होना – शिशु सहारे के साथ-साथ धीरे-धीरे खड़े होने लगते हैं। कई बार तो वो इशारे करके या रो-रोकर लोगों को अपने पास बुलाते हैं। फिर उनके सहारे खड़े होकर खुश हो जाते हैं (2)।

सामाजिक और भावनात्मक विकास

जानने वालों के ज्यादा करीब – जो लोग शिशु के साथ ज्यादा वक्त बिताते हैं, उनके साथ शिशु ज्यादा घुल-मिल जाते हैं और प्यार जताते हैं। साथ ही उनके करीब रहना पसंद करते हैं (2)।

अजनबियों से डर – शिशु को लोगों को पहचानने की समझ होने लगती है। वो अपने और अजनबियों के बीच फर्क समझने लगते हैं। इसलिए, जब वो कोई नया चेहरा देखते हैं या किसी अजनबी के गोद में जाते हैं, तो रोने और चिड़चिड़ाने लगते हैं (2)।

पसंदीदा खिलौना – 9 महीने में शिशु कई तरह के खिलौनों से खेलना सीख जाते हैं। साथ ही कई बार उनको कुछ विशेष तरह के खिलौनों के साथ खेलना ज्यादा पसंद होता है। ऐसे में उनके पसंदीदा खिलौने भी हो जाते हैं, जिनके साथ उन्हें खेलना अच्छा लगता है (2)।

इशारों में मांगना – अगर शिशु को कुछ जरूरत होती है, तो वो अपने हाथों के इशारे से या अन्य तरीकों से चीजों को मांगना शुरू करते हैं। वो इशारों से अपनी पसंद-नापसंद को थोड़ा-बहुत जाहिर करने लगते हैं।

नाम पहचानना – 9 महीने के शिशु धीरे-धीरे नाम से लोगों को पहचानने लगते हैं। जैसे – अगर कोई शिशु के सामने मम्मी-पापा कहे, तो शिशु हरकत में आ सकते हैं। वहीं, जिनके साथ वो पूरा दिन बिताते हैं, चाहे वो भाई-बहन हो या परिवार का अन्य सदस्य। उनके नाम से भी उन्हें जानने लगते हैं।

बोलना शुरू करते हैं – कुछ शिशु जल्दी बोलते हैं, कुछ देर से। अगर 9 महीने के शिशु की बात की जाए, तो वो ‘मम्मा’, ‘मां’, ‘पापा’, ‘बाबा’, जैसे आसान शब्दों को थोड़ा-बहुत बोलने लग सकते हैं।

आगे जानिए 9 महीने बच्चे को कौन-कौन से टीके लगवाने जरूरी है।
9 महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगाए जाते हैं?

9 महीने के शिशु का विकास सही तरीके से हो, उसके लिए उन्हें लगने वाले टीकों का ध्यान रखना जरूरी है। टीकाकरण के कारण ही शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है और बीमारियों से उनका बचाव हो सकता है। इसलिए, लेख के इस भाग में हम 9 महीने बच्चे को लगाए जाने वाले टीकों के बारे में जानकारी दे रहे हैं (5)।

ओपीवी 2
एमएमआर -1

नोट : टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन टीका शिशु को 9 से 12 महीने के बीच लगाया जाता है। इस बारे में आपको डॉक्टर या शिशु विशेषज्ञ से और अच्छी जानकारी मिल सकती है। इसके अलावा, बच्चे को 9 महीने में विटामिन ए की खुराक मिलती है और उसके बाद 5 साल तक हर 6 महीने में।

अब बारी आती है यह जानने की कि 9 महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है।
9 महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है?

मां का दूध – शिशु को 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाना ही चाहिए। उसके बाद शिशु को ठोस आहार देना शुरू किया जा सकता है। वहीं, कुछ शिशु 6 महीने के बाद भी मां के दूध का सेवन करते हैं। अगर आपका 9 महीने का शिशु भी उन्हीं में से एक है, तो उसे दिन भर में तीन से पांच बार स्तनपान करा सकते हैं। अगर मिलीलीटर की बात करें, तो शिशु लगभग 887 से 946 मिलीलीटर (30 to 32 ounces) तक दूध पी सकता है। यह मात्रा काफी हद तक शिशु के स्वास्थ्य और भूख पर भी निर्भर करती है (6)।

फॉर्मूला फीड – अगर आपका शिशु फॉर्मूला दूध पीता है, तो आप उसे उसकी इच्छानुसार चार से पांच बार फॉर्मूला फीड दे सकते हैं। आप दिनभर में 700 से 950 मिलीलीटर तक फॉर्मूला दूध दे सकते हैं (7)।

नोट : शिशु की दूध पीने की मात्रा उसके भूख और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। हर शिशु की भूख और जरूरत अलग-अलग होती है, तो उसी के अनुसार वो दूध पीते हैं।

दूध के बाद बारी आती है आपके 9 महीने बच्चे के विकास के लिए सही मात्रा में आहार के बारे में जानने की।
9 महीने के बच्चे के लिए कितना खाना आवश्यक है?

अगर आपका शिशु फॉर्मूला दूध पीता है, तो आप उसे उसकी इच्छानुसार चार से पांच बार फॉर्मूला फीड दे सकते हैं। आप प्रति फीड में 177 से 236 ml (6 to 8 oz) तक फॉर्मूला दूध दे सकते हैं (7)। बेहतर है इस बारे में शिशु विशेषज्ञ की भी राय ली जाए।
खाद्य पदार्थ मात्रा
बेबी सीरीयल (शुरुआत करें होल वीट और मिश्रित अनाज से) पूरे दिन में 4 से 8 चम्मच या उससे ज्यादा भी दे सकते हैं
हरी सब्जियां हर दिन एक चौथाई कप से आधा कप दो से तीन बार
फल हर दिन एक चौथाई कप से आधा कप दो से तीन बार
डेयरी उत्पाद – दही या पनीर एक चौथाई कप दही या पनीर के छोटे टुकड़े दिनभर में एक से दो बार
प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ – अंडे की जर्दी, चिकन, बीन्स एक चौथाई कप एक से दो बार
पानी आधा से एक कप (लगभग 125 से 250 मिलीलीटर – 4 to 8 oz) मतलब पूरे दिन में आधा से कप
फलों का जूस शिशु के एक साल का होने के बाद ही दें।

नोट : शिशु को एक साल होने के बाद ही होल मिल्क और अंडे का सफेद भाग दें। इसके अलावा, हर शिशु का स्वास्थ्य और जरूरत अलग-अलग होती है, इसलिए यह डाइट चार्ट एक उदाहरण के तौर पर हमने आपके साथ शेयर किया है।अपने शिशु के डाइट चार्ट के लिए आप शिशु विशेषज्ञ से राय ले सकते हैं।

आगे जानिए 9 महीने बच्चे के लिए कितनी नींद जरूरी है।
9 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?

9 महीने के बच्चे का विकास सही तरीके से हो, उसके लिए पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है। 9 महीने के बच्चे की नींद में पहले की तुलना में बदलाव हो सकते हैं। 9 महीने के बच्चे के लिए 24 घंटे में से 12-16 घंटे की नींद जरूरी होती है। इसमें कुछ देर की झपकियां भी शामिल हैं (8)।
9 महीने के बच्चे के लिए खेल और गतिविधियां

अब बात करते हैं आपके 9 महीने के नन्हे और फुर्तीले शिशु के लिए कुछ खेल और गतिविधियां के बारे में, जो उन्हें मानसिक और शारीरिक तरीके से और एक्टिव बनाने में आपकी मदद कर सकती हैं (9)।

गेंद से खेलना – शिशुओं को बॉल से खेलना अच्छा लगता है। अगर उनके सामने कोई छोटी या बड़ी गेंद रखी जाए, तो वो उसे दूर फेंकने की कोशिश करते हैं। कोई उसे फिर से गेंद लाकर दे, तो शिशु बार-बार मजे के लिए यह प्रक्रिया दोहराते हैं। इस उम्र के शिशु को आवाज करने वाले और लाइट वाले खिलौने पसंद होते हैं।

किताबें या तस्वीरें देखना – शिशु को रंग-बिरंगी किताबें दिखाएं और उन्हें कहानियां सुनाएं। ऐसा करने से वो न सिर्फ किताब के पन्नों को पलट-पलटकर आपकी कहानी सुनाने की नकल करेंगे, बल्कि रंगों को भी देखकर खुश होंगे।

बाल्टी के साथ खेलना – शिशु के सामने कोई बाल्टी रख दें और उसमें उनके सामने खिलौने गिराएं। इससे वो भी आपकी नकल करेंगे और खिलौने गिराएंगे। वो जैसे ही ऐसा करें आप उनके सामने ‘धप’ या कोई और शब्द बोलें। ऐसा करने से वो धीरे-धीरे कुछ शब्द सीखने लगेंगे। अगली बार जब आपका बच्चा बाल्टी में कुछ गिराए, तो आप चुप रहकर उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार करें।

गाना या ताली बजाना – शिशु के सामने ताली बजाकर या गाना चलाकर खेलें। कई शिशु तो गाने सुनकर नाचने तक की कोशिश करते हैं और उत्सुक होकर ताली भी बजाने लगते हैं।

लेख के आगे के भाग में जानिए कि 9 महीने के बच्चे के माता-पिता को उनके नन्हे के लिए कौन सी स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं होती हैं।
9 महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं

काली खांसी – काली खांसी संक्रामक होती है और यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। अगर आपके बच्चे की नाक बह रही हो, उसे हल्का बुखार हो और वो लगातार खांस रहा हो, तो बिना देर करते हुए उसे डॉक्टर के पास ले जाएं। इससे शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

निमोनिया – अगर आपके शिशु को लगातार बुखार हो, ठंड लगे, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ हो, तो यह निमोनिया का लक्षण हो सकता है। ऐसी स्थिति में बिना देर करते हुए डॉक्टर से संपर्क कर शिशु की सेहत पर ध्यान दें।

कान में संक्रमण – कभी-कभी ऐसा होता है कि नहलाते वक्त शिशु के कान में हल्का पानी जा सकता है। हालांकि, माता-पिता तौलिए से कान साफ कर देते हैं, लेकिन कभी-कभी ऐसा करने से भी पानी ठीक से नहीं निकलता है। इस कारण शिशु को कान दर्द की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है और कान में संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं और सावधानी बरतें।

9 महीने बच्चे के बारे में जानिए कुछ और बातें।
बच्चे की सुनने की क्षमता, दृष्टि और अन्य इंद्रियां
क्या मेरा बच्चा देख सकता है?

आपके शिशु की दृष्टि महीने दर महीने तेज होने लगती है और नौवें महीने में आपकी शिशु की दृष्टि काफी विकसित हो जाती है। अब आपका शिशु दूर और पास दोनों चीजें तो देख ही सकता है, साथ ही चलती हुई चीजों पर भी ध्यान केंद्रित कर सकता है। उसे रंग-बिरंगी किताबें और खिलौने देखना और परिचित चेहरों को देखना पसंद आने लगता है (10)।
क्या मेरा बच्चा सुन सकता है?

आपका शिशु जन्म के बाद से ही आपको सुनने और समझने लगता है। वो जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसके सुनने और समझने की ताकत भी विकसित होने लगती है। इस उम्र में शिशु आवाजों को और शब्दों जैसे – दा, बा को सुनकर समझने लगता है और उससे अपने शब्द जैसे – दादा, बाबा बनाकर बोलने की कोशिश करने लगता है (10)।
क्या मेरा बच्चा स्वाद और गंध को पहचान सकता है?

इस उम्र से ही शिशु अपने पसंद के खाने का धीरे-धीरे चुनाव करने लगते हैं। अगर आपका शिशु कुछ खाने से इंकार करे, तो आप उसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार वो चीज देने की कोशिश करें। ऐसा करने से वो कभी न कभी उस चीज को जरूर चखेंगे। इसके अलावा, शिशु को अच्छी खुशबू वाली चीजों को हल्का-हल्का सुंघाएं, ताकि उनमें गंध की समझ और ज्यादा होने लगे (10)।

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wordpress 1 year ago 5 Answer
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