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मुझे भूख नहीं है या मेरा रोटी-सब्जी खाने का मन नहीं है, खाने में ऐसे नखरे भला किस बच्चे के नहीं होते लेकिन उनकी बढ़ती उम्र के साथ-साथ उनके खान-पान पर ध्यान देना भी बेहद आवश्यक है। ऐसे में अगर आप यह तय नहीं कर पाते कि आपके शिशु की सेहत के लिए उसकी डाइट किस प्रकार की होनी चाहिए, तो हम आपकी इस मुश्किल को आसान कर देते हैं। डाइटीशियन स्नेहा राय से बातचीत के आधार पर एक से पांच साल के बच्चों की डाइट कैसी हो, इसकी जानकारी आपके लिए मददगार हो सकती है।
शुरुआती आठ महीने
नवजात शिशु के लिए शुरुआती छह महीने वह दौर होता है जिसमें उसका विकास सबसे तेजी से होता है। इस दौरान मां का दूध ही उसकी सबसे अच्छी डाइट है जो न सिर्फ उसके विकास में अहम भूमिका निभाता है बल्कि बच्चे को संक्रमण से भी बचाता है। कम से कम एक दिन में आठ से दस बार मां को बच्चे को अपना दूध पिलाना चाहिए।
चार से छह महीनों की उम्र में बच्चा सेमी-सॉलिड आहार के लिए तैयार हो जाता है। इस दौरान उसे फल, सब्जियां और मीट जैसे भोजन को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खिला सकते हैं। सात से आठ नहींने की आयु में उसे ठोस आहार खिला सकते हैं। ऐसे में उसकी डाइट में केला, उबले आलू, उबला मीट, अंडे का पीला भाग, जूस आदि शामिल करना बेहतर है।
डेढ़ से तीन साल की उम्र
डेढ़ से तीन साल की उम्र में बच्चों को भोजन कराना सबसे कठिन दौर होता है क्योंकि इस बीच वे आसानी से नई चीजों को नहीं खा पाते। सामान्यतः इस उम्र में बच्चों को प्रतिदिन 1300 कैलोरी की डाइट देनी चाहिए। उनकी डाइट में दलिया, घी-रोटी, मैश्ड चिकन करी के साथ चावल, खिचड़ी व दलिया आदि होना चाहिए।
तीन से पांच साल की उम्र
तीन से पांच साल की उम्र के दौरान बच्चे बहुत देर तक बैठना पसंद नहीं करते इसलिए अक्सर उनके भोजन को कुछ इस तरह तैयार करना जरूरी होता है जिसे वह चलते-फिरते खा सकें। इस दौर में सबसे जरूरी है कि उन्हें निर्धारित समय पर भोजन करने की आदत डलवायी जाए। इस दौरान उनकी डाइट में गेंहू, ओट्स, रागी, हरी सब्जियां, फल, मीट, अंडे, बीन्स, नट्स आदि होना जरूरी है। इसके अलावा यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनकी डाइट में नमक, शक्कर और सैच्युरेटेड फैट्स वाले तत्वों की बहुत अधिकता न हो। उन्हें प्रोटीन की अधिकता वाली चीजें जरूर खिलाएं।
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