महिलाओं को पीरियड कितने साल तक होता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 14th Oct 2022 : 11:34

समय से पहले मेनोपॉज होने के होते हैं ये कारण, जानें
मेनोपॉज यानी पीरियड्स का बंद होना एक स्वाभाविक शारीरिक बदलाव है। पर अगर मेनोपॉज समय से पहले हो जाए तो? क्यों होता है ऐसा और इसका असर अपनी जिंदगी पर कैसे कम-से-कम होने दें,
समय से पहले मेनोपॉज होने के होते हैं ये कारण, जानें

मेनोपॉज यानी पीरियड्स का बंद होना एक स्वाभाविक शारीरिक बदलाव है। पर अगर मेनोपॉज समय से पहले हो जाए तो? क्यों होता है ऐसा और इसका असर अपनी जिंदगी पर कैसे कम-से-कम होने दें, बता रही हैं पूनम महाजन

आमतौर पर 40 या 50 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं में मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) आता है। मेनोपॉज यानी मासिक धर्म का बंद हो जाना। कुछ महिलाओं को 30 से 40 वर्ष के बीच में मेनोपॉज की स्थिति आ जाती है। इस स्थिति को प्री-मेनोपॉज कहते हैं। समय पूर्व मेनोपॉज बाहरी तत्वों जैसे कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी, ऑटो-इम्यून बीमारी, आनुवंशिक बीमारियों, धूम्रपान और जेनिटल टीबी की वजह से भी हो सकता है।

इंफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. ज्योति बाली बताती हैं कि आमतौर पर महिलाओं को 14-15 की उम्र से लेकर 45 से 50 वर्ष की आयु तक पीरियड्स होते हैं। पर कुछ महिलाओं में समय पूर्व यानी 28 से 38 वर्ष की आयु के बीच में ही ओवेरियन फेल्योर हो जाता है और पीरियड बंद हो जाते हैं। इसके बाद महिला की गर्भधारण क्षमता खत्म हो जाती है। मेनोपॉज अलग-अलग उम्र में हो सकता है। यह भी हो सकता है कि 60 की आयु तक भी आपको मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति न हो।

कैसे पता चलता है?

अगर आपको लगता है कि आप समय से पहले मेनोपॉज से गुजर रही हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। वे इस बात की पुष्टि करने के लिए कुछ जांच करवाते हैं। इसके लिए अमूमन एस्ट्रोजन और एफएसएच टेस्ट करवाया जाता है, जिसे रक्त जांच के द्वारा किया जाता हैं। इस टेस्ट के द्वारा शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा को मापा जाता है और यह जांचा जाता है कि आपकी ओवरी में अंडे बन रहे हैं या नहीं। यदि किसी महिला का एफएसएच निर्धारित सीमा तक नहीं होता है तो उसके लिए प्राकृतिक तरीके से गर्भवती होना लगभग असंभव होता है।

प्री-मेनोपॉज के ये हैं संकेत

अनियमित पीरियड्स: जब आपके पीरियड नियमित रूप से होने बंद हो जाते हैं, तो यह संकेत होता है कि आप मेनोपॉज की तरफ जा रही हैं। ऐसे में पीरियड का कोई निश्चित समय या महीना नहीं रहता। इतना ही नहीं, पीरियड के दौरान ब्लीडिंग बहुत ही कम हो जाती है। यह अनियमितता आने की वजह से गर्भाशय में अंडों का बनना भी बंद हो जाता है और धीरे-धीरे ओवरी निष्क्रिय हो जाती है।

बहुत अधिक गर्मी लगना: बिना किसी स्पष्ट कारण के बार-बार बहुत अधिक गर्मी का एहसास होना, बुखार के बिना शरीर का तापमान बढ़ जाना और फिर थोड़ी देर बाद एकदम से ठंड लगना...ये सब प्री-मेनोपॉज के लक्षण हैं। इस दौरान रात में बहुत पसीना आना, मूड स्विंग, थकान आदि समस्याएं होती हैं।

सेक्स की इच्छा खत्म होना: कई महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान सेक्स की इच्छा खत्म हो जाती है या बहुत ही कम हो जाती है। उन्हें शारीरिक संबंध बनाने के दौरान दर्द व तकलीफ होती है।

मूड स्विंग होना: प्री-मेनोपॉज के दौरान ऐसा लगता है कि आप एक भावनात्मक रोलर-कोस्टर पर हैं। प्री-मेनोपॉज के कारण होने वाले हामार्ेनल बदलावों के कारण चिंता, उदासी तनाव और यहां तक कि अवसाद भी हो सकता है। भावनाओं की अस्थिरता देखने को मिलती है।

पेशाब पर नियंत्रण खत्म होना: प्री-मेनोपॉज की स्थिति में महिला का अपने ब्लैडर से नियंत्रण छूटता जाता है। पेशाब को रोक पाने की क्षमता कम हो जाती है और पहले की अपेक्षा अधिक बार बाथरूम जाना पड़ता है।

कैसे निबटें इन लक्षणों से?

यदि आप समय से पहले मेनोपॉज की शिकार हो रही हैं तो इसे रोकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता है। यदि आप गर्भधारण करनी चाहती हैं तो आपको डोनर एग यानी दूसरी महिला के अंडाणुओं को लेकर आईवीएफ तकनीक के द्वारा गर्भधारण करवाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आप मेनोपॉज को खत्म तो नहीं कर सकतीं, लेकिन इसके शारीरिक और भावनात्मक दुष्प्रभावों से बचने को लेकर कुछ उपाय कर सकती हैं।

स्वस्थ आहार लें:

जब हम पौष्टिक आहार लेते हैं तो शारीरिक और भावनात्मक, दोनों रूप से बेहतर महसूस करते हैं। आप विशेष रूप से अपनी डाइट में कैल्शियम और विटामिन-डी युक्त खाद्य पदाथार्ें को शामिल करें, क्योंकि मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका बढ़ जाती है। हड्िडयों को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक दूध से बनी चीजें जरूर खाएं।

नियमित करें व्यायाम:

नियमित रूप से व्यायाम करने से आपको अवसाद आदि से लड़ने में मदद मिलेगी। मेनोपॉज के कारण वजन भी तेजी से बढ़ता है। वजन नियंत्रित रखने के लिए भी व्यायाम करना ही एक मात्र उपाय है।

न खाएं गर्म तासीर वाला खाना:

कैफीन, शराब और मसालेदार भोजन आदि चीजों के सेवन से बचें। इनके सेवन से मेनोपॉज के दौरान बहुत ज्यादा गर्मी लगती है, क्योंकि ये खाद्य पदार्थ मेनोपॉज के दौरान होने वाले ‘हीट फ्लैश’ को बढ़ावा देते हैं। यदि यह समस्या बढ़ती है तो डॉक्टर आपको एस्ट्रोजन थेरेपी दे सकता है।

पानी पिएं खूब: मेनोपॉज आपकी त्वचा, बालों और नाखूनों को रूखा बना सकता है। इससे बचने के लिए खूब सारा पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं।

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