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बार-बार गर्भपात यानी कैंसर को बुलावा
अमेरिका के एक शहर में पिछले हफ्ते ही एक नया कानून लाया गया है। इसके तहत गर्भपात कराने वाली हर महिला को डॉक्टर पहले यह सूचित करेंगे कि इस प्रक्रिया से उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। महिला...
बार-बार गर्भपात यानी कैंसर को बुलावा
अमेरिका के एक शहर में पिछले हफ्ते ही एक नया कानून लाया गया है। इसके तहत गर्भपात कराने वाली हर महिला को डॉक्टर पहले यह सूचित करेंगे कि इस प्रक्रिया से उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। महिला को 24 घंटे सोचने के लिए दिए जाएंगे। गर्भपात और कैंसर के बीच यह कैसा संबंध है, बता रही हैं आरती मिश्र
हमारे देश में गर्भपात के मामलों में पिछले सालों में तेजी से इजाफा हुआ है। खासकर दवाओं से गर्भपात कराने की नई तकनीक आने के बाद गर्भपात के मामले और बढ़ गए हैं। यह चिंता का विषय है, क्योंकि एक तरफ जहां इससे गर्भपात करना आसान हो गया है, वहीं दूसरी ओर इसके अधिक प्रयोग से शरीर को ऐसे नुकसान हो सकते हैं, जिसकी कल्पना भी आपको डरा देगी। इन खतरों में सबसे ज्यादा चिंताजनक है, कैंसर होने की आशंका में इजाफा।
गर्भपात का शरीर पर दो तरह से असर होता है। कुछ साइड इफेक्ट तो तुरंत नजर आने लगते हैं, पर कुछ सालों बाद अपना असर दिखाते हैं। पेट दर्द, ब्लींडिंग जैसे लक्षण तुरंत नजर आने लगते हैं, पर कैंसर जैसी बीमारियां सालों बाद अपना असर दिखाती हैं। तमाम शोध इस बात का दावा करते हैं कि जो महिलाएं मां नहीं बनी हैं, उन्हें ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर होने का खतरा अन्य महिलाओं की तुलना में 50 फीसदी अधिक होता है। अगर आपकी उम्र 40 से ज्यादा है और आप मां नहीं बनी हैं, तो एक बार कैंसर का पता लगाने वाले खास टेस्ट जरूर करवा लें। आर्टिमिस हॉस्पिटल की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. वीणा भट्ट के अनुसार, ‘गर्भ से बचने के लिए गर्भनिरोधक का प्रयोग करें, गर्भपात से बचें। अगर गर्भपात करवाना जरूरी ही है, तो डॉक्टर की सलाह और देखरेख में ही गर्भपात करवाएं। गर्भपात के बाद खानपान का ध्यान रखें और अधिक वजन न उठाएं।’
गर्भपात के साइड इफेक्ट्स
पेट में दर्द की शिकायत, उबकाई आना, उल्टी होना, डायरिया, स्पॉटिंग या ब्लीडिंग।
आर्टिमिस हॉस्पिटल के न्यूरो बिहेवियरल एक्सपर्ट डॉक्टर प्रवीण गुप्ता के अनुसार, ‘कई बार देखा गया है कि गर्भपात के बाद महिला डिप्रेशन, मनोबल में कमी, सिर में दर्द, मूड में बार-बार बदलाव जैसी समस्याओं से ग्रसित हो जाती हैं।’
शोध इस बात को प्रमाणित कर चुके हैं कि जो महिलाएं पहले बच्चे का गर्भपात कराती हैं, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। दूसरी और तीसरी बार के बाद, यह खतरा और बढ़ता ही जाता है। यह खतरा ऐसी महिलाओं को ज्यादा होता है, जो नि:संतान हैं।
एक बार गर्भपात करवाने से सर्वाइकल कैंसर का रिस्क तो ढाई गुना तक बढ़ जाता है। दो या उससे अधिक गर्भपात कराने पर यह खतरा चार गुना बढ़ जाता है।
ऐसी महिला जो बार-बार गर्भपात करवाती हैं, उनमें विकलांग बच्चे को जन्म देने का खतरा भी बढ़ जाता है।
पीआईडी यानी पेल्विक इनफ्लेमेटरी डिजीज, एक जानलेवा बीमारी है। गर्भपात के समय इन्फेक्शन होने पर यह बीमारी जल्दी अपनी जद में ले लेती है।
अबॉर्शन पिल्स लेने से पहले ये ध्यान रखें-
पिल्स से कभी-कभी पूरी तरह से गर्भपात नहीं हो पाता। पिल्स लेने के दो हफ्ते बाद रुटीन चेकअप जरूर करवाएं।
अगर हृदय रोग, अस्थमा, डायबिटीज, एनीमिया या अन्य बीमारी से पीड़ित हैं तो पिल्स न लें। एचआईवी से ग्रस्त महिलाओं को भी ये पिल्स नहीं दी जाती।
अगर ठीक तरह से गर्भपात नहीं हुआ है तो ऐसे में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
फेलोपियन टय़ूब में किसी तरह का जख्म हो जाता है तो महिला का भविष्य में मां बनना मुश्किल हो जाता है।
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