मां का दूध कब आता है?pregnancytips.in

Posted on Wed 12th Oct 2022 : 15:49

गर्भावस्था में और इसके बाद स्तनदूध कैसे बनता है
माँ का दूध शिशु के लिए प्रकृति का सबसे बेहतरीन आहार है। दूसरी तिमाही में आपकी दुग्ध ग्रंथिया पूरी तरह तैयार हो जाती है, ताकि अगर शिशु का जन्म समय से पहले हो जाए तो भी आप उसे स्तनपान करवाने के लिए तैयार हों। माँ के दूध की सबसे खास बात यह है कि शिशु की जरुरत के हिसाब से इसमें बदलाव आता रहता है। यह अत्यंत व्यक्तिगत आहार होता है और शिशु के वजन और उसकी भूख के आधार पर स्तन दूध के उत्पादन की मात्रा भी बढ़ती रहती है।
गर्भावस्था के दौरान स्तनों में कैसे बदलाव आता है?
जब आप गर्भवती होती हैं, तभी से आपके स्तन शिशु को स्तनपान करवाने की तैयारी शुरु कर देते हैं।

निप्पलों में सिहरन, संवेदनशील और सूजे हुए स्तन गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है। ये शरीर में हॉर्मोनों के बढ़ते स्तर की वजह से होता है।

निप्पल के चारों तरफ की त्वचा (एरिओला) का रंग भी थोड़ा गहरा लग सकता है और उस पर छोटे-छोटे उभार दिखाई दे सकते हैं। शिशु को स्तनपान की तरफ आकर्षित करने का यह प्रकृति का प्रत्यक्ष तरीका है।

एरिओला पर छोटे-छोटे उभार एक तैलीय तत्व का उत्पादन करते हैं, जो कि स्तनपान के दौरान निप्प्लों कों साफ करते हैं, चिकनाई देते हैं और इनफेक्शन से बचाते हैं। इनकी गंध एमनियोटिक द्रव जैसी होती है, इसलिए आपका शिशु जन्म के बाद से ही स्वत: इस जानी-पहचानी गंध के प्रति आकर्षित हो जाता है।

शिशु के जन्म के समय तक आपके स्तनों में ग्रंथीय ऊत्तकों का माप दोगुना हो सकता है। माप में इस परिवर्तन का समय हर महिला में अलग हो सकता है। यह गर्भावस्था के मध्य में या गर्भावस्था के अंतिम चरण में हो सकता है, या फिर शिशु के जन्म के बाद भी ऐसा हो सकता है।

अगर आपके स्तन छोटे हों या डिलीवरी के बाद इनका माप बढ़ा हुआ न लगे, तो भी चिंता न करें। स्तनों के माप का आपके स्तनदूध उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं होता। छोटे स्तनों वाली मां भी शिशु के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन करती हैं। आपका शिशु जितना ज्यादा दूध पीएगा, उतने ही अधिक दूध का उत्पादन होगा।

शिशु के जन्म के बाद जब आपका दूध आना शुरु होता है, तो आपके स्तन काफी भारी और भरे हुए दिखाई देंगे। शिशु के जन्म के एक या दो सप्ताह बाद, आपके स्तन तकरीबन उसी माप के हो जाएंगे, जितने वे गर्भावस्था के दौरान थे। वे ऐसे तब तक रहेंगे, जब तक आप शिशु को स्तनपान करवाती रहेंगी।
माँ के दूध में कौन से पोषक तत्व होते हैं?
कोलोस्ट्रम वह पहला दूध है, जो गर्भावस्था के दौरान आपके स्तनों में बनता है। नवजात शिशु के लिए इसके फायदे को देखते हुए इस 'तरल सोना' (लिक्विड गोल्ड) कहा जाता है। आपका यह पहला दूध प्रोटीन,मिनरल्स, लवण, विटामिन ए, नाइट्रोजन, सफेद रक्त कोशिकाओं और विशेष एंटिबॉडीज से भरपूर होता है। इसमें बाद में आने वाले परिपक्व दूध की तुलना में वसा और शर्करा कम होती है।

परिपक्व स्तन दूध में पानी, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, विटामिन, खनिज और एमिनो एसिड होते हैं। इसमें सफेद रक्त कोशिकाएं, एंटिबॉडीज, एन्जाइम्स और अन्य तत्व भी होते हैं जो शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

स्तन दूध में 200 से भी ज्यादा फायदेमंद तत्व होते हैं, और अब भी लगातार इनकी खोज जारी है। उदाहरण के तौर पर शोधकर्ताओं का अब यह मानना है कि स्तन दूध में मौजूद फैट्टी एसिड शिशु के मस्तिष्क और रेटिना के विकास को बढ़ावा देता है। साथ ही यह संज्ञानात्मक विकास को भी बढ़ा सकता है। माँ के दूध में मौजूद बहुत से तत्व जैसे कि इनफेक्शन से लड़ने वाली सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं किया जा सकता।

माँ के स्तनों में परिपक्व दूध शिशु के जन्म के करीब दो से चार दिनों के बाद आता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप जन्म के बाद शुरुआती कुछ घंटों और दिनों में आप शिशु को कितनी बार स्तनपान करवाती हैं। शिशु की भूख और स्तनपान की बारंबारता के आधार पर आपके दूध का उत्पादन घटता-बढ़ता रहता है।

स्तनपान के दौरान शुरुआत में अग्रदूध (फोरमिल्क) आता है जिसमें पानी और लैक्टोस की मात्रा ज्यादा होती है। इसके बाद वसा और कैलोरी से भरपूर दूध आता है जिसे अंग्रेजी में हिंडमिल्क कहते हैं।
मेरे स्तनों में दूध कैसे बनता है?
माँ का दूध शिशु के लिए प्रकृति का सबसे बेहतरीन आहार है। आपके स्तन में स्तन ग्रंथियां दूध का उत्पादन करती हैं। स्तन ग्रंथियों में अलग-अलग हिस्से स्तनदूध के उत्पादन में भूमिका अदा करते हैं:

एल्वियोली: जहां स्तनदूध का उत्पादन होता है। आपके स्तन में ये छोटे अंगूर जैसे कोषों के गुच्छे होते हैं। ये छोटी-छोटी मांसपेशियों से घिरे होते हैं, जो कि इन्हें भींचकर दूध को बाहर छोटी नलिकाओं में निकालती हैं। ये हर गर्भावस्था में बनती हैं।

छोटी नलिकाएं (डक्ट्यूल्स): छोटी नलिकाएं जो दूध को एल्वियोली से मुख्य दुग्ध नलिका तक लाती हैं।

दुग्ध नलिकाएं (मिल्क डक्ट्स): यह नलिकाओं का वह गहन तंत्र है, जो एल्वियोली और छोटी नलिकाओं से स्तनदूध को सीधा शिशु तक पहुंचाता है। आप इन दुग्ध नलिकाओं को अलग-अलग स्ट्रॉ की तरह मान सकती हैं, जिनमें से कुछ एक-दूसरे से मिल जाती हैं। आपके निप्पल के सिरे तक करीब आठ या नौ स्ट्रॉ यानि नलिकाएं होती हैं, जो शिशु को दूध पहुंचाती हैं। हर गर्भावस्था में इन नलिकाओं की संख्या और माप बढ़ जाता है। जब आप स्तनपान करवाना शुरु करती हैं, तब आपके एक स्तन में औसतन नौ नलिकाएं होती हैं। हो सकता है गर्भावस्था के दौरान आपके स्तनों से दूध की कुछ बूंदों का रिसाव हो। वास्तव में, आपकी दूध-उत्पादन प्रणाली गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान कभी भी तैयार हो सकती है। यदि आपका शिशु समय से पहले पैदा हो जाए, तो भी आप उसे स्तनपान करवा सकेंगी।

आपके शिशु के जन्म और अपरा की डिलीवरी हो जाने के बाद आपके शरीर में ईस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टीरोन हॉर्मोन के स्तर घटने लगते हैं। इससे आपके मस्तिष्क में पीयूष ग्रंथि (पिटूइटरी ग्लैंड) से प्रोलैक्टिन हॉर्मोन जारी होना शुरु हो जाता है।

प्रोलैक्टिन आपके शिशु को पोषित करने के लिए शरीर को खूब सारा दूध बनाने के संकेत देता है। और इसकी वजह से आप शिशु के लिए और अधिक ममता व प्यार-दुलार महसूस कर सकती हैं।
क्या छोटे स्तनों वाली माँ कम स्तन दूध का उत्पादन करती हैं?
स्तनपान के मामले में बड़े या छोटे स्तनों से कोई फर्क नहीं पड़ता। स्तनों के माप का आपके स्तनदूध उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं होता।

स्तनों का माप अधिकांशत: इस बात से निर्धारित होता है कि उनमें कितने ज्यादा चर्बीदार ऊत्तक (फैट्टी टिश्यू) हैं। ये आपके गर्भवती होने पर तैयार हो जाते हैं। शिशु के जन्म के समय आपके स्तनों का माप कुछ भी हो, आपके पास शिशु को स्तनपान करवाने के लिए पर्याप्त ग्रंथीय ऊत्तक होंगे।

यदि आपको स्तनदूध की आपूर्ति कम लगे, तो भी इस बात की संभावना बहुत कम है कि आप शिशु के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन नहीं कर सकतीं। अधिकांश मामलों में, समस्या यह नहीं होती कि आप कितना स्तनदूध का उत्पादन कर रही हैं, समस्या यह होती है कि आपका शिशु कितना दूध पाने में सक्षम है।

यदि आपका शिशु स्तनों से सही ढंग से मुंह में नहीं ले पा रहा (लैचिंग), तो वह पर्याप्त दूध नहीं पा सकेगा। शिशु सही तरीके से लैच कर रहा है या नहीं यह जानने के लिए आप हमारी विजुअल गाइड भी देख सकती हैं।
अपने शिशु को स्तनपान करवाना मैं कब शुरु कर सकती हूं?
आप शिशु के जन्म के बाद से ही उसे स्तनपान करवाना शुरु कर सकती हैं। जन्म के तुरंत बाद त्वचा का त्वचा से संपर्क निम्नांकित तरीकों से फायदेमंद हो सकता है:

शरीर को 'लव हॉर्मोन' ऑक्सीटॉसिन जारी करने में, जिससे स्तनपान करवाने और शिशु के साथ बांडिंग बढ़ाने में मदद मिलती है।
शिशु को आराम देने और उसकी हृदय गति को सामान्य करने में।
शिशु के स्तनपान करने के स्वाभाविक प्रयास शुरु करने में।

शिशु को गर्माहट देने और गर्भ से बाहर आने के बाद भी उसे सुरक्षित महसूस करवाने में।

ये सभी एक साथ मिलकर स्तनपान की शानदार शुरुआत में मदद करते हैं। आप शिशु को जो पहला दूध पिलाएंगी, वह कोलोस्ट्रम होगा। यह गाढ़ा, मलाई जैसा दिखने वाला दूध होता है, जिसमें प्रोटीन की उच्च मात्रा और वसीय तत्व कम होंगे। आपके शिशु के जन्म के बाद पहले तीन दिनों तक उसे केवल इस कोलोस्ट्रम की ही जरुरत होती है। आपके शिशु का पेट बहुत छोटा होता है, इसलिए उसे शुरुआत में केवली थोड़ी मात्रा में ही दूध चाहिए होता है।

कोलोस्ट्रम रोगों से लड़ने वाली कोशिकाओं और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो कि आपके शिशु की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत बनाते हैं।

कोलोस्ट्रम में ऐसे अनूठे तत्व भी होते हैं जो शिशु के विकास को बढ़ावा देते हैं और शिशु की आंतों में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ाते हैं। ये जीवाणु शिशु की आंतों को दस्त (डायरिया) और अन्य संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणुओं से लड़ने में मदद करते हैं।

जन्म के बाद तीन दिन तक जब शिशु कोलोस्ट्रम का फायदा ले चुका होता है, तो फिर आपका बाद वाला दूध आता है। इस दूध में भी कोलोस्ट्रम की तरह रोगाणुओं से लड़ने वाले और सूक्ष्म जीवाणुओं से भरपूर तत्व होते हैं। इसके साथ-साथ, स्तनदूध में प्रोटीन और वसा के अलग स्तर होते हैं, जो कि शिशु के स्वस्थ विकास में मदद के लिए एकदम उचित होते हैं।

जन्म के बाद अगले छह महीने तक आपके शिशु को भोजन और पेय के रूप में केवल आपका दूध चाहिए होता है। मगर यदि आप उसे शुरुआत के दो साल तक स्तनपान करवाएं तो उसे इसका भरपूर फायदा मिल सकता है।
जब शिशु स्तनपान करना शुरु करता है तो क्या होता है?
शिशु को आपका दूध मिले, इसके लिए पहले एल्वियोली से दूध निकलना चाहिए, जिसे स्तनदूध जारी होना (लेटडाउन) कहा जाता है। यह कैसे होता है, इस बारे में नीचे बताया गया है:

जब आपका शिशु स्तन को चूसता है, तो आपके निप्पल में उत्तेजना या सिहरन होती है। इससे पीयूष ग्रंथि के दूसरे हिस्से को आपकी रक्तवाहिकाओं में आॅक्सीटोसिन हॉर्मोन जारी करने के लिए प्रेरणा मिलती है। (यह समान प्रतिक्रिया शिशु को स्तनपान करवाने के बारे में केवल सोचने मात्र से या उसके रोने की आवाज सुनकर भी हो सकती है।)

जब ऑक्सीटोसिन आपके स्तन तक पहुंचता है, तो दूध से भरी एल्वियोली के आस पास की छोटी-छोटी मांसपेशियों में संकुचन होता है और वे भिंचने लगती है, जिससे दूध की धार निकलने लगती है।

आपका दूध नलिकाओं के सहारे एरिओला के ठीक नीचे तक आ जाता है।

जब आपका शिशु स्तनपान करता है, तो वह नलिकाओं को दबाकर दूध अपने मुंह में ले लेता है।

एल्वियोली से दूध निकलते समय जब दूध का प्रवाह तेज होता है, तो स्तनों में सिहरन, चुभन या जलन सी महसूस हो सकती है। यह सामान्य है और यह अनुभूति कुछ ही क्षणों में दूर हो जाती है। जब आप ज्यादा समय तक स्तनपान करवाती हैं तो यह चुभन का अहसास कम होने लगता है। इसलिए आप पाएंगी कि आने वाले हफ्तों में यह कम होने लगती है।

हो सकता है आप पाएं कि दूध निकलते समय टपकने लगता है या स्प्रे की तरह बाहर आने लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शुरुआत में हो सकता है आपके स्तन शिशु के लिए जरुरत से ज्यादा दूध का उत्पादन कर लें। डिलीवरी के बाद शुरुआती कुछ दिनों के दौरान स्तन बहुत ज्यादा भरे हुए महसूस होना भी सामान्य हो सकता है। शिशु को समय-समय पर और जितनी देर वह चाहे उतनी देर तक स्तनपान करवाने से आपके स्तन नरम हो सकेंगे।

जब भी शिशु चाहे तब उसे स्तनपान करवाने को अंग्रेजी में रिस्पांसिव फीडिंग कहा जाता है और आपके स्तन इसके लिए तैयार होते हैं। अगर आपका शिशु स्तनपान करता रहता है, तो आपके शरीर को जल्द ही यह पता चल जाएगा कि शिशु के लिए कितने दूध का उत्पादन करना है। इससे आपको स्तन भारी लगना बंद हो जाएगा।

जब आप शिशु को स्तनपान करवाती हैं, तो आपको शांति, संतोष और आनंद की अनुभूति हो सकती है। इसीलिए कुछ लोग आॅक्सीटॉसिन को प्यार जगाने वाला हॉर्मोन कहते हैं! आप उनींदा भी महसूस कर सकती हैं और आपको ज्यादा प्यास भी लग सकती है। ये इस बात के संकेत हैं कि शिशु आपके स्तनों को उत्प्रेरित कर रहा है। शिशु के जन्म के शुरुआती कुछ दिनों में शिशु के स्तन चूसने पर आपके पेट में संकुचन महसूस हो सकते हैं (आफ्टरपेन्स)। ये प्रसव के हल्के संकुचन जैसे महसूस होते हैं। यह आॅक्सीटोसिन के दोबारा काम शुरु करने पर होता है। यह आपके गर्भाशय को गर्भावस्था से पहले के आकार में लाने में मदद करता है।

अगर आफ्टरपेन्स के लिए आपको दर्दनिवारक की जरुरत लगे तो डॉक्टर से बात करें। वे आपको ऐसी दवा दे सकती हैं, जिसका सेवन स्तनपान के दौरान सुरक्षित हो।
मेरे स्तन शिशु के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन कैसे कर पाते हैं?
जब आपका शिशु स्तनपान कर रहा होता है, तो उसके चूसने से मस्तिष्क को और अधिक प्रोलैक्टिन हॉर्मोन जारी करने की प्रेरणा मिलती है। प्रोलैक्टिन आपके शरीर को और अधिक दूध बनाने के लिए उत्तेजित करता है। यह आपके स्तनों को शिशु के अगले स्तनपान के लिए दूध का प्रबंध करने के लिए कहता है। इसलिए आपका शिशु जितनी ज्यादा बार स्तनपान करेगा, आपकी रक्तवाहिकाओं में प्रोलैक्टिन को भी दूध का उत्पादन करने के लिए उतना ही ज्यादा प्रोत्साहन मिलेगा। प्रोलेक्टिन हॉर्मोन की वजह से ही आपकी माहवारी बंद होती है, क्योंकि यह डिंबोत्सर्जन को रोक सकता है।

कुछ माँएं शुरुआती छह महीनों में स्तनपान को गर्भनिरोध के एक तरीके के तौर पर इस्तेमाल करती हैं। हालांकि, यह तरीका पक्का और विश्वसनीय नहीं है। स्तनपान के दौरान गर्भनिरोध के सुरक्षित तरीकों के बारे में डॉक्टर से बात करें।

कुछ हफ्तों में आपका शरीर यह समझ जाता है कि आपके शिशु को कितनी मात्रा में दूध की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब यह दूध के उत्पादन के लिए प्रोलैक्टिन पर इतना ज्यादा निर्भर नहीं करता। प्रोलैक्टिन का स्तर घटने लगता है और अंतत: आपकी माहवारी फिर से शुरु हो जाती है।

हालांकि, आपके पास अभी भी पर्याप्त दूध होगा। प्रोलैक्टिन का कम स्तर भी यह शिशु के लिए जरुरी मात्रा में दूध उत्पादन करने के लिए पर्याप्त होता है। इस समय तक शिशु के दूध पीने का तरीका (पैटर्न) स्तनदूध के उत्पादन का मुख्य प्रेरक होता है। ऐसा एक अन्य हॉर्मोन फीडबैक इन्हिबिटर ऑफ लैक्टेशन (एफआईएल) की वजह से होता है। एफआईएल दोनों स्तनों को बताता है कि कितने दूध का उत्पादन करना है। यदि शिशु एक स्तन से बार-बार दूध पीता है, तो उसमें एफआईएल का स्तर कम होगा। यह उस स्तन के लिए संकेत के तौर पर काम करता है और वह और दूध का उत्पादन करता है।

यह भी हो सकता है कि आप शिशु को ज्यादा बार स्तनपान न करवा पा रही हों। इसकी वजह हो सकती है कि शिशु को ठीक से स्तन चूसना नहीं आ रहा है या आप स्तनदूध के साथ-साथ फॉर्मूला दूध भी दे रही हैं। ऐसा होने पर भी आपके स्तनों में दूध लंबे समय तक बना रहेगा। इसके परिणामस्वरूप एफआईएल इकट्ठा होने लगता है और दूध का उत्पादन धीमा हो जाता है।

यदि आपको स्तनदूध की आपूर्ति कम लगे, तो भी इस बात की संभावना बहुत कम है कि आप शिशु के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन नहीं कर सकतीं। अधिकांश मामलों में समस्या यह होती है कि आपका शिशु स्तनों को सही ढंग से मुंह में नहीं ले पा रहा (लैचिंग) है, इसलिए उसे पर्याप्त दूध नहीं मिल पा रहा।

दूध की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए आप अपने स्तनदूध को निकाल यानि एक्सप्रेस भी कर सकती हैं। जब तक स्तन खाली होते रहेंगे, तब तक एफआईएल का स्तर कम रहेगा ताकि दूध का उत्पादन जारी रहे या यह बढ़ता रहे।

एफआईएल हर स्तन में अलग तरह से काम करता है, धीरे-धीरे आप शायद पाएंगी कि आपका एक स्तन दूध से भर जाता है और दूसरे की तुलना में ज्यादा दूध का उत्पादन करता है। या फिर संभव है कि आपका शिशु एक ही स्तन से ज्यादा बार दूध पीता हो।

ऐसा होना बहुत आम है और अक्सर दाएं स्तन से ज्यादा बार दूध पिलाया जाता है। चाहे आप दाएं हाथ से काम करती हों या बाएं से या फिर आप स्तन बदल-बदल कर शिशु को दूध पिलाती हों, तो भी अक्सर दाएं स्तन से ज्यादा बार दूध पिलाया जाता है।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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