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कुछ ऐसे प्राकृतिक उपाय हैं, जिनसे आप शिशु की नितंब नीचे वाली अवस्था बदलने का प्रयास कर सकती हैं।
ध्यान रखें कि ये तकनीकें कितनी प्रभावी हैं, इसे लेकर ज्यादा प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, कुछ गर्भवती महिलाओं का मानना है कि ये उपाय उनके लिए कारगर साबित हुए हैं। अधिकांश महिलाएं 34 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद ही इन तकनीकों को आजमाती हैं।
इन वैकल्पिक तरीकों को आजमाने से पहले हमेशा अपनी डॉक्टर से बात करें। साथ ही, सुनिश्चित करें कि जब आप इन्हें आजमाएं तो आपके आस-पास मदद के लिए कोई हो। यदि आपको चक्कर आएं या मदद की जरुरत लगे तो वे तैयार होंगे।
नी-टू-चेस्ट अवस्था
इसमें गुरुत्व बल के जरिये शिशु को सिर नीचे वाली अवस्था में लाने का प्रयास किया जाता है। जमीन पर चटाई बिछाकर घुटने टेक कर बैठें और आगे की तरफ झुकें। आपके कूल्हे हवा में रहेंगे और सिर, कंधे जमीन पर टिकेंगे।
इस अवस्था में आने का मुख्य उद्देश्य शिशु को थोड़ा ऊपर की तरफ और श्रोणि क्षेत्र से दूर करना होता है, ताकि उसे अपनी अवस्था बदलने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाए। अपनी जांघों से पेट को दबने न दें और अपने घुटनों को भी एक-दूसरे से दूर रखें। हर दिन आप 15 से 20 मिनट तक इस अवस्था में रहें।
पीठ के बल लेटें और कूल्हों को हल्का सा ऊंचा रखें (ब्रीच टिल्ट)
अपने कूल्हों के नीचे एक तकिया लगा लें और अपने घुटनों को मोड़ लें। अपने सिर के नीचे भी एक तकिया लगा लें ताकि आपकी पीठ समतल न रहे। ऐसा 10 से 15 मिनट तक दिन में दो बार करें। कोशिश करें कि आप ऐसा तब करें जब आपका पेट थोड़ा खाली हो और आपका गर्भस्थ शिशु सक्रिय व क्रियाशील लग रहा हो।
यदि गर्भावस्था में आपको सिरदर्द, श्रोणि क्षेत्र में दर्द या कूल्हों में दर्द की शिकायत रही थी, तो इन तकनीकों को आजमाने से पहले डॉक्टर से पूछ लें।
साथ ही, यदि आपको इन्हें करते हुए किसी भी समय दर्द महसूस हो, बेहोशी या चक्कर आएं तो इन्हें करना बंद कर दें। दोबारा आजमाने से पहले डॉक्टर से पूछ लें।
प्रसवपूर्व योग
आपने शायद यह भी सुना हो कि प्रसवपूर्व योग की कुछ मुद्राएं और आसन ब्रीच शिशु को पलटने में मदद कर सकते हैंं। मगर अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये ब्रीच गर्भावस्था में किस तरह मदद करते हैं।
वैसे गर्भावस्था के दौरान आपको कोई भी व्यायाम करते हुए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। यदि आप प्रसवपूर्व योग आजमाना चाहें तो पहले डॉक्टर से पूछ लें कि क्या ये आपके और गर्भस्थ शिशु के लिए सही रहेगा या नहीं। यदि डॉक्टर इसकी अनुमति दे दे, तो प्रसवपूर्व योग में अनुभव प्राप्त प्रशिक्षक की सलाह का पालन करें।
कुछ प्रेगनेंसी मसाज थेरेपिस्ट या मालिशवाली भी यह दावा कर सकते हैं कि उन्हें ब्रीच शिशुओं को सीधी अवस्था में लाने का अनुभव है, मगर बेहतर है कि आप सावधानी बरतें। गर्भ में शिशु की अवस्था बदलना इतना आसान नहीं है और यह अस्तपताल में अनुभवी डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए, बशर्ते यह आपके लिए सुरक्षित हो।
मसाज थेरेपिस्ट या मालिशवाली को शायद आपके चिकित्सकीय इतिहास या जटिलताओं के बारे में पता न हो। ऐसे में कोई भी गलत तकनीक आपके और गर्भस्थ शिशु के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकती है।
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