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पेरिमेनोपॉज:यह पीरियड्स बंद होने से पहले की स्टेज, लक्षण 40 की उम्र से शुरू हो सकते हैं; जानिए इन्हें कैसे मैनेज करें
3 महीने पहले
45 से 50 की उम्र के बीच हर महिला को पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं। इस स्टेज को मेनोपॉज कहा जाता है। यह एक नेचुरल प्रोसेस है। हालांकि ऐसा एकदम से नहीं होता है। मेनोपॉज के कुछ समय पहले एक औरत पेरिमेनोपॉज की स्टेज से गुजरती है। आइए जानते हैं यह क्या है, इसके लक्षण और इसे मैनेज करने के तरीके।
क्या है पेरिमेनोपॉज?
पेरिमेनोपॉज को मेनोपॉजल ट्रांजिशन भी कहा जा सकता है।
पेरिमेनोपॉज का मतलब होता है मेनोपॉज के आसपास वाला समय। यह स्टेज तब आती है जब आपका शरीर माहवारी बंद होने की ओर बढ़ रहा होता है। इसलिए पेरिमेनोपॉज को मेनोपॉजल ट्रांजिशन भी कहा जा सकता है। यह हर महिला के लिए एक अलग अनुभव हो सकता है। इसके लक्षण भी महिला के शरीर पर निर्भर करते हैं।
पेरिमेनोपॉज के लक्षण
इस स्टेज के लक्षण ज्यादातर महिलाओं में 40 की उम्र के बाद से शुरू हो जाते हैं। कुछ मामलों में 30 की उम्र के बाद भी ये लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
अनियमित पीरियड्स
एस्ट्रोजन नाम के सेक्स हॉरमोन का लेवल असमान रूप से घटते-बढ़ते रहना
पीरियड साइकिल शुरू होने पर भी ओवरीज से अंडे रिलीज न होना
अचानक से शरीर में गर्मी महसूस होना (हॉट फ्लैश)
नींद में गड़बड़ी
वजाइना में सूखापन
मूड स्विंग्स
फर्टिलिटी कम होना
गलती से पेशाब छूट जाना
सेक्स ड्राइव कम हो जाना
हड्डियां कमजोर होना
शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाना
पेरिमेनोपॉज के गंभीर कॉम्प्लिकेशंस
असामान्य लक्षणों का अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
कुछ महिलाओं को ऊपर दिए गए लक्षणों के अलावा भी कुछ ऐसे लक्षण आ सकते हैं, जो असामान्य माने जाते हैं। ये पेरिमेनोपॉज के गंभीर कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं।
पीरियड्स के दौरान हर 1-2 घंटे में पैड बदलने की नौबत आए
ब्लीडिंग 7 दिन से ज्यादा चले
माहवारी हर 21 दिन के गैप में होने लगे
पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग हो
ये लक्षण बताते हैं कि आपका प्रजनन स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। इन लक्षणों का अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
पेरिमेनोपॉज को कैसे मैनेज करें?
रोजाना एक्सरसाइज करें। यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करेगी।
यह स्टेज आपके दैनिक जीवन में बाधा बन सकती है, इसलिए इसे सही तरीके से मैनेज करना जरूरी है।
सभी पोषक तत्वों को अपनी डाइट में शामिल करें। मौसमी फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट से युक्त भोजन करें।
रोजाना एक्सरसाइज करें। यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करेगी।
सोने का रूटीन बनाएं। हर दिन एक ही समय उठें और सोएं। सोने से पहले डिजिटल गैजेट्स से दूर रहें।
मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन से बचने के लिए स्ट्रेस को दूर रखें। इससे बचने के लिए मेडिटेशन कर सकते हैं।
अपना वजन कंट्रोल में रखें।
शराब और धूम्रपान छोड़ें।
(Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। बचाव के तरीके/ इलाज अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें।)
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