बच्चों के पैर क्यों दुखते हैं?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:34

बच्चों का शरीर नाजुक होता है। ऐसे में उनके प्रति अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है। शारीरिक विकास के दौर से गुजर रहे बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कभी पेट दर्द, कभी सिर दर्द तो कभी कुछ और। ऐसी ही एक समस्या है पैरों में दर्द होने की। अब पैरों में दर्द होना बढ़ती शारीरिक गतिविधि की निशानी है या कुछ और। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। यहां हम बच्चों के पैर में दर्द होने का कारण और बच्चों के पैर में दर्द के लक्षण के साथ-साथ बच्चों के पैर में दर्द का इलाज की भी जानकारी देंगे। पैर में दर्द की समस्या कब चिंता का विषय बन जाती है, यह जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।


बच्चों के पैरों में दर्द होना क्या है?

बच्चों के पैरों में दर्द होना कोई बीमारी नहीं, बल्कि ग्रोइंग पेन होता है यानी शरीर के विकास के साथ होने वाला दर्द। यह दर्द ज्यादातर 3 से 5 साल तक के बच्चों में होता है। कई बच्चों में उम्र बढ़ने पर दर्द नहीं होता है। इस ग्रोइंग दर्द से जूझ रहे बच्चों के ज्यादातर पैरों में दर्द होता है। अक्सर, यह दर्द पैर के निचले हिस्से व पिंडली के साथ-साथ जांघों और घुटनों के पीछे अधिक होता है (1)।

क्या बच्चों के पैर में दर्द होना आम बात है? आइए, अब इस बारे में जानते हैं।
बच्चों के पैर में दर्द होना कितना आम है?

बच्चों में यह ग्रोइंग पेन आम होता है। अगर इसके प्रतिशत की बात करें, तो करीब 2.6% से 49.6% बच्चों को यह दर्द होता है (2)। हालांकि, बच्चों को बार-बार होने वाला यह दर्द माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन सकता है, लेकिन बच्चों की ग्रोथ रुकने के साथ ही यह दर्द भी ठीक हो जाता है (1)। हां, अगर बच्चों के पैर में दर्द ज्यादा हो रहा है, तो इस बारे में एक बार डॉक्टर से बात जरूर करें।

लेख के इस हिस्से में हम बच्चों के पैर में होने वाले दर्द के कारण जानेंगे।
बच्चों के पैर में दर्द होने का कारण

बच्चों के पैर में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि मांसपेशियों के थक जाने पर दर्द उत्पन्न होता है। इसलिए, बच्चे जब दिनभर दौड़ते, चढ़ते, कूदते व खेलते हैं, तो रात में पैरों में दर्द हो सकता है (1)। खेलने-कूदने, बढ़ते विकास, मांसपेशियों में खिंचाव और बढ़ती शारीरिक गतिविधियों यानी ग्रोइंग पैन के साथ ही कई अन्य कारण की वजह से भी बच्चों के पैर में दर्द हो सकता है, जो कुछ इस प्रकार है:

चोट लगने पर – कई बार बच्चे खेलते-कूदते समय गिर जाते हैं, जिसकी वजह से उनके पैरों में दिखने वाली चोट या गुम चोट लग जाती हैं। इस चोट की वजह से भी कई बार पैरों में दर्द हो सकता है। साथ ही कई बार मांसपेशियों में ऐंठन यानी क्रैम्प की वजह से भी पैर में दर्द हो सकता है (3)।

डिहाइड्रेशन – बच्चों में डिहाइड्रेशन के कारण भी पैर में दर्द की समस्या हो सकती है। डिहाइड्रेशन की समस्या पानी की कमी, उलटी और दस्त के कारण हो सकती है, जो बच्चों में सबसे अधिक हो सकती है (3) (4)।

सेप्टिक अर्थराइटिस और एक्यूट ऑस्टियोमाइलाइटिस- अगर बच्चे को बुखार के साथ पैरों (limb) व जोड़ों में दर्द हो रहा है, तो इसकी वजह सेप्टिक अर्थराइटिस और एक्यूट ऑस्टियोमाइलाइटिस हो सकता है। ओस्टियोमाइलाइटिस (OM) हड्डियों में होने वाली एक तरह की सूजन है, जो आमतौर पर बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण या अन्य सूक्ष्म जीव (जैसे कवक) से जुड़ी होती है। वहीं, सेप्टिक गठिया (SA) भी एक तरह का संक्रमण है, जो कनेक्टिव टिश्यू की झिल्ली (Synovial space) में होता है (5)।

जुवेनाइल अर्थराइटिस (Juvenile Arthritis)- यह एक प्रकार का गठिया होता है। जब बच्चों को इस तरह के अर्थराइटिस हो जाते हैं, तो पैरों में सूजन के साथ-साथ घुटनों में दर्द भी होने लगता है (6)।

ऑसगुड-श्लैटर डिजीज (Osgood-Schlatter Disease)- ऑसगुड-श्लैटर एक तरह का रोग होता है, जो घुटनों में होता है। इस रोग के कारण घुटने के पीछे के हिस्से में दर्द होता है, जो दौड़ने, भागने और कूदने से और ज्यादा बढ़ जाता है (7)।

वायरल मायोसाइटिस (Viral Myositis)- मायोसाइटिस वायरल की वजह से भी बच्चों के पैरों में दर्द हो सकता है। मायोसाइटिस वायरल के दौरान मांसपेशियां कमजोरी हो जाती हैं और दर्द होता है। अगर किसी बच्चे को यह समस्या है, तो उसके पैरों में दर्द हो सकता है (8)।

हड्डियों की कमजोरी– बच्चों की हड्डियों के मजबूत न होने की वजह से भी ग्रोइंग पेन हो सकता है। हड्डियों के बेहतर घनत्व वाले बच्चों में अन्य के मुकाबले ग्रोइंग पेन कम होता है (9)।

विटामिन सी की कमी से होने वाली बीमारी, स्कर्वी की वजह से भी दर्द की शिकायत हो सकती है।

विटामिन डी की कमी से होने वाली बीमारी रिकेट की वजह से भी बच्चों को हड्डियों और मांसपेशियों की दर्द की शिकायत हो सकती है।

ल्यूकेमिया और लिम्फोमा (ब्लड कैंसर) बच्चों में हड्डियों के दर्द का कारण बन सकता है। इसलिए, इससे संबंधित ब्लड टेस्ट कराना भी आवश्यक है।

आइए, अब उन लक्षणों के बारे में बात करते हैं, जिनसे पता चल सकता है कि पैरों में दर्द हो रहा है या नहीं।
बच्चों के पैर में दर्द के लक्षण

बच्चों की कुछ प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखकर उनके पैर में होने वाले दर्द के लक्षणों को समझा जा सकता है, जो इस प्रकार हैं (10)।

जोड़ों में दर्द और सूजन।
जोड़ों को छूने पर गर्म महसूस होना।
बुखार होना।
लाल चकत्ते नजर आना।
सोने के समय पैरों में दर्द होना।
अचानक से रात में दर्द का उठाना।
सुबह दर्द का चला जाना।

लेख के अगले भाग में हम दर्द का पता लगाने के लिए कुछ जांच के बारे में बता रहे हैं।
बच्चों के पैर में दर्द का निदान

बच्चों के पैर में दर्द के निदान के लिए डॉक्टर से संपर्क किया जाना जरूरी है। डॉक्टर दर्द व उसके कारण जानने के लिए निम्न प्रक्रियाएं कर सकते हैं (10)।

फिजिकल चेकअप – पैर के दर्द का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले फिजिकल चेकअप करते हैं। इस दौरान डॉक्टर बच्चे से उस जगह के बारे में पूछते हैं, जहां दर्द होता है। साथ ही दर्द की तीव्रता और कितने समय तक रहता है, इस बारे में पूछ सकते हैं। साथ ही डॉक्टर दर्द वाले हिस्से को छूकर उस जगह की जांच कर सकते हैं।

रक्त की जांच और एक्स-रे- पैरों में तीव्र दर्द या फिर किसी तरह की गंभीर समस्या का अंदेशा होने पर डॉक्टर रक्त की जांच और एक्स-रे करने की सलाह दे सकते हैं, ताकि स्पष्ट हो जाए कि दर्द किस वजह से हो रहा है।

चलिए, अब बच्चों के पैर में दर्द का इलाज भी जान लेते हैं।
बच्चों के पैर में दर्द का इलाज

बच्चों के पैर में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए इलाज के तौर पर दवाइयों के साथ ही कुछ थेरेपी करने की सलाह भी दी जाती है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर मौजूद एक शोध के मुताबिक, 52% बच्चों के पैर में दर्द की समस्या दूर करने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जाता है (11)।

बच्चों के पैर के दर्द को दूर करने के लिए एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) दवा का उपयोग किया जाता है। दर्द के लिए कुछ बच्चों को मुख्य रूप से एसिटामिनोफेन (Acetaminophen or Paracetamol) और नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Non-Steroidal Anti-inflammatory Drugs) दी जाती हैं। इसके अलावा, रात में नेपरोक्सन (Naproxen) दवाई भी लेने की सलाह दी जा सकती है।

बच्चों के पैर दर्द की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए कैल्शियम की दवाई या कैल्शियम व विटामिन डी युक्त आहार लेने की भी सलाह दी जा सकती है। खासकर, उस बच्चों को जिनकी हड्डियां कमजोर हों। माना जाता है कि कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ ही दर्द से भी राहत दिलाने का काम कर सकता है। हालांकि, ग्रोइंग पेन में यह कितना प्रभावी हो सकता है, यह स्पष्ट नहीं है।

बच्चों के ग्रोइंग पेन को कम करने के लिए शारीरिक एक्टिविटी और थेरेपी की भी मदद ली जा सकती है। यही वजह है कि दर्द कम करने के लिए डॉक्टर मसाज थेरेपी और कॉग्नीटिव बिहेवियरल थेरेपी (मानसिक स्वस्थ में सुधार के लिए) अपनाने की सलाह दे सकते हैं।

डॉक्टर मसल स्ट्रेंथनिंग प्रोग्राम की सलाह भी दे सकते हैं। दरअसल, मसल स्ट्रेंथनिंग प्रोग्राम की मदद से भी दर्द और थकान को दूर कर ग्रोइंग पेन को कम किया जा सकता है (12)।

अब हम बच्चों के पैर में होने वाले दर्द से निपटने के लिए कुछ घरेलू उपाय की बात करेंगे।
बच्चों के पैर में दर्द के घरेलू उपाय

छोटे बच्चों के पैर में होने वाले दर्द को कम करने के लिए इन घरेलू उपाय को अपनाया जा सकता है (10)।

दर्द वाले भाग में मालिश करना- बच्चों के पैरों के मालिश करने पर उन्हें दर्द से राहत मिल सकती है । कई बार दर्द की स्थिति में डॉक्टर भी माता-पिता को मालिश करने की सलाह देते हैं।

पैरों को स्ट्रेच करना- दिन में पैरों की स्ट्रेचिंग करने पर मांसपेशियां खिचती हैं। इससे रात को सोते समय होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। किसी भी बच्चे को पैरों कि स्ट्रेचिंग कराने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछें कि स्ट्रेचिंग को कैसे करना है।

दर्द वाले हिस्से में हीटिंग पैड रखना- हीटिंग पैड को पैर पर रखने से उसकी गर्मी से मांसपेशियों को आराम मिल सकता है। अगर सोने से पहले किसी बच्चे को पैर में दर्द होता है, तो कम गर्म हीटिंग पैड का उपयोग कर सकते हैं।।

आइए, अब लेख के अंतिम भाग में जानते हैं कि किस अवस्था में डॉक्टर से चेकअप की जरूरत पड़ती है।
डॉक्टर के पास कब जाएं?

अगर छोटे बच्चों के पैर में दर्द होने के साथ-साथ निम्न लक्षण भी दिखाई दें, तो उन्हें तुरंंत डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए (10)।

अगर दर्द लंबे समय से हो रहा है।
अगर सुबह उठने पर पैरों में दर्द, सूजन या लाल निशान दिखाई दें।
चोट की वजह से दर्द।
बुखार होने पर दर्द हो।
चलने में समस्या हो रही हो।
असामान्य चकत्ते नजर आएं।
बच्चे को भूख कम लगे।
कमजोरी व थकान महसूस होने पर।
व्यवहार में परिवर्तन नजर आने पर।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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