बच्चे के सिर का आकार कब स्थायी हो जाता है?pregnancytips.in

Posted on Mon 17th Oct 2022 : 16:05

नवजात शिशु के सिर का अलग-अलग व अजीब सा आकार होना एकदम सामान्य बात है। शिशुओं की खोपड़ी की हड्डियां नर्म-लचीली होती हैं, ताकि प्राकृतिक प्रसव के दौरान संकरे जनन मार्ग से सिकुड़ कर निकलने में उन्हें आसानी हो। इस प्रक्रिया को अंग्रेजी में मोल्डिंग कहा जाता है।

मोल्डिंग की वजह से नवजात की खोपड़ी पर पड़ने वाले हल्के दबाव के कारण उसका सिर शंकु के आकार का या थोड़ा लंबा या फिर टेड़े-मेड़े आकार का दिख सकता है। शिशु के सिर के नरम स्थानों (सॉफ्ट स्पॉट) के बंद होने और सिर की हड्डियों के मिलने और एक-दूसरे से जुड़ जाने पर यह अजीब से आकार का सिर स्वत: ही एक समान हो जाता है।

शिशु के सिर पर दो नरम स्थान होते हैं, जिन्हें कलांतराल (फॉन्टानेल) कहा जाता है। शिशु के सिर के पीछे वाला कलांतराल छह सप्ताह में बंद हो जाता है। दूसरा नरम स्थान काफी प्रत्यक्ष होता है। यह सिर के शीर्ष भाग की त्वचा पर हल्के से धंसे हुए हिस्से के रूप में आसानी से छूकर महसूस किया जा सकता है। यह आमतौर पर 18 महीनों से पहले बंद नहीं होता।

नन्हे शिशु के सिर के पीछे का हिस्सा समतल होना भी काफी आम है। ऐसा सामान्यत: इसलिए होता है क्योंकि शिशुओं को पीठ के बल सुलाया जाता है, जिससे अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) का खतरा कम होता है।

शिशुओं में सिर के पीछे की तरफ या साइड में समतल हिस्सा होने के अन्य कारणों में शामिल हैं:

समय से पहले जन्म। यदि आपके शिशु का जन्म समय से पहले हुआ था, तो उसकी हड्डियां अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुई होंगी और वे काफी नरम होगी। इसका मतलब है कि प्रसव के दौरान प्रसव नलिका से बाहर आते हुए उसके सिर का आकार बिगड़ने की संभावना ज्यादा होगी। ऐसे शिशुओं को अपने सिर का नियंत्रण संभालने में भी समय पर जन्मे शिशुओं की तुलना में अधिक समय लगता है। इसलिए जब तक वे थोड़े बड़े नहीं हो जाते, वे अपने सिर पर किसी विशिष्ट स्थान से दबाव नही हटा पाते।
गर्भ में एक से ज्यादा शिशु। यदि आपके गर्भ में एक से अधिक शिशु पल रहे थे, तो यह भी शिशु के सिर का आकार बिगड़ने की वजह हो सकती है।
एमनियोटिक द्रव कम होना (ओलिगोहाइड्रेमनियोस)। यदि आपके एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो, तो शिशु को हिलने-डुलने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिलता और वह गर्भ के भीतर इतनी गद्दमदार स्थिति में नहीं रह पाता, जितना की ज्यादा एमनियोटिक द्रव में रहने वाले शिशु होते हैं।

शिशु के सिर के साइड में होने वाले समतल हिस्से को चिकित्सकीय भाषा में प्लेजियोसेफेली कहा जाता है। यदि सिर के पीछे का हिस्सा समतल हो तो इसे ब्रेकिसेफेली कहा जाता है। हो सकता है शिशु के सिर का आकार अजीब सा दिखे, मगर आमतौर पर यह कोई चिंता का विषय नहीं है।

आप शिशु के सोते समय, दूध पीते समय और खेलते समय उसके सिर की अवस्था में बदलाव करके उसे गोल आकार में आने में मदद कर सकती हैं। शिशु की अवस्था को बदलना काउंटर-पॉजिशनिंग या रीपॉजिशनिंग कहलाता है। इससे शिशु के सिर के चपटे हिस्सों को स्वत: ही सही आकार में आने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। शिशु की सुरक्षा के लिए उसे हमेशा पीठ के बल ही सुलाएं।

ऐसे और भी तरीके हैं जिनसे आप शिशु को सिर के समतल हिस्से पर दबाव डालकर न सोने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं:

जब आप शिशु को पीठ के बल लिटाएं, तो सुनिश्चित करें उसका सिर जिस तरफ से थोड़ा गोल है, उसे उसी साइड से गद्दे पर लिटाएं।
यदि आपका शिशु अपने छोटे पलंग में या मोजेज बास्केट में सोता है, तो नियमित तौर पर इसकी दिशा अदल-बदल करती रहे, ताकि शिशु हमेशा एक ही दिशा में न देखता रहे। यदि वह कॉट या पालने में सोता है, तो उसे दिशा बदल-बदल कर सुलाएं। याद रखें कि शिशु के पैर उसके पलंग के पैताने को छूने चाहिए, ताकि एसआईडीएस के खतरे को कम किया जा सके।
यदि आपके शिशु का सिर एक तरफ से चपटा है, तो ऐसा हमेशा एक दिशा में सिर रखने से हो सकता है। आप ऐसी सभी चीजों की उस दिशा से हटाकर दूसरी तरफ लगा सकती हैं, जिन्हें शिशु देखना पसंद करता है।
जब भी संभव हो शिशु को करवट लेकर सोने के लिए प्रोत्साहित कीजिए। ऐसा तब करना बेहतर है जब वह दिन में आपकी देखरेख में सो रहा हो या जगा हुआ हो या फिर अपनी बग्गी (प्रैम) में हो। जब भी शिशु करवट लेकर लेटा हुआ हो, तो ध्यान रखें कि उसकी बगल में ऐसी कोई चीज न हो, जो उसकी नाक के सामने बाधा बने और उचित तरीके से सांस लेने में अवरोध उत्पन्न करे।
जब आपके शिशु की गर्दन की मांसपेशियां मजबूत होने लगती हैं, तो उसे पेट के बल लिटाएं। पहली बार में ऐसा केवल एक-दो मिनट के लिए करें। तीन महीने का होने तक शिशु इतना सक्षम हो जाएगा कि आप पेट के बल लेटे शिशु के साथ खेल सकेंगी। धीरे-धीरे पेट के बल लेटेने का समय बढ़ाकर दिन में तीन बार कम से कम 30 मिनट करें। हमारा टमी टाइम वीडियो दिखकर जाने कि शिशु को पेट के बल लिटाने के सबसे बेहतर और सुरक्षित तरीके क्या हैं।
आप दिन के समय शिशु को स्लिंग या कैरियर पर लेकर भी सुला सकती हैं। अवस्था में यह बदलाव शिशु के सिर पर पड़ने वाले दबाव से राहत देगा। सुरक्षा के लिए, यह सुनिश्चित करें कि जब शिशु स्लिंग पर हो तब आप उसका माथा चूम पा रही हों। आप नीचे नजर करने पर शिशु का चेहरा देख पा रही हों। स्लिंग को तना हुआ रखें, ताकि आपकी पीठ को आधार मिले और यह भी देख लें कि शिशु की ठोड़ी उसकी छाती पर तो लगी हुई नहीं है।
शिशु को खेलने के लिए अलग-अलग जगह पर लिटाएं। बेबी बाउंसर में शिशु का सिर अलग तरह से स्थिर रहता है, जबकि जमीन पर खेलते समय यह स्थिति अलग होगी। स्थान व अवस्था बदलने से शिशु को नई-नई चीजें भी देखने को मिलेंगी।
यदि आप शिशु को बोतल से दूध पिलाती हैं, तो हो सकता है आप उसे किसी एक तरफ लिटाकर दूध पिलाना पसंद करती हों। शिशु की अवस्था इस बात पर भी निर्भर कर सकती है कि आप दाएं हाथ का इस्तेमाल करती हैं या बाएं का। मगर, समय-समय पर अवस्था बदलते रहने से उसे अपना सिर दोनों दिशाओं में मोड़ने का प्रोत्साहन मिलेगा।

आम धारणा के बावजूद, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि शिशु की मालिश के दौरान सिर पर दबाव डालने से वह गोलाकर हो जाएगा। और तो और, शिशु के सिर पर अत्याधिक दबाव डालने से उसे फायदे के बजाय नुकसान हो सकता है।

कुछ माँएं मानती हैं कि घोड़े की नाल के आकार वाले तकिये पर शिशु को सुलाने से उसका सिर गोल बनाने में मदद मिलती है। हालांकि, यह ध्यान रखें कि एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए तकिया इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती।

किसी भी तरह का तकिया, मुलायम उत्पाद और आसानी से सिमट जाने वाली ओढने-बिछाने की चादर या कंबल आदि नजवात के वायुमार्ग को बाधित कर सकते हैं, जिससे दम घुटने का खतरा हो सकता है। इन्हें सडन इन्फेंट डेथ डेथ सिड्रोम यानि कॉट डेथ के साथ भी जोड़ा गया है।

कुछ चिकित्सकीय उपाय भी हैं, जो शिशु के सिर के आकार को बदल सकते हैं, जैसे कि फिजियोथैरेपी या हैलमेट थैरेपी।मगर, ये उपचार के एकदम आखिरी विकल्प हैं।

चिंता न करें, अधिकांश शिशुओं को उपचार की बिल्कुल जरुरत नहीं पड़ती। शिशु के छह महीने का होने तक उसका सिर अपने आप ही गोल आकार का हो जाएगा। जब शिशु बैठने लगता है, तो दिन में खोपड़ी पर पड़ने वाला दबाव कम हो जाता है और आप स्वत: आकार में होने वाला अंतर देख सकेंगी।

बहरहाल, यदि आप अब भी चिंतित हों, या आपको लगे कि शिशु के सिर का टेढ़ा-मेढ़ा आकार काफी स्पष्ट दिखाई देने लगा है, तो शिशु को डॉक्टर के पास ले जाएं। यदा-कदा, शिशु के सिर के विकृत आकार का होने के अन्य कारण भी हो सकते हैं।

क्रेनिओसाइनोस्टोसिस एक दुर्लभ स्थिति है, जिसकी वजह से शिशु की हड्डियां काफी पहले जुड़ जाती हैं। यदि आपके डॉक्टर को ऐसा कुछ होने की आशंका हो, तो वे शिशु को किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाने के लिए कहेंगे।

यदि आपके शिशु को एक दिशा में सिर मोड़ने में बहुत ज्यादा परेशानी हो रही हो, तो ऐसा गर्दन की मांसपेशियां का एक तरफ से कसे होने की वजह से हो सकता है टोर्टिकॉलिस। ऐसे मामले में, शिशु के डॉक्टर उसे फिजियोथैरेपिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकते हैं।

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