बच्चों में कैल्शियम की कमी के लक्षण क्या है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

कैल्शियम ऐसा खनिज है, जो हर व्यक्ति के लिए जरूरी होता है। यह न सिर्फ बड़ों के लिए, बल्कि बच्चे के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। अगर बच्चों में कैल्शियम की कमी हो जाए, तो उनके शारीरिक विकास पर गहरा असर पड़ता है। शिशुओं को यह समस्या होना आम बात है, क्योंकि उनका आहार केवल मां का दूध ही होता है। ऐसे में अगर शिशु ठीक से स्तनपान न कर पाए, तो उसे कैल्शियम की कमी हो सकती है।

मॉमजंक्शन के इस लेख में हम शिशुओं में कैल्शियम की कमी से संबंधित जरूरी मुद्दों पर बात करेंगे। पहले जानेंगे कि बच्चों के लिए कैल्शियम क्यों आवश्यक है।
बच्चों के लिए कैल्शियम क्यों आवश्यक है?

कैल्शियम शरीर के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। यह मांसपेशियों को ठीक से काम करने में मदद करता है और तंत्रिका तंत्र व हृदय के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, कैल्शियम हड्डियों को विकसित करने में मदद करता है और हड्डियों का द्रव्यमान बनाए रखने में मदद करता है। आपको बता दें कि पहले साल में बच्चे का बॉडी मास बढ़ता है और इस दौरान उसके वजन में भी बढ़ोतरी होती है। अगर बच्चे का बॉडी मास उचित रहता है, तो इसका मतलब यह हुआ कि उसे पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिल रहा है।
मेरे बच्चे को कितना कैल्शियम चाहिए?

बच्चे को कितना कैल्शियम लेने की जरूरत है, यह उसकी उम्र पर निर्भर करता है। नीचे हम बच्चे की उम्र के हिसाब से कैल्शियम लेने की मात्रा बताने जा रहे हैं (1) :
बच्चे की उम्र कैल्शियम की मात्रा (प्रतिदिन)
छह महीने से कम 200 एमजी
6-11 महीने 260 एमजी
1-3 साल 700 एमजी
4-8 साल 1000 एमजी
शिशुओं में कैल्शियम की कमी का क्या कारण है? |

जैसा कि हमने बताया कि कई शिशु कैल्शियम की कमी से जूझते हैं, लेकिन उन्हें कैल्शियम की कमी किन कारणों से होती है, नीचे हम इस बारे में जानेंगे (2) :

अगर जन्म के दौरान ऑक्सीजन की कमी हो।

अगर मां को मधुमेह की समस्या है, तो बच्चे को कैल्शियम की कमी हो सकती है।

एक साल से कम आयु के बच्चे को गाय का दूध देने से भी हाइपोकैल्सीमिया की समस्या हो सकती है, क्योंकि इसमें फास्फोरस की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए, एक साल से कम आयु के बच्चे को गाय का दूध न दें (1) (3)।

अगर बच्चे में विटामिन-डी की कमी है, तो कैल्शियम का स्तर गिर सकता है।

अगर शिशु का जन्म समय से पहले हुआ है, तो भी कैल्शियम की कमी हो सकती है।

किन नवजात शिशुओं को हाइपोकैल्सीमिया का जोखिम ज्यादा होता है?

हाइपोकैल्सीमिया का जोखिम उन शिशुओं में ज्यादा होता है, जिनका समय से पहले जन्म हुआ हो या जन्म के समय वजन सामान्य से कम हो। इसके अलावा, जन्म से पहले जिन शिशुओं का गर्भ में विकास धीरे हो, उन्हें भी हाइपोकैल्सीमिया का खतरा ज्यादा रहता है। वहीं, जिन गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज होती है, उनके बच्चों को भी हाइपोकैल्सीमिया का जोखिम हो सकता है (4)।
शिशुओं में कैल्शियम की कमी के लक्षण |
कई बार समस्या होने पर भी समझ नहीं आता कि बच्चा इस परेशानी से जूझ रहा है। ऐसा ही कैल्शियम की कमी होने के साथ भी है। कई लोग समझ नहीं पाते कि उनके शिशु को कैल्शियम की समस्या हो रही है। ऐसे में आपको कैल्शियम की कमी के लक्षण पहचानने होंगे, जो हम नीचे बता रहे हैं (4) :

बच्चे का चिड़चिड़ा हो जाना।

उसकी मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है।

बच्चे की हृदय गति धीमी पड़ सकती है।

बच्चे को बुखार के साथ-साथ झटके लग सकते हैं।

बच्चे का रक्तचाप धीमा पड़ सकता है।

कैल्शियम की कमी से उसके दांत निकलने में देरी हो सकती है।

कैल्शियम की कमी होने पर बच्चे को रात के समय सोते हुए सिर पर तेज पसीना आ सकता है।

आइए, अब जानेंगे कि हाइपोकैल्सीमिया का निदान कैसे किया जाता है।
शिशुओं में हाइपोकैल्सीमिया का निदान कैसे किया जाता है?

शिशुओं में उसका चिकित्सीय इतिहास और शारीरिक जांच करने के बाद हाइपोकैल्सीमिया का निदान किया जा सकता है। इस दौरान, डॉक्टर शिशु के रक्त का नमूना लेंगे और कैल्शियम की जांच करेंगे।
बच्चों में कैल्शियम की कमी का इलाज

शिशुओं की डायट में सुधार लाकर कैल्शियम की कमी को दूर किया जा सकता है। अगर कैल्शियम की कमी ज्यादा है, तो नीचे बताए गए तरीके से डॉक्टर उसका इलाज कर सकते हैं (5) :

शिशुओं में कैल्शियम की कमी होने पर उसे कुछ देर के लिए धूप में ले जाना फायदेमंद हो सकता है। बच्चे को धूप में रखने से विटामिन-डी मिलेगा, जिससे कैल्शियम की मात्रा भी बढ़ेगी। बच्चे को कब और कितनी देर धूप में रखना है, इस बारे में आपको डॉक्टर बेहतर बता सकते हैं।

अगर आप शिशु को गाय का दूध देती हैं, तो बंद कर दें। एक साल से कम उम्र के शिशु को ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क ही देना चाहिए, क्योंकि इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। वहीं, गाय के दूध में फास्फोरस की मात्रा ज्यादा होती है, जो बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता हैं (3)। अगर आपका बच्चा एक साल से ज्यादा का है, तो आप उसे डेयरी दूध दे सकते हैं।

अगर आपके बच्चे को जन्म के समय से ही हाइपोकैल्सीमिया है, तो डॉक्टर उसका इलाज नर्सरी में रखकर कर सकते हैं, जहां उन्हें विशेष कैल्शियम वाला फॉर्मूला आधारित दूध दिया जाता है।

बच्चे के लिए कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ | Baccho Me Calcium Ki Kami ko Kaise Pura Kare

Calcium rich foods for baby
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सही खुराक और सही खाद्य पदार्थ देकर कई तरह की समस्याओं से निजात पाया जाता है। एक पौष्टिक डाइट देने से बच्चे को स्वस्थ बनाने में मदद मिलती है। अगर आपका बच्चा छह महीने से कम का है, तो उसे पर्याप्त मात्रा में ब्रेस्ट मिल्क देना ही बेहतर होगा। वहीं, अगर आपका बच्चा ठोस आहार लेता है, तो आप कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ के जरिए बच्चे को इस समस्या से बाहर निकाल सकते हैं। नीचे हम बता रहे हैं कि आप उसे क्या-क्या दे सकते हैं (5) :

डेयरी उत्पाद – डेयरी उत्पाद कैल्शियम का बेहतरीन स्रोत है। आप बच्चे को दूध, पनीर, दही आदि के माध्यम से कैल्शियम दे सकते हैं।

संतरे – वहीं, संतरे में भी कैल्शियम पाया जाता है। आप बच्चे को संतरा या संतरे का जूस पिला सकते हैं।

सोया – सोया में काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। आप इसका सेवन भी कर सकते हैं।

बादाम – बच्चे की डाइट में बादाम को शामिल करना भी अच्छा तरीका हो सकता है। आप किसी भी तरह से उसे बादाम खिला सकते हैं।

ब्रोकली – ब्रोकली का सेवन कराना भी फायदेमंद हो सकता है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा।

बीन्स – बीन्स में भी कैल्शियम पाया जाता है, जिस कारण बच्चे को कैल्शियम की कमी से राहत दिलाने में मदद मिलती है।

हरी सब्जियां – हरी सब्जियां आपके बच्चे को कैल्शियम के साथ-साथ अन्य पोषक तत्व भी दे सकती हैं। पालक, केल, स्विस गार्ड व सरसों आदि में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। अगर आपका बच्चा इन्हें खाने से मना करे, तो सब्जियों का सूप बनाकर उसे पिला सकते हैं।

अनाज – गेहूं, रागी, बाजरा व चने जैसे अनाज भी बच्चे में कैल्शियम की कमी दूर करने में मदद कर सकते हैं। आप ये अनाज बच्चे को जरूर खिलाएं।

मछली और मांस – मांस और मछली के सेवन से भी कैल्शियम की कमी दूर की जा सकती है।

हरे मटर – हरे मटर में भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है, जो बच्चे के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। आप बच्चे को हरे मटर किसी भी तरह से खिलाने की कोशिश करें।

दाल – दालों में कैल्शियम के साथ-साथ प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। आप बच्चों को पतली दाल पिला सकते हैं।

तिल के बीज – तिल के बीज में भी काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। आप बच्चे को किसी भी मीठे व्यंजन में तिल डालकर खिला सकते हैं।

अंडे – अंडा पौष्टिक तत्वों का खजाना माना जाता है। इसमें कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में होता है। आप बच्चे को उबला अंडा या अंडे का ऑम्लेट बनाकर खिला सकते हैं।

क्या मेरे बच्चे को कैल्शियम सप्लीमेंट की आवश्यकता है?

आपके बच्चे को कैल्शियम सप्लीमेंट की जरूरत है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी स्थिति कैसी है। कई बार बच्चों में कैल्शियम की इतनी कमी हो जाती है कि उन्हें कैल्शियम के सप्लीमेंट देना जरूरी हो जाता है। ऐसे में बच्चे की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर कैल्शियम के अनुपूरक दे सकते हैं। वहीं, अगर डॉक्टर को लगता है कि अनुपूरक की जरूरत नहीं है, तो वो सही डाइट देने की सलाह देते हुए बच्चे में कैल्शियम की मात्रा ठीक करने में मदद करते हैं।

बच्चों में कैल्शियम की कमी होना आम बात है, इसलिए सही तरीका अपनाकर आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं। आपको बस उसे सही आहार देने की जरूरत होती है। उम्मीद है कि इस लेख में आपको शिशुओं में कैल्शियम की कमी होने से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। चाइल्ड केयर से जुड़ी ऐसी अन्य जानकारियां प्राप्त करने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित दूसरे लेख को भी पढ़ सकते हैं।

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