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गर्भाशय की सफाई कैसे होती है
गर्भाशय महिलाओं का एक विशिष्ट अंग है जिसमें कई तरह की नियमित प्रक्रियाएं चलती रहती हैं. यदि ठीक से इसकी देखभाल या रखरखाव नहीं किया जाए तो इसके बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इसलिए ये आवश्यक है कि इस विषय में बात किया जाए और जागरूकता फैलाया जाए. यदि हमें गर्भाशय के सफाई के प्रति जागरूक होना है तो पहले हमें ये जानना होगा कि गर्भाशय क्या है? और कैसे काम करता है?
क्या है गर्भाशय? -
गर्भाशय स्त्री जननांग है. यह 7.5 सेमी लम्बी, 5 सेमी चौड़ी तथा इसकी दीवार 2.5 सेमी मोटी होती है. इसका वजन लगभग 35 ग्राम तथा इसकी आकृति नाशपाती के आकार के जैसी होती है. जिसका चौड़ा भाग ऊपर फंडस तथा पतला भाग नीचे इस्थमस कहलाता है. महिलाओं में यह मूत्र की थैली और मलाशय के बीच में होती है तथा गर्भाशय का झुकाव आगे की ओर होने पर उसे एन्टीवर्टेड कहते है अथवा पीछे की तरफ होने पर रीट्रोवर्टेड कहते है. गर्भाशय के झुकाव से बच्चे के जन्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. गर्भाशय का ऊपरी चौड़ा भाग बाडी तथा निचला भाग तंग भाग गर्दन या इस्थमस कहलाता है. इस्थमस नीचे योनि में जाकर खुलता है. इस क्षेत्र को औस कहते है. यह 1.5 से 2.5 सेमी बड़ा तथा ठोस मांसपेशियों से बना होता है. गर्भावस्था के विकास गर्भाशय का आकार बढ़कर स्त्री की पसलियों तक पहुंच जाता है. साथ ही गर्भाशय की दीवारे पतली हो जाती है.
गर्भाशय या बच्चेदानी की सफाई कैसे की जाती है - Garbhashay ki Safai Kaise Hoti Hai
डायलेशन एंड क्यूरेटेज (डी एंड सी) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय ग्रीवा (गर्भाशय का निचला, संकीर्ण हिस्सा) को डाएलेट (फैलाते) करते हैं ताकि गर्भाशय की परत को क्युरेट के द्वारा क्यूरेटेज (खुरच कर निकालना) किया जा सके जिससे असामान्य ऊतकों को निकाला जा सके. प्रत्येक मासिक चक्र के साथ, एंडोमेट्रियम जो गर्भाशय की लाइनिंग है, भ्रूण का पोषण करने के लिए तैयार होती है. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के बढ़ते स्तर इसकी इस लाइनिंग को मोटाई देने में मदद करते हैं. यदि निषेचित अंडे का आरोपण नहीं होता है, तो एंडोमेट्रियम लाइनिंग टूट जाती है. यह लाइनिंग योनि और गर्भाशय ग्रीवा से रक्त और म्यूकस के साथ मिलकर, मासिक की ब्लीडिंग के साथ निकाल दी जाती है. पोलिप, बॉडी सेल्स की असामान्य ग्रोथ को कहते हैं. जब पोलिप गर्भाशय की भीतरी दीवार से जुड़ा होता है तो, यह गर्भाशय के पॉलीव्स / यूट्रिन पोलिप या एंडोमेट्रियल पोलिप कहलाता है. यह गर्भाशय की कैविटी में लटकता है.
पोलिप कैसे हटाते हैं? - Uterine Polyps Kaise Nikalte Hai
गर्भाशय के अस्तर में कोशिकाओं के अधिक बढ़ जाने पर यह पोलिप बनते हैं. यूट्रिन पोलिप का आकार एक तिल के दाने से छोटा से लाकर गोल्फ बॉल जितना बड़ा हो सकता है. पोलिप एक बड़े आधार या पतले तने से गर्भाशय की दीवार से जुड़े रहते हैं. बड़े पोलिप को हटाने के लिए बहुत बार डीएनसी के लिए कहा जाता है. कई बार गर्भाशय से एबनार्मल ब्लीडिंग होने लगती है. ऐसा गर्भाशय के अंदर पोलिप होने से, लाइनिंग बढ़ जाने, पूरी तरह से गर्भपात नहीं होने या डिलीवरी के बाद गर्भाशय की सफाई नहीं होने से हो सकता है. स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाने पर वे पेल्विक की जांच के बाद गर्भाशय की सफाई या डी एंड सी के लिए कह सकती हैं. डायलेशन एंड क्यूरेटेज को सफाई के लिए, गर्भपात के लिए, पीरियड के असामान्य होने पर, या पूरे गर्भपात नहीं होने पर किया जाता है.
डी एंड सी इस प्रक्रिया के लिए: - Dilation and Curettage Se Kaise Garbhashay ki Safai Hoti Hai
आपको अस्पताल द्वारा दिया गया कपड़ा पहनने को दिया जायेगा. आपको मूत्राशय को खाली करने का निर्देश दिया जाएगा. आपको ऑपरेटिंग टेबल पर पोजीशन किया जाएगा. आपके बांह या हाथ में एक अंतःशिरा (IV) लाइन शुरू हो सकती है. एक मूत्र कैथेटर डाला जा सकता है. योनि की दीवारों को फैलाने के लिए गर्भाशय ग्रीवा को देखने के लिए अपनी योनि में एक स्पेकुलम नामक एक इंस्ट्रूमेंट डाला जाएगा.
सर्विक्स को एंटीसेप्टिक से साफ़ किया जाएगा. एनेस्थीसिया दिया जाएगा. टेनाकुलम नामक एक इंस्ट्रूमेंट से गर्भाशय ग्रीवा को स्थिर रखने के लिए किया जा सकता है. गर्भाशय की लंबाई निर्धारित करने के लिए गर्भाशय ग्रीवा के अंदर यूटेरिन साउंड डाला जा सकता है. सर्विक्स को पतली रोड्स से फैलया जाएगा.
क्यूरेट से गर्भाशय साफ़ किया जाएगा. प्रक्रिया के बाद कुछ दिनों तक ब्लीडिंग होना सामान्य है. डी एंड सी के बाद कुछ दिनों तक आपको ऐंठन का अनुभव हो सकता है. आपको निर्देश दिया जा सकता है कि डी एंड सी के दो से तीन सप्ताह बाद तक, आप डूश, टैम्पोन का इस्तेमाल न करें, सेक्स नहीं करें और योनि में कुछ न डालें, या जब तक ब्लीडिंग नहीं रुक जाए. 1-2 सप्ताह बाद तक क्रेम्पिंग हो सकती है. अगला पीरियड जल्दी या देर से आ सकता है. ऐंठन या पीड़ा के लिए एक दर्द निवारक के रूप में अपने चिकित्सक द्वारा सिफारिश की दवा ही लें. एस्पिरिन या कुछ अन्य दर्द नाशक दवाओं से रक्तस्राव की संभावना बढ़ सकती है.
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