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जिंदगी में सबसे ज्यादा मज़ा अलग अलग व्यक्तियों को अलग अलग चीजों में मिलता है। यह स्वभाव, उम्र और हमारी सोच के अनुसार भिन्न भिन्न होता है।
छोटे बच्चों को खेलने में सबसे ज्यादा मज़ा मिलता है।
स्कूल जाने वाले बच्चों को जब सबके सामने प्रशंसा मिलती है तब उन्हें बहुत अच्छा लगता है, साथ ही दोस्तों के साथ समय बिताने में भी बहुत मज़ा मिलता है।
युवा होने के बाद घनिष्ठ मित्रों के साथ साथ यदि गर्ल फ्रेंड या बॉय फ़्रेंड हो तब उसके साथ मस्ती करने में बहुत मज़ा मिलता है।
कुछ लोगों को अपने लिए और अपनों के लिए ख़रीदारी करने में बड़ा मज़ा आता है। इस संदर्भ में मैं अपनी बेटी का उदाहरण देना चाहूंगी। एक बार जब हम उससे मिल कर, कुछ खरीदारी कर उसके पास से लौटने लगे तब उसे हमारा आना कैसा लगा ? जानना चाहें, उसने कहा, " पापा के साथ पापा के लिए ख़रीदारी कर के बड़ा मज़ा आया"।
मेरे विचार से किसी भी कार्य में चाहे वह छोटा हो या बड़ा, सफ़लता मिलने पर सबसे ज्यादा मज़ा मिलता है। यह मज़ा आना ही हमें कार्य की निरंतरता को बनाये रखने के लिए प्रेरित करता है।
कुछ लोगों को दूसरों की टांग खिंचाई में सबसे ज्यादा मजा मिलता है।
वास्तव में हम जितने अच्छे हैं नहीं, ख़ुद को उतना ज्यादा अच्छा दिखाने में सबसे ज्यादा मज़ा मिलता है। क्योंकि हमें लगता है कि हमने लोगों को बेबकुफ़ बनाया। हालांकि सच्चाई सभी समझते हैं।
वृद्धावस्था में पुरानी यादों को ताज़ा करना अच्छा लगता है।
कुछ लोगों को किसी भी तरह का नशा करना, फिल्में देखना, विभिन्न प्रकार के खेल खेलना, घूमना, बातें करना, चुगली करना, झूठा दिखावा करना, झूठ बोलना, अपनी हुक़ूमत चलाना, ब्यूटी पार्लर में समय बिताना आदि अनेक ऐसे क्रिया कलाप हैं, जिन्हें करने में सबसे ज्यादा मज़ा मिलता है।
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