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खिलखिलाने और उछल-कूद करने वाले बच्चे सभी के मन को भाते हैं वहीं बच्चा अगर सुस्त हो तो माता-पिता को चिंता होने लगती है. ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि बच्चे की सुस्ती का कारण क्या है. इसकी कई वजह हो सकती हैं, जैसे सेहत ठीक न होना, किसी बात से परेशानी होना, पाचन ठीक न होना आदि. पैरेंट्स को इसकी तह तक जाना चाहिए.
आपको बता दें कि हेल्दी चिल्ड्रन वेबसाइट के मुताबिक एक्टिव रहने और फिजिकल एक्टिविटीज में भाग लेने से बच्चे की हड्डियां और जोड़ मजबूत होते हैं. आगे चल कर बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index) ठीक रहता है. साथ ही डायबिटीज, हाई बीपी और हृदय रोगों का खतरा कम होता है. आपको बता दें कि फिजिकली एक्टिव रहने वाले बच्चों को अच्छी नींद आती है. शरीर की सेहत के अलावा बच्चे की मेंटल हेल्थ भी दुरुस्त रहती है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इससे बच्चे का आत्मविश्वास भी बढ़ता है. एंग्जायटी, टेंशन और अवसाद कम होता है. इसलिए जानिए, बच्चों को कैसे एक्टिव बनाया जा सकता है.
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बच्चों को एक्टिव बनाने के लिए ये तरीके अपनाएं (Tips to make kids active)
सबसे पहले तो आप बच्चे के डॉक्टर से संपर्क करें. एक्सपर्ट बच्चे को फिजिकली एक्टिव रहने के फायदे बता और समझा सकते हैं. साथ ही आप भी ये समझ पाएंगे कि कौनसी एक्टीविटीज बच्चे के लिए ठीक रहेंगी.
बच्चे को आप फन टास्क दे सकते हैं ताकि उन पर कोई बोझ न पड़े और वो गतिविधियों का आनंद उठा सकें.
उम्र के हिसाब से बच्चों से एक्टीविटीज़ कराएं. जैसे कि छोटे बच्चे ज्यादा मेहनत भरी कसरत नहीं कर सकते. ऐसे में आप उन्हें साइकिलिंग, डांस आदि कराएं. ऐसा करने से वो बोर भी नहीं होंगे और थकेंगे भी नहीं.
उनका डे प्लान इस तरह से तैयार करें कि उनके पास खेलने-कूदने के लिए पर्याप्त समय हो.
उनके रोल मॉडल बनें क्योंकि वो जो काम आपको करता देंखेंगे, वही खुद करने की कोशिश भी करेंगें. उनके साथ खुद भी खेलें-कूदें, शाम को टहलने जाएं, स्पोर्ट्स खेलें या योग करें.
अगर वो एक समय के बाद किसी चीज को न करना चाहें तो उन्हें फोर्स न करें.
उनकी डाइट और पाचन का भी खास ध्यान रखें. डॉक्टर की सलाह से उनके लिए डाइट प्लान बनाएं.
टॉडलर्स के लिए एक्टिव टॉय जैसे बॉल या इस तरह के अन्य खिलौने खरीदें और उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित करें.
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