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5-6 महीने का होने पर शिशुओं की गर्दन होने लगती है सीधी, इन 3 एक्सरसाइज से मजबूत बनाएं उनकी गर्दन
नवजात शिशुओं की गर्दन काफी कमजोर होती है। उनकी गर्दन को मजबूती प्रदान करने के लिए उन्हें ये एक्सरसाइज जरूर कराएं।
अगर आपका बच्चा धीरे-धीरे अपनी गर्दन को उठाने की कोशिश कर रहा है, तो इस दौरान उनकी गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए कुछ जरूरी एक्सरसाइज कराएं। एक्सपर्ट की मानें तो जन्म के समय शिशुओं के गर्दन की मांसपेशियां काफी ज्यादा कमजोर होती हैं। इसलिए इसे उठाते वक्त सपोर्ट देने की जरूरत होती है। वहीं, 1 महीने बाद शिशु अपने गर्दन को धीरे-धीरे उठाने की कोशिश करता है, लेकिन इस समय भी इनकी गर्दन की मांसपेशियां काफी कमजोर होती हैं। जैसे-जैस शिशु पेट के बल लेटने की कोशिश करता है, तो वह हल्का सा गर्दन उठाने लगता है। 4 से 5 माह के शिशुओं का गर्दन लगभग सीधा होने लगता है। जब शिशु बैठने लगता है, तो उनके गर्दन की दिशा एकदम सीधी हो जाती है। अगर आप चाहते हैं कि आपके शिशु के गर्दन की मांसपेशियां सीधी रहे, तो उन्हें नियमित रूप से कुछ एक्सरसाइज जरूर कराएं। आइए जानते हैं उन एक्सरसाइज के बारे में-
2-3 माह मांह का शिशु अपने टॉय़ज को पहचानने लगता है। ऐसे में उनकी दोस्ती खिलौने से कराएं और उनकी व्यस्तता का फायदा उठाते हुए उनके सिर को दूसरी ओर घुमाने की कोशिश करें। साथ ही उनके खिलौने की मदद से उनके गर्दन में मूवमेंट लाने की कोशिश करें। गेम ऑफ टॉयज करने के लिए शिश को एक बिस्तर पर पेट के बल लिटा दें। इसके बाद उनके आसपास खिलौने रखें। इससे वे खिलौने की ओर आकर्षित होने लगेंगे। खासतौर पर इस दौरान आवाज करने वाले खिलौने रखें। जब वे खिलौने की ओर देखने लगें, तो उनकी गर्दन को धीरे-धीरे घुमाएं। साथ ही कोशिश करें कि आपका बेबी अपने गर्दन को खुद ही घुमाए और खिलौने के साथ खुद ही मूवमेंट करे।
गर्दन से करें स्ट्रेचिंग
कुछ बच्चों के गर्दन सामान्य बच्चों के गर्दन से अधिक बड़े और कमजोर होते हैं। ऐसे बच्चों के गर्दन की मांसपेशियां ज्यादा कमजोर होती हैं। हालांकि, यह नॉर्मल स्थित है। समय के साथ यह ठीक हो जाता है। लेकिन ऐसे बच्चों के सिर को घुमाना सामान्य बच्चों से थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिए इन्हें बाहारी सहयोग की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति होने पर आपका बच्चा एक ही दिशा में सिर रखता है। अगर आपका बच्चा भी एक ही दिशा में सिर रख रहा है, तो अपने हाथों से उनके सिर को घुमाने की कोशिश करें। उन्हें अपने हाथों से नियमित रूप से स्ट्रेचिंग कराएं। इससे उनकी गर्दन को काफी हद तक मजबूती मिल सकती है।
ज्यादातर महिलाएं अपने शिशु को स्तनपान कराते वक्त ‘फुटबॉल होल्ड’ का चुनाव करती हैं। फुटबॉल होल्ड में बच्चे के पैरों को मजबूती से अपने बाजूओं के बीच में दबाना होता है। यह बहुत ही आरामदायक तरीका होता है। लेकिन अगर आप चाहती हैं कि आपके बच्चे की गर्दन मजबूत हो, तो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पकड़ने के तरीके में थोड़ा बदलाव लाएं। इस दौरान उन्हें पेट के बल पकड़ने की कोशशि करें।
इस दौरान उनका हाथ आपके शरीर को सपोर्ट दे रहा हो और आपको अपने हाथों से उनकी छाती और पेट को सपोर्ट देना है। जब आप अपने शिशु को इस तरह पकडती हैं, तो उनका चेहरा नीचे की ओर रहता है और वह घर के आसपास की चीजों को देखने के लिए अपने गर्दन को घुमाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में उनके गर्दन की स्ट्रेचिंग हो जाती है। इससे उनके गर्दन को मजबूती मिल सकता है।
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